Devi Durga Kavach path in Hindi पढ़ने से हमारे मन को शक्ति मिलती है मन प्रसन होता है और रक्षा होती है. आप माँ दुर्गा कवच पाठ PDF भी डाउनलोड कर सकते हैं. दुर्गा सप्तशती कवच का पाठ करने से शत्रुओं का नाश होता है.
हिन्दु धर्म की प्रमुख् आराध्य देवी
हिन्दू धर्म में माँ दुर्गा का विशेष स्थान है और माँ दुर्गा को शक्ति की देवी माना जाता है यह हिन्दू धर्म की प्रमुख आराध्य देवी हैं . भारत में जगह जगह इनके मंदिर हैं माँ दुर्गा के भक्त अपना मन भक्तिमय करने के लिए अक्सर मंदिर जाते हैं औ पूजा अर्चना करते हैं और साल में दो –दो बार नौ नौ दिन तक आस्था पूर्वक उपवास करते हैं .दुर्गा सप्तशती में माँ दुर्गा के शौर्य और पराक्रम का पूरा उल्लेख है कि माँ दुर्गा ने लोगों पर दया कर मधु और केटव नाम के दो राक्षसों का संहार कर लोक का कल्याण किया. मार्कंडेय पुराण के अनुसार यह अपने भक्तों को उनके कल्याण और सुरक्षा के लिए दुर्गा कवच प्रदान किया है भगवान ब्रम्हा ने प्राणियों की रक्षा और कल्याण के लिए ,परम पवित्र उपाय दुर्गा कवच के बारे में कहा है कि पुराण में माँ दुर्गा के नौ अवतारों की चर्चा है
Mata Durga Ke Avtar
- प्रथम अवतार में माता का नाम शैलपुत्री है शैल पुत्री का अर्थ होता है पर्वत की पुत्री। इन्हें .पर्वत राज हिमालय की पुत्री माना जाता है इन्हें दुनिया सती के रूप में जानती है |
- दूसरे अवतार में. माता का नाम ब्रह्मचारिणी है ब्रह्मचारिणी का अर्थ है माता ने तपस्या के माध्यम से भागवान शिव को हासिल किया था .
- तीसरे अवतार में माता का नाम चंद्रघंटा है इस अवतार में माता के मस्तक के चंद्र के आकार का तिलक सुशोभित कर रहा है.
- चौथे अवतार में माता का नाम कूष्मांडा है .कुष्मांडा का अर्थ ब्रह्मांड को उत्पन्न करने की शक्ति प्राप्त करना है |माता ने उदर से अंड तक अपने भीतर ब्रह्मांड को समेटा है||
- पांचवे अवतार का नाम स्कंदमाता है. माता ने कार्तिकेय को जन्म दिया |और कार्तिकेय का नाम स्कंद भी है. इसलिए माता को स्कंदमाता भी कहते हैं |
- छठे अवतार में माता का नाम कात्यायिनी है. इस अवतार के कारण में महर्षि कात्यायन की तपस्या से प्रसन्न होकर महर्षि कात्यायन के यहां जन्म लिया था . और महर्षि कात्यायन के नाम पर इनका नाम कात्यायिनी पड़ा |
- सांतवे अवतार में माता का नाम कालरात्रि है .इस अवतार में माँ पार्वती ने काल मतलब हर तरह के कष्टों का नाश किया है .इसलिए माता कालरात्रि कहते हैं |
- आठवे अवतार का नाम महागौरी है .इसमें माता का रंग पूरी तरह गौर अर्थात् गौरा है इस कारण से माता का नाम महागौरी है |
- नौवे अवतार में माता का नाम सिद्धिदात्री है , जो भक्त माता के लिए पूरी तरह समर्पित रहता है, वह माता से हर प्रकार की सिद्धि पाता है | इसलिए माता सिद्धिदात्री भी कहते हैं || और उन नव सत्संवर की पूजा आश्विन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तक की जाती है |
