Full Form Of HOD In Hindi HOD Ka Full Form Hindi

HOD ka Full Form | HOD क्या होता है ?

Full Form in Hindi

दोस्तों HOD की फुल फॉर्म हिंदी में होती है Head OF Department.  सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि हम Full Form of HOD in Hindi के साथ साथ इसके वारे में विस्तार से बात करेंगे और जानेंगे कि HOD क्या होता है। मित्रों उम्मीद है कि आपने HOD का नाम आपने कई बार अखबारों में या टीवी में या कंपटीशन की तैयारी कराने वाली किताबों में जरूर सुना होगा। लेकिन आज हम Full Form of HOD Hindi me विस्तृत जानकारी के साथ आपके सामने प्रस्तुत कर रहे हैं. 

एचओडी फुल फॉर्म

आपको यह बता दें कि HOD (एचओडी) का अर्थ या फुल फॉर्म Head of Department (हेड ऑफ डिपार्टमेंट) होता है। जो HOD (एचओडी) को ही हिंदी में विभाग का प्रमुख भी कहा जाता है।

यहूदी धर्म का HOD के बारे में विचार

ऐसा कहा गया है कि यहूदी धर्म के कबला में होद जीवन के कबालीवादी वृक्ष का आठवां सेफिरा है। यह हिब्रू भाषा में hod से लिया गया है जिसका मतलब है “महिमा” या “वैभव” तथा “स्तुति” के साथ-साथ “सबमिशन” को भी दर्शाता है। होद गेवुरा के नीचे एवं नेतज़ाक के पार जीवन के वृक्ष पर विराजमान है; यसोद होद के दक्षिण-पूर्व में है। दरअसल इसके चार रास्ते हैं, जो आमतौर पर गेवुरा, टिपरेथ, नेत्ज़च एवं यसोद की ओर जाते हैं।

सभी सेफिरोट की तुलना शरीर के विभिन्न हिस्सों से की जाती है, तथा नेटज़ैक एवं होड की तुलना एक व्यक्ति के दो पैरों से की जाती है: दाहिना पैर और बायां पैर। पैर आमतौर पर केवल किसी व्यक्ति की गतिविधि का साधन होते हैं। जबकि हाथ कर्म के मुख्य साधन हैं, पैर व्यक्ति को उस स्थान पर लाते हैं जहां वह उस काम को बेहतरीन तरीके से करना चाहता है। हसीदिक यहूदी धर्म का होद के बारे में विचार यह है कि यह यहूदी एक प्रार्थना से जुड़ा हुआ है। प्रार्थना को “सबमिशन” के रूप में भी देखा जाता है;

होड को एक सादृश्य के रूप में समझाया गया है – कि किसी के रास्ते में एक बाधा को “जीतने” के बजाय, उस “बाधा” के लिए स्वयं को वश में करना होड की गुणवत्ता से संबंधित माना गया है। एक रहस्यमय अर्थ में, जिसमें जीवन के पेड़ को “चेतना” के लिए एक रोडमैप माना जाता है, होड वह जगह है जहां भाषा द्वारा अपने व्यापक अर्थों में रूप दिया जाता है, रूप के रहस्य की कुंजी होने के कारण, हमारी बेहोश इच्छाएं आती हैं। Netzach, और होद द्वारा प्रतीकात्मक क्षेत्र में रूप दिया जाता है, अनजाने में Yesod से Malkuth तक प्रकट भी होता है।

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यूनिवर्सिटी या कॉलेज में एचओडी

आपको यह भी हम बता दें कि किसी भी यूनिवर्सिटी या कॉलेज में एचओडी बहुत ही अहम पद पर होता है। एक तरह से किसी भी डिपार्टमेंट का ये मुखिया भी होता है। यदि आप डिग्री कॉलेज या यूनिवर्सिटी में पढ़ते होंगे या फिर अपनी पढ़ाई पूरी कर चुके हैं तो आपकों तो अवश्य ही एचओडी के बारे में मालूम होगा।

ऐसा जाना जाता है कि यूनिवर्सिटी या बड़े इंस्टीट्यूट या डिग्री कॉलेजों में जितने भी डिपार्टमेंट होते हैं, उनके सभी के अलग- अलग एचओडी होते हैं। चलिये हम आपको एक उदहारण देकर समझा देते हैं तो सही से आपको समझ मे आ जायेगा। जैसेकि

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  • HOD of Mass Communication
  • HOD of Pharmacy
  • HOD of Library Science
  • HOD of Computer Science
  • HOD of IT
  • HOD of MBBS
  • HOD of Fine Arts
  • HOD of Nursing
  • HOD of Paramedical
  • HOD of Computer Application
  • HOD of Machenical Engineering College
  • HOD of Multimedia and Animation
  • HOD of Hotel Management

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ऐसा जाना जाता है कि इस तरह किसी भी कॉलेज या यूनिवर्सिटी में जितने भी डिपार्टमेंट होंगे उनके लिए अलग-अलग एचओडी भी शामिल होंगे। इनका काम ये होता है कि ये डिपार्टमेंट को बहुत ही सही तरह से संचालित हो। यदि अध्यापक की कमी है तो अध्यापक हायर करना होगा। यदि डिपार्टमेंट में किसी भी अध्यापन सामग्री की बहुत आवश्यकता है तो उसको जरूर मंगाना चाहिए । सही तरह से अध्यापन कार्य हो रहा है या नही। इसकी देख-रेख भी अवश्य रखना चाहिए।

दरअसल इसके साथ ही सभी विद्यार्थी एवं कर्मचारियों पर नजर रखना तथा उनका डेटा का विशेष ध्यान रखना। विद्यार्थी की फीस समय पर जमा हो रही है या नही। इसके भी देख-रेख जरूर करना चाहिए । स्टूडेंट्स की क्लास भी अवश्य लेना चाहिए। यदि कोई फंक्शन या कार्यक्रम डिपार्टमेंट में आयोजित होना है तो इसकी इजाजत एवं फंडिंग का बंदोबस्त भी एचओडी को ही करना पड़ता है। इस तरह से डिपार्टमेंट में सभी कामों के लिए एचओडी ही उत्तरदायी होता है।

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आपको यह भी बता दें कि किसी भी कॉलेज में एचओडी बहुत ही अहम एवं जिम्मेदारी वाला पद होता है। एचओडी बनना इतना सरल नही होता है। सबसे पहले तो आप बैचलर, डिग्री को हासिल करें। इसके पश्चात में मास्टर डिग्री को प्राप्त करें । मास्टर डिग्री के पश्चात में पीएचडी अवश्य करें तथा नेट एग्जाम या स्टