Sakat Chauth ki kahani in hindi|Sakat Chauth vrat katha 2022

Dharmik Chalisa & Katha

आज इस पोस्ट में हम आपको आसान शब्दों में Sakat chauth ki kahani in hindi के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे। चलिए जानते हैं हम आपको भादवे महीने की चौथ की यानी संकष्टी चतुर्थी व्रत की कथा बताएँगे

नमस्कार दोस्तों आपके माता – पिता, गुरुदेव, भगवन और इष्टदेव सभी को मेरा प्रणाम.

आज इस पोस्ट में हम आपको भादवे महीने की चौथ की यानी संकष्टी चतुर्थी व्रत की कथा बताएँगे जिसे चौथ के व्रत के दिन सुनने से चौथ माता आपको अखंड सुहाग प्रदान करती है.

एक सास और बहु थी और उसका बेटा विदेश में नौकरी करने गया था. सास, बहु को लाढ़ से रखती. 

एक दिन सास काम से गाँव गई तो बहु से बोली कि बहु चूल्हे की आंच भुझने मत देना और सास गाँव चली गई. चूल्हे की आग भुझ गई बहु डर के मारे पड़ोस में आंच लेने गई तो पड़ोस की औरतें कहानी सुन रहीं थीं बहु देखकर बोली कि आप सब क्या कर रही हो तो औरतें बोली हम सब चौथ माता की कहानी सुन रहीं हैं तो बहु बोली कि इससे क्या होता है ?

औरतें बोली कि चौथ माता अन्न – धन , बेटे – पोते सब देती हैं पति प्रदेश गया वापस आ जाता है तू भी किया कर. बहु बोली मैं कैसे करूं मेरी सास तीन बार खाना देती है, औरतें बोली कि एक टाइम की गाय के बछड़े को दे दिया कर , दूसरे टाइम की औठाणे में गाड़ दिया कर , तीसरे टाइम की अपने लिए रख लिया कर और चूरमा बनाकर जोत देखकर चौथ माता के भोग लगा कर चाँद को अर्घ्य देकर खाना खाना.

बहु बोली कि ठीक है, ऐसा कहकर वह चली गई आगे चौथ का व्रत आया तो उसने वैसा ही व्रत किया चौथ माता ने सोचा, अगर सतयुग में प्रणाम नहीं देंगे तो कलियुग में कौन मानेगा चौथ माता सपने में पति को बोली कि घर जा तुझे सब याद करते हैं वह एक सेठ के यहाँ मुनीम का काम करता था तो बोला कि लेने वाले लेने आयेंगे और देने वाले देने, तो कैसे जाऊं.

चौथ माता ने कहा कल घी का दीपक जला कर बैठ जाना देने वाले दे जायेंगे और लेने वाले ले जायेंगे, पति ने ठीक वैसा ही किया और सेठ से हिसाब करके घर गया. जब रास्ते में साँप मिला बोला मैं तुझे खाऊंगा उसने कहा मैं अपने घर वालों से मिल लूँ तो फिर खा लेना वह घर आ गया पत्नी ने दरवाजा खोला पर वह किसी से बोला नहीं वह जाकर सो गया. 

उस दिन चौथ व्रत था पत्नी ने व्रत किया वो ज्योति देख रही थी वहीं पर पट्टे पर ज्योति का सामान आँखे , चूरमा ,दीपक सब रखा था वह साँप घर पर आ गया और ऊपर कमरे में चला गया चौथ माता ने सोचा कि इसको खा जायेगा कुछ करना चाहिए.

तो दीपक की डाल बन गई आँखों की तलवार बन गई और साँप को काटकर डाल से ढक दिया पति ये सब देख रहा था. साँप के मर जाने के बाद पत्नी से बोला तो पत्नी बोली आप तो मुझसे बोले ही नहीं तो पति बोला क्या बोलता यह देख मेरा काल मेरे साथ आया था वह मर गया दोनों ने आपस में खूब बातें की.

सुबह उठा तो माँ से बोला कि माँ मेरे जाने के बाद कुछ धर्म कर्म करती थी. माँ बोली नहीं बेटा तू था तब तो फिर भी मन्दिर चली जाती थी तेरे जाने के बाद तो कुछ भी नहीं किया, फिर उसने पूछा कि बहु से पूछो माँ बोली यह क्या करेगी इसको तो मैं तीन टाइम खाना देती थी बहु इशारे से बोली करती थी सास बोली क्या करती थी ?

बोली मैं चौथ का व्रत करती थी क्या सबूत है वह बोली कि बछड़े से पूछ लो बछड़ा ने मुंह खोला तो मुंह में से हीरे – मोती झरने लगे, फिर बोली औठाणे में देख लो औठाणे को खोद कर देखा तो रोटी की जगह सोने – चाँदी हो गये तीसरा बनिये से पूछ लो बनिये की बात भी सही निकली.

सास बोली क्या चौथ माता ऐसी हैं ? बहु बोली हाँ चौथ माता सबका भला करती है, आपके पति को लंबी उम्र प्रदान करती है.

हे चौथ माता जिस प्रकार आपने उस सास और बहु को उसके बेटे और पति से मिलाया उसकी रक्षा की वैसे ही आपका व्रत करने वाली और आपकी विधि पूर्वक पूजा करने वाली सभी पर अपनी कृपा करना उनकी सभी कामनाएं पूरी करना.

बोलो चौथ माता की जय