सूर्य हिंदू धर्म के देवता हैं। वेदों के अनुसार भगवान सूर्य (Surya Dev) विश्व की आत्मा हैं। ऐसा माना जाता है कि भगवान सूर्य की पूजा संतान प्राप्ति के लिए शुभ है। भगवान सूर्य को वर्तमान देवता माना जाता है। सूर्य को जल देते समय गायत्री मंत्र का जाप करें और वही सूर्यदेव के समक्ष आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें तो वह शुभ माना जाता है। आज हम आपके लिए लेकर आएं हैं Surya Chalisa PDF.
Surya Chalisa PDF
कनक बदन कुंडल मकर , मुक्ता माला अंग |
पद्मासन स्थित ध्याइये , शंख चक्र के संग ||
जय सविता जय जयति दिवाकर , सह्स्त्रान्शु स्प्ताश्र्व तिमिरहर |
भानु, पतंग, मरीचि, भास्कर, सविता, हंस, सुनूर , विभाकर |
विवस्वान, आदित्य, विकर्तन, मार्तण्ड, हरिरूप, विरोचन |
अम्बरमणि, खग, रवि कहलाते, वेद हिरण्यगर्भ कह गाते |
सहस्त्रान्शु प्रधोतन, कहि कहि मुनिगन होत प्रसन्न मोदलहि |
अरुण सदर्श सारथी मनोहर , हांकत हय साता चढ़ी रथ पर |
मंडल की महिमा अति न्यारी , तेज रूप केरी बलिहारी |
उच्चैश्रवा सद्र्श हय जोते , देखि पुरंदर लज्जित होते |
मित्र, मरीचि , भानु , अरुण , भास्कर , सविता , सूर्य ,
अर्क , खग , कलिहर , पूषा , रवि ,आदित्य , नाम लै ,
हिरण्यगर्भाय , नमः कहि कै |
द्वादस नाम प्रेम सों गावैं , मस्तक बारह बार नवावै |
चार पदारथ सो जन पावै , दुःख दारिद्र अघ पुंज नसावै |
नमस्कार को चमत्कार यह , विधि हरिहर कौ कृपासार यह |
सेवै भानु तुमहिं मन लाई , अष्टसिद्ध नवनिधि तेहिं पाई |
बारह नाम उच्चारन करते , सहस जनम के पातक टरते |
उपाख्यान जो करते तवजन , रिपु सों जमलहते सोतेहि छन |
छन सुत जुत परिवार बड़तु है , प्रबलमोह को फंद कटतु है |
अर्क शीश को रक्षा करते , रवि ललाट पर नित्य बिहरते |
सूर्य नेत्र पर नित्य विराजत , कर्ण देश पर दिनकर छाजत |
भानु नासिका वास करहु नित , भास्कर करत सदा मुख कौ हित |
ओठ रहे पर्जन्य हमारे , रसना बीच तीक्ष्ण बस प्यारे |
कंठ सुवर्ण रेत की शोभा , तिग्मतेजसः कांधे लोभा |
पूषा बाहु मित्र पीठहिं पर , त्वष्ठा – वरुण रहम सुउष्णकर |
युगल हाथ पर रक्षा कारन , भानुमान उरसर्म सुउदरचन |
बसत नाभि आदित्य मनोहर , कटी महं हंस , रहत मन मुदभर |
जंघा गोपति , सविता बासा , गुप्त दिवाकर करत हुलासा |
विवस्वान पद की रखवारी , बाहर बसते नित तम हारी |
सहस्त्रान्शु , सर्वांग सम्हारे , रक्षा कवच विचित्र विचारे |
अस जोजजन अपने न माहीं , भय जग बीज करहुं तेहि नाहीं |
दरिद्र कुष्ट तेहिं कबहुं न व्यापै , जोजन याको मन महं जापै |
अन्धकार जग का जो हरता , नव प्रकाश से आनंद भरता |
ग्रह गन ग्रसि न मिटावत जाहीं , कोटि बार मै प्रनवौ ताहीं |
मंद सद्र्श सुतजग में जाके , धर्मराज सम अद्भुत बांके |
धन्य – धन्य तुम दिनमनी देवा , किया करत सुरमुनि नर सेवा |
भक्ति भावयुत पूर्ण नियम सों , दूर हटत सों भव के भ्रम सों |
परम धन्य सो नर तनधारी , है प्रसन्न जेहि पर तम हारी |
अरुण माघ महं सूर्य फाल्गुन , मध वेदांगनाम रवि उदय |
भानु उदय वैसाख गिनावै , ज्येष्ट इंद्र आषाढ़ रवि गावैं |
यम भादों आशिवन हिमरेता , कातिक होत दिवाकर नेता |
अगहन भिन्न विष्णु है पूसहिं , पुरुष नाम रवि है मलमासहिं |
दोहा
भानु चालीसा प्रेम युत , गावहिं जे नर नित्य |
सुख संपत्ति लहै विविध , होहिं सदा कृतकृत्य ||
Surya Chalisa Benefits
- ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य देव को आत्मा का अंश माना जाता है। सूर्य मंत्र का जाप करते समय जल अर्पित करना शुभ होता है क्योंकि इससे आत्म-शुद्धि होती है और आपकी इच्छा शक्ति मजबूत होती है। सूर्य को जल चढ़ाने से भी स्वास्थ्य ठीक रहता है।
- जब कोई व्यक्ति नियमित रूप से सूर्य मंत्र का जाप करते हुए सूर्य देव को जल अर्पित करता है, तो यह आपके शरीर को शक्ति, शक्ति और ऊर्जा प्राप्त करने में मदद करता है। साथ ही, यह आपको अपने कार्यस्थल पर प्रसिद्धि और सफलता हासिल करने में मदद करता है।
- सूर्य देव को जल चढ़ाते समय सूर्य मंत्र के जाप के साथ 7 बार जल चढ़ाएं। ऐसा करना बहुत मददगार होता है और अगर कोई व्यक्ति लाल कपड़े पहनने का फैसला करता है तो परिणाम जबरदस्त होंगे।