Shiv Manas Puja Meaning in Hindi Benefits PDF

Manas Puja|What is Shiv Manas Puja| Meaning| Benefits |PDF

Bhajan Aarti

What is Manas Puja

आराध्य देव की पूजा को ही मानस पूजा का नाम दिया गया है. (मानस पूजा किसे कहते हैं), मानस पूजा में अपने ईष्टदेव को मन ही मन या कल्पनाओं में ही आसन, पुष्प, नैवेद्य, आभूषण आदि अर्पित या चढ़ा कर उनकी पूजा की जाती है. कहा जाता है कि इस पूजा (Manas Puja) में किसी भौतिक चीज / वस्तु की कोई आवश्यकता नहीं होती है क्योंकि यह पूजा या उपासना भावना की होती है

ऐसा मानना है कि भगवान ऐसी भावना के भूखे होते हैं कि जिस भावना में अटूट श्रद्धा और भक्ति हो. पूजा-पाठ में मनुष्य की भावना का निर्मल या स्वच्छ होना अति आवश्यक होता है. इसीलिए मानस पूजा को अन्य पूजा की अपेक्षा हजार गुना अधिक प्रभावशाली माना जाता है. पुराणों में भी मानस पूजा का विशेष महत्व माना गया है.

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Shiv manas puja vidhi

मानस-पूजा में भक्त अपने इष्ट साम्बसदाशिव को सुधासिंधु से आप्लावित कैलाश-शिखर पर कल्पवृक्षों से आवृत कदंब-वृक्षों से युक्त मुक्तामणिमण्डित भवन में चिन्तामणि निर्मित सिंहासन पर विराजमान कराता है. स्वर्गलोक की मंदाकिनी गंगा के जल से अपने आराध्य को स्नान कराता है, कामधेनु गौ के दुग्ध से पंचामृत का निर्माण करता है.

मानना है कि वस्त्राभूषण भी दिव्य अलौकिक होते हैं. पृथ्वीरूपी गंध का अनुलेपन करता है. अपने आराध्य के लिए कुबेर की पुष्पवाटिका से स्वर्णकमल पुष्पों का चयन करता है. भावना से वायुरूपी धूप, अग्निरूपी दीपक तथा अमृतरूपी नैवेद्य भगवान को अर्पण करने की विधि है. इसके साथ ही त्रिलोक की संपूर्ण वस्तु, सभी उपचार सच्चिदानंदघन परमात्मप्रभु के चरणों में भावना से भक्त अर्पण करता है.

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Shiv Manas Puja in Sanskrit

रत्नैः कल्पितमासनं हिमजलैः स्नानं च दिव्याम्बरं , नानारत्नविभूषितं मृगमदामोदाङ्कितं चन्दनम्।

जातीचम्पकबिल्वपत्ररचितं पुष्पं च धूपं तथा दीपं , देव दयानिधे पशुपते हृत्कल्पितं गृह्यताम्॥१॥

सौवर्णे नवरत्नखण्डरचिते पात्रे घृतं पायसं , भक्ष्यं पञ्चविधं पयोदधियुतं रम्भाफलं पानकम्।

शाकानामयुतं जलं रुचिकरं कर्पूरखण्डोज्ज्वलं ताम्बूलं , मनसा मया विरचितं भक्त्या प्रभो स्वीकुरु॥२॥

छत्रं चामरयोर्युगं व्यजनकं चादर्शकं निर्मलम् , वीणाभेरिमृदङ्गकाहलकला गीतं च नृत्यं तथा।

साष्टाङ्गं प्रणतिः स्तुतिर्बहुविधा ह्येतत्समस्तं मया , सङ्कल्पेन समर्पितं तवविभो पूजां गृहाण प्रभो॥३॥

आत्मा त्वं गिरिजा मतिः सहचराः प्राणाः शरीरं , गृहं पूजा ते विषयोपभोगरचना निद्रा समाधिस्थितिः।

सञ्चारः पदयोः प्रदक्षिणविधिः स्तोत्राणि सर्वागिरो ,यद्यत्कर्म करोमि तत्तदखिलं शम्भो तवाराधनम्॥४॥

करचरण कृतं वाक्कायजं कर्मजं वा , श्रवणनयनजं वा मानसंवापराधम्।

विहितमविहितं वा सर्वमेतत्क्षमस्व , जय जय करुणाब्धे श्रीमहादेवशम्भो॥५॥

॥ इति श्रीमच्छङ्कराचार्यविरचिता शिवमानसपूजा संपूर्ण॥

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Shiv Manas Pooja PDF

नीचे दिए गये Shiv Manas Pooja PDF पर क्लिक कर उसकी जानकरी प्राप्त कर सकतें हैं.

