afeem kya hai what is opium hindi side effects nuksan fayde benefits kheti farming khane ka tarika hellozindgi.com

Afeem kya hai| Side Effects | खेती | फायदे

Fayde
Table of Contents Hide Table

Afeem Kya hai-

अफीम पोस्त के पौधे से प्राप्त होती है . इसका रंग काला होता है और स्वाद कड़वा होता है . बाजार में अफीम घनाकार बर्फी के रूप में मिलती है मगर ये आम जन के लिए आसानी से उपलब्ध रहने वाली चीज़ नहीं होती क्योंकि इसका प्रयोग काफी सेंसिटिव माना जाता है . कई लोग इसे नशे के रूप में प्रयोग करते है .

डोडे से अफीम निकलता है

कहा जाता है कि षौस मास में पोस्त के पौधे पर अनेक रंगों के रंग-बिरंगे बड़े सुंदर फूल लगते हैं उनमें ज़्यादातर सफ़ेद होते हैं और उन पर डोडिया लगती है. दो-तीन सप्ताह में यह डोडे अफीम निकालने लायक हो जाते हैं. तब उनकी लोहे के तेज औजार से तीन-तीन चार-चार चीरे लगा देते हैं. उन चीजों में से दूध के रूप में अफीम निकलती है और डोडो पर जम जाती है दूसरे दिन सवेरे वह दूध अफीम की शक्ल में जम जाता है और लोग खुरच लेते हैं इकट्ठा होने पर इसे तेल के हाथ से साफ करते हैं जिससे जल का अंश निकल जाता है.

Also Read:-

Gayatri Mantra with Meaning in Hindi | Benefits | Words | Lyrics

अफीम का वैज्ञानिक नाम

अफीम का वैज्ञानिक नाम पपवर सोम्नीफेरम (Papaver Somniferum) कहते हैं-

Opium in Hindi

ओपियम को हिंदी में अफीम कहा जाता है. विशेषज्ञों की राय के अनुसार अफ़ीम के पौधे पैपेवर सोमनिफेरम के ‘दूध’ को सुखा कर बनाया गया पदार्थ है, जिसके सेवन से मादकता आती है. इसका सेवन करने वाले को अन्य बातों के अलावा तेज नींद आती है. अफीम में 12% तक मार्फीन पायी जाती है जिसको प्रसंस्कृत (प्रॉसेस) करके हैरोइन नामक मादक द्रब्य (ड्रग) तैयार किया जाता है.

डोडे के अन्दर से निकलता है पोस्ट

अफीम का एक पौधा होता है जो अफीम के डोडे से प्राप्त होता है और डोडे के अंदर बीज होते हैं जिसे खसखस के नाम से भी जानते हैं, आपको बता दें जब अफीम पर नमी का असर होता है तो अफिम मुलायम हो जाती है और इसका आंतरिक रंग गहरा बादामी और चमकीला होता है, जबकि बाहरी रंग कालीमार लिया हुआ गहरा भूरा होता है, इसके अंदर तीव्र गंध आती है, यदि आप इसे जलाने की कोशिश करेंगे तो इसके अंदर से न तो धुँआ निकलेगा और न ही इसकी राख बचेगी .

Also Read:-

I नाम वाले लोग – LOVE, SUCCESS, HEALTH, CAREER, NATURE

Afim ki Kheti in Hindi  

गहरी काली मिट्टी होती है सबसे उपयुक्त

माना जाता है कि अफीम को हर तरह की भूमि में उगाया जा सकता है . जिस भूमि में पानी का निकास उचित प्रकार से होता है वह मृदा इसकी खेती के लिए अच्छी होती है तथा इसके अलावा गहरी काली मिट्टी जिसमे जिवांश पदार्थ की भरपूरमात्रा होती है उस मिट्टी में अफीम की सफलतापूर्वक खेती की जाती है .

अफीम की खेती में बीज को उचित मात्रा डालना

बीज की मात्रा प्रसारण विधि के लिए 7-8 किलोग्राम / हेक्टेयर और लाइन के लिए 4-5 किलोग्राम / हेक्टेयर होनी चाहिए .

बुवाई का उचित समय- अफीम की खेती

अफीम की खेती बुवाई का सबसे अच्छा समय अक्टूबर के अंत या नवंबर की शुरुआत में होता है

अफीम की बुवाई का अच्छा तरीका

बीज या तो बोया जाता है या लाइनों में प्रसारित किया जाता है. समान रूप से फैलाने के लिए प्रसारण से पहले सीड आमतौर पर ठीक से रेत के साथ मिलाया जाता है. इसके लिए लाइन बुवाई को पसंद किया जाता है क्योंकि बाद की विधि में उच्च बीज, खराब फसल स्टैंड और परम्परागत कार्यों को करने में कठिनाई जैसी कई कमियाँ प्राप्त होती हैं .

Also Read:-

A नाम वाले लोग – LOVE, SUCCESS, HEALTH, CAREER, NATURE

उचित दूरी बनाना – अफीम की खेती

लाइनों के बीच 30 सेमी और पौधों के बीच 30 सेमी की दूरी को आम तौर पर रखना चाहिए

उचित जलवायु

अफीम की फसल को समशीतोष्ण जलवायु की अधिक आवश्यकता होती है, जिससे इसकी खेती के लिए 20-25 डिग्री सेल्सियम तापमान की आवश्यकता पड़ती है.

