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Argala Stotram | विधि | लाभ | Lyrics- Sanskrit & Hindi

STOTRA

Argala Stotram ke bare mein- दुर्गा ही वो देवी है जिन्होंने समस्त जगत को उत्पन्न किया है। इसलिए देवी माँ को जगतजननी नाम से भी पुकारा जाता है । देवी की उपासना में अर्गला स्त्रोत का महत्व बहुत अधिक है। उनको सच्चे दिल से याद करने से ही सब बिगड़े काम बन जाते हैं |माँ दुर्गा को प्रसन्न करने हेतु विभिन्न उपाय हमारे में शास्त्रों में बताये गए हैं जैसे माँ दुर्गा चालीसा का पाठ तथा कुछ स्तोत्र जिनमें से एक है सिद्ध कुंजिका स्तोत्र| यहाँ पर हम बात करेंगे अर्गला स्तोत्र के विषय में | आप से अनुरोध है की इस पोस्ट को पूरा पढ़ें |

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4 मार्कण्डेय उवाच

Argala Stotram Lyrics

देवी महात्म्यम् अर्गला स्तोत्रम्

ॐ नमश्‍चण्डिकायै॥

मार्कण्डेय उवाच

ॐ जयन्ती मङ्गला काली भद्रकाली कपालिनी।

दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तु ते ॥1॥

 जय त्वं देवि चामुण्डे जय भूतार्तिहारिणि।

जय सर्वगते देवि कालरात्रि नमोऽस्तु ते ॥2॥

 मधुकैटभविद्राविविधातृवरदे नमः।

रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥3॥

 महिषासुरनिर्णाशि भक्तानां सुखदे नमः।

रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥4॥

 रक्तबीजवधे देवि चण्डमुण्डविनाशिनि।

रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥5॥

 शुम्भस्यैव निशुम्भस्य धूम्राक्षस्य च मर्दिनि।

रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥6॥

 वन्दिताङ्‌घ्रियुगे देवि सर्वसौभाग्यदायिनि।

रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥7॥

 अचिन्त्यरुपचरिते सर्वशत्रुविनाशिनि।

रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥8॥

 नतेभ्यः सर्वदा भक्त्या चण्डिके दुरितापहे।

रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥9॥

 स्तुवद्‌भ्यो भक्तिपूर्वं त्वां चण्डिके व्याधिनाशिनि।

रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि१॥10॥

 चण्डिके सततं ये त्वामर्चयन्तीह भक्तितः।

रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥11॥

 देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि मे परमं सुखम्।

रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥12॥

 विधेहि द्विषतां नाशं विधेहि बलमुच्चकैः।

रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥13॥

 विधेहि देवि कल्याणं विधेहि परमां श्रियम्।

रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥14॥

 सुरासुरशिरोरत्ननिघृष्टचरणेऽम्बिके।

रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥15॥

 विद्यावन्तं यशस्वन्तं लक्ष्मीवन्तं जनं कुरु।

रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥16॥

 प्रचण्डदैत्यदर्पघ्ने चण्डिके प्रणताय मे।

रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥17॥

 चतुर्भुजे चतुर्वक्त्रसंस्तुते परमेश्‍वरि।

रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥18॥

 कृष्णेन संस्तुते देवि शश्‍वद्भक्त्या सदाम्बिके।

रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥19॥

हिमाचलसुतानाथसंस्तुते परमेश्‍वरि।

रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥20॥

 इन्द्राणीपतिसद्भावपूजिते परमेश्‍वरि।

रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥21॥

 देवि प्रचण्डदोर्दण्डदैत्यदर्पविनाशिनि।

रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥22॥

 देवि भक्तजनोद्दामदत्तानन्दोदयेऽम्बिके।

रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥23॥

 पत्नीं मनोरमां देहि मनोवृत्तानुसारिणीम्।

तारिणीं दुर्गसंसारसागरस्य कुलोद्भवाम्॥24॥

 इदं स्तोत्रं पठित्वा तु महास्तोत्रं पठेन्नरः।

स तु सप्तशतीसंख्यावरमाप्नोति सम्पदाम्॥25॥

॥ इति देव्या अर्गलास्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥

अर्गला स्तोत्र पढ़ने का विधान-

श्री दुर्गा सप्तशती में देवी कवच के बाद अर्गला स्तोत्र पढ़ने का विधान है। अर्गला का अर्थ होता है ‘अग्रणी या अगड़ी’। यह स्तोत्र सारी बाधाओं को दूर करने वाला एक अद्भुत उपाय है । नवरात्रि में देवी को प्रसन्न करने के लिए अनेकों पाठ किए जाते है, लेकिन क्या आप जानते है कि मां का अर्गला स्तोत्र(Argala Stotram) विशेषतौर पर हमारी इच्छाओं की पूर्ति करने वाला है। मनुष्य जिन जिन कार्यों की इच्छा करता है, वे सभी कार्य अर्गला स्तोत्र के पाठ मात्र से पूरी हो जाती हैं।