Also Read-Ma Durga- माता को प्रसन्न करने के मन्त्र | लक्ष्मी | सौभाग्य | मोक्ष
Devi Durga kavacham Benefits in hindi
दुर्गा कवच के पाठ से अनिष्ट का नाश एवं सुख-समृद्धि प्राप्त होती है। देवी मां की कृपा बनी रहती है वैसे दुर्गा कवच के अलग अलग दिन आस्था और विधि से पाठ करने पर अलग अलग फल मिलता है यह बिल्कुल अद्भुत और विचित्र है आइये जानते है कौन से दिन पाठ करने से क्या प्रसाद मिलता है तो आइये जानते हैं दिन के अनुसार पाठ करने पर प्राप्त होने वाले फल के बर्रे में |
- अगर कोई मनुष्य रविवार को दुर्गा का पाठ करता है, उसे नौ गुना अधिक पुण्य मिलता है|
- ऐसे ही कोई सोमवार के लिए दुर्गा कवच का पाठ करने से एक हजार गुना फल की प्राप्ति होती है |
- कोई अगर मंगलवार को दुर्गा कवच पाठ करे तो सौ पाठ का पुण्य मिलता है |
- बुधवार के लिए दुर्गा कवच का पाठ किया जाये तो एक लाख पाठ के बराबर पुण्य की प्राप्ति होती है|
- यही देवी कवच पाठ गुरुवार और शुक्रवार को करते हैं तो दो लाख पाठ के बराबर प्राप्त होता है|
- यदि शनिवार को देवी मां का ध्यान लगाकर दुर्गा कवच का पाठ करते हैं तो एक करोड़ पाठ के बराबर फल मिलता है |
Also Read-दुर्गा पूजा पर निबंध 10 लाइन | Durga Puja Short Essay In Hindi
माँ दुर्गा कवच पाठ की विधि
सबसे पहले नहा धोकर दुर्गा शक्ति की चौकी लगाना चाहिए, चौकी के सामने पवित्र आसन पर बैठकर विधि विधान से करना चाहिए फिर बीज मंत्र, फिर शक्ति मंत्रों, और बाद में कीलक मन्त्रों का पाठ करना चाहिए | फिर देवी कवच का पाठ की शुरुआत करना चाहिए निश्चित ही उत्तम फल कि होगी| प्रस्तुत है दुर्गा कवच लिरिक्स पाठ
Also Read-||Devi Navdurga Stotram || Benefits | Lyrics | PDF Download
॥ अथ देव्याः कवचम् ||
“ ॐ अस्य श्रीचण्डीकवचस्य ब्रह्मा ऋषिः,अनुष्टुप् छन्दः,चामुण्डा देवता, अंगन्यासोक्तमातरो बीजम् दिग्बन्धदेवतास्तत्त्वम्,श्रीजगदम्बाप्रीत्यर्थे सप्तशतीपाठांगत्वेन जपे विनियोगः”
दुर्गाकवच
मार्कण्डेय उवाच : ॐ यद्गुह्यं परमं लोके सर्वरक्षाकरं नृणाम् ।यन्न कस्यचिदाख्यातं तन्मे ब्रूहि पितामह॥
ब्रम्हो उवाच अस्ति गुह्यतमं विप्र सर्वभूतोपकारकम् ।
देव्यास्तु कवचं पुण्यं तच्छृनुष्व महामुने॥
||अथ दुर्गा कवच:||
- प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रह्मचारिणी ।
- तृतीयंचन्द्रघण्टेति कूष्माण्डेति चतुर्थकम् ॥
- पञ्चमं स्कन्दमातेति षष्ठं कात्यायनीति च ।
- सप्तमं कालरात्रीति महागौरीति चाष्टमम्॥
- नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गाः प्रकीर्तिताः।
- नामानि ब्रह्मणैव महात्मना ॥
- अग्निना दह्यमानस्तु शत्रुमध्ये गतो रणे।
- विषमे दुर्गमे चैव भयार्ताः शरणं गताः ॥
- न तेषां जायते किंचिदशुभं रणसंकटे।
- नापदं तस्य पश्यामि शोकदुःख भयं न हि॥
- यैस्तु भक्त्या स्मृता नूनं तेषां वृद्धिः प्रजायते।
