तुलसी माता की कहानी हिंदी में (Tulsi Mata ki kahani in Hindi)
ऐसा कहा जाता है कि एक बार भगवान शिव के नेत्रों से तेजरूपी भयानक ज्वाला निकली जिसे सृष्टि की रक्षा के लिए भगवान शिवजी ने समुद्र में डाल दिया. भगवान शिव से निकले उस महान तेज से एक बालक का जन्म हुआ जो बहुत ही तेजस्वी और शक्तिशाली था. जल में जन्म होने के कारण उसका नाम जालंधर पड़ा.
कालांतर में जालंधर असुरों का राजा बना. जालंधर का विवाह दैत्यराज कालनेमि की पुत्री वृंदा के साथ हुआ. वृंदा परम ईश्वर भक्त और पतिव्रता स्त्री थी. जब भी जालंधर युद्ध में जाता था तब वृंदा पति की रक्षा के लिए अपने ईश्वर के ध्यान में लीन हो जाती थी और जालंधर पतिव्रता स्त्री के तेज से युद्ध में सुरक्षित रहता था.
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ऐसा कहा जाता है कि एक बार स्वर्ग का अधिपत्य पाने के लिए जालंधर असुरों की विशाल सेना के साथ देवताओं से जा भिड़ा. जालंधर के नेतृत्व में असुरों ने देवताओं को परास्त कर दिया और स्वर्ग पर असुरों का राज हो गया. देवतागण इधर – उधर भागे – भागे देवगुरु बृहस्पति के पास जा पहुँचे. भगवान बृहस्पति के कहने पर देवतागण भगवान विष्णु जी की शरण में जा पहुँचे.
देवताओं की प्रार्थना सुनकर भगवान विष्णु जी उनकी मदद के लिए जालंधर से युद्ध करने गए. पर भगवान विष्णु जी शिव के तेज से उत्पन्न हुए जालंधर को परास्त नहीं कर पाए एवं उसे वर मांगने को कहा. जालंधर ने अपनी चतुराई से भगवान विष्णु जी को लक्ष्मी सहित अपने महल में रहने का आवेदन किया जिसे भगवान विष्णु जी उसे मना नहीं कर सके इस तरह जालंधर ने भगवान विष्णु जी से भी आशीर्वाद प्राप्त कर लिया.
तत्पश्चात हार मानकर देवतागण देवगुरु बृहस्पति के साथ भगवान शिव जी की शरण में गए. देवताओं की सहायता के लिए भगवान शिव जी जालंधर से युद्ध करने गए पर भगवान शिव भी उसे परास्त नहीं कर पाए. तब भगवान विष्णु शिवजी के पास पहुँचे और कहा कि ‘हे देव, जो आप अपने ही तेज से उत्पन्न जालंधर को परास्त नहीं कर पा रहे हैं उसका कारण जालंधर की पतिव्रता स्त्री वृंदा के सतीत्व की शक्ति है. आप जालंधर से युद्ध करें और मैं वृंदा का ध्यान भटकाने का प्रयत्न करूंगा क्योंकि जालंधर का वध सृष्टि के कल्याण के लिए अति आवश्यक है.’
ये कहकर भगवान विष्णु जी जालंधर का रूप धरके उसके महल पहुँचे तब वृंदा अपना पति आए समझकर पूजा को छोड़कर उनकी सेवा सत्कार में लग गयी. इधर युद्ध में भगवान शिव जी ने जालंधर का वध कर दिया. जालंधर का वध होते ही दूत वृंदा को खबर देने पहुँचे तब वृंदा को समझ में आ गया कि उनके साथ छल हुआ है.