इस पेज में हम durga saptashati argala stotram meaning in hindi के साथ साथ Argala Stotram Lyrics भी देने जा रहे हैं| साथ ही durga argala stotram in hindi pdf का फ्री downloadable link भी दे रहे हैं | आप दुर्गा सप्तशती पाठ में “अर्गला स्तोत्र” का पाठ दुर्गा कवच के करें और कीलक स्तोत्र के पहले करें |

Ma Durga with lamp diya worship

अर्गला स्तोत्रका पाठ कैसे करें –

1. सरसो या तिल के तेल का दीपक जलाएं

2. चामुण्डा देवी का ध्यान करें। उनसे संवाद करें और पुकारें

3. देवी भगवती के अर्गला स्तोत्र का संकल्प लें और अपनी इच्छा देवी के समक्ष व्यक्त करें

4. अर्गला स्तोत्र में तांत्रिक नहीं वरन मंत्र शक्ति का प्रयोग करें

5. अर्गला स्तोत्र का यथा संभव तीन बार या सात बार पाठ करें

6. कुछ मंत्र ऐसे हैं, जिनका वाचन करते हुए आप यज्ञ भी कर सकते हैं।

7. यज्ञ काले तिलों से होगा। मधु यानी शहद की आहूति भी होगी।

8. अर्गला स्तोत्र का प्रात: काल या मध्य रात्रि पर पाठ करें

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Argala Stotram Benefits in Hindi

  • इस स्तोत्रम को पढ़ने से जीवन में धन और सफलता में वृद्धि होती है |
  • इस  स्तोत्रम के जाप से व्यापार में वृद्धि होती है ।इसलिए यह स्तोत्र उन लोगों के लिए अति महत्वपूर्ण है जिन्हें व्यापार में हानि हुई हो |
  • देवी अर्गला स्तोत्रम एक स्वस्थ दिमाग के साथ स्वस्थ शरीर भी प्रदान करता है।
  • इस स्तोत्र के जाप से व्यक्ति को जीवन में हर क्षेत्र में सफलता मिलती है |
  • अर्गला स्तोत्रम का पाठ करने से सारी नकारात्मकता और बुराइयाँ जीवन से दूर रहेंगी।
  • यदि नियमित रूप से इस स्तोत्रम का पाठ किया जाये तो देवी दुर्गा आपको हमेशा सफल होने का आशीर्वाद देती हैं।

Note- आप कभी भी किसी भी मंत्र या स्तोत्र के अंत में संपूर्णम ना बोलें आपको ॐ तत्सत् ही बोलना चाहिए संपूर्णम सिर्फ तभी लिखा या बोला गया था जबकि इसकी रचना की गई थी|

Durga Saptashati Argala Stotram Meaning in Hindi –

मार्कण्डेयजी कहते हैं जयन्ती मंगला, काली, भद्रकाली कपालिनी, दुर्गा, क्षमा, शिवा धात्री, स्वाहा और स्वधा इन नामों से प्रसिद्ध देवी! तुम्हें मैं नमस्कार करता हूँ, हे देवी! तुम्हारी जय हो।

प्राणियों के सम्पूर्ण दुख हरने वाली तथा सब में व्याप्त रहने वाली देवी! तुम्हारी जय हो, कालरात्रि तुम्हें नमस्कार है, मधु और कैटभ दैत्य का वध करने वाली, ब्रह्मा को वरदान देने वाली देवी! तुम्हें नमस्कार है।

तुम मुझे रूप दो, जय दो, यश दो और काम क्रोध आदि शत्रुओं का नाश करो। महिषासुर का नाश करने वाली तथा भक्तों को सुख देने वाली देवी तुम्हें नमस्कार है।

तुम मुझे सुन्दर स्वरुप दो, विजय दो और मेरे शत्रुओं को नष्ट करो। हे रक्तबीज का वध करने वाली! हे चण्ड-मुण्ड को नाश करने वाली!

