अकबर बीरबल के मजेदार किस्से | Stories in Hindi Akbar Birbal

अकबर बीरबल के मजेदार किस्से | Akbar Birbal Stories in Hindi

Hindi Stories with Moral

दोस्तों अगर आपको तलाश है akbar birbal की तो यकीन मानिए आप सही जगह पे हैं.  इस पोस्ट में हम आपको मनोरंजक एवं शिक्षाप्रद akbar birbal stories in hindi प्रस्तुत करने के साथ साथ कुछ ऐसी कहानियां दे रहे हैं जो आपको एक बार पढ़कर ही हमेशा याद रहेंगी.

किसान की खैर

एक बार की बात है, एक चतुर व्यक्ति ने अपना कुआँ एक किसान को बेच दिया. अगले दिन जब किसान कुएँ के पास पानी लेने गया तो उस आदमी ने कहा कि उसने केवल कुआँ बेचा है उसका पानी नहीं. किसान को समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करे और दुखी मन से अकबर के दरबार में गया.

12 1 अकबर बीरबल के मजेदार किस्से | Akbar Birbal Stories in Hindi

बीरबल को मामले को संभालने के लिए कहा गया था. अगले दिन किसान के साथ कुआँ बेचने वाले को दरबार में बुलाया गया. चतुर आदमी ने वही कहा- उसने अपना कुआं बेचा था, उसमें पानी नहीं. यह जानने पर, बीरबल ने कहा, “मेरे दोस्त, उस स्थिति में, आप या तो अपना पानी कुएं से हटा दें या अपने पानी के लिए कर दें क्योंकि यह किसान का कुआं है.” उस आदमी को अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने माफ़ी मांगी क्योंकि वह असहाय और बेपरवाह था.

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शिक्षा यदि आप धोखा देते हैं, तो आप अपने कर्मों के लिए भुगतान करेंगे.

कुएं का पानी

एक समय की बात है, बादशाह अकबर अपने दरबार में दरबारियों के साथ बैठे हुए थे. तभी दरबार में एक किसान और उसका पड़ोसी पहुंचा. किसान इंसाफ की गुहार लगा रहा था.

बादशाह अकबर ने किसान से पूछा कि आखिर क्या तकलीफ है, तुम इतने क्यों परेशान है.

13 अकबर बीरबल के मजेदार किस्से | Akbar Birbal Stories in Hindi

किसान ने कहा- “जहांपनाह! मैंने अपने पड़ोसी (किसान ने पड़ोसी की तरफ इशारा करते हुए दिखाया) से एक कुआं खरीदा था.”

“परंतु अब वह मुझे कुएं का पानी इस्तेमाल करने नहीं दे रहा है. बल्कि वह मुझसे कुएं के पानी की कीमत मांग रहा है.”

यह सुनकर बादशाह चौक गए और उन्होंने किसान के पड़ोसी से पूछा कि क्या यह सब सच है.

पड़ोसी ने कहा- “जी जहांपनाह ! यह बिल्कुल सच है.”

“मैंने इस किसान को कुआं बेचा था ना कि पानी. पानी तो मेरा ही है.”

बादशाह यह सुनकर दुविधा में पड़ गए और उन्होंने बीरबल को किसान और उसके पड़ोसी का झगड़ा सुलझाने को कहा.

बीरबल दोनों की सारी बातें सुन चुके थे. वह समझ गए थे कि पड़ोसी बहुत ही चालाक और धोखेबाज है.

बीरबल ने पड़ोसी से कहा- “तुमने कहा कि तुम ने किसान को सिर्फ कुआं बेचा है, पानी नहीं. पानी अभी भी तुम्हारा है.”

पड़ोसी ने घमंड के साथ कहा- “जी हां राजा बीरबल.”

बीरबल ने कहा तो इसका मतलब यह हुआ कि कुआं तो किसान का है, परंतु उसमें रखा हुआ पानी अभी भी तुम्हारा है.

बीरबल ने पड़ोसी से आगे कहा- “यदि तुम्हारा पानी किसान के कुएं में रखा हुआ है तो तुम्हें उसका किराया देना चाहिए. या फिर सारा पानी एक साथ निकाल लो.”

यह सब सुनकर पड़ोसी की समझ में आ गया था कि वहां फस चुका है और उसकी चालाकी अब नहीं चलेगी. उसने तुरंत किसान से और बादशाह से माफी मांगी.

बादशाह अकबर ने किसान से कहा कि आज से कुआं और उसका पानी दोनों तुम्हारें हैं.

किसान खुश होकर बादशाह अकबर और राजा बीरबल को धन्यवाद देता हुआ वहां से चला गया.

शिक्षा इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि वह अपनी चालाकी और धोखेबाजी से कुछ भी हासिल कर सकते हैं. परंतु यह सही नहीं है. हमें हमेशा अपनी मेहनत और इमानदारी से चीजें हासिल करनी चाहिए, ना कि लोगों का अधिकार छीन कर.”

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साथियों एवं प्यारे बच्चों आप akbar birbal hindi story पढने के लिए सही वेबसाइट पर हैं. यहाँ आपको akbar birbal hindi stories साधारण या यूँ कहें ऐसी भाषा में दी गई हैं जिन्हें समझने में आपको कोई दिक्कत नहीं होगी. आप इनको पढ़ें और जुड़े रहें हमारी वेबसाइट hellozindgi से.