भूमि का ठीक प्रकार से चयन- Afeem Ki Kheti

अफीम की खेती के लिए चिकनी दोमट मिट्टी, काली मिट्टी अधिक उपयुक्त मानी जाती है. तथा अच्छा जल का निकास होना चाहिए. मिट्टी का पी.एच. मान 7 के आसपास होना चाहिए.

खेत को बढ़िया बनाना

विशेषज्ञों का मानना है कि अफीम का बीज बहुत छोटा होता है अत: खेत की तैयारी का महत्वपूर्ण योगदान होता है, इसलिए खेत की दो बार खड़ी तथा आड़ी जुताई की जाती है. खेत की 3-4 जुताई करके मिट्टी को भुरभुरा बना लिया जाता है. इसके पश्चात कृषि कार्य की सुविधा के अनुसार क्यारियां (बेड) तैयार कर ली जाती हैं.

Also Read:-

Dard e Dil Shayari ,Dard Hindi Shayari in Hindi

अफीम की खेती में – खाद एवं रासायनिक उर्वरक की उचित मात्रा

अफीम की खेती के लिए बुवाई करने से पहले खेत तैयार करते समय अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद 25-30 टन/हेक्टेयर की दर से मिट्टी में अच्छी तरह मिला देनी चाहिए तथा रासायनिक उर्वरक एन.पी.के. और सल्फर (गंधक) एवं  अन्य मिट्टी के पोषक तत्व मिट्टी परिक्षण के आधार पर ही देना चाहिए.

सिंचाई करना – Afeem Ki Kheti

अफीम की अच्छी फसल प्राप्त करने के लिए एक सावधानीपूर्वक सिंचाई प्रबंधन अनुसूची आवश्यक है. एक हल्की सिंचाई बुवाई के तुरंत बाद दी जाती है जब 7 दिनों के बाद दूसरी हल्की सिंचाई होती है और बीज अंकुरित होने लगते हैं. तब 12-15 दिनों के अंतराल पर तीन सिंचाई पूर्व फूलों की अवस्था तक दी जाती है और फिर फूलों और कैप्सूल (डोडे ) के गठन के चरण में सिंचाई की आवृत्ति 8-10 दिनों तक कम कर दी जाती है.

afeem cut

अफीम की कटाई  

अफीम में जब अंतिम चीरे के बाद वनस्पति-दूध (लेटेक्स) निकलना बंद हो जाये तो उसके पश्चात फसल को 20-25 दिन सूखने के लिए छोड़ दिया जाता है. सूखने के बाद डोडे को हाथो से तोड़कर एकत्रित किये जाते है और खुले स्थान पर सुखाकर कर डोडे से बीज निकाल लिए जाते हैं.

Also Read:-

Chalisa Sanghrah (चालीसा संग्रह )

Afeem in English – Afeem is called Opium in English

अफीम खाने का तरीका- How to Take Opium

अफीम से दस्त का उपचार–Benefits of Opium इन Diarrhea

दस्त के उपचार के लिए चार रत्ती अफीम एक छुआरे के अन्दर रख दें फिर उसे आग में भीं लें . उसे अच्छे से पीसें एवं, उरद के दाने के बराबर 1-1 रत्ती की गोली बनाएं. और उस को एक एक गोली सुबह शाम ताजे पानी से ले सकते हैं. बच्चों को आधी मात्रा देनी चाहिए.

पोस्त (फल के छिलके या ‘पोस्त-डोंडा’) उबालकर पीने से अतिसार और पतले दस्त रुक जाते हैं. लेकिन याद रहे कि अधिक मात्रा में यह मादक हो सकता है है.

सर दर्द में अफीम होता है कारगर

1 ग्राम अफीम एवं दो लौंग को पीसकर लेप करें इस से आप के सर का लगभग सभी प्रकार का दर्द मिट जायेगा.

Afeem Side Effects- अफीम के नुकसान-

अफीम का ज्यादा सेवन करने या उचित परामर्श के बिना सेवन करने से शरीर पर बहुत गंभीर दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं . जैसे –

  • साँस लेने में दिक्कत होना
  • चक्कर आना
  • दिल की धडकन कमजोर पड़ जाना
  • वेदना या तनाव महसूस करना
  • सर दर्द होना
  • असहज महसूस करना
  • सीने में दर्द होना
  • कम दिखाई देना
  • ज्यादा पसीना आना
  • बेहोश हो जाना

अफीम के फायदे Afeem Benefits

अफीम एक उष्ण वीर्य, मादक प्रभाव एवं कफवात शामक होता है . अफीम का उपयोग बहुत सारे रोगों को ठीक करने के लिए किया जाता है . आइये जानते हैं कि किन रोगों में इसका उपयोग लाभदायक होता है :-

  • यह अर्श नाशक होता है. अफीम का उपयोग बवासीर की दवा बनाने में किया जाता है. यह रक्त स्राव रोकता है.
  • ऐसा भी मानना है कि इसके उपयोग से कमर दर्द, पेट दर्द एवं अन्य दर्द में लाभ होता है.
  • डॉक्टरो का कहना है की चिंता एवं तनाव कम करने में बहुत लाभ देता है.
  • ऐसा भी कहा जाता है कि डर लगना, उदासिनता, वेदना एवं प्रक्षोभ में अफीम रामबाण औषधि है.
  • यह माना गया है कि अनिद्रा रोग में यह अत्यंत उपयोगी है.
  • विशेषज्ञों की राय के अनुसार शीघ्रपतन एवं कामोत्तेजना की रामबाण औषधि है यह अफीम.

Gneral Afeem Price

लघभग अफीम का रेट एक लाख रूपए किवंटल होता है