तुम मुझे रूप दो, जय दो, यश दो और काम क्रोध आदि शत्रुओं का नाश करो। हे शुम्भ निशुम्भ और धूम्राक्ष राक्षस का मर्दन करने वाली देवी!

मुझको स्वरूप दो, विजय दो, यश दो और मेरे शत्रुओं का नाश करो। हे पूजित युगल चरण वाली देवी! हे सम्पूर्ण सौभाग्य प्रदान करने वाली देवी! तुम मुझे रूप दो, जय दो, यश दो और काम क्रोध आदि शत्रुओं का नाश करो।

हे देवी! तुम्हारे रूप और चरित्र अमित हैं। तुम सब शत्रुओं का नाश करने वाली हो। मुझे रूप जय यश दो और काम क्रोध आदि शत्रुओं का नाश करो, पापों को दूर करने वाली चण्डिके!

इस संसार में जो भक्ति से तुम्हारा पूजन करते हैं उनको तुम रूप तथा विजय और यश दो तथा उनके शत्रुओं का नाश करो।

रोगों का नाश करने वाली चण्डिके! जो भक्तिपूर्वक तुम्हारी पूजा करते हैं उनको तुम रूप विजय और यश दो, तथा उनके शत्रुओं का नाश करो।

हे देवी! जो मुझसे बैर रखते हैं, उनका नाश करो और मुझे अधिक बल प्रदान कर रूप, जय, यश दो और मेरे शत्रुओं का संहार करो।

हे देवी! मेरा कल्याण करो और मुझे उत्तम सम्पत्ति प्रदान करो, रूप, जय, यश दो और काम क्रोध आदि शत्रुओं का नाश करो। हे देवता तथा राक्षसों के मुकुट रत्नों से स्पर्श किए हुए चरणों वाली देवी!

हे अम्बिके! मुझे स्वरुप दो, विजय तथा यश दो और मेरे शत्रुओं का नाश करो, हे देवी! अपने भक्तों को विद्वान, कीर्तिवान और लक्ष्मीवान बनाओ और उन्हें रूप दो, जय दो, यश दो, और उनके शत्रुओं का नाश करो।

हे प्रचण्ड दैत्यों के अभिमान का नाश करने वाली चण्डिके! मुझ शरणागत को रूप दो, जय दो, यश दो और मेरे शत्रुओं का नाश करो। हे चार भुजाओं वाली!

हे ब्रह्मा द्वारा प्रशंसित परमेश्वरि! मुझे रूप दो, जय दो, यश दो और मेरे क्रोध आदि शत्रुओं को नष्ट करो। निरन्तर भक्ति से भगवान विष्णु से सदा स्तुति की हुई हे अम्बिके!

मुझे रूप, यश, जय दो और मेरे शत्रुओं को नष्ट करो। हिमाचल कन्या पार्वती के भगवान शंकर से स्तुति की हुई हे परमेश्वरी! मुझे रूप, जय, यश दो और मेरे शत्रुओं का नाश करो। इन्द्राणी के पति (इन्द्र) के द्वारा सद्भाव से पूजित होने वाली परमेश्वरी!

मुझे तुम रूप दो, जय दो, यश दो और काम, क्रोध आदि शत्रुओं को नष्ट करो। प्रचण्ड भुदण्ड से दैत्यों के घमण्ड को नष्ट करने वाली! मुझे रूप दो, जय दो, यश दो और मेरे शत्रुओं का नाश करो।

हे देवी! तुम अपने भक्तों को सदा असीम आनन्द देती हो। मुझे रूप, जय, यश दो और मेरे काम क्रोध आदि शत्रुओं को नष्ट करो। हे देवी!

मेरी इच्छानुसार चलने वाली सुन्दर स्त्री मुझे प्रदान करो, जो कि संसार सागर से तारने वाली तथा उत्तम कुल में उत्पन्न हुई हो, जो मनुष्य पहले इस स्तोत्र का पाठ करता है वह सप्तशती संख्या के समान श्रेष्ठ फल को प्राप्त होता है और उसके साथ ही उसे प्रचुर धन भी प्राप्त होता है।

|| दुर्गा सप्तशती अर्गला स्तोत्रम सम्पूर्ण ||

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