उम्र बढ़ाने वाला पेड़

एक बार की बात है. जब बादशाह अकबर अपने साम्राज्य की उन्नति और विकास के लिए पूरे देश की चर्चा में थे. बादशाह अकबर के दरबार के नवरत्नों की तारीफ तो पूरे देश में हो रही थी.उसी समय तुर्कीस्तान के बादशाह को बादशाह अकबर की प्रसिद्धि से ईर्ष्या हो रही थी. तुर्कीस्तान के बादशाह ने बादशाह अकबर को नीचा दिखाने के लिए एक योजना बनाई. तुर्कीस्तान के बादशाह ने अपने कुछ दूतों और सिपाहियों को एक संदेश पत्र देकर बादशाह अकबर के दरबार में भेजा.

14 1 अकबर बीरबल के मजेदार किस्से | Akbar Birbal Stories in Hindi

तुर्कीस्तान के बादशाह ने संदेश में लिखा था.

“बादशाह अकबर,

मैंने आपके साम्राज्य को लेकर एक रोचक बात सुनी है. आपके साम्राज्य में भारत का एक ऐसा पेड़ है, जिसके मात्र पत्ते के सेवन से लोगों के उम्र में बढ़ोतरी होती हैं. यदि यह बात तनिक भी सत्य हो, तो वह अद्भुत पेड़ के कुछ पत्ते हमारे लिए भी अवश्य भिजवाऐ.

आपका मित्र

तुर्कीस्तान बादशाह”

बादशाह अकबर तुर्कीस्तान के बादशाह का संदेश पढ़ने के बाद अत्यंत चिंता में पड़ गए.

बादशाह अकबर ने अपने सभी दरबारियों और बीरबल से तुर्कीस्तान के बादशाह के संदेश को लेकर बातचीत की. सभी दरबारी और बादशाह अकबर बहुत ही चिंतित हो गए. किसी को भी कोई सुझाव न मिला.

बीरबल ने सभी को परेशान देखकर कहा “जहांपनाह! मेरे पास इस संदेश का सुझाव है.”

बीरबल ने कहा “हुजूर! आप सभी दूतों और सिपाहियों को एक किले में बंद करके कुछ दिनों के लिए छोड़ दें.”

कुछ दिनों के बाद बादशाह अकबर और बीरबल तुर्कीस्तान से आऐ दूतों और सिपाहियों से मिलते हैं. दूतों और सिपाहियों को बादशाह अकबर और बीरबल को देखकर लगता है कि अब वह अपने घर जा सकेगे.

बादशाह अकबर और बीरबल तुर्कीस्तान के दूतों और सिपाहियों से कहते है कि तुम्हारे बादशाह ने जिस अद्भुत वस्तु की मांग की है, वह तुम लोगों को तब तक नहीं मिलेगी जब तक कि इस किले का एक भी ईट ना गिर जाएं.

जैसे ही इस किले की एक भी ईट गिरी तुम लोगों को तुर्कीस्तान भेज दिया जायेगा. लेकिन तब तक तुम लोगों को यही बंद हो कर रहना पड़ेगा. तुम लोगों को कोई तकलीफ नहीं होगी, तुम्हारे ज़रूरत का विशेष ध्यान रखा जाऐगा.

बादशाह अकबर और बीरबल इतना कह कर वहाँ से चले गए.

कैद में बंद तुर्कीस्तान के दूतों और सिपाहियों को अब अत्यंत चिंताओं ने घेर लिया. उन्हें अब मुक्ति के कोई आसार नज़र नहीं आ रहे थे. तब उन्होंने अपने-अपने ईश्वर को याद किया. उन्होंने अपने भविष्य के लिए अपने प्रभु से बहुत यातनाएं की.

“ईश्वर तो बहुत ही दयालु और कृपालु होतें है.”

ईश्वर ने तुर्कीस्तान के दूतों और सिपाहियों की प्रार्थना को सुना.

कुछ दिनों के बाद वहाँ जोरदार भूकंप आया. किले का कुछ हिस्सा क्षति ग्रस्त हो गया. जब यह बात बादशाह अकबर और बीरबल ने सुनी तो तुर्कीस्तान के दूतों और सिपाहियों को राज दरबार में बुलाया गया.

बादशाह अकबर ने कहा “तुम लोगों को अपने बादशाह का संदेश पता ही होगा. अब तुम लोगों ने उसका जवाब भी जान लिया होगा.”

यदि नहीं तो ध्यान से सुनो और अपने बादशाह को भी बताना.

बादशाह अकबर ने कहा “तुम लोगों की संख्या केवल सौ हैं. फिर भी तुम लोगों के आह से क़िला गिर गया. तुर्कीस्तान के बादशाह तो कई हज़ार लोगों पर अत्याचार कर रहे हैं. कैसे वहाँ के बादशाह की उम्र बढ़ सकती हैं. तुर्कीस्तान के बादशाह की उम्र तो दिन प्रतिदिन कम हो रही हैं. उनके अत्याचारों से कई हज़ार लोगों की आह से उनका जल्द ही पतन होगा.

बादशाह अकबर कहते है “हम अपने साम्राज्य में कभी किसी पर अत्याचार नहीं करते. हम अपने प्रजा का भरन पोषण और उनके सुरक्षा का ध्यान रखते हैं. अपने साम्राज्य के प्रजा को अच्छे से भरन पोषण करने और उनके सुरक्षा करना ही आयुवर्धक पेड़ है. बाक़ी सब बेकार की बातें हैं.”

बादशाह अकबर ने तुर्कीस्तान के दूतों और सिपाहियों को उनके संदेश का अदभुत जवाब दिया.