कहा जाता है कि शिव मानस पूजा श्री आदि शंकराचार्य द्वारा एक भक्ति भजन है. मानस पूजा का अर्थ है बिना किसी बाहरी सामग्री के भगवान की पूजा करना। पूजा के लिए आवश्यक सभी सामग्रियों सहित संपूर्ण पूजा की कल्पना मन में की जाती है, और व्यक्ति इन सभी को औपचारिक पूजा के रूप में भगवान को अर्पित करता है. इस प्रकार की पूजा अधिक शक्तिशाली होती है और एकाग्रता और मानसिक भागीदारी की मांग करती है. शिव मानस पूजा के बोल हिंदी में यहां प्राप्त करें और अत्यंत भक्ति और एकाग्रता के साथ इसका जप करें.

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Shiv Manas Puja Meaning in Hindi

रत्नैः कल्पितमासनं हिमजलैः

स्नानं च दिव्याम्बरं,

नानारत्नविभूषितं मृगमदा

मोदाङ्कितं चन्दनम्।

जाती-चम्पक-बिल्व-पत्र-रचितं

पुष्पं च धूपं तथा,

दीपं देव दयानिधे पशुपते

हृत्कल्पितं गृह्यताम्॥

भावार्थ:- हे देव, हे दयानिधे, हे पशुपते, यह रत्ननिर्मित सिंहासन, शीतल जल से स्नान, नाना रत्ना से विभूषित दिव्य वस्त्र, कस्तूरि आदि गन्ध से समन्वित चन्दन, जूही, चम्पा और बिल्वपत्रसे रचित पुष्पांजलि तथा धूप और दीप – यह सब मानसिक [पूजोपहार] ग्रहण कीजिये।

सौवर्णे नवरत्न-खण्ड-रचिते

पात्रे घृतं पायसं

भक्ष्यं पञ्च-विधं पयो-दधि-युतं

रम्भाफलं पानकम्।

शाकानामयुतं जलं रुचिकरं

कर्पूर-खण्डोज्ज्वलं

ताम्बूलं मनसा मया विरचितं

भक्त्या प्रभो स्वीकुरु॥

भावार्थ:- मैंने नवीन रत्नखण्डोंसे जड़ित सुवर्णपात्र में घृतयुक्त खीर, दूध और दधिसहित पांच प्रकार का व्यंजन, कदलीफल, शरबत, अनेकों शाक, कपूरसे सुवासित और स्वच्छ किया हुआ मीठा जल तथा ताम्बूल – ये सब मनके द्वारा ही बनाकर प्रस्तुत किये हैं। हे प्रभो, कृपया इन्हें स्वीकार कीजिये।

छत्रं चामरयोर्युगं व्यजनकं

चादर्शकं निर्मलम्

वीणा-भेरि-मृदङ्ग-काहलकला

गीतं च नृत्यं तथा।

साष्टाङ्गं प्रणतिः स्तुतिर्बहुविधा

ह्येतत्समस्तं मया

संकल्पेन समर्पितं तव विभो

पूजां गृहाण प्रभो॥

भावार्थ:- छत्र, दो चँवर, पंखा, निर्मल दर्पण, वीणा, भेरी, मृदंग, दुन्दुभी के वाद्य, गान और नृत्य, साष्टांग प्रणाम, नानाविधि स्तुति – ये सब मैं संकल्पसे ही आपको समर्पण करता हूँ। हे प्रभु, मेरी यह पूजा ग्रहण कीजिये।

आत्मा त्वं गिरिजा मतिः सहचराः

प्राणाः शरीरं गृहं

पूजा ते विषयोपभोग-रचना

निद्रा समाधि-स्थितिः।

सञ्चारः पदयोः प्रदक्षिणविधिः

स्तोत्राणि सर्वा गिरो

यद्यत्कर्म करोमि तत्तदखिलं

शम्भो तवाराधनम्॥

भावार्थ:- हे शम्भो, मेरी आत्मा तुम हो, बुद्धि पार्वतीजी हैं, प्राण आपके गण हैं, शरीर आपका मन्दिर है, सम्पूर्ण विषयभोगकी रचना आपकी पूजा है, निद्रा समाधि है, मेरा चलना-फिरना आपकी परिक्रमा है तथा सम्पूर्ण शब्द आपके स्तोत्र हैं। इस प्रकार मैं जो-जो कार्य करता हूँ, वह सब आपकी आराधना ही है।

कर-चरण-कृतं वाक् कायजं कर्मजं वा

श्रवण-नयनजं वा मानसं वापराधम्।

विहितमविहितं वा सर्वमेतत्-क्षमस्व

जय जय करुणाब्धे श्री महादेव शम्भो॥

भावार्थ:- हाथोंसे, पैरोंसे, वाणीसे, शरीरसे, कर्मसे, कर्णोंसे, नेत्रोंसे अथवा मनसे भी जो अपराध किये हों, वे विहित हों अथवा अविहित, उन सबको हे करुणासागर महादेव शम्भो। आप क्षमा कीजिये। हे महादेव शम्भो, आपकी जय हो, जय हो।

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Shiv Manas Puja in Hindi PDF

मित्रों हम समझते हैं कि बार बार ऑनलाइन आना और शिव मानस पूजा को ढूंढना आपके लिए सुविधाजनक नहीं होगा इसी लिए आप नीचे दिए लिंक से Shiv Manas Puja PDF डाउनलोड कर सकते हैं-

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