तब वृंदा ने भगवान विष्णु जी को अपने असली रूप में आने को कहा और उनको पत्थर हो जाने का श्राप दे दिया और स्वयं योगाग्नि में प्रज्जवलित होने को उद्दत हुईं. पर तभी वहां सभी देवि देवता पहुँचे और माता लक्ष्मी जी ने वृंदा से भगवान विष्णु को श्राप मुक्त करने का आग्रह किया जिसे मानकर वृंदा ने भगवान विष्णु को तो क्षमा कर दिया पर स्वयं योगाग्नि में भस्म हो गयी. तब उसी भस्म से एक पौधा उत्पन्न हुआ जिसका नाम तुलसी रखा गया.
‘बोलो तुलसी माता की जय’
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तुलसी माता (Tulsi Mata)
तुलसी करे दूर नकारात्मक ऊर्जा
पौराणिक मान्यता है कि घर में तुलसी का पौधा लगाने से सभी देवी-देवताओं की बहुत कृपा बनी रहती है. एवं कोई भी विपत्तियाँ नहीं आती हैं और घर में सकारात्मक ऊर्जा भी आती है. इसके साथ ही आर्थिक तौर पर भी इन्हें भरपूर लाभ प्राप्त होता है. कहा जाता है कि इन सभी कार्यों के बावजूद तुलसी के पौधे को लेकर हमारे धर्म ग्रंथों में कुछ नियम भी बताएं गए हैं, जिनका हम पालन करेंगे तो हम पर तुलसी माता की कृपा अवश्य बनी रहती है.
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घर में हो तुलसी तो रखें इन बातों का ध्यान
ऐसा कहा जाता है कि तुलसी का पौधा आपके घर में हैं तो कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना बहुत जरुरी है. दरअसल पूजा – अर्चना के लिए तुलसी के पत्ते हम रोज तोड़ते हैं, लेकिन तुलसी के पत्ते तोड़ने के लिए भी हमें कुछ बातों का ध्यान रखना आवश्यक है. तुलसी के पत्ते को तोड़ते समय आप अगर अपवित्र हैं, तो उन पत्तों को नहीं तोड़ना चाहिए. कहा जाता है कि एकादशी, रविवार और चंद्रग्रहण के दिन तुलसी के पत्ते को नहीं तोड़ना चाहिए. ऐसा करने से दोष लगता है.ऐसा कहा जाता है कि बगैर जरुरत के भी तुलसी के पत्ते को नहीं तोड़ना चाहिए। इससे तुलसी माता का अपमान होता है.
तुलसी स्वस्थ्य में लाभदायक
तुलसी की खुशबू सांस संबंधित कई बीमारियों से लड़ने में सहायता करती है. तुलसी की एक पत्ती का रोज सेवन करना चाहिए. जिससे बुखार, सर्दी जैसी बीमारियों के समय तुलसी के पत्ते की चाय बनाने से भी लाभ मिलता है. तुलसी के पत्ते का नियमित सेवन करने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढती है .
तुलसी के पौधे से दूर करें घर की अशांति
ऐसा कहा जाता है कि अगर घर के आंगन में तुलसी का पौधा हो तो घर का कलह एवं अशांति दूर होती है. घर-परिवार पर मां लक्ष्मी जी की विशेष द्रष्टि बनी रहती है. इतना ही नहीं रोज दही के साथ चीनी और तुलसी के पत्तों का सेवन करना अति शुभ माना जाता है.
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तुलसी माता की कहानी पढने के लाभ – Tulsi Mata Ki Kahani Benefits
ऐसा कहा जाता है कि यह बहुत ही लाभदायक औषधि है, जो कई बीमारियों को जड़ से खत्म कर सकती है और कई रोगों से छुटकारा भी दिला सकती है.
इम्युनिटी बढ़ाये
ऐसा माना जाता है कि रोज़ तुलसी के ताजे पत्तों का सेवन करने से इम्यून सिस्टम यानि रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है. ब्रांकाइटिस व फेफड़ों में संक्रमण से बचाव में भी तुलसी के पत्ते बहुत असरदार होते हैं .दरअसल तुलसी का रोज सेवन करने से तुलसी के पत्ते कफ को पतला करके उसे शरीर से बाहर निकालती है, साथ ही फेफड़ों की कार्य क्षमता में भी बहुत सुधार करते हैं.
