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जानें भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग के नाम | place list | PDF

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भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग

कैसे प्रकट हुआ ज्योतिर्लिंग

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार एक बार सृष्टिकर्ता ब्रह्मा और जगतपालक भगवान विष्णु में विवाद उत्पन्न हो गया कि उनमें श्रेष्ठ कौन है, तब उन दोनों का भ्रम समाप्त करने के लिए भगवान शिव जी एक महान ज्योति स्तंभ के रूप में प्रकट हुए, और जिसकी थाह ये दोनों देव नहीं पा सके इसी को ज्योतिर्लिंग (भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग) कहा जाता है.

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ज्योतिर्लिंग का अर्थ

ऐसा कहा जाता है कि इन सभी 12 जगहों पर भगवान भोलेनाथ ने खुद दर्शन दिए थे, तब जाकर वहां यह ज्योतिर्लिंग उत्पन्न हुआ. आपको यह बता दें कि ज्योतिर्लिंग एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ है ‘रोशनी का प्रतीक’. यह कहा जाता है कि सोमनाथ भारत का सबसे प्रसिद्ध और बड़ा ज्योतिर्लिंग है.

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12 ज्योतिर्लिंग के नाम  (12 Jyotirling ke naam list)-

1. सोमनाथ ज्योतिर्लिंग –
2.मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग
3.महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग
4.ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग
5.केदारनाथ ज्योतिर्लिंग
6.भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग
7.काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग
8.त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग
9.वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग
10.नागेश्वर ज्योतिर्लिंग
11.रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग
12.घृष्णेश्वर मन्दिर ज्योतिर्लिंग

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12 Jyotirling ke Naam with Place

1- सोमनाथ ज्योतिर्लिंग –

ज्योतिशास्त्रों के अनुसार सोमनाथ ज्योतिर्लिंग भारत का ही नहीं अपितु इस पृथ्वी का पहला ज्योतिर्लिंग माना जाता है. यह मंदिर गुजरात राज्य के सौराष्ट्र क्षेत्र में स्थित है तथा यह कहा जाता है कि शिवपुराण के अनुसार जब चंद्रमा को दक्ष प्रजापति ने क्षय रोग होने का श्राप दिया था, तब चंद्रमा ने इसी स्थान पर तप कर इस श्राप से मुक्ति पाई थी.

2 – मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग –

मानना है कि यह ज्योतिर्लिंग आन्ध्र प्रदेश में कृष्णा नदी के तट पर श्रीशैल नाम के पर्वत पर स्थित है तथा इस मंदिर का महत्व भगवान शिव के कैलाश पर्वत के समान कहा गया है और अनेक धार्मिक शास्त्र इसके धार्मिक और पौराणिक महत्व की व्याख्या करते हैं. कहते हैं कि इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने से ही व्यक्ति को उसके सभी पापों से मुक्ति मिलती है. एक पौराणिक कथा के अनुसार जहां पर यह ज्योतिर्लिंग है, उस पर्वत पर आकर शिव का पूजन करने से व्यक्ति को अश्वमेध यज्ञ के समान पुण्य फल प्राप्त होते हैं.

3- महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग –

कुछ विद्वानों का मत है कि यह ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश की धार्मिक राजधानी कही जाने वाली उज्जैन नगरी में स्थित है. महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की विशेषता है कि ये एकमात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग है तथा यहां प्रतिदिन सुबह की जाने वाली भस्मारती विश्व भर में प्रसिद्ध है जो महाकालेश्वर की पूजा विशेष रूप से आयु वृद्धि और आयु पर आए हुए संकट को टालने के लिए की जाती है तथा उज्जैन वासी मानते हैं कि भगवान महाकालेश्वर ही उनके राजा हैं और वे ही उज्जैन की रक्षा कर रहे हैं.

4 – ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग –

ज्योतिशास्त्रों का मानना है कि ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश के प्रसिद्ध शहर इंदौर के समीप स्थित है. जिस स्थान पर यह ज्योतिर्लिंग स्थित है, उस स्थान पर नर्मदा नदी बहती है और पहाड़ी के चारों ओर नदी बहने से यहां ऊं का आकार बनता है. ऐसा कहा जाता है कि ऊं शब्द की उत्पति ब्रह्मा के मुख से हुई है. इसलिए किसी भी धार्मिक शास्त्र या वेदों का पाठ ऊं के साथ ही किया जाता है.

