Shri Radha ji ke bare me– राधा को अक्सर राधिका भी कहा जाता है, हिन्दू धर्म में विशेषकर वैष्णव सम्प्रदाय में प्रमुख देवी हैं। वह कृष्ण की प्रेमिका और संगी के रूप में चित्रित की जाती हैं। इस प्रकार उन्हें राधा कृष्ण के रूप में पूजा जाता हैं। रास लीला उन्हीं की शक्ति और रूप का वर्णन करती है । धार्मिक मान्यताओं के अनुसार उत्तर प्रदेश राज्य के मथुरा जिले के गोकुल-महावन कस्बे के निकट रावल गांव में महाराज वृषभानु एवं कीर्ति की पुत्री के रूप में राधा रानी का प्राकट्य जन्म हुआ। राधा जी ने मथुरा के रावल गांव में वृषभानु जी की पत्नी कीर्ति की बेटी के रूप में जन्म लिया, लेकिन वे कीर्ति के गर्भ में नहीं थीं। भाद्रपद की शुक्ला अष्टमी चन्द्रवासर मध्यान्ह के समय सहसा एक दिव्य ज्योति प्रसूति गृह में फैल गई, यह इतनी तीव्र ज्योति थी कि सभी के नेत्र बंद हो गए। एक क्षण पश्चात् गोपियों ने देखा कि एक नन्ही बालिका कीर्ति मैया के पास लेटी हुई है। उसके चारों ओर दिव्य पुष्पों का ढेर है। radha ji को प्रसन्न करने के लिए अनेक मंत्रों, स्तुतियों और आरती आदि की रचना की गई है। उन्हीं में से एक है shree radha chalisa. We are providing radha rani chalisa lyrics In hindi
श्री राधा चालीसा(radha rani chalisa lyrics In hindi)
दोहा
श्री राधे वुषभानुजा , भक्तनि प्राणाधार |
वृन्दाविपिन विहारिनी , प्रानावौ बारम्बार ||
जैसो तैसो रवारौ , कृष्ण – प्रिय सुखधाम |
चरण शरण निज दीजिये , सुंदर सुखद ललाम ||
चौपाई
जय वृषभानु कुंवरी श्री श्यामा |
कीरति नंदिनी शोभा धामा ||
नित्य बिहारिणी रस विस्तारिणी|
सहचरी सुभग यूथ मन भावनी ।
अमित बोध मंगल दातार ||
रास विहारिणी रस विस्तारिन |
सहचरी सुभाग यूथ मन भावनी ||
करुना सागर हिय उमंगनी |
ललितादिक सखियन की संगनी ||
दिनकर कन्या कुल बिहारिणी |
कृष्ण प्रण प्रिय हिय हुल्सावनी ||
नित्य श्याम तुम्हारो गुण गावै |
श्री राधा राधा कहीं हरषावे ||
मुरली में नित नाम उचारे |
तुम कारण लीला वपुधारे ||
प्रेम स्वरूपिणी अति सुकुमारी |
श्याम प्रिया वृषभानु दुलारी ||
नवल किशोरी अति छवि धामा |
द्दुती लघु लगै कोटि रति कामा ||
गौरांगी शशि निंदक वदना |
सुभग चपल अनियारे नैना ||
जावक युत युग पड़ पंकज चरना|
नूपुर ध्वनि प्रीतम मन हरना ||
सन्तता सहचरी सेवा करहीं |
महा मोद मंगल मन भरहीं ||
रसिकन जीवन प्राण आधारा|
राधा नाम सकल सुख सारा ||
अगम अगोचर नित्य स्वरूपा |
ध्यान धरत निशदिन ब्रजभूपा ||
उपजेउ जासु अंश गुण खानी |
कोटिन उमा राम ब्रह्मिनी ||
नित्य धाम गोलोक विहारिन |
जन रक्षक दुःख दोष नसावनी ||
शिव अज मुनि सनकादिक नारद |
पार ना पायं शेष शारद ||
राधा शुभ गुण रूप उजारी |
निरखि प्रसन्ना होत बनवारी ||
ब्रज जीवन धन राधा रानी |
महिमा अमित ना जाये बखानी ||
प्रीतम संग दे इ गल बाहीं |
बिहरत नित वृन्दावन माहीं ||
राधा कृष्ण कृष्ण कहै राधा |
एक रूप दोउ प्रीति अगाधा ||
श्री राधा मोहन मन हरनी |
जन सुखदायक प्रफुल्लित बदनी ||
कोटिक रूप धरे नन्द नंदा |
दरश करन हित गोकुल चंदा ||
रास केलि करि तुम्हें रिझावें |
मन करो जब अति दुःख पावें ||
प्रफुल्लित होत दरश जब पावें |
विविध भांति नित विनय सुनावें ||
वृन्दंरन्य बिहारिनी श्यामा |
नाथ लेथ पूरन सब कामा ||
कोटिन यज्ञ तपस्या करहु |
विविध नेम हिए में धरहु ||
तऊ न श्याम भक्तहिं अपनावें |
जब लगी राधा नाम न गावें ||
वृंदा विपिन स्वामिनी राधा |
लीला वपु तब अमित अगाधा ||
स्वंय कृष्ण नहीं पावहीं पारा |
और तुम्हें को जानन हारा ||
श्री राधा रस प्रीती अभेदा |
सादर गान करत नित वेदा ||
राधा त्यागी कृष्ण जो भाजिहाई |
ते सपनेहूँ जग जलधि न तारिहाई ||
कीरति हूंवारी लडकी राधा |
सुमिरत सकल मिटहिं भव बाधा ||
नाम अमंगल मूल नसावन |
विविध ताप हर हरी मन भावना ||
राधा नाम परम सुखदाई |
भजतहिं कृपा करें यदुराई ||
यदशुमति नंदन पीछे फिरेहै |
जी कोऊ राधा नाम सुमिरिहै||
रास विहारिणी श्यामा प्यारी |
करुहू कृपा बरसाने वारि ||
वृंदा वन है शरण तुम्हारी |
जय जय जय वृषभानु दुलारी ||
दोहा
श्री राधा सर्वेश्वरी, रसिकेश्वर घनश्याम |
करुहूँ निरंतर वास मै, श्री वृदावन धाम ||