कहीं आप भी मनोविज्ञान का गलत अर्थ तो नहीं निकाल रहे हैं जानें सही अर्थ

कहीं आप भी मनोविज्ञान का गलत अर्थ तो नहीं निकाल रहे हैं | जानें सही अर्थ

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मनोविज्ञान का अर्थ और परिभाषा जानने के लिए हमारी पोस्ट  से बनी रहे।

आज हम आपको इस पोस्ट में मनोविज्ञान के बारे में कुछ ऐसी जानकारी देंगे जो आपको मनोबल बढ़ाएगी.

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मनोविज्ञान एक ऐसा विज्ञान है, जो मानव के व्यवहार (Behaviour) एवं मानसिक और दैहिक प्रक्रियाओं (Mental and Physiological Processes) का अध्ययन करता है। मनोविज्ञान में मानव व्यवहार के साथ-साथ पशु-पक्षियों के व्यवहार का अध्ययन भी इसमें सम्मिलित हैं। मनोविज्ञान अध्ययन की वह शाखा है जो मन का अध्ययन करती है मतलब ‘मनोविज्ञान’ शब्द का शाब्दिक अर्थ है- मन का विज्ञान होता है।

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सर्वप्रथम यूनानी दार्शनिक सुकरात ( ई. पू. 5 वीं सदी ) ने ईस्वी पूर्व 5 वीं सदी में यह विचार दिया था कि व्यक्ति को व्यक्ति का ही अध्ययन करना चाहिए । इनके विचारो का प्रभाव प्लेटो पर आया जिन्होंने अपनी पुस्तक Republic में लिखा “ईश्वर , प्रकृति एवं मनुष्य आपस में इस प्रकार से बंधे हुए है कि इन्हें एक दूसरे से अलग बिल्कुल भी नहीं किया जा सकता” इन्होंने ही सबसे पहले आत्मा की अवधारणा दी थी ।

इसको सामान्यतः कम से कम 4 भागों में विभक्त किया जाता हैं- 

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  • व्यवहारिक
  • संज्ञानात्मक
  • विकासात्मक  
  • शैक्षिक मनोविज्ञान

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बता दें कि विल्हेम मैक्समिलियन वुण्ट (Wilhelm Maximilian Wundt ; 16 अगस्त, सन 1832 – 31 अगस्त, सन 1920) जर्मनी के चिकित्सक, दार्शनिक, प्राध्यापक थे जिन्हें आधुनिक मनोविज्ञान का जनक माना जाता है।

दरअसल सन 1879 विलहम वुण्ट ने जर्मनी के लिपशिग में प्रथम मनोविज्ञान प्रयोगशाला को स्थापित किया। सन 1890 विलियम जेम्स ने ‘प्रिंसिपल ऑफ साइकोलॉजी’ प्रकाशित की गई। सन 1895 मनोविज्ञान की एक व्यवस्था के रूप में प्रकार्यवाद की स्थापना भी की। सन 1900 सिगमंड फ्रायड ने मनोविश्लेषणवाद का विकास भी किया गया।

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अंतर्निरीक्षण: यह सभी में सबसे पुरानी विधि मानी गई है। यह आत्म-अवलोकन या किसी की मन: स्थिति के बारे में जानकारी प्राप्त करने को संदर्भित भी करता है। यह एक बहुत ही सरल विधि है जिसमें किसी उपकरण की ज़रूरत बिल्कुल भी नहीं होती है।

अंतर्निरीक्षण: यह सभी में सबसे पुरानी विधि मानी गई है। यह आत्म-अवलोकन या किसी की मन: स्थिति के बारे में जानकारी प्राप्त करने को संदर्भित भी करता है। यह एक बहुत ही सरल विधि है जिसमें किसी उपकरण की ज़रूरत बिल्कुल भी नहीं होती है।

मनोविज्ञान का महत्व (manovigyan ka mahatva) मनोविज्ञान मनुष्यों के सामान्य जीवन के व्यवहार की व्याख्या करता है। साथ ही यह भी बताता है कि समूह या समाज में रहकर मनुष्य का व्यवहार क्या हैं? असाधारण तथा असामान्य व्यवहार का अध्ययन, कारण एवं उपचारों का भी विश्लेषण मनोविज्ञान के द्वारा ही किया जाता हैं।

मनोविज्ञान के ‘स्वरूप’ एवं उसकी परिभाषा से स्पष्ट है कि मनोविज्ञान का मुख्य लक्ष्य व्यक्ति की अनुभूतियों एवं व्यवहारों का उचित अध्ययन कर उन्हें एकदम बढ़िया रूप में समझना तथा उनका नियंत्रण करना होता है।

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