तुर्कीस्तान के दूतों और सिपाहियों ने अपने देश जाने की इजाज़त बादशाह अकबर से ली और वे सभी बादशाह अकबर के दरबार से चले गए.

बादशाह अकबर ने तुर्कीस्तान के दूतों और सिपाहियों को रास्ते के लिए खाना और कुछ मुद्राएँ भी दी.

जब तुर्कीस्तान के दूतों और सिपाहियों अपने बादशाह के दरबार में गऐ तो उन दूतों और सिपाहियों ने अपने बादशाह को आयुवर्धक पेड़ की विशेषता के साथ-साथ अद्भुत सीख भी बताई.

तुर्कीस्तान के बादशाह ने बादशाह अकबर की शिक्षा से सीख ली और अपने साम्राज्य में प्रजा की सुरक्षा और भरन पोषण पर ध्यान देना शुरू कर दिया.

“तुर्कीस्तान के बादशाह ने बादशाह अकबर को धन्यवाद भी दिया.”

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शिक्षा इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें दूसरों की हमेशा सहायता करनी चाहिए.

संसार की सबसे बड़ी चीज

एक समय की बात है. कि बादशाह अकबर के दरबार में एक दिन बीरबल उपस्थित नहीं थे.

बीरबल को उपस्थित नहीं देख राज दरबार के सभी दरबारी बादशाह अकबर से बीरबल की बुराई कर रहे थे. सभी बादशाह अकबर को बीरबल के खिलाफ बोल रहे थे. बादशाह अकबर से सभी दरबारियों ने कहा “आप हमें भी मौके दे. आपने बीरबल को कुछ ज़्यादा ही सम्मान दे दिया है .”

15 अकबर बीरबल के मजेदार किस्से | Akbar Birbal Stories in Hindi

“जहांपनाह! आप हम सभी दरबारियों से ज़्यादा बीरबल को क्यों पसंद करते हैं.”

बादशाह अकबर सभी दरबारियों की बातों को ध्यान से सुन रहे थे.

बादशाह अकबर ने कहा “मैं आपको भी एक मौका देता हूँ.”

बादशाह अकबर ने सभी दरबारियों में से चार दरबारी को चुना. ये वह दरबारी थे जो सबसे ज़्यादा बीरबल की बुराई करते थे.

बादशाह अकबर ने कहा “मैं आपको एक सवाल दूँगा, जिसका जबाव सही-सही ही देना होगा. यदि कोई भी जबाव ग़लत दिया तो उसकी सजा फाँसी होगी.”

बादशाह अकबर की बातों को सुनकर चारों दरबारी डर गये. फिर भी चारो दरबारी ने कहा “मुझे मंजूर हैं. जहांपनाह! आप सवाल बताईये.”

बादशाह अकबर ने कहा “ऐसी कौन सी चीज है, जो संसार में सबसे बड़ी हैं.”

चारो दरबारी कुछ देर सोचने लगे. फिर उन्होंने कुछ समय मांगा.

बादशाह अकबर ने एक बार फिर कहा “जितना समय चाहिए ले लो लेकिन जबाव सही-सही ही होने चाहिए.”

चारों दरबारी दरबार से बाहर निकल कर सोचने लगे. आख़िर इस संसार में सबसे बड़ी चीज क्या हो सकती है.

कुछ समय बीतने के बाद भी चारो दरबारी के पास कोई जवाब नहीं मिला. लेकिन वह बादशाह अकबर के सजा से भी बहुत डरे हुए थे.

एक दिन चारो दरबारी एक जगह पर मिलते हैं. आपस में मिलकर सवाल का उत्तर खोजने लगते हैं.

एक दरबारी ने कहा “इस संसार में सबसे बड़ा तो केवल अल्लाह होता है.”

दूसरे दरबारी ने कहा “अल्लाह कोई चीज नहीं होता है. हमें संसार की सबसे बड़ी चीज क्या है? यह सोचना है.”

तीसरे दरबारी ने कहा “सबसे बड़ी चीज है भूख. भूख व्यक्ति से कुछ भी करवा सकती हैं.”

चौथे दरबारी ने कहा “नहीं… भूख भी समय आने पर बर्दाश्त की जा सकती हैं.”

चारों दरबारी सवाल का जवाब खोजने में सफल नहीं हो पाते हैं. चारों दरबारी हार कर अंत में बीरबल के पास जाते हैं. बीरबल को सारी जानकारी देते हैं.

बीरबल से चारों दरबारियों ने हाथ जोड़ कर माफी भी मांगी, साथ ही अपने जीवन की रक्षा करने के लिए कहते हैं. बीरबल ने मंद-मंद मुस्कराकर कहा “मेरे पास तुम्हारे सवाल का जवाब है, लेकिन तुमलोगों को मेरी एक शर्त माननी होगी.”

चारों दरबारी कहा “हाँ में सर हिलाया.”

बीरबल ने कहा “दो लोगों को अपने कंधों पर मेरी चारपाई रखकर राजदरबार तक ले कर जाना पड़ेगा. एक को मेरा हुक्का लेकर, एक को मेरा जुता लेकर राज दरबार तक ले जाना पड़ेगा.”

चारों दरबारी बीरबल की शर्त को सुनकर आश्चर्य हुए. लेकिन बात उनके जान पर बन आई थी. इसलिये सभी दरबारी ने बीरबल के शर्त के अनुसार ही काम किया.

राज्य दरबार में जब चारों दरबारी इस तरह आये तो सभी दरबारी के साथ-साथ बादशाह अकबर भी आश्चर्यचकित हुए.

बादशाह अकबर ने चारों दरबारी से सवाल का उत्तर माँगा तो चारों दरबारी की नज़र झुक गई.

तभी बीरबल ने कहा “जहांपनाह! इस संसार में सबसे बड़ी चीज है “जरुरत”. चारों दरबारी अपने “जरुरत” के कारण ही मेरी चारपाई, जूता और हुक्का को लेकर आये हैं.

एक बार फिर से राज दरबार में बीरबल की चतुराई की तारीफ हुई.

शिक्षा इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि इस संसार में लोग अपने गरज से काम करते हैं. सभी मतलबी होतें है.

मित्रों दुनिया में वैसे तो कई जोड़ियाँ ऐसी हुई हैं जिनके किस्से सुनने में हमे काफी मज़ा आता है लेकिन आज हम story of akbar birbal in hindi की बात कर रहे हैं . इस पोस्ट में हम बात करेंगे कुछ ऐसे पहलुओं की जो आप का मनोरंजन करने के के साथ साथ आपको कुछ न कुछ ज्ञानवर्धन भी करेंगीं. आइये दोस्तों अब पढ़ते हैं story akbar birbal in hindi.  

अशुभ चेहरा

बहुत समय पहले की बात है कि बादशाह अकबर के राज्य में यूसुफ नामक एक व्यक्ति रहता था. उसका कोई दोस्त नहीं था, क्योंकि सभी उससे नफरत किया करते थे. सभी उसका मजाक भी उड़ाते थे और जब वह सड़क पर चलता तो सब उस पर पत्थर भी फेंका करते थे. यूसुफ का जीवन बड़ा दयनीय था, सभी सोचते थे कि वह बहुत ही बदनसीब है. लोग तो यहां तक कहते थे कि यूसुफ के चेहरे पर एक नजर डालने से, देखने वाले व्यक्ति पर भी बदनसीबी भी आ सकती है.

16 अकबर बीरबल के मजेदार किस्से | Akbar Birbal Stories in Hindi

इस प्रकार, भले ही लोग यूसुफ से नफरत करते थे, लेकिन उसकी कहानी दूर-दराज तक बहुत ही प्रसिद्ध थी. वह अफवाहें अकबर के कानों तक भी पहुंची. वह जांचना चाहता था कि क्या लोगों का कहना सच है. उन्होंने यूसुफ को दरबार में बुलाया और उससे विनम्रता से बात की. लेकिन उसी वक्त एक दूत ने दरबार में आकर अकबर को सूचित किया कि बेगम गंभीर रूप से बीमार हैं. उस दूत ने कहा, ”जहांपनाह! आपसे अनुरोध है कि आप तुरंत रानी साहिबा के कक्ष में चलें. रानी साहिबा बेहोश हो गई हैं और चिकित्सकों को इसका कारण समझ नहीं आ रहा है.“

अकबर बेगम के पास भागे. वे पूरी दोपहर उनके बिस्तर के बगल में बैठे रहे. शाम को जब रानी साहिबा फिर से बेहतर महसूस करने लगी, तब अकबर दरबार में लौट आये. यूसुफ अभी भी उनका इंतजार कर रहा था.

यूसुफ को देखते ही अकबर को बहुत ही गुस्सा आ गया. वे गरजे, ”तो सारी अफवाहें सच हैं. तुम वास्तव में मनहूस हो. तुमने बेगम को बीमार बना दिया है.“ उसने जेल के पहरेदारों को यूसुफ को ले जाने का आदेश दे दिया.

बेचारे यूसुफ के पास अब और कोई चारा नहीं था. वह जोर से चिल्लाया और पहरेदारों से छोड़ने की विनती की. बादशाह का निर्णय बहुत ही अनुचित था. लेकिन दरबार में कोई भी सम्राट के विरोध में कुछ भी कहने की हिम्मत नहीं कर पाया.

अचानक बीरबल वहां गया, जहां यूसुफ खड़ा था, और उसके कान में कुछ फुसफुसाया. यूसुफ बादशाह के सामने झुककर बोला, ”जहांपनाह! मैं कैदखाने में जाने को तैयार हूं, पर आप मेरे एक सवाल का उत्तर दीजिए, ”यदि मेरे चेहरे को देखकर रानी बीमार हो गई हैं, तो मेरा चेहरा आपने भी देखा है, तो आप बीमार क्यों नही हुए.“ अकबर को अपनी गलती का एहसास हो गया. उसने यूसुफ को जाने दिया और खजाने में से सोने का एक थैला उसे भेंट किया. एक बार फिर दरबार में बैठे लोगों ने बीरबल के ज्ञान और बुद्धि की प्रशंसा की.

शिक्षा इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें कभी दूसरे को गलत नही समझना चाहिए.

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बुद्धि की खेती

एक बार बादशाह अकबर ने बीरबल की बुद्धि की परीक्षा लेनी चाही. उन्होंने बीरबल से पूछा “बीरबल, क्या बुद्धि की खेती की जा सकती है ?” बीरबल कुछ सोचते हुए बोला “जी हुजूर, जरूर की जा सकती है.” यह सुनकर अकबर बोले -” तो ठीक है, तुम बुद्धि की खेती करो और उसका फल हमें उपहार में दो.”