- येत्वां स्मरन्ति देवेशि रक्षसे तन्न संशयः॥
- प्रेतसंस्था तु चामुन्डा वाराही महिषासना।
- ऐन्द्री गजासमारुढा वैष्णवी गरुडासना ॥
- माहेश्वरी वृषारुढा कौमारी शिखिवाहना।
- लक्ष्मीः पद्मासना देवी पद्महस्ता हरिप्रिया ॥
- श्र्वेतरुपधरा देवी ईश्र्वरी वृषवाहना।
- ब्राह्मी हंससमारुढा सर्वाभरणभूषिता ॥
- इत्येता मतरः सर्वाः सर्वयोगसमन्विताः।
- नानाभरणशोभाढ्या नानारत्नोपशोभिताः॥
- दृश्यन्ते रथमारुढा देव्यः क्रोधसमाकुलाः।
- शङ्खंचक्रंगदां शक्तिं हलं च मुसलायुधम् ॥
- खेटकं तोमरं चैव परशुं पाशमेव च।
- कुन्तायुधं त्रिशूलं च शार्ङ्गमायुधमुत्तमम् ॥
- दैत्यानां देहनाशाय भक्तानामभयाय च।
- धरयन्त्यायुधानीत्थं देवानां च हिताय वै ॥
- नमस्तेऽस्तु महारौद्रे महाघोरपराक्रमे।
- महाबले महोत्साहे महाभ्यविनाशिनि॥
- त्राहि मां देवि दुष्प्रेक्ष्ये शत्रूणां भयवर्धिनि।
- प्राच्यां रक्षतुमामैन्द्री आग्नेय्यामग्निदेवता॥
- दक्षिणेऽवतु वाराही नैॠत्यां खद्गधारिणी।
- प्रतीच्यां वारुणी रक्षेद् वायाव्यां मृगावाहिनी॥
- उदीच्यां पातु कौबेरी ऐशान्यां शूलधारिणी।
- ऊर्ध्वं ब्रह्माणी मे रक्षेदधस्ताद् वैष्णवी तथा ||
- एवं दश दिशो रक्षेच्चामुण्डा शववाहना।
- जयामे चाग्रतः पातु विजया पातु पृष्ठतः ॥
- अजिता वामपार्श्वे तु द्क्षिणे चापराजिता।
- शिखामुद्द्योति निरक्षेदुमा मूर्ध्नि व्यवस्थिता॥
- मालाधरी ललाटे च भ्रुवौ रक्षेद् यशस्विनी।
- त्रिनेत्रा च भ्रुवोर्मध्ये यमघण्टा च नासिके॥
- शङ्खिनी चक्षुषोर्मध्ये श्रोत्रयोर्द्वारवासिनी।
- कपौलौ कालिका रक्षेत्कर्णमूले तु शांकरी॥
- नासिकायां सुगन्धा च उत्तरोष्ठे च चर्चिका।
- अधरे चामृतकला जिह्वायां च सरस्वती॥
- दन्तान् रक्षतु कौमारी कण्ठदेशे तु चण्डिका।
- घण्टिकां चित्रघण्टा च महामाया च तालुके॥
- कामाक्षी चिबुकं रक्षेद् वाचं मे सर्वमङ्गला।
- ग्रीवायां भद्रकाली च पृष्ठवंशे धनुर्धरी॥
- नीलग्रीवा बहिःकण्ठे नलिकां नलकूबरी।
- स्कन्धयो:खङ्गिलनी रक्षेद् बाहू मे वज्रधारिणी॥
- हस्तयोर्दण्डिनी रक्षेदम्बिका चाङ्गुलीषु च।
- नखाञ्छूलेश्र्वरी रक्षेत्कक्षौ रक्षेत्कुलेश्र्वरी॥
- स्तनौ रक्षेन्महादेवी मनः शोकविनाशिनी।
- हृदये ललिता देवी उदरे शूलधारिणी॥
- नाभौ च कामिनी रक्षेद् गुह्यं गुह्येश्र्वरी तथा।
- पूतना कामिका मेढ्रं गुदे महिषवाहिनी ॥
- कट्यां भगवती रक्षेज्जानुनी विन्ध्यवासिनी।
- जङेघ महाबला रक्षेत्सर्वकामप्रदायिनी॥
- गुल्फयोर्नारसिंही च पादपृष्टे तु तैजसी।
- पादाङ्गुलीषु श्री रक्षेत्पादाधस्तलवासिनी॥
- नखान् दंष्ट्राकराली च केशांश्र्चैवोर्ध्वकेशिनी।
- रोमकूपेषु कौबेरी त्वचं वागीश्र्वरी तथा॥
- रक्तमज्जावसामांसान्यस्थिमेदांसि पार्वती।
- अन्त्राणि कालरात्रिश्र्च पित्तं च मुकुटेश्र्वरी॥
- पद्मावती पद्मकोशे कफे चूडामणिस्तथा।
- ज्वालामुखी नखज्वालामभेद्या सर्वसंधिषु॥
- शुक्रं ब्रम्हाणी मे रक्षेच्छायां छत्रेश्र्वरी तथा।
