Shri Shani Chalisa Lyrics

Shri Shani Chalisa Lyrics | शनि देव चालीसा

CHALISA

करो दिन की मंगलमय शुरुआत Shri Shani Chalisa Lyrics के साथ जो आपको मिलेंगे हमारी वेबसाइट hellozindgi.com पे। शास्त्रों के अनुसार जो कोई भी व्यक्ति Shani Chalisa के साथ साथ Gayatri Chalisa का पाठ करता है तो उसके जीवन के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं

Shri Shani Chalisa Lyrics

दोहा

जय गणेश गिरिजा सुवन , मंगल करण कृपाल | दीनन के दुःख दूर करी , कीजै नाथ निहाल ||

जय जय श्री शनिदेव प्रभु , सुनहु विनय महाराज | करहु कृपा हे रवि तनय , राखहु जन की लाज ||

चौपाई

जयति जयति शनिदेव दयाला | करत सदा भक्तन प्रतिपाला ||

चारि भुजा , तनु श्याम विराजै | माथे रतन मुकुट छवि छाजै ||

परम विशाल मनोहर भाला | टेढ़ी द्रष्टि भ्रकुटी विकराला ||

कुंडल श्रवण चमाचम चमके | हिये माल मुक्तन मणि दमके ||

कर में गदा त्रिशूल कुठारा | पल बिच करै अरिहिं संहारा ||

पिंगल , कृष्णो , छाया नन्दन | यम, कोणस्थ , रौद्र , दुखभंजन ||

सौरी , मंद , शनि , दश नामा | भानु पुत्र पूजहिं सब कामा ||

जा पर प्रभु प्रसन्न हैव जाहीं | रंकहु राव करै क्षण माहीं ||

पर्वतहू तृण  होई निहारत | तृण हूं को पर्वत करि डारत ||

राज मिलत बन रामहिं दीन्ह्यो | कैकेइहूँ की मति हरि लीन्हयो ||

बनहूँ में म्रग कपट दिखाई | मातु जानकी गई चुराई ||

लखनहिं शक्ति विकल करिडारा | मचिगा दल में हाहाकार ||

रावण की गति – मति बौराई | रामचन्द्र सों बैर बड़ाई ||

दियो कीट करी कंचन लंका | बजि बजरंग बीर की डंका ||

नृप विक्रम पर तुहि पगु धारा | चित्र मयूर निगलि गै हारा ||

हार नौलखा लाग्यो चोरी | हाथ पैर डरवायो तोरी ||

भारी दशा निकृष्ट दिखायो | तेलहिं घर कोल्हू चलवायो ||

विनय राग दीपक महं कीन्ह्यो | तब प्रशन्न प्रभु होय सुख दीन्ह्यो ||

हरीश्चन्द्र नृप नारि बिकानी | आपहुं भरे डोम घर पानी ||

तैसे नल पर दशा सिरानी | भूंजी – मीन कूद गयी पानी ||

श्री शंकरहिं गह्यो जब जाई | पार्वती को सती कराई ||

तनिक बिलोकत ही करी रीसा | नभ उड़ी गयो गौरिसुत सीसा ||

पाण्डव पर भै दशा तुम्हारी | बची द्रोपदी होति उघारी ||

कौरव के भी गति मति मारयो| युद्ध महाभारत करि डारयो ||

रवि कहँ मुख महं धरि तत्काला | लेकर कूदि परयो पाताला ||

शेष देव – लखि विनती लाई | रवि को मुख ते दियो छुड़ाई ||

वाहन प्रभु के सात सुजाना | जग दिग्गज गर्दभ मृग स्वाना ||

जम्बुक सिंह आदि नख धारी | सों फल ज्योतिष कहत पुकारी ||

गज वाहन लक्ष्मी गृह आवै | हय ते सुख संपत्ति उपजावै ||

गर्दभ हानि करै बहु काजा | सिंह सिद्धकर राज समाजा ||

जम्बुक बुद्धि नष्ट कर डारै | म्रग दे कष्ट प्राण संहारै ||

जब आवहिं प्रभु स्वान सवारी | चोरी आदि होय डर भारी ||

तैसहि चारि चरण यह नामा | स्वर्ण लौह चांदी अरु तामा ||

लौह चरण पर जब प्रभु आवै | धन जन सम्पत्ति नष्ट करावै ||

समता ताम्र रजत शुभकारी | स्वर्ण सर्व सर्व सुख मंगल भारी ||

जो यह शनि चरित्र नित गावै | कबहूँ न दशा निकृष्ट सतावै ||

अद्भुत नाथ दिखावै लीला | करै शत्रु के नशि बलि ढीला ||

जो पंडित सुयोग्य बुलबाई | विधिवत शनि गृह शांति कराई ||

पीपल जन शनि दिवस चड़ावत | दीप दान दै बहु सुख पावत ||

कहत राम सुंदर प्रभु दासा | शनि सुमिरत सुख होत प्रकाशा ||

दोहा

पाठ शनिश्वर देव को , की हो ‘ भक्त ‘ तैयार |

करत पाठ चालीस दिन , हो भवसागर पार ||

Download Shri Shani Chalisa Lyrics PDF

SHRI SHANI CHALISA LYRICS

Some Other Life-Changing Chalisa

CLICK BELOW

Leave a Reply