बीरबल बोले -“जैसा जहांपनाह का हुक्म! मैं जल्दी ही बुद्धि की खेती करके उसका पहला फल आपको भेंट करूंगा.” सभी दरबारी अकबर और बीरबल की बातें सुन रहे थे. वे हैरान थे कि बीरबल बुद्धि की खेती कैसे करेंगे और कैसे बुद्धि का फल बादशाह को भेंट करेंगे ?

17 अकबर बीरबल के मजेदार किस्से | Akbar Birbal Stories in Hindi

दरबार के समाप्त होने पर बीरबल सीधे राजमाली के पास जा पहुंचे और बोले -“माली, राज उद्यान में कदू की बेलों पर क्या कदू आ रहे हैं ?”

माली बोला –“हुजूर! आ तो रहे हैं, पर अभी वे आलू – टमाटर जितने ही छोटे हैं.”

यह सुनकर बीरबल बहुत प्रसन्न हुए. उन्होंने माली के कान में कुछ कहा, फिर वे अकबर के पास गए और बोले -“जहांपनाह!

मैंने बुद्धि की खेती शुरू कर दी है. मैं कुछ दिनों में आपको बुद्धि का पहला फल भेंट कर दूंगा.” कुछ दिनों के बाद बीरबल राज उद्यान में फिर गए. वहां माली ने छोटे-छोटे कदुओं को घड़े के अंदर डाल रखा था. यह देखकर बीरबल वापस लौट आए.

उधर कद्रू मटकों में ही बड़े होने लगे. कुछ दिनों बाद कद्दू इतने बड़े हो गए कि पूरे मटकों में समा गए. अब उन्हें मटकों को तोडे बिना नहीं निकाला जा सकता था.

यह देखकर बीरबल ने सारे कदू मटकों सहित कटवा लिए और अकबर के पास संदेश भिजवाया कि कल सुबह मैं बुद्धि का पहला फल लेकर दरबार में आ रहा हूं.

अगले दिन दरबार में सब बेसब्री से बीरबल का इंतजार करने लगे. तभी बीरबल दो मटके लिए दरबार में उपस्थित हुए और अकबर से बोले ‘जहांपनाह! मैं बुद्धि के फल ले आया हूं, किन्तु ये फल बड़े नाजुक हैं.

याद रहे, इन मटकों में से फल निकालते समय न तो बुद्धि का फल कटे और न ही मटके फूटें.” यह सुनकर बादशाह हैरान रह गए. उन्होंने मटके में झांककर देखा, तो वे बहुत हंसे. वे बीरबल की बुद्धिमानी से बहुत प्रसन्न हुए. सभी दरबारी भी बीरबल की प्रशंसा करने लगे.

शिक्षा : यह कहानी हमें यही शिक्षा देती है कि बुद्धि-बल के सहारे असंभव को भी संभव किया जा सकता है. बुद्धि की कहीं खेती नहीं होती, पर बीरबल ने अपनी बुद्धि-चातुर्य से यह भी कर दिखाई.

इस पोस्ट में हम story in hindi akbar birbal प्रस्तुत करने जा रहे हैं . दोस्तों आप ने भी कभी न कभी akbar & birbal stories in hindi के वारे में सुना होगा. आज हम अकबर बीरबल की जो कहानियां प्रस्तुत कर रहे हैं आप उनकी तारीफ किये बिना रह नहीं पायेंगे.

तीन रूपये, तीन चीज़ें

एक मंत्री की उदास शक्ल देख बादशाह अकबर ने उसकी उदासी का कारण पूछा. तब मंत्री बोले कि आप सारे महत्वपूर्ण कार्य बीरबल को सौप कर उसे महत्ता देते हैं. जिस कारण हमें अपनी प्रतिभा साबित करने का मौका ही नहीं मिलता है. इस बात को सुन कर अकबर ने उस मंत्री को तीन रूपये दिये और कहा कि आप बाज़ार जा कर इन तीन रुपयों को तीन चीजों पर बराबर-बराबर खर्च करें…यानी हर एक चीज पर 1 रुपये.

लेकिन शर्त यह है कि-

18 अकबर बीरबल के मजेदार किस्से | Akbar Birbal Stories in Hindi

पहली चीज यहाँ की होनी चाहिए. दूसरी चीज वहाँ की होनी चाहिए. और तीसरी चीज ना यहाँ की होनी चाहिए और ना वहाँ की होनी चाहिए.

दरबारी मंत्री अकबर से तीन रूपये लेकर बाज़ार निकल पड़ा. उसकी समझ में नहीं आ रहा था कि वो अब क्या करे. वह एक दुकान से दुसरे दुकान चक्कर लगाने लगा लेकिन उसे ऐसा कोई नहीं मिला जो इस शर्त के मुताबिक एक-एक रूपये वाली तीन चीज़ें दे सके. वह थक हार कर वापस अकबर के पास लौट आया.

अब बादशाह अकबर ने यही कार्य बीरबल को दिया.

बीरबल एक घंटे में अकबर बादशाह की चुनौती पार लगा कर तीन वस्तुएँ ले कर लौट आया. अब बीरबल ने उन वस्तुओं का वृतांत कुछ इस प्रकार सुनाया.

पहला एक रुपया मैंने मिठाई पर खर्च कर दिया जो यहाँ इस दुनिया की चीज है. दूसरा रुपया मैंने एक गरीब फ़कीर को दान किया जिससे मुझे पुण्य मिला जो वहाँ यानी ज़न्नत की चीज है. और तीसरे रुपये से मैंने जुवा खेला और हार गया… इस तरह “जुवे में हारा रुपया” वो तीसरी चीज थी जो ना यहाँ मेरे काम आई न वहां ,ज़न्नत में मुझे नसीब होगी.

बीरबल की चतुराईपूर्ण बात सुनकर राजा के साथ-साथ दरबारी भी मुस्कुरा पड़े और सभी ने उनकी बुद्धि का लोहा मान लिया.

शिक्षा इससे हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें किसी की बराबरी नहीं करनी चाहिए.

सड़क के मोड़

बादशाह अकबर और फारस के राजा अच्छे मित्र थे . वो दोनों अक्सर एक – दूसरे को पत्र भेजते थे और एक – दूसरे से प्रश्न पूछते रहते थे . सवाल का जवाब भी वापिस पत्र भेजकर देते थे . एक दिन फारस के राजा अकबर से पूछते है कि “तुम्हारे राज्य में हर सड़क के कितने मोड़ है ? ”

ये सवाल पढ़कर बादशाह अकबर बहुत ही परेशान हो जाते है . उनका राज्य बहुत ही बड़ा था . अकबर को ये समझ में नहीं आ रहा था कि इस सवाल का वो क्या उत्तर दें .

19 अकबर बीरबल के मजेदार किस्से | Akbar Birbal Stories in Hindi

उन्होंने सोचकर अपने दरबार के मंत्रियों को राज्य की हर सड़क के मोड़ की गिनती करने के लिए भेज दिया . बादशाह अकबर ये जानते थे कि हर सड़क के मोड़ को गिन पाना संभव नहीं था फिर भी उन्होंने फारस के राजा को उत्तर देने के लिए काफी प्रयास किया . उन्होंने अपने मंत्रियों को यह भी कहा था कि आप सभी ध्यान से गिनती कीजियेगा और कोई भी मोड़ बाकि नहीं रहना चाहिए .

तत्पश्चात वहाँ बीरबल दरबार में प्रवेश करते है . वो दरबार में आकर ही देखते है कि बादशाह अकबर बहुत ही  दुखी व परेशान है . बीरबल अकबर के पास जाकर उनसे पूछते है कि महाराज आप क्यों इतने परेशान व दुखी लग रहे हो ?

अकबर बीरबल से कहते है कि मैं मंत्रियों की प्रतीक्षा कर रहा हूँ , मैंने दरबार में से उन सभी को सड़क के मोड़ गिनने के लिए भेजा है . बीरबल पूछता है कि क्यों, जहांपनाह आपने उन सभी को इस काम के लिए क्यों भेजा है ?

अकबर उनसे कहता है कि फारस के राजा ने मुझसे एक प्रश्न पूछा है कि आपके राज्य में हर सड़क के कितने मोड़ है ? में ये भी जानता हूँ कि इतने बड़े राज्य में गिनती करना संभव नहीं है , लेकिन अगर मैं इस प्रश्न का उत्तर न दूँ तो उन्हें यही लगेगा कि मैं अपने राज्य के बारे में कुछ भी नहीं जानता हूँ .

बीरबल अकबर की बाते सुनकर हँसने लगते है . अकबर उनसे पूछते है कि तुम क्यों हँस रहे हो ? बीरबल कहता है कि जहांपनाह इस सवाल का उत्तर देने के लिए हमें कहीं जाने की जरुरत नहीं है . मैं आपको इस प्रश्न का उत्तर अभी दे सकता हूँ .

बीरबल उनसे ये भी कहते है कि मैं आपको सिर्फ हमारे राज्य की हर सड़क के मोड़ नहीं बल्कि पूरी दुनिया की सड़क के मोड़ कितने है वो भी बता सकता हूँ .

बीरबल की बाते सुनकर अकबर हैरान – सा हो गया . उन्होंने बीरबल से कहा कि तुम ये क्या मजाक कर रहे हो . बीरबल ने कहा जी मैं मजाक नहीं कर रहा हूँ .

अकबर ने कहा अच्छा तो फिर तुम इसका उत्तर दो . बीरबल ने कहा कि दुनिया की हर सड़क के केवल दो ही मोड़ होते है . एक दाया और दूसरा बाया मोड़ . बीरबल का ये जवाब सुनकर अकबर भी अब हँसने लगते है .

अकबर बीरबल से कहते है कि ये तो बहुत आसान सवाल था और मैंने इसके बारे में तो सोचा ही नहीं था . मैंने तो इतने सारे मंत्रियों को भी भेज दिया गिनती के लिए .

उन्होंने बीरबल को खुश हो कर एक अच्छा सा उपहार भी दिया और फारस के राजा को उत्तर भी भिजवा दिया .

शिक्षा इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें कभी भी जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए.

दोस्तों उम्मीद है की इस पोस्ट में दी हुई kahaniya akbar birbal आपको जरूर पसंद आई होंगी. ऐसे ही मजेदार कहानियां और जीवन के हर पहलु से जुडी जानकारियों के लिए जुड़े रहिये hellozindgi से.

हथेली पर बाल क्यों नहीं उगते?

अकबर का मूढ़ मजाक करने का था और उन्होंने बीरबल के मजे लेने के लिए बीरबल से पूछा कि ये बताओ हथेली पर बाल क्यों नहीं उगते ? बीरबल ने भी इस सवाल का उत्तर बड़े मजाक के मूढ़ में ही दिया .