- अहंकारं मनो बुध्दिं रक्षेन्मे धर्मधारिणी॥
- प्रणापानौ तथा व्याअनमुदानं च समानकम्।
- वज्रहस्ता च मे रक्षेत्प्राणं कल्याणशोभना॥
- रसे रुपे च गन्धे च शब्दे स्पर्शे च योगिनी।
- सत्त्वं रजस्तमश्र्चैव रक्षेन्नारायणी सदा॥
- आयू रक्षतु वाराही धर्मं रक्षतु वैष्णवी।
- यशःकीर्तिंचलक्ष्मींच धनं विद्यां च चक्रिणी॥
- गोत्रामिन्द्राणी मे रक्षेत्पशून्मे रक्ष चण्डिके।
- पुत्रान् रक्षेन्महालक्ष्मीर्भार्यां रक्षतुभैरवी॥
- पन्थानं सुपथा रक्षेन्मार्गं क्षेमकरी तथा।
- राजद्वारे महालक्ष्मीर्विजया सर्वतः स्थिता॥
- रक्षाहीनं तु यत्स्थानं वर्जितं कवचेन तु।
- तत्सर्वं रक्ष मे देवि जयन्ती पापनाशिनी॥
- पदमेकं न गच्छेत्तु यदीच्छेच्छुभमात्मनः।
- कवचेनावृतो नित्यं यत्र यत्रैव गच्छति॥
- तत्र तत्रार्थलाभश्र्च विजयः सार्वकामिकः।
- यं यं चिन्तयते कामं तं तं प्राप्नोतिनिश्र्चितम् ||
- परमैश्र्वर्यमतुलं प्राप्स्यते तले पुमान् |
- निर्भयो जायते मर्त्यः संग्रामेष्वपराजितः |।
- त्रैलोक्येतु भवेत्पूज्यः कवचेनावृतः पुमान
- इदं तु देव्याः कवचं देवानामपि दुर्लभम् ।|
- यंपठेत्प्रायतो नित्यं त्रिसन्ध्यम श्रद्धयान्वितः|
- दैवी कला भवेत्तस्य त्रैलोक्येष्वप्राजितः।|
- जीवेद् वर्षशतं साग्रमपमृत्युविवर्जितः|
- नश्यन्ति व्याधयः सर्वे लूताविस्फ़ोटकादयः।|
- स्थावरं जङ्गमं चैव कृत्रिमं चापि यद्विषम् |
- अभिचाराणि सर्वाणि मन्त्रयन्त्राणि भुतले।|
- भूचराः खेचराश्र्चेव जलजाश्र्चोपदेशिकाः|
- सहजाः कुलजा माला डाकिनी शाकिनी तथा।|
- अन्तरिक्षचरा घोरा डाकिन्यश्र्च महाबलाः|
- ग्रहभूतपिशाचाश्च्च यक्षगन्धर्वराक्षसाः।|
- ब्रम्हराक्षसवेतालाः कूष्माण्डा भैरवादयः|
- नश्यति दर्शनात्तस्य कवचे हृदि संस्थिते।|
- मानोन्नतिर्भवेद् राज्ञस्तेजोवृद्धिकरं परम् |
- यशसा वर्धते सोऽपि कीर्तिमण्डितभूतले ।|
- जपेत्सप्तशतीं चण्डीं कृत्वा तु कवचं पुरा|
- यावभ्दूमण्डलं धत्ते सशैलवनकाननम्।|
- तावत्तिष्ठति मेदिन्यां संततिः पुत्रापौत्रिकी|
- देहान्ते परमं स्थानं यत्सुरैरपि दुर्लभम्।|
- प्राप्नोति पुरुषो नित्यं महामायाप्रसादतः|
- लभते परम्म रुपं शिवेन सह मोदत ||
Also Read-||Devi Navdurga Stotram || Benefits | Lyrics | PDF Download
देवी कवच हिंदी में
- ऋषि मार्कंड़य ने पूछा जभी |
- दया करके ब्रह्माजी बोले तभी ||
- के जो गुप्त मंत्र है संसार में |
- हैं सब शक्तियां जिसके अधिकार में ||
- हर इक का कर सकता जो उपकार है |
- जिसे जपने से बेडा ही पार है ||
- पवित्र कवच दुर्गा बलशाली का |
- जो हर काम पूरे करे सवाल का ||
- सुनो मार्कंड़य मैं समझाता हूँ |
- मैं नवदुर्गा के नाम बतलाता हूँ ||
- कवच की मैं सुन्दर चोपाई बना |
- जो अत्यंत हैं गुप्त देयुं बता ||
- नव दुर्गा का कवच यह, पढे जो मन चित लाये |
- उस पे किसी प्रकार का, कभी कष्ट न आये ||
- कहो जय जय जय महारानी की |
