Bhagwan shiv ke vare mein jhooth |भगवान शिव के बारे में रोचक तथ्य

Dharma Karma

आज इस पोस्ट में हम आपको आसान शब्दों में Bhagwan shiv ke vare mein jhooth के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे। चलिए जानते हैं शिव पुराण सहित किसी भी ग्रन्थ में ऐसा नहीं लिखा गया कि भगवान शिव या शंकर भांग किया जाय इत्यादि सेवन करते हैं

भगवान शिव के बारे में बताइए- भगवान शिव के बारे में बताओ

आज हम आपको यह बताने जा रहे हैं भगवान शंकर के बारे में फैलाए गये कुछ ऐसे झूठ जिनको आज भी लोग फैला रहे हैं लेकिन इस पोस्ट के माध्यम से हम इन सभी झूठों को खंडित करेंगे और आपको बताएँगे कि क्या है इसके पीछे का असली सच.

सती और पार्वती के पति भगवान शंकर को सदा शिव के कारण शिव भी कहा जाता है हम इन्हीं भगवान शंकर की बात करेंगे जिन्हें महादेव भी कहा जाता है भगवान शंकर के वारे में कुछ इस तरह की भ्रान्तियाँ फैलाई जाती हैं जो अपमान जनक हैं वे लोग इसके दोषी हैं जो जाने – अनजाने में भगवान शिव का अपमान करते हैं चलिए दोस्तों जानते हैं कि समाज में कौन – कौन से झूठ फैलाये जा रहे हैं.

सबसे पहला झूठ तो यह है शिवलिंग एक लिंग का प्रतीक है लेकिन वास्तव में आखिर शिवलिंग है क्या , दोस्तों यह दुःख की बात है कि बहुत से लोग कालांतर में योनी और शीर्ष की तरह शिवलिंग की आकृति को गड़ा और उसके चित्र भी फेसबुक और व्हाट्सअप पर पोस्ट करते रहते हैं और उसके बारे में अलग – अलग प्रकार की टिप्पणीयाँ करते रहते हैं लेकिन दोस्तों इसके पीछे का सच क्या है चलिए जानते हैं दोस्तों शिवलिंग का अर्थ है भगवान शिव का आदि अनादि स्वरूप , शून्य आकाश अनंत ब्रह्मांड और निराकार परम पुरुष का प्रतीक होने से , इसे लिंग कहा गया है.

जिस तरह भगवान विष्णु का प्रतीक चिन्ह शालिग्राम है उसी तरह भगवान शंकर का प्रतीक चिन्ह शिवलिंग है इस पिंड की आकृति हमारी आत्मा की ज्योति की तरह होती है साथ ही साथ आज के मॉडल साइंस के वैज्ञानिक यह मानते हैं कि एक शिवलिंग एक न्युकिल्यर आर्टरिएक्टर है इसके अलावा वो कहते हैं कि इसी के अंदर संपूर्ण ब्रह्मांड वसा हुआ है.

तो अगली बार आपसे कहे कि शिवलिंग का अर्थ क्या है तो आप साफ शब्दों में कहियेगा कि शिवलिंग का अर्थ है भगवान शिव का आदि अनादि स्वरूप , कभी खत्म नही हो सकता , कभी नष्ट नही हो सकता , कभी उत्पन्न नही हो सकता.

अगला झूठ जो आजकल ज्यादातर एक युवा फैलाते हैं वो यह है कि भांग और गांझा पीते हैं भगवान शंकर तो इसका जबाब दोस्तों हम देंगे नहीं , शिव पुराण सहित किसी भी ग्रन्थ में ऐसा नहीं लिखा गया कि भगवान शिव या शंकर भांग किया जाय इत्यादि सेवन करते हैं बहुत से लोगों ने भगवान शंकर के ऐसे चित्र भी बना दिए हैं जहाँ भगवान शिव चिल्लम पीते हुए नजर आते हैं यह दोनों की कृतियाँ भगवान शंकर का अपमान करने जैसा है भगवान शंकर की छवि को खराब करने के जैसा है.

दरअसल दोस्तों इसके पीछे एक ख़ास सीमित है चलिए समझते हैं आप वो तो जानते ही होंगे कि समुन्द्र मंथन के समय विष पर अमृत दो कलश आये थे जिसमे अमृत बाद में निकला लेकिन पहले विष निकला , लेकिन बात यह हुई यह विष अगर संपूर्ण ब्रह्मांड में फ़ैल गया तो कोई नहीं बच पाएगा , कोई भी नही , ऐसे में यह सारा का सारा दायित्व सौपा गया भगवान शिव शंकर को और उन्होंने अपने कंठ में उस विष को वसा लिया जिसकी वजह से उन्हें नील कंठ भी कहा जाता है और कभी कभाय जब उन्हें तेज पीड़ा उत्पन्न होती थी तो उस समय वह गले में चन्दन या फिर उसके लिए एक भांग का सेवन करते थे ताकि उनके गले में शीतलता बनी रहे.

ऐसा कहीं नहीं वर्णन मिलता है कि भगवान शिव शंकर चिल्लम , भांग या गांझा पीते थे दोस्तों यह भी एक भ्रम है झूठ है एक और सवाल जो आज कल के लोग पूछते हैं क्या भगवान शंकर को नही मालूम था कि गणेश पार्वती के पुत्र हैं फिर उन्होंने अनजाने में उनकी गर्दन काट दी ऐसा क्यों किया फिर जब उन्हें मालूम पड़ा तो उन्होंने उस पर हाथी की गर्दन जोड़ दी.

जब शिव जी यह नही जान सकते कि उनका पुत्र कौन है तो फिर उन्हें भगवान क्यों कहा जाता है दोस्तों चलिए इसका उत्तर भी आपको देते हैं.

भगवान शिव के संपूर्ण चरित्र को पढ़ना जरूरी है उनके जीवन को लीला इसीलिये कहा जाता है लीला उसे कहते हैं जिसमें उन्हें सब कुछ मालूम रहता है और फिर भी वह अनजान बनकर जीवन के इस खेल को सामान्य मानव की तरह खेलते हैं लीला का अर्थ नाटक या कहानी नही है एक ऐसा घटना क्रम जिसकी रचना स्वयं प्रभु ही करते हैं और फिर उसमे इन्वाल्व भी होते हैं.

वह अपने भविष्य की घटना कर्मों को खुद ही संचालित करते हैं दरअसल भविष्य में होने वाली घटनाओं को अपनी तरह से घटाने की कला ही लीला है यदि भगवान शिव ऐसा नही करते तो आज गणेश प्रथम पूज्यनीय देव न होते और उनकी गणना देवों में नही की जाती और अगर उदाहरण के तौर पर अलग अन्य देवताओं के नाम लिए जाए जैसे भगवान राम को सब कुछ मालूम था कि क्या घटना क्रम होने वाला है क्योंकि वो साक्षात विष्णु जी का रूप धारण , उन्हें मालूम था की मृग के रूप में आया एक राक्षस कौन है लेकिन सीता ने उनकी नही मानी तब उन्होंने सीता जी को पहरे के लिए छोड़ दिया और मृग के पीछे चले गये इस तरह भगवान श्री कृष्ण अर्जुन से कहते हैं कि तू किसी को नही मार रहा यह सब तो पहले ही मेरे द्वारा मारे जा चुके हैं अब तो यह बस एक खेल चल रहा है बारबरीक से जब महाभारत का वर्णन पूछा गया तो उन्होंने कहा मैंने तो दोनों ही ओर से कृष्ण योद्धाओं को मरते हुए देखा है.

