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Brihaspativar Vrat Katha | नियम | विधि | लाभ

Dharmik Chalisa & Katha

सर्वप्रथम सभी प्रेम से बोलो विष्णु भगवन की जय दोस्तों Brihaspativar Vrat में दो कथाएँ पढने का प्रचलन है जिसमें एक ब्रहस्पतिवार व्रत कथा है तथा दूसरी है ब्रहास्पतिदेव की कथा. भक्त Brihaspativar Vrat Katha पढ़ कर भी व्रत पूजन कर सकते हैं. ध्यान दें की इस पोस्ट में हम सिर्फ ब्रहास्पतिदेव की कथा प्रस्तुत कर रहे हैं जिसे ब्रहस्पतिवार व्रत कथा के साथ पढना अत्यंत लाभकारी माना जाता है का लिंक हम इस कथा के नीचे दे रहे हैं. आप नीचे दिए हुए लिंक से भी Guruwar Vrat Katha Hindi Me पढ़ सकते हैं.

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पौराणिक कथाओं के अनुसार वृहस्पति भगवान अर्थात Lord Brihaspati- देवताओं के गुरु होने के साथ साथ पवित्र ज्ञान एवं  आकर्षण के भी देवता माने गए हैं. कुछ मान्यताओं के अनुसार इन्हें भजन एवं संस्कार के स्वामी भी कहा जाता है. जब देवताओं एवं असुरों के मध्य युद्ध हुआ था तो भगवन ब्रहस्पति brihaspati bhagwan ने इंद्र के सलाहकार की भूमिका निभायी थी.

देवताओं के गुरु हैं भगवान ब्रहस्पति

इतना ही नहीं भगवान बृहस्पति को प्रार्थना एवं भक्ति का भी स्वामी कहा जाता है. इन्हें देवताओं के गुरु होने का भी दर्जा प्राप्त है. इसी के साथ इन्हें शील एवं धर्म का अवतार भी कहा जाता है. इनका एक कार्य देवताओं एवं मनुष्यों के बीच मध्यस्थता करना भी है. Thursday Fast Katha in Hindi इसीलिए कहा जाता है कि इनके भक्तों पे किसी प्रकार का अभाव नहीं रहता. यदि प्रथ्वी लोक में कुछ परेशानियाँ झेलनी भी पद जायें तो अवश्य ही भक्तों को बैकुंठ की प्राप्ति होती है. भगवन ब्रहस्पति को प्रसन्न करने का एक सरल उपाय है veervar ki katha.

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तो आइये देखते हैं कि thursday vrat katha किस प्रकार है-

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Brihaspativar Vrat Katha in Hindi  

॥ अथ श्री ब्रहस्पति देव व्रत कथा ॥

प्राचीन काल में एक ब्राह्‌मण रहता था, वह बहुत निर्धन था। उसके कोई सन्तान नहीं थी। उसकी स्त्री बहुत मलीनता के साथ रहती थी।

वह स्नान न करती, किसी देवता का पूजन न करती, इससे ब्राह्‌मण देवता बड़े दुःखी थे। बेचारे बहुत कुछ कहते थे किन्तु उसका कुछ परिणाम न निकला।

भगवान की कृपा से ब्राह्‌मण की स्त्री के कन्या रूपी रत्न पैदा हुआ। कन्या बड़ी होने पर प्रातः स्नान करके विष्णु भगवान का जाप व बृहस्पतिवार का व्रत करने लगी।

अपने पूजन-पाठ को समाप्त करके विद्यालय जाती तो अपनी मुट्‌ठी में जौ भरके ले जाती और पाठशाला के मार्ग में डालती जाती। तब ये जौ स्वर्ण के जो जाते लौटते समय उनको बीन कर घर ले आती थी।

एक दिन वह बालिका सूप में उस सोने के जौ को फटककर साफ कर रही थी कि उसके पिता ने देख लिया और कहा – हे बेटी! सोने के जौ के लिए सोने का सूप होना चाहिए।

दूसरे दिन बृहस्पतिवार था इस कन्या ने व्रत रखा और बृहस्पतिदेव से प्रार्थना करके कहा- मैंने आपकी पूजा सच्चे मन से की हो तो मेरे लिए सोने का सूप दे दो।

बृहस्पतिदेव ने उसकी प्रार्थना स्वीकार कर ली। रोजाना की तरह वह कन्या जौ फैलाती हुई जाने लगी जब लौटकर जौ बीन रही थी तो बृहस्पतिदेव की कृपा से सोने का सूप मिला।

उसे वह घर ले आई और उसमें जौ साफ करने लगी। परन्तु उसकी मां का वही ढंग रहा।

एक दिन की बात है कि वह कन्या सोने के सूप में जौ साफ कर रही थी। उस समय उस शहर का राजपुत्र वहां से होकर निकला।

इस कन्या के रूप और कार्य को देखकर मोहित हो गया तथा अपने घर आकर भोजन तथा जल त्याग कर उदास होकर लेट गया।

राजा को इस बात का पता लगा तो अपने प्रधानमंत्री के साथ उसके पास गए और बोले- हे बेटा तुम्हें किस बात का कष्ट है ?