- जय दुर्गा अष्ट भवानी की ||
- पहली शैलपुत्री कहलावे |
- दूसरी ब्रह्मचरिणी मन भावे ||
- तीसरी चंद्रघंटा शुभ नाम |
- चौथी कुश्मांड़ा सुखधाम ||
- पांचवी देवी स्कंदमाता |
- छटी कात्यायनी विख्याता ||
- सातवी कालरात्रि महामाया |
- आठवी महागौरी जग जाया ||
- नौवी सिद्धिरात्रि जग जाने |
- नव दुर्गा के नाम बखाने ||
- महासंकट में बन में रण में |
- रुप होई उपजे निज तन में ||
- महाविपत्ति में व्योवहार में |
- मान चाहे जो राज दरबार में ||
- शक्ति कवच को सुने सुनाये |
- मन कामना सिद्धी नर पाए ||
- चामुंडा है प्रेत पर, वैष्णवी गरुड़ सवार |
- बैल चढी महेश्वरी, हाथ लिए हथियार ||
- कहो जय जय जय महारानी की |
- जय दुर्गा अष्ट भवानी की ||
- हंस सवारी वारही की |
- मोर चढी दुर्गा कुमार की ||
- लक्ष्मी देवी कमल असीना |
- ब्रह्मी हंस चढी ले वीणा ||
- ईश्वरी सदा बैल सवारी |
- भक्तन की करती रखवारी ||
- शंख चक्र शक्ति त्रिशुला |
- हल मूसल कर कमल के फ़ूला ||
- दैत्य नाश करने के कारन |
- रुप अनेक किन्हें धारण ||
- बार बार मैं सीस नवाऊं |
- जगदम्बे के गुण को गाऊँ ||
- कष्ट निवारण बलशाली माँ |
- दुष्ट संहारण महाकाली माँ ||
- कोटी कोटी माता प्रणाम |
- पूरण की जो मेरे काम ||
- दया करो बलशालिनी, दास के कष्ट मिटाओ |
- चमन की रक्षा को सदा, सिंह चढी माँ आओ ||
- कहो जय जय जय महारानी की |
- जय दुर्गा अष्ट भवानी की ||
- अग्नि से अग्नि देवता |
- पूरब दिशा में येंदरी ||
- दक्षिण में वाराही मेरी |
- नैविधी में खडग धारिणी ||
- वायु से माँ मृग वाहिनी |
- पश्चिम में देवी वारुणी ||
- उत्तर में माँ कौमारी जी |
- ईशान में शूल धारिणी ||
- ब्रहामानी माता अर्श पर |
- माँ वैष्णवी इस फर्श पर ||
- चामुंडा दसों दिशाओं में, हर कष्ट तुम मेरा हरो |
- संसार में माता मेरी, रक्षा करो रक्षा करो ||
- सन्मुख मेरे देवी जया |
- पाछे हो माता विजैया ||
- अजीता खड़ी बाएं मेरे |
- अपराजिता दायें मेरे ||
- नवज्योतिनी माँ शिवांगी |
- माँ उमा देवी सिर की ही ||
- मालाधारी ललाट की, और भ्रुकुटी कि यशर्वथिनी |
- भ्रुकुटी के मध्य त्रेनेत्रायम् घंटा दोनो नासिका ||
- काली कपोलों की कर्ण, मूलों की माता शंकरी |
- नासिका में अंश अपना, माँ सुगंधा तुम धरो ||
- संसार में माता मेरी, रक्षा करो रक्षा करो ||
- ऊपर वाणी के होठों की |
- माँ चन्द्रकी अमृत करी ||
- जीभा की माता सरस्वती |
- दांतों की कुमारी सती ||
- इस कठ की माँ चंदिका |
- और चित्रघंटा घंटी की ||
- कामाक्षी माँ ढ़ोढ़ी की |
- माँ मंगला इस बनी की ||
- ग्रीवा की भद्रकाली माँ |
- रक्षा करे बलशाली माँ ||
- दोनो भुजाओं की मेरे, रक्षा करे धनु धारनी |
- दो हाथों के सब अंगों की, रक्षा करे जग तारनी ||
- शुलेश्वरी, कुलेश्वरी, महादेवी शोक विनाशानी |
- जंघा स्तनों और कन्धों की, रक्षा करे जग वासिनी ||
- हृदय उदार और नाभि की, कटी भाग के सब अंग की |
- गुम्हेश्वरी माँ पूतना, जग जननी श्यामा रंग की ||
- घुटनों जन्घाओं की करे, रक्षा वो विंध्यवासिनी |
- टकखनों व पावों की करे, रक्षा वो शिव की दासनी ||
- रक्त मांस और हड्डियों से, जो बना शरीर |
- आतों और पित वात में, भरा अग्न और नीर ||
- बल बुद्धि अंहकार और, प्राण ओ पाप समान |
- सत रज तम के गुणों में, फँसी है यह जान ||
- धार अनेकों रुप ही, रक्षा करियो आन |
- तेरी कृपा से ही माँ, चमन का है कल्याण ||
- आयु यश और कीर्ति धन, सम्पति परिवार |
- ब्रह्मणी और लक्ष्मी, पार्वती जग तार ||
- विद्या दे माँ सरस्वती, सब सुखों की मूल |
- दुष्टों से रक्षा करो, हाथ लिए त्रिशूल ||
- भैरवी मेरी भार्या की, रक्षा करो हमेश |
- मान राज दरबार में, देवें सदा नरेश ||
- यात्रा में दुःख कोई न, मेरे सिर पर आये |
- कवच तुम्हारा हर जगह, मेरी करे सहाए ||
- है जग जननी कर दया, इतना दो वरदान |
- लिखा तुम्हारा कवच यह, पढे जो निश्चय मान ||
- मन वांछित फल पाए वो, मंगल मोड़ बसाए |
- कवच तुम्हारा पढ़ते ही, नवनिधि घर मे आये ||
- ब्रह्माजी बोले सुनो मार्कंड़य |
- यह दुर्गा कवच मैंने तुमको सुनाया ||
- रहा आज तक था गुप्त भेद सारा |
- जगत की भलाई को मैंने बताया ||
- सभी शक्तियां जग की करके एकत्रित |
- है मिट्टी की देह को इसे जो पहनाया ||
- चमन जिसने श्रद्धा से इसको पढ़ा जो |
- सुना तो भी मुह माँगा वरदान पाया ||
- जो संसार में अपने मंगल को चाहे |
- तो हरदम कवच यही गाता चला जा ||
- बियाबान जंगल दिशाओं दशों में |
- तू शक्ति की जय जय मनाता चला जा ||
- तू जल में तू थल में तू अग्नि पवन में |
- कवच पहन कर मुस्कुराता चला जा ||
- निडर हो विचर मन जहाँ तेरा चाहे |
- चमन पाव आगे बढ़ता चला जा ||
- तेरा मान धन धान्य इससे बढेगा |
- तू श्रद्धा से दुर्गा कवच को जो गाए ||
- यही मंत्र यन्त्र यही तंत्र तेरा |
- यही तेरे सिर से हर संकट हटायें ||
- यही भूत और प्रेत के भय का नाशक |
- यही कवच श्रद्धा व भक्ति बढ़ाये ||
- इसे निसदिन श्रद्धा से पढ़ कर |
- जो चाहे तो मुह माँगा वरदान पाए ||
- इस स्तुति के पाठ से पहले कवच पढे |
- कृपा से आधी भवानी की, बल और बुद्धि बढे ||
- श्रद्धा से जपता रहे, जगदम्बे का नाम |
- सुख भोगे संसार में, अंत मुक्ति सुखधाम ||
- कृपा करो मातेश्वरी, बालक चमन नादाँ |
- तेरे दर पर आ गिरा, करो मैया कल्याण ||
- || जय माता दी ||
Also Read-दुर्गाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् (श्री दुर्गासप्तशती) 108 Names
हमें ऐसी उम्मीद है कि आप अपने कष्ट, कलेश, दुःख परेशानियों के निवारण के लिए अद्भुत और परम शक्तिशाली दुर्गा कवच का नित्य प्रातकाल उठकर विधि विधान के अनुसार लाभ उठा सकते है | हमें विश्वास है कि आपको यह यह पसंद आयी होगी |
Also Read-Shri Durga Chalisa/Stuti In Hindi(दुर्गा चालीसा)- Lyrics in Hindi