माहवारी की समस्या को दूर करे
ऐसा कहा जाता है कि महिलाओं में माहवारी की अनियमितता की समस्या आम होती है. लेकिन इसका इलाज तुलसी के पत्तों के उपयोग से सरल हो जाता है. नियमित रूप से तुलसी के पत्तों का सेवन करने से इस बीमारी में भरपूर लाभ मिलता है.
पेट की बीमारी को ठीक करे
अगर आप पेट की बीमारी से दुखी हैं, तो तुलसी के पत्तों को जीरे के साथ मिलाकर पीस लें. दिनभर में उसे 4 बार चाटें. ऊपर से गरम पानी भी पियें. ऐसा करने से आपको भरपूर लाभ मिलेगा.
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चोट ठीक करने में सहायक
ऐसा कहा जाता है कि कहीं भी कटने-छिलने या चोट लग जाने पर तुलसी के पत्तों को फिटकरी के साथ मिलाकर लगाने से घाव बहुत जल्दी ठीक हो जाता है और इससे आराम बहुत जल्दी मिलता है. तुलसी में एंटी बैक्टीरियल तत्व होते हैं, जो घाव को कभी पकने नहीं देते.
कहा जाता है कि तुलसी में एंटी स्ट्रेस गुण होता है, जो यह इम्यून सिस्टम बेहतर करती है, जिससे तनाव में काफी राहत मिलती है. साथ ही यह शरीर में ‘कार्टिसोल’ जो कि एक प्रकार का ‘स्ट्रेस-हार्मोन’ होता है, जो शरीर के स्तर को संतुलित करती है, इसके साथ ही तुलसी की पत्तियों का रोज सेवन से शरीर में शक्ति बनी रहती है. जिससे हम दिन भर तरोताजा महसूस करते हैं.
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वजन घटाने में सहायक
ऐसा कहा जाता है कि तनाव में होने पर अक्सर लोगों की भूख कुछ ज्यादा बढ़ जाती है. ऐसे में वह अपनी डाइट से ज्यादा खाने लग जाते हैं, फलस्वरूप इनका वजन तो बढ़ता ही है, तुलसी के पत्ते के प्रयोग से तनाव के लिए जिम्मेदार हार्मोन कार्टिसोल का स्तर कम हो जाता है, इस लिहाज से यह कहा जा सकता है कि तुलसी के पत्ते वजन घटाने में कारगर सिद्ध माने जाते हैं.
तुलसी माता की आरती (Tulsi Mata ki Aarti)
जय जय तुलसी माता, मैया जय तुलसी माता ।
सब जग की सुख दाता, सबकी वर माता ॥ ॥ जय तुलसी माता…॥
सब योगों से ऊपर, सब रोगों से ऊपर ।
रज से रक्ष करके, सबकी भव त्राता ॥ ॥ जय तुलसी माता…॥
बटु पुत्री है श्यामा, सूर बल्ली है ग्राम्या ।
विष्णुप्रिय जो नर तुमको सेवे, सो नर तर जाता ॥ ॥ जय तुलसी माता…॥
हरि के शीश विराजत, त्रिभुवन से हो वंदित ।
पतित जनों की तारिणी, तुम हो विख्याता ॥ ॥ जय तुलसी माता…॥
लेकर जन्म विजन में, आई दिव्य भवन में ।
मानव लोक तुम्हीं से, सुख-संपति पाता ॥ ॥ जय तुलसी माता…॥
हरि को तुम अति प्यारी, श्याम वर्ण सुकुमारी ।
प्रेम अजब है उनका, तुमसे कैसा नाता ॥
हमारी विपद हरो तुम, कृपा करो माता ॥ ॥ जय तुलसी माता…॥
जय जय तुलसी माता, मैया जय तुलसी माता ।
सब जग की सुख दाता, सबकी वर माता ॥