CCE Full Form in Hindi | उद्देश्य | महत्व | पूरी जानकारी

Full Form in Hindi

आज हम इस पोस्ट में आपको CCE Full Form in Hindi के बारे में जानकारी देने जा रहें है। तो CCE Full Form in Hindi, इसकी विशेषताएँ और इसका पूरा इतिहास जाननें के लिए आप इस पोस्ट को पूरा जरुर पढ़ें।

सतत एवं व्यापक मूल्यांकन (Continuous and Comprehensive Evaluation) – 

विद्यार्थियों की विद्यालय-आधारित मूल्यांकन की एक प्रणाली है। सन 2009 में भारत के शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत यह एक आवश्यक मूल्यांकन प्रक्रिया बताई गई है।

सतत तथा व्यापक मूल्यांकन बच्चों के समुचित विकास का निरंतर एवं नियमित आकलन है जिसमें विकास के सभी पहलुओं का विभिन्न विधियों तथा उपकरणों द्वारा ही व्यापक आकलन अवश्य किया जाता है।

विशेषताएँ

सतत तथा व्यापक मूल्यांकन द्वारा बच्चे के विकास के सभी पहलुओं का पता चलता है। इसके द्वारा शिक्षक को सीखने के दौरान विद्यार्थियों को होने वाली परेशानियों का पता चलता है। अध्यापक अनेक गतिविधियों तथा उपकरणों के माध्यम से यह सब पता करते हैं कि बच्चों ने क्या सीखा तथा उन्हें सीखने में कहाँ सहायता की ज़रूरत है। इस प्रकार वे बच्चों के सीखने की प्रक्रिया को बहुत ही सरल बनाते हैं।

उद्देश्य – 

सतत तथा व्यापक मूल्यांकन के उद्देश्य इस प्रकार से हैं –

  • विभिन्‍न विषयों में निश्चित समय उपरांत बच्चों की प्रगति को अवश्य जानना।
  • बच्चों के व्यवहार में हुए परिवर्तनों का पता भी ज़रूर लगाना।
  • प्रत्येक बच्चे को सीखने एवं समुचित विकास में बहुत ही सहायता करना।
  • सृजनशीलता को बहुत अधिक बढ़ावा देना।
  • बच्चे की व्यक्तिगत एवं मानसिक विशेष आवश्यकताओं का पता लगाना।
  • बच्चों को सीखने में उलझनों को दूर करने के लिए अध्यापन की उपयुक्त योजना भी बनाना।
  • बच्चों की रुचि को जानना।
  • कक्षा में चल रही सीखने-सिखाने की प्रक्रिया को बहुत ही अधिक बढ़िया बनाना।
  • बच्चों में परीक्षा के प्रति व्याप्त डर एवं दबाव को बहुत दूर करना एवं स्व-आकलन (Self Assessment) के लिए प्रोत्साहित भी करना।

क्षेत्र

सतत तथा व्यापक मूल्यांकन के दो मुख्य क्षेत्र इस प्रकार से हैं –

  • संज्ञानात्मक क्षेत्र
  • सह-संज्ञानात्मक क्षेत्र

1. संज्ञानात्मक क्षेत्र – इसमें बच्चों को पढ़ाए जाने वाले सभी विषयों का मूल्यांकन खूब अच्छी तरह से किया जाता है जो बच्चों के मानसिक विकास में बहुत ही मददगार साबित होते हैं। संज्ञानात्मक क्षेत्र का आकलन कम से कम दो प्रकार से किया जाता है।

  • संरचनात्मक मूल्यांकन (Formative Evaluation)
  • योगात्मक मूल्यांकन (Summative Evaluation)

2. सह-संज्ञानात्मक क्षेत्र – इसके अंतर्गत सह-पाठ्यक्रम गतिविधियों जैसे खेलकूद, योग, साहित्यिक, सांस्कृतिकतिविधियाँ, सहयोग, अनुशासन, अभिवृत्ति आदि को भी शामिल अवश्य किया जाता है।

महत्व – 

बता दें कि CCE स्कूल के सभी शैक्षिक एवं गैर-शैक्षिक क्षेत्र को कवर करेगा. पार्ट ए एवं पार्ट बी दोनों में ग्रेड की अलग-अलग संख्या होती है जो क्रमशः 9 एवं 5 ग्रेड है. गैर-शैक्षिक क्षेत्र जैसे कौशल एवं दृष्टिकोण योगात्मक मूल्यांकन के तहत ही जाते हैं तथा इसमें 3 ग्रेड होते हैं. 51% से 60% में प्रतिशत की सीमा का अर्थ होता है कि विद्यार्थियों को शैक्षिक क्षेत्र में ग्रेड 6 मिलता है।

CCE के पहलू – ध्यान रहे कि सतत एवं व्यापक मूल्यांकन विद्वानों तथा सह-विद्वानों दोनों पहलुओं पर विचार खूब बढ़िया तरीके से करता है. स्कोलास्टिक मूल्यांकन: स्कोलास्टिक पहलुओं में पाठ्यक्रम क्षेत्र या फिर विषय-विशिष्ट क्षेत्र शामिल हैं. ये क्षेत्र लेखन एवं बोलने के कौशल को बढ़िया बनाने के लिए सभी विषयों के मौखिक एवं लिखित वर्ग परीक्षण, चक्र परीक्षण, गतिविधि परीक्षण तथा दैनिक कक्षा प्रदर्शन पर ध्यान केंद्रित अवश्य करते हैं, स्कोलास्टिक मूल्यांकन फॉर्मेटिव एवं समेटिव दोनों होना चाहिए।