एक दिन बादशाह अकबर के दरबार में चर्चा चल रही थी . कार्यवाही के बीच में अकबर को मजाक सूझा . उन्होंने बीरबल से पूछा , बीरबल तुम मुझे ये बताओ कि हथेली पर बाल क्यों नहीं उगते है ?

20 अकबर बीरबल के मजेदार किस्से | Akbar Birbal Stories in Hindi

बादशाह अकबर का सवाल सुनकर बीरबल समझ गया कि बादशाह आज मजाक के मूढ़ में है . वैसे बीरबल था तो हाजिरजवाबी किन्तु इस बार उसने फ़ौरन कोई उत्तर नहीं दिया . अकबर ने कहा , बीरबल वैसे तो तुम हर प्रश्न का उत्तर तुरंत दे देते हो तो फिर आज तुम्हे क्या हुआ ?

बीरबल ने कहा कुछ नहीं जहाँपनाह ! मैं तो यह सोच रहा था कि किसकी हथेली पर ? अकबर ने बीरबल को अपनी हथेली दिखाते हुए कहा कि मेरी हथेली पर .

बीरबल ने कहा महाराज आपकी हथेली पर कैसे बाल उग सकते है . आप पूरा दिन अपने हाथो से उपहार वितरित करते रहते हो . लगातार घर्षण के कारण आपकी हथेली में बाल उगना तो मुश्किल ही नहीं बल्कि नामुमकिन है .

अकबर ने कहा चलो मैं तुम्हारी बात मान लेता हूँ लेकिन तुम्हारी हथेली पर भी तो बाल नहीं है ! ऐसा क्यों ? दरबार में हाजिर सभी दरबारियों को ऐसा लगा कि बीरबल इस प्रश्न का उत्तर नहीं दे पाएंगे किन्तु बीरबल का उत्तर बिल्कुल तैयार ही था .

बीरबल ने कहा महाराज में हमेशा आपसे ईनाम लेता रहता हूँ , इसलिए मेरी हथेली पर भी बाल नहीं उगते है . बीरबल का यह उत्तर सुनकर बादशाह अकबर उनसे बहुत ही आकर्षित तो हुए लेकिन उनका मन किसी भी तरह बीरबल को निरुत्तर करने का था .

उन्होंने बीरबल से तीसरा प्रश्न पूछ ही लिया , चलो ये तो हुई हमारी और तुम्हारी बात लेकिन मुझे ये बताओ कि इन दरबारियों का क्या ? ये तो हमसे हमेशा इनाम भी नहीं लेते है तो फिर उनकी हथेली पर बाल क्यों नहीं उगते है ?

सभी दरबारियों को लगता है कि अब तो पक्का बीरबल फंस ही गया . लेकिन बीरबल ऐसे फंसने वालो में से नहीं था . उसने तुरंत कहा , आप हमेशा मुझे इनाम देते रहते है और मैं हमेशा आपके हाथ से इनमे लेता रहता हूँ यह देखकर सभी दरबारी जलन में हाथ मलते रह जाते हैं इसलिए उनकी भी हथेली पर बाल नहीं उगते है .

बीरबल का जवाब सुनकर अकबर हँसने लगते है और सभी दरबारियों के सिर शर्म से झुक जाते है .

शिक्षा इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि कभी भी हमें किसी को नहीं परखना चाहिए.

मेहमान की पहचान

एक दिन एक अमीर व्यक्ति ने बीरबल को दावत पर बुलाया . बीरबल अपने नियत समय के अनुसार दावत पर पहुंच जाते है . मेजबान ने बीरबल का बहुत ही बढ़िया तरीके से स्वागत किया .

मेजबान के घर में प्रवेश करने के बाद बीरबल ने देखा कि दावत के लिए बहुत सारे लोग यहाँ पर आये हुए है . बीरबल को ज्यादा भीड़भाड़ बिल्कुल ही पसंद नहीं थी . बीरबल ने उस धनी मेजबान से कहा कि मुझे पता नहीं था कि आपने इतने सारे मेहमानों को बुलाया है .

21 अकबर बीरबल के मजेदार किस्से | Akbar Birbal Stories in Hindi

उस धनी मेजबान ने बीरबल से कहा कि मैं जानता हूँ कि आपको ज्यादा से ज्यादा भीड़भाड़ वाली जगह पर जाना बिल्कुल ही पसंद नहीं है , इसलिए मैंने आपके अलावा सिर्फ एक ही मेहमान बुलाया है , बाकि सारे तो मेरे कर्मचारी हैं .

बीरबल ने कहा अच्छा ठीक है . उस मेजबान ने बीरबल से कहा हमने आपकी अक्लमंदी और चालाकी के किस्से बहुत सुने है , मैं यह चाहता हूँ कि आप अपनी अक्लमंदी दिखाते हुए यहाँ उपस्थित व्यक्तियों में से उस मेहमान को पहचानें जिसको मेने दावत पर बुलाया है .

मेजबान इस तरह बीरबल की अक्लमंदी की परीक्षा लेना चाहते थे . बीरबल ने कहा मैं यह करने के लिए तैयार हूँ किन्तु आपको पहले यहाँ उपस्थित लोगों को कोई चुटकुला सुनाना होगा . मैं इन सभी लोगो को गौर से देखूंगा और फिर बाद में आपको बता दूंगा कि इन सबमें ख़ास मेहमान कौन है ?

बीरबल की बात मानकर मेजबान ने दावत में आये लोगों को एक चुटकुला सुनाया . जैसे ही चुटकुला ख़त्म हुआ कि वहाँ उपस्थित लोग जोर – जोर से हँसने लगे .

अब मेजबान ने बीरबल से पूछा कि क्या आप अब उस मेहमान को पहचान सकते हैं ? बीरबल ने कहा , जी जरूर . इतना बोलकर बीरबल ने एक व्यक्ति की ओर इशारा किया .

बीरबल का पहचाना ही व्यक्ति ही मेहमान था ये देखकर वो मेजबान दंग रह जाता है . मेजबान ने बड़े आश्चर्य के साथ बीरबल से पूछा कि आपने इतने व्यक्तियों में से एक मेहमान को कैसे पहचान लिया ?

बीरबल ने कहा वो तो बहुत ही सरल था . आपने जो चुटकुला सुनाया वो इतना अच्छा नहीं था फिर भी यहाँ उपस्थित सभी लोग जोर-जोर से हँसने लगे किन्तु एक व्यक्ति बिलकुल भी नहीं हँसा . में समझ गया कि वो ही मेहमान है .

मालिक के बुरे से बुरे चुटकुलों पर हँसना कर्मचारियों का फ़र्ज़ होता है और उसी फ़र्ज़ को निभाते हुए आपके सारे कर्मचारी हँसे किन्तु मेहमान नहीं हँसे और इस वजह से मैंने तुरंत उनको पहचान लिया .

वो मेजबान ने बीरबल को वास्तव में अक्लमंद और चालाक है ऐसा मान लिया .

शिक्षा इससे हमें यह शिक्षा मिलती है की हमें कभी भी किसी को मूर्ख नही समझना चाहिए.

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साठ दिन का महीना

एक दिन बादशाह अकबर के यहाँ दरबार लगा हुआ था . बीरबल और सभी दरबारी दरबार में उपस्थित थे . अकबर ने सभी दरबारियों से कहा कि मैं यह सोच रहा हूँ कि 30 दिन की जगह 60 दिन का महिना होना चाहिये . आप सभी का इसके बारे में क्या ख्याल है ?

अकबर के दरबार में चापलूस दरबारियों की कोई कमी नहीं थी . उन सभी दरबारियों का उद्देश्य सिर्फ चापलूसी करके तरक्की हासिल करने का था , किन्तु बीरबल उन सभी की राह में हर बार रुकावट लाता था .

22 अकबर बीरबल के मजेदार किस्से | Akbar Birbal Stories in Hindi

बादशाह अकबर की यह बात सुनकर सभी दरबारी ने हाँ में हाँ मिला दी . यह उन सभी के लिए चापलूसी करने का बहुत ही बेहतर अवसर मिला था . कुछ दरबारियों ने तो यह भी कहा कि महाराज ये आपका अति-उत्तम विचार है . 30 दिन का महीना बहुत ही छोटा होता है और इतने कम समय में काम भी पूरे नहीं हो पाते है , इसलिए महीना 60 दिन का ही होना चाहिए .

कुछ दरबारी तो ये भी कहने लगे कि इससे अच्छा विचार तो हो ही नहीं सकता है और आपको 60 दिन का महीना करने का फ़रमान जल्दी ही जारी कर देना चाहिए . बीरबल यह सब बैठ कर देख रहे थे लेकिन उन्होंने इसके बारे में अपनी राय व्यक्त करने में कोई उत्सुकता नहीं दिखाई थी .

बीरबल को ऐसे चुप बैठे देखकर अकबर बोले “बीरबल , तुम्हारा इसके बारे में क्या ख्याल है ? ” “क्या तुम्हारी राय भी बाकि दरबारियों की तरह ही है या कुछ अलग है ? ”

बीरबल ने कहा जी आपका 30 दिन की जगह पर 60 दिन का महीना कर देने का विचार तो बहुत अच्छा है लेकिन इसके लिए हमें एक काम करना होगा .

बादशाह अकबर कुछ बोलते इससे पहले ही सभी दरबारी बोलने लगे कि हम बादशाह अकबर के आदेश का पालन करने के लिए कोई भी काम करने के लिए तैयार हैं .

बीरबल ने कहा बहुत अच्छी बात है . फिर बीरबल बोले , आप लोग जानते ही होंगे कि पृथ्वी पर 15 दिन चाँदनी रातें और 15 दिन अंधेरी रातें चंद्रमा के कारण ही होती है . प्रकृति के इस नियम की वजह से पृथ्वी पर महीना 30 दिन का ही होता है .

अब जब आप सभी 60 दिन का महिना करने के लिए कुछ भी करने को तैयार हैं, तो ऐसा कीजिये कि चंद्रमा को कहकर 30 दिन के लिए चाँदनी रातें और 30 दिन के लिए अंधेरी रातें करवा दीजिये .

बीरबल की ये बात सुनकर दरबार में हाजिर सभी दरबारी चिंतित हो जाते है . बीरबल सभी दरबारियों से पूछते है कि क्या आप सभी यह कर पाएंगे ? बीरबल को कोई भी उत्तर नहीं दे पाता है .

ये सब देखकर अकबर कहते है कि मैंने यह प्रश्न दरबारियों की परीक्षा लेने के लिए पूछा था . वो सभी दरबारियों से कहते है कि आप सभी चापलूसी करके बीरबल की बराबरी करने चले थे . बीरबल की बराबरी के लिए अक्ल चाहिये चापलूसी नहीं .

बादशाह अकबर दरबारियों की चापलूसी देखकर नाराज हो जाते है .

शिक्षा इससे हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें कभी किसी की बराबरी नहीं करनी चाहिए.