Ahoi Ashtami Katha | अहोई अष्टमी कथा हिंदी में

Dharmik Chalisa & Katha

आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहे है अहोई अष्टमी की पूरी कथा In Hindi. ताकि आप Ahoi Ashtami Katha In Hindi PDF  के बारे में पूरी जानकारी हासिल कर सके। तो आइए दोस्तों जानते हैं अहोई अष्टमी कथा|

Ahoi Ashtami Katha

कथा – 

प्राचीन काल में किसी नगर में एक साहूकार रहा करता था। उसके सात लड़के थे। दिवाली से पहले साहूकार की पत्नी घर की लीपापोती हेतु मिट्टी लेने खदान में गई एवं कुदाल से मिट्टी खोदने लगी।

दैवयोग से उसी स्थान पर एक सेह की मांद थी। सहसा उस स्त्री के हाथ से कुदाल बच्चे को लग गई जिससे सेह का बच्चा वहीं पर मर गया। अपने हाथ से हुई हत्या को लेकर साहूकार की पत्नी को बहुत दुख हुआ लेकिन अब क्या हो सकता था! वह शोकाकुल पश्चाताप करती हुई अपने घर को लौट आई।

कुछ दिनों पश्चात् उसका बेटे का निधन हो गया। फिर अकस्मात् दूसरा, तीसरा और इस प्रकार साल भर में उसके सभी बेटे मर गए। महिला बहुत अधिक व्यथित रहने लगी। एक दिन उसने अपने आस-पड़ोस की महिलाओं को विलाप करते हुए बताया कि उसने जानबूझ कर कभी कोई पाप तो नहीं किया है। हाँ, एक बार खदान में मिट्टी खोदते हुए अंजाने में उसके हाथों से एक सेह के बच्चे की हत्या ज़रूर हुई है और बाद में उसके सातों बेटों की मृत्यु भी हो गई।

यह सुनकर पास-पड़ोस की बूढ़ी औरतों ने साहूकार की पत्नी को दिलासा देते हुए कहा कि यह बात बताकर तुमने जो पश्चाताप किया है उससे तुम्हारा आधा पाप तो नष्ट हो गया है। तुम उसी अष्टमी को भगवती माता की शरण लेकर सेह एवं सेह के बच्चों का चित्र बनाकर उनकी पूजा – अराधना करो एवं उनसे क्षमा-याचना करो। प्रभु की कृपा से तुम्हारा पाप धुल जाएगा।

साहूकार की पत्नी ने बूढ़ी महिलाओं की बात मानकर कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को उपवास एवं पूजा-अर्चना की। वह हर वर्ष नियमित रूप से ऐसा करने लगी। तत्पश्चात् उसे सात पुत्र रत्नों की प्राप्ती हुई। तभी से अहोई व्रत की परम्परा प्रचलित हो गई है।

अहोई माता की जय !

पूजा सामिग्री –

Ahoi Ashtami Katha- दरअसल अहोई अष्टमी की पूजा के लिए इन पूजा सामग्रियों की आवश्यकता होती है- अहोई माता की मूर्ति या फोटो, करवा या घड़ा, पानी का कलश, फूल एवं माला, दीपक , रोली ,दूब, श्रृंगार का सभी सामान, बयाना, सिंघाड़े, फल,खीर आदि।

पूजा विधि – 

Ahoi Ashtami Katha इस दिन महिलाओं को सूर्योदय से पहले उठकर स्नानादि से निवृत होकर व्रत का संकल्प अवश्य लेना चाहिए। शुभ मुहूर्त में पूजा के लिए गेरू पर दीवार से अहोई माता का फोटो बनाएं, साथ ही सेह एवं उनके सात पुत्रों का भी फोटो बनाएं। आप चाहें तो दीवार पर फोटो बनाने की जगह बाजार से खरीदे गए कैलेंडर का भी प्रयोग कर सकती हैं।

फिर एक कलश जल से भरकर पूजा स्थल पर रख दें। फिर चावल एवं रोली से अहोई माता की पूजा – अर्चना करें। अब अहोई माता को मीठे पुए या फिर आटे के हलवे का भोग लगाएं। अब हाथ में गेहूं के सात दाने लेकर अहोई माता की कहानी सुनें। फिर शाम के समय तारे निकलने के पश्चात अर्घ्य देकर अपना व्रत खोलें।

नियम – 

1. बता दें कि इस दिन निर्जला व्रत रखते हैं। अस्वस्थ एवं गर्भवती महिलाएं अपनी सेहत को ध्यान में रखते हुए व्रत को किया करें, तो ठीक है। Ahoi Ashtami Katha

2. अहोई अष्टमी व्रत से एक दिन पूर्व अपने घर में तामसिक वस्तुओं का सेवन बिल्कुल भी न करें। ऐसा करने से व्रत पूर्ण रूप से निष्फल हो जाएगा।

3. अहोई अष्टमी की रात तारों को अर्घ्य देने के लिए पीतल के लोटे या फिर स्टील के पात्र का इस्तेमाल कर सकते हैं। पूजा के समय अहोई माता की आरती एवं अहोई अष्टमी व्रत की कथा अवश्य सुनें।

4. व्रत वाले दिन शुभ मुहूर्त में अहोई माता की पूजा – अर्चना करते समय बच्चों को अपने पास बैठाएं। फल, मिठाई एवं पकवान आदि का भोग लगाने के पश्चात उसे प्रसाद स्वरुप बच्चों को दे दें। इस पूजा में अहाई माता को दूध-चावल का भोग लगाने की परंपरा भी मानी गई है।

5. अहोई अष्टमी की पूजा – आराधना के पश्चात किसी ब्राह्मण या फिर जरूरतमंद को दान दें।

6. अहोई अष्टमी के व्रत का पारण रात्रि के समय ही किया करते हैं।

7. व्रत करते हुए दोपहर में सोना वर्जित माना गया है। इससे आलस्य बहुत आता है।