किसी ने अपमान किया है अथवा और कारण हो सो कहो मैं वही कार्य करूंगा जिससे तुम्हें प्रसन्नता हो। अपने पिता की राजकुमार ने बातें सुनी तो वह बोला- मुझे आपकी कृपा से किसी बात का दुःख नहीं है |

किसी ने मेरा अपमान नहीं किया है परन्तु मैं उस लड़की से विवाह करना चाहता हूँ जो सोने के सूप में जौ साफ कर रही थी।

यह सुनकर राजा आश्चर्य में पड़ा और बोला- हे बेटा! इस तरह की कन्या का पता तुम्हीं लगाओ। मैं उसके साथ तेरा विवाह अवश्य ही करवा दुँगा।

राजकुमार ने उस लडकी के घर का पता बतलाया। तब मंत्री उस लडकी के घर गए और ब्राह्‌मण देवता को सभी हाल बतलाया।

ब्राह्‌मण देवता राजकुमार के साथ अपनी कन्या का विवाह करने के लिए तैयार हो गए तथा विधि-विधान के अनुसार ब्राह्‌मण की कन्या का विवाह राजकुमार के साथ हो गया।

कन्या के घर से जाते ही पहले की भांति उस ब्राह्‌मण देवता के घर में गरीबी का निवास हो गया। अब भोजन के लिए भी अन्न बड़ी मुश्किल से मिलता था। एक दिन दुःखी होकर ब्राह्‌मण देवता अपनी पुत्री के पास गए।

बेटी ने पिता की दुःखी अवस्था को देखा और अपनी मां का हाल पूछा। तब ब्राह्‌मण ने सभी हाल कहा। कन्या ने बहुत सा धन देकर अपने पिता को विदा कर दिया। इस तरह ब्राह्‌मण का कुछ समय सुखपूर्वक व्यतीत हुआ। कुछ दिन बाद फिर वही हाल हो गया।

ब्राह्‌मण फिर अपनी कन्या के यहां गया और सारा हाल कहा तो लडकी बोली- हे पिताजी! आप माताजी को यहां लिवा लाओ। मैं उसे विधि बता दूंगी जिससे गरीबी दूर हो जाए।

वह ब्राह्‌मण देवता अपनी स्त्री को साथ लेकर पहुंचे तो अपनी मां को समझाने लगी- हे माँ तुम प्रातःकाल प्रथम स्नानादि करके विष्णु भगवान का पूजन करो तो सब दरिद्रता दूर हो जावेगी।

परन्तु उसकी मांग ने एक भी बात नहीं मानी और प्रातःकाल उठकर अपनी पुत्री के बच्चों की जूठन को खा लिया।

इससे उसकी पुत्री को भी बहुत गुस्सा आया और एक रात को कोठरी से सभी सामान निकाल दिया और अपनी मां को उसमें बंद कर दिया।

प्रातःकाल उसे निकाला तथा स्नानादि कराके पाठ करवाया तो उसकी माँ की बुद्धि ठीक हो गई और फिर प्रत्येक बृहस्पतिवार को व्रत रखने लगी।

इस व्रत के प्रभाव से उसके मां बाप बहुत ही धनवान और पुत्रवान हो गए और बृहस्पतिजी के प्रभाव से इस लोक के सुख भोगकर स्वर्ग को प्राप्त हुए।

सब बोलो विष्णु भगवान की जय।

बोलो बृहस्पति देव की जय

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Guruvar Vrat ke Niyam

Thursday Fast Rules in Hindi-  ब्रहस्पतिवार या यूं कहें कि गुरुवार का दिन प्रभु विष्णु को समर्पित होता है. गुरुवार के दिन भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए भक्तगण उनकी पूजा एवं व्रत करते हैं. कहा जाता है कि पूरे मन से भगवान विष्णु की पूजा करने पर भगवान ब्रहस्पति सारी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं.  इतना ही नहीं बल्कि दुख एवं विपत्तियों को सदैव के लिए नष्ट कर देते हैं। भक्तगण ये जान लें कि विष्णु जी को पीला वस्त्र अत्यधिक प्रिय  है. अगर भक्त विष्णु जी की पूजा आराधना करते हैं, तो पीत वस्त्र अवश्य धारण करें.

विशेष ध्यान रखें

ज्ञात रहे कि सभी कार्यों में शीघ्र सफलता प्राप्त करने के लिए विष्णु जी की पूजा एवं आराधना नियम के साथ करनी चाहिए. इस पोस्ट में आगे जानते हैं कि विष्णु जी को प्रसन्ना करने के लिए पूजा एवं आराधना के दौरान किन-किन बातों पर विशेष ध्यान देना  चाहिए.

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केले का सेवन नहीं करना चाहिए

अगर आप विष्णु जी की पूजा अर्चना करते हैं तो उस दिन केले का सेवन बिल्कुल नहीं करना चाहिए. यह भी कहा जाता है कि केले के पेड़ में भगवान विष्णु जी का निवास होता है.

पीली वस्तुओं को दान करना चाहिए

ब्रहस्पतिवार के दिन विष्णु जी की पूजा अर्चना करने के बाद गुड़, पीला कपड़ा, चने की दाल और केला भगवान को चढ़ाकर गरीब को दान करना चाहिए. इससे विष्णु जी की कृपा दृष्टि सदैव बनी रहती है.

चावल या खिचड़ी को न खाएँ

ब्रहस्पतिवार के दिन विष्णु जी की पूजा अर्चना करने के बाद पीला भोजन ही ग्रहण करें. इससे विष्णु जी खुश रहते है. इस दिन भूलकर भी काली दाल की खिचड़ी और चावल को खाना वर्जित है. यह भी कहा जाता है कि इस दिन चावल का सेवन करने से धन की हानि होती है. विष्णु जी को चावल की जगह तिल चढ़ाना चाहिए .

गाय को रोटी जरूर खिलाना चाहिए

 हिंदू धर्म में ऐसा माना जाता है कि गायों में कई करोड़ देवताओं का निवास होता है. शास्त्रों के अनुसार ब्रहस्पतिवार के दिन गाय को रोटी और गुड़ खिलाने से सभी दुःख दूर हो जाते हैं.

बाल और नाखून को नहीं काटना चाहिए

हिंदू धर्म के अनुसार ब्रहस्पतिवार के दिन नाखून और बाल काटने से गुरु कमजोर होता है. इससे धन में भी हानि होती है. शास्त्रों के अनुसार महिलाओं को इस दिन बाल और कपड़े धोने से मान की हानि होती हैं.

गुरुवार व्रत विधि- Thursday Vrat Vidhi

  • इस व्रत का उद्यापन करने के लिए सुबह समय से उठकर तैयार हो जाएँ, और पूजा घर में गंगाजल को छिड़क कर अच्छे से साफ़ कर लें.
  • और ध्यान रखें की पीले वस्त्र ही पहनें.
  • पूजा घर को साफ करने के बाद या अलग से आसान लगाकर उस पर भगवान् विष्णु की प्रतिमा को स्थापित करें.
  • उसके बाद मंदिर या अपने घर के आस पास स्थित केले के पेड़ की पूजा अर्चना करें, जल चढ़ाकर दीपक जलाएं.
  • फिर षोडशोपचार पूजन विधि से विष्णु जी का पूजन करे.
  • अब घर आकर या वही बैठकर कथा करे.
  • उसके बाद प्रसाद लोगो में बाटें.
  • उसके बाद श्री हरी के मंत्रो का उच्चारण करके यदि कोई गलती हुई तो उसके लिए माफ़ी मांगे.

Guruvar Vrat Benefits-

  • वृहस्पतिवार का व्रत करने से शादी में आने वाली रुकावटें अपने आप समाप्त हो जाती हैं
  • वृहस्पतिवार का व्रत करने से सभी परेशानियाँ और कष्ट दूर होते हैं
  • इस दिन व्रत करने से मनुष्य की सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं
  • यह भी कहा गया है कि घर में धन – धान्य और सुख – शान्ति की वृद्धि होती है
  • ऐसा मानना है कि इस दिन व्रत करने से विष्णु जी और माँ लक्ष्मी जी प्रसन्न होती हैं
  • ब्रहस्पतिवार का व्रत करने से जातक के घर में अन्न की कमी कभी नहीं रहती है
  • यह भी कहा गया है कि इस दिन व्रत रखने से गुरु ग्रह की दशा सही होने में मदद मिलती है
  • लोगो का मानना है कि इस दिन व्रत रखने से विद्या और बुद्धि की प्राप्ति होती है

Thursday Fast Food

  • लोगों का मानना है कि कुछ खाद्य पदार्थ शरीर में सात्विकता बढ़ाने के लिए सहायक सिद्ध होते हैं. इसलिए इन्हें प्रयोग करना ही सही जाना जाता है.
  • यह मानना है कि दूध से बनी कोई भी वस्तु भी प्रयोग में ली जा सकती है.
  • यह भी कहा जाता है कि शारीरिक शुद्धि के लिए तुलसी जल, अदरक का पानी या फिर अंगूर का भी सेवन कर सकते हैं. तथा मानसिक शुद्धि के लिए जप, ध्यान, सत्संग, दान और धार्मिक सभाओं में भाग ले सकते हैं.
  • मान्यतानुसार इस दिन एक बार बिना नमक का पीला भोजन करना चाहिए. भोजन में चने की दाल का भी प्रयोग अवश्य किया जाना चाहिए .
  • लोगों का मानना है कि गुरूवार के दिन विष्णु जी को प्रसन्न करने के लिए जो लोग व्रत करते हैं, वे लोग उस दिन केवल शाम के समय ही किसी वस्तु का सेवन कर सकते हैं.
  • ऐसी मान्यता है कि दिन के समय आप चाय, दूध, शरबत आदि पी सकते हैं और आप दिन में फलों का सेवन भी कर सकते हैं.
  • यह भी कहा जाता है कि इस दिन व्रत के दौरान व्रती को किसी भी प्रकार का नमक ग्रहण नहीं करना चाहिए.

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