इस तरह कहा जाता है कि सहदेव को महाभारत का परिणाम पहले ही मालूम था लेकिन श्री कृष्ण ने उन्हें चुप रहने के लिए कहा था यही तो है असली लीला.

एक ओर ख़ास सवाल आजकल के क्रिशन धर्म के बारे में आप तो जानते होंगे तो ऐसे में बहुत सारे लोग का यह मतभेद रहता है कि क्या शिव पार्वती ही आदम और ईद है.

दोस्तों भगवान शिव को आदि देव भी कहा जाता है शंकर के दो पुत्र थे गणेश और कार्तिकेय. जैसा कि कहा गया है कि आदम के दो पुत्र कैन और हाविल थे कैन बुरा और हाविल अच्छा , पार्वती ही क्यों ईद मानी जाती हैं कुछ विद्वानों का मानना है कि सोयम वूम मनु और शत्रु रूपा ही आदम और हवा थी शिव का पहला विवाह राजा दक्ष की पुत्री सती से हुआ था जो आग में कूदकर भस्म हो गई उनका दूसरा विवाह पर्वत राज्य हिमालय की पुत्री पूमा से हुआ जिन्हें पार्वती भी कहते हैं पार्वती से उनको एक पुत्र की प्राप्ति हुई.

प्रमुख रूप से शिव के दो पुत्र थे गणेश और कार्तिकेय. गणेश की उत्पत्ति कैसे हुई यह आप सब जानते हैं और कार्तिकेय की उत्पत्ति कैसे हुई यह भी आप सब जानते हैं लेकिन इसका हम खंडन करना चाहेंगे.

आपको बता दे कि भगवान शिव और पार्वती अड्मोरईफ नहीं हैं अब एक खास सवाल क्योंकि बहुत ज्यादा रोचक भी है क्या भगवान शिव ही शंकर , महेश ,रूद्र , महाकाल और भैरव इत्यादि.

तो चलिए दोस्तों इसका उत्तर भी हम आपको देते हैं पहली बात तो यह कि हिन्दू धर्म का संबंध वेदों से है , पुराणों से नही , त्रिदेवों में से एक महेश को ही भगवान शिव या शंकर कहा जाता है वेदों में रूद्रों का जिक्र है सभी की कहानियों को पुराणों में विस्तार से इसका अध्यन देखने को मिलता है और सभी को एक रिषन से जोड़ देने का भ्रांतियां विस्तार से बताई गई हैं.

चलिए अब इसके वारे में विस्तार से जानते हैं शिव शंकर महादेव एक ही हैं वे ही भगवान शंकर हैं लोग कहते है शिव , शंकर , भोलेनाथ अलग – अलग है इस तरह अनजाने में कई लोग शिव और शंकर को एक ही सत्ता के दो नाम बताते हैं असल में दोनों की प्रतिमाएं अलग – अलग आकृति की हैं शंकर को हमेशा तपस्वी रूप में देखा जाता है कई जगह शंकर को शिवलिंग का ध्यान करते हुए दिखाई दिया है शिव ने श्रष्टि की स्थापना पालन और विलेय के लिए क्रमश ब्रह्मा , विष्णु और महेश नामक तीन सूक्ष्म देवताओं की रचना की.

इस तरह शिव ब्रह्मांड के रचियता हुए और शंकर उनकी रचना. भगवान शिव को इसीलिए महादेव भी कहा जाता है इसके अलावा शिव को १०८ दूसरे नामों से भी पुकारा जाता है.

तो दोस्तों यह सिर्फ और सिर्फ आपका मिथ्य है लेकिन आपको बता दें कि मिथ्य गलत है और इसका सही प्रमाण सही उत्तर यही है कि भगवान शिव शंकर का एक ही वर्चस्म है और वो है देवों के देव महादेव.

तो दोस्तों यह थे कुछ ख़ास झूठ जो आजकल समाज में फैलाए जाते हैं और इनसे सिर्फ आप ही निपट सकते है इनको जागरूक करके.