DM Full Form In Hindi Full Form of DM

DM Full Form In Hindi | Full Form of DM

Full Form in Hindi

दोस्तों DM की फुल फॉर्म हिंदी में होती है Direct Message.  सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि हम Full Form of DM in Hindi के साथ साथ इसके वारे में विस्तार से बात करेंगे और जानेंगे कि DM क्या होता है। मित्रों उम्मीद है कि आपने DM का नाम आपने कई बार अखबारों में या टीवी में या कंपटीशन की तैयारी कराने वाली किताबों में जरूर सुना होगा। लेकिन आज हम Full Form of DM Hindi me विस्तृत जानकारी के साथ आपके सामने प्रस्तुत कर रहे हैं. 

डीएम की  फुल फॉर्म

आज मै आपको बता दूँ कि डीएम की  फुल फॉर्म क्या होती है. इसके साथ – साथ मैं आपको थोड़ी से इनफार्मेशन डीएम के बारे में भी अवश्य दूंगा. Dm Ka Full Form ( District Magistrate ) होता हैं तथा हिंदी में हम District Magistrate को ( जिला मजिस्ट्रेट ) भी कहते हैं.

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डीएम का पूरा प्रपत्र

मित्रों वैसे तो Dm के कई भी अर्थ निकाले जाते हैं। इसके अलग-अलग sectors में अलग-अलग फुल फॉर्म भी होते हैं। परन्तु Dm का अंग्रेजी में मुख्य रूप से फुल फॉर्म जो सबसे अधिक प्रयोग किया जाता है वो है District Magistrate ज्यादातर समय भारत में यदि आप किसी के मुँह से डीएम सुनते हैं तो उसका अर्थ District Magistrate ही होता है।

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डीएम का अर्थ

अंग्रेजी में डीएम का अर्थ जानने के पश्चात आप सोच रहे होंगे कि आखिर ये District Magistrate होता क्या है। तो आपको हम यह बता दें कि District Magistrate का अर्थ हिंदी में जिला मजिस्ट्रेट अर्थात जिलाधीश होता है। इसे कई लोग जिला-दंडनायक के नाम से भी जानते हैं।

आपको यह भी बता दें कि District Magistrate अर्थात DM भारतीय प्रशासनिक सेवा (Indian Administrative Service) अर्थात IAS का एक बहुत बड़ा अधिकारी भी होता हैं जो भारत के किसी एक जिले में सामान्य प्रशासन का सबसे वरिष्ठ कार्यकारी मजिस्ट्रेट एवं प्रमुख भी होता है।

ध्यान देने वाली बात यह है कि जिला मजिस्ट्रेट अधिकारी जिसे डीएम के नाम से भी जानते हैं, यह भारतीय प्रशासनिक सेवा अर्थात आईएएस का अधिकारी भी होता हैं और इनके पास भारत के किसी एक जिले के सबसे वरिष्ठ कार्यकारी मजिस्ट्रेट का पद भी होता है।

आपको बता दें कि District Magistrate एक आईएएस (IAS) अफसर भी होता है जिसके जिम्मेदार जिले की कानून एवं व्यवस्था के रखरखाव की जिम्मेदारी होती है। मजिस्ट्रेट जिले में राजस्व प्रशासन का प्रमुख भी होता है। इसलिए जिला मजिस्ट्रेट को कलेक्टर के नाम से भी पुकारा जाता है।

बता दें कि भारत की आजादी से पहले, जिला कलेक्टर एक कार्यकारी मजिस्ट्रेट (Executive Magistrate) एवं न्यायिक मजिस्ट्रेट (Judicial Magistrate) दोनों के रूप में कार्य भी करता था। एक कार्यकारी मजिस्ट्रेट के रूप में, वह कानून और व्यवस्था के रखरखाव के लिए जिम्मेदार भी होता था एवं न्यायिक मजिस्ट्रेट के रूप में, वह कानूनों की व्याख्या करके आपराधिक और नागरिक मामलों की सुनवाई के लिए जिम्मेदार था। लेकिन भारत की स्वतंत्रता के पश्चात, न्यायपालिका को भारतीय संविधान की राज्य नीति के निर्देशक सिद्धांतों के अनुच्छेद 50 के अनुसार कार्यपालिका से बिल्कुल भी अलग कर दिया गया है। परिणामस्वरूप, न्यायिक मजिस्ट्रेट के रूप में कलेक्टर की भूमिका समाप्त हो गई। यह काम अब जिला न्यायाधीश (District Judge) नामक एक नए अधिकारी को सौंप दिया गया है जो राज्य उच्च न्यायालय (High court) के प्रत्यक्ष नियंत्रण में काम करता है।

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डीएम क्या करता है

DM अर्थात District magistrate के द्वारा करने वाले यदि अपने कार्य की चर्चा करें तो आपको यह बता दें कि एक DM निम्नलिखित कामों के लिए बहुत ही जिम्मेदार होता है।

1. कानून और व्यवस्था का पूरी तरह से रखरखाव करना

2. राजकोष एवं उप-कोषागार की भलीभांति निगरानी करना

3. भूमि का अच्छी तरह से मूल्यांकन भी करना

4. आपको बता दें कि भू-राजस्व का संग्रह करना

5. ग्रामीण आंकड़े नियमित रूप से एकत्र करना

6. भूमि का अधिग्रहण भी करना

7. बता दें कि विभिन्न करों का संग्रह भी करना

8. कर्फ्यू एवं धारा 144 को लागू भी करना

9. रैलियों के लिए पूर्णतया अनुमति देना10. जिले के किसी भी दंगे की सरकार को बढ़िया तरीके से रिपोर्ट देना

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डीएम कैसे बनते हैं

जैसा की हमने ऊपर आपको बताया कि DM एक आईएएस (Indian Administrative Service) अफसर होता है। तो हम बता दें कि UPSC वह निकाय है जो IAS के पद के लिए परीक्षा आयोजित भी करता है। लगभग 24 प्रकार के ग्रेड ए और ग्रेड बी श्रेणी के लिए यह परीक्षा आयोजित की जाती है। इसमें IAS सबसे ऊपर का पद होता है। यह परीक्षा केवल तीन चरणों में ही आयोजित की जाती है जो कि इस प्रकार रहते हैं Preliminary, Mains एवं Interview (साक्षात्कार)।

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काम एवं कानूनी अधिकार

  • डीएम मुख्य रूप से कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए अच्छी तरह से काम करते हैं।
  • सभी कार्यों के संभागीय आयुक्त को भरपूर जानकारी प्रदान भी करता है।
  • जब संभागीय आयुक्त उपस्थित नहीं होते हैं, तो वे जिला विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष के रूप में कार्य करने के लिए बहुत अधिक जिम्मेदार भी होते हैं।
  • काम करने वाले मजिस्ट्रेटों की निगरानी भी केवल डीएम ही करते हैं।
  • सरकार को वार्षिक अपराध रिपोर्ट भी प्रदान करता है।
  • पुलिस एवं जेलों का निरीक्षण भी बढ़िया तरीके से करता है।

योग्यता

आपको बता दें कि DM बनने के लिये कुछ योग्यतायें मांगी जाती हैं, अगर आपके पास वो सारी योग्यताएं होती हैं तभी आप DM बनने के योग्य होते हैं। आइए जानते हैं डीएम बनने के लिए हमसे कौन-कौन सी योग्यताएं इसमें मांगी जाती है

1. शैक्षिक योग्यता (Educational Qualification)

आपको बता दें कि डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट अर्थात डीएम पद के उम्मीदवारों के पास किसी भी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से पास की गई ग्रेजुएशन की डिग्री अवश्य होनी चाहिए मतलब डीएम पद के उम्मीदवारों के पास किसी की मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से पास की गयी स्नातक की डिग्री भी अवश्य होनी चाहिए

2. आयु सीमा (Age Limit)

ध्यान रहे कि डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट अर्थात डीएम पद के सामान्य वर्ग के उम्मीदवार की न्यूनतम आयु कम से कम 21 वर्ष तथा अधिकतम आयु कम से कम 30 वर्ष अवश्य होनी चाहिए मतलब डीएम पद के सामान्य वर्ग के उम्मीदवार की आयु कम से कम 18 वर्ष से 30 वर्ष के बीच में ही होनी चाहिए।

आपको यह भी बता दें कि ओबीसी वर्ग के लोगों के उम्मीदवारों की न्यूनतम आयु कम से कम 21 वर्ष तथा अधिकतम आयु 33 वर्ष अवश्य रखी गयी हैं। ध्यान रहे कि SC/ST वर्ग के लोगों के उम्मीदवारों के लिए न्यूनतम आयु 21 वर्ष एवं अधिकतम आयु केवल 35 वर्ष ही रखी गई है।