5 – केदारनाथ ज्योतिर्लिंग –

ऐसा मानना है कि केदारनाथ स्थित ज्योतिर्लिंग भी भगवान शिव के 12 प्रमुख ज्योतिर्लिंगों में आता है. जो यह उत्तराखंड में स्थित है तथा बाबा केदारनाथ का मंदिर बद्रीनाथ के मार्ग में स्थित है और केदारनाथ समुद्र तल से 3584 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है. केदारनाथ का वर्णन स्कन्द पुराण एवं शिव पुराण में भी मिलता है जो यह तीर्थ भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है.

6 – भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग –

कहा जाता है कि भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के पूणे जिले में सह्याद्रि नामक पर्वत पर स्थित है जिसे भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग को मोटेश्वर महादेव के नाम से भी जाना जाता है एवं इस मंदिर के विषय में यह मान्यता है कि जो भक्त श्रृद्धा से इस मंदिर के प्रतिदिन सुबह सूर्य निकलने के बाद दर्शन करता है, उसके सात जन्मों के पाप दूर हो जाते हैं तथा उसके लिए स्वर्ग के मार्ग खुल जाते हैं.

7 – काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग –

ऐसा माना जाता है कि विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है. जो यह उत्तर प्रदेश के काशी नामक स्थान पर स्थित है. काशी सभी धर्म स्थलों में सबसे अधिक महत्व रखती है. इसलिए सभी धर्म स्थलों में काशी का अत्यधिक महत्व कहा गया है. इस स्थान की मान्यता है, कि प्रलय आने पर भी यह स्थान बना रहेगा.

8 – त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग –

ज्योतिषियों के अनुसार यह ज्योतिर्लिंग गोदावरी नदी के करीब महाराष्ट्र राज्य के नासिक जिले में स्थित है. इस ज्योतिर्लिंग के सबसे अधिक निकट ब्रह्मागिरि नाम का पर्वत है. जो इसी पर्वत से गोदावरी नदी शुरू होती है. भगवान शिव का एक नाम त्र्यंबकेश्वर भी है.

9 – वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग –

कहा जाता है कि श्री वैद्यनाथ शिवलिंग का समस्त ज्योतिर्लिंगों की गणना में नौवां स्थान बताया गया है जो भगवान श्री वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग का मन्दिर जिस स्थान पर अवस्थित है, और उसे वैद्यनाथ धाम कहा जाता है तथा यह स्थान झारखण्ड प्रान्त, पूर्व में बिहार प्रान्त के संथाल परगना के दुमका नामक जनपद में पड़ता है.

10 – नागेश्वर ज्योतिर्लिंग –

ज्योतिषियों का मानना है कि यह ज्योतिर्लिंग गुजरात के बाहरी क्षेत्र में द्वारिका स्थान में स्थित है जो धर्म शास्त्रों में भगवान शिव नागों के देवता है और नागेश्वर का पूर्ण अर्थ नागों का ईश्वर है एवं भगवान शिव का एक अन्य नाम नागेश्वर भी है जो द्वारका पुरी से भी नागेश्वर ज्योतिर्लिंग की दूरी 17 मील की है तथा इसे ज्योतिर्लिंग की महिमा में कहा गया है कि जो व्यक्ति पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ यहां दर्शनों के लिए आता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं.

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11- रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग –

कहा जाता है कि यह ज्योतिर्लिंग तमिलनाडु राज्य के रामनाथ पुरं नामक स्थान में स्थित है जो भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक होने के साथ-साथ यह स्थान हिंदुओं के चार धामों में से एक भी है एवं इस ज्योतिर्लिंग के विषय में यह मान्यता है, कि इसकी स्थापना स्वयं भगवान श्रीराम ने की थी और भगवान राम के द्वारा स्थापित होने के कारण ही इस ज्योतिर्लिंग को भगवान राम का नाम रामेश्वरम दिया गया है.

12 – घृष्णेश्वर मन्दिर ज्योतिर्लिंग –

ज्योतिशास्त्र के अनुसार घृष्णेश्वर महादेव का प्रसिद्ध मंदिर महाराष्ट्र के संभाजीनगर के समीप दौलताबाद के पास स्थित है. जिसे घृसणेश्वर या घुश्मेश्वर के नाम से भी जाना जाता है. दूर-दूर से लोग यहां दर्शन के लिए आते हैं और आत्मिक शांति प्राप्त करते हैं. भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से यह अंतिम ज्योतिर्लिंग है.

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