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LALITA MATA CHALISA IN HINDI Lyrics

CHALISA

LALITA MATA KE BARE MEललिता देवी (lalita mata )की साधना: ललिता माता का पूजन और व्रत और पूजन मनुष्य को बल प्रदान करता है।

ललिता देवी के आशीर्वाद से समृद्धि आती है। दक्षिणामार्गी शक्ति के अनुसार, देवी ललिता के पास चांदी का स्थान है। देवी ललिता आदि शक्ति का वर्णन देवी पुराण में मिलता है।

भगवान शंकर को अपने हृदय में धारण करने के बाद, सती, नैमिष में लिंगमुनि के नाम से विख्यात हुई, उन्हें ललिता देवी कहा गया। एक अन्य किंवदंती के अनुसार, ललिता देवी का आविर्भाव तब होता है जब पाताल लोक भगवान द्वारा छोड़े गए चक्र को समाप्त करने लगता है। इस स्थिति से विचलित होने से बुद्धिमान और ज्ञानी भी घबरा जाते हैं और पूरी पृथ्वी धीरे-धीरे डूबने लगती है। तब सभी ज्ञानी माता ललिता देवी की पूजा करने लगते हैं। उसकी प्रार्थनाओं से प्रसन्न होकर देवी प्रकट होती हैं और इस विनाशकारी चक्र को रोकती हैं। अब एक दूसरी पौराणिक कथानुसार भगवान ब्रम्हा जी ने देवी सती को यहाँ प्रकट होने का आदेश दिया था अतः देवी यहाँ माँ ललिता देवी के रूप में प्रकट हुई और अपने भक्तो की सेवा में तत्पर हो गई |We are providing lalita devi chalisa lyrics.

ललिता चालीसा ( lalita chalisa in hindi Lyrics)

जयति जयति जय ललिते माता | तब गुण महिमा है विख्याता ||

तू सुन्दरी, त्रिपुरेश्वरी देवी | सुर नर मुनि तेरे पद सेवी ||

तू कल्याणी कष्ट निवारिणी | तू सुखदायिनी, विपदा हारिणी ||

मोह विनासिनी दैत्य नाशिनी | भक्त भाविनी ज्योति प्रकाशिनी ||

आदि शक्ति श्री विद्या रूपा | चक्र स्वामिनी देह अनूपा ||

ह्रदय निवासिनी – भक्त तारिणी | नाना कष्ट विपति दल हारिणी ||

दश विद्या है रूप तुम्हारा | श्री चन्द्रेश्वरी नैमिष प्यारा ||

धूमा, बगला, भैरवी, तारा | भुवनेश्वरी, कमला, विस्तारा ||

षोडशी, छिन्नमस्ता, मातंगी | ललितेशक्ति तुम्हारी संगी ||

ललिते तुम हो ज्योतित भाला | भक्तजनों का काम संभाला ||

भारी संकट जब जब आये | उनसे तुमने भक्त बचाये ||

जिसने कृपा तुम्हारी पाई | उसकी सब विधि से बन आई ||

संकट दूर करो माँ भारी | भक्तजनों को आस तुम्हारी ||

त्रिपुरेश्वरी, शैलजा, भवानी | जय – जय – जय शिव की महारानी ||

योग सिध्दि पावें सब योगी | भोगें भोग महा सुख भोगी ||

कृपा तुम्हारी पाके माता | जीवन सुखमय है बन जाता ||

दुखियों को तुमने अपनाया | महा मूढ़ जो शरण न आया ||

तुमने जिसकी ओर निहारा | मिली उसे सम्पति, सुख सारा ||

आदि शक्ति जय त्रिपुर प्यारी | महाशक्ति जय – जय, भय हारी ||

कुल योगिनी, कुंडलिनी रूपा | लीला ललिते करें अनूपा ||

महा – महेश्वरी, महा शक्ति दे | त्रिपुर – सुन्दरी सदा भक्ति दे ||

महा महा – नंदे कल्याणी | मूकों को देती हो वाणी ||

इच्छा – ज्ञान – क्रिया का भागी | होता तब सेवा अनुरागी ||

जो ललिते तेरा गुण गावे | उसे न कोई संकट सतावे ||

सर्व मंगले ज्वाला – मालिनी | तुम हो सर्व शक्ति संचालिनी ||

आया माँ जो शरण तुम्हारी | विपदा हरी उसी की सारी ||

नामा कर्षिणी, चिंता कर्षिणी | सर्व मोहिनी सब सुख वर्षिणी ||

महिमा तब सब जग विख्याता | तुम हो दयामयी जग माता ||

सब सौभाग्य दायिनी ललिता | तुम हो सुखदा करुणा कलिता ||

आनन्द, सुख, सम्पत्ति देती हो | कष्ट भयानक हर लेती हो ||

मन से जो जन तुमको ध्यावे | वह तुरंत मनवांछित पावे ||

लक्ष्मी, दुर्गा तुम हो काली | तुम्हीं शारदा चक्र – कपाली ||

मूलाधार, निवासिनी जय – जय | सहस्त्रार गामिनी माँ जय – जय ||

छ: चक्रो को भेदने वाली | करती हो सबकी रखवाली ||

योगी, भोगी, क्रोधी, कामी | सब है सेवक सब अनुगामी ||

सबको पार लगाती हो माँ | सब पर दया दिखाती हो माँ ||

हेमावती, उमा, ब्रह्माणी | भंडासुर की ह्रदय विदारिणी ||

सर्व विपत्ति हर, सर्वाधारे | तुमने कुटिल कुपंथी तारे ||

चन्द्र धारिणी, नैमिश्वसिनी | कृपा करो ललिते अधनाशिनी ||

भक्तजनों को दरश दिखाओ | संशय भय सब शीघ्र मिटाओ ||

जो कोई पढ़े ललिता चालीसा | होवे सुख आनन्द अधीसा ||

जिस पर कोई संकट आवे | पाठ करे संकट मिट जावे ||

ध्यान लगा पढ़े इक्कीस बारा | पूर्ण मनोरथ होवे सारा ||

पुत्रहीन संतति सुख पावे | निर्धन धनी बने गुण गावे ||

इस विधि पाठ करे जो कोई | दुःख बंधन छुटे सुख होई ||

जितेन्द्र चन्द्र भारतीय बतावें | पढ़े चालीसा तो सुख पावें ||

सबसे लघु उपाय यह जानो | सिद्ध होय मन में जो ठानो ||

ललिता करें ह्रदय में वासा | सिध्दि देत ललिता चालीसा ||

दोहा

ललिते माँ अब कृपा करो सिद्ध करो सब काम |

श्रद्धा से सिर नाय करे करते तुम्हें प्रणाम।।

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