Vaibhav Laxmi Vrat Vidhi वैभव लक्ष्मी व्रत विधि

Vaibhav Laxmi |वैभव लक्ष्मी व्रत विधि |व्रत के नियम

Dharmik Chalisa & Katha

Vaibhav Laxmi वैभव लक्ष्मी व्रत रखने व मां लक्ष्मी की विधि-विधान से पूजा करने से हर मनोकामना पूरी होती है और आर्थिक परेशानियों से मुक्ति मिलती है। पढ़ें Vaibhav Laxmi Vrat Vidhi.

Vaibhav Laxmi Vrat Vidhi

  • कहा जाता है कि शुक्रवार के दिन स्त्रियों को ब्रह्ममुहूर्त में अवश्य उठ जाना चाहिए। 
  • इसके पश्चात स्वच्छ वस्त्र धारण अवश्य करें तथा मंदिर की साफ-सफाई भी कर लें।
  • मां लक्ष्मी का ध्यान जरूर करें तथा व्रत का संकल्प भी लें लिया करें।
  • पूरे दिन फलाहार कर आप अपना व्रत कर सकते हैं। 
  • पूरे दिन उपवास के पश्चात शाम के समय फिर से स्नानादि अवश्य करें।
  • सुहागन महिलाओं के लिए यह व्रत बहुत अधिक शुभकारी माना जाता है। व्रत का संकल्प लेने के पश्चात मन में अपनी मनोकामना जरूर कहनी चाहिए। भक्त को अपनी श्रद्धा एवं सामर्थ्य अनुसार 11 या 21 शुक्रवार तक मां वैभव लक्ष्मी का व्रत अवश्य करना चाहिए।

वैभव लक्ष्मी व्रत की पूजन सामग्री

मित्रों माता वैभव लक्ष्मी व्रत की पूजन सामग्री में नीचे दी हुई चीज़ें जरूर शामिल करें. मां लक्ष्मी की प्रतिमा या चित्र, फूल, पुष्प माला, कुमकुम, हल्दी,  एक बड़ा कलश, चंदन, अक्षत, विभूति, मौली, दर्पण, कंघा, आम के पत्ते, पान के पत्ते, पंचामृत, दही, केले, दूध, जल, धूप बत्ती, दीपक, कपूर, घंटी और प्रसाद अवश्य होना चाहिए।

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वैभव लक्ष्मी व्रत के नियम

  •  यह व्रत कोई भी स्त्री-पुरुष, छोटा या बड़ा अपनी कोई भी सद-मनोकामना पूरी करने के लिए कर सकता है।
  • यह व्रत पवित्र भाव से श्रद्धापूर्वक करना चाहिये, तभी यह व्रत उत्तम व बढ़िया फल प्रदान करता है। बिना भाव के अथवा खिन्न मन से किया गया व्रत कोई भी फल प्रदान नहीं करता।
  • ध्यान रहे कि यह व्रत शुक्रवार के दिन ही किया जाता है। कोई भी मनोकामना मन में धारण करके 11 अथवा 21 व्रत करने की मनौती अवश्य मानी जाती है।
  •  यह व्रत शास्त्रीय विधि-विधान के अनुसार किये जाने पर कोई भी फल बिल्कुल प्राप्त नहींही करना चाहिए। विधिपूर्वक व्रत न  होता।
  • व्रत के दिन पूरे मनोभाव से श्री वैभव लक्ष्मी माँ का ध्यान अवश्य करना चाहिए तथा मन ही मन ‘जय श्री वैभव लक्ष्मी माँ’, ‘जय श्री महालक्ष्मी माँ’ का जाप करते रहना चाहिये। ऐसा करने से मन इधर-उधर नहीं भटकता और माँ के चरणों में मन लगा रहता है।
  • व्रत आरम्भ करने के बाद किसी शुक्रवार को व्रत करने वाली महिला रजस्वता अथवा सूतकी हो तो वह शुक्रवार छोड़ देना चाहिए तथा अगले शुक्रवार को व्रत अवश्य करना चाहिए। परन्तु मनौती के माने हुए व्रतों की संख्या जरूर पूरी करनी चाहिए।
  • व्रतों के बीच किसी शुक्रवार को अगर आप अपने घर से बाहर किसी अन्य स्थान पर हों तो भी वह शुक्रवार छोड़ कर अगले शुक्रवार से व्रत अवश्य करना चाहिए।

Vaibhav Lakshmi ke Vrat Mein Kya Khana Chahieye

यदि इस विषय पर बात की जाये की माता वैभव लक्ष्मी के व्रत में क्या खाना चाहिए तो भक्तों को याद रखना चाहिए कि  उपासक को एक समय ही भोजन करना चाहिए तथा प्रसाद में खीर को जरूर खानी चाहिए।

माता वैभव लक्ष्मी का व्रत कब से शुरू करें

शुक्रवार का दिन माता लक्ष्मी एवं मां दुर्गा व संतोषी माता का माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि शुक्रवार के दिन विधि-विधान से पूजा व अर्चना करने से मां लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है तथा उनका साथ सदैव के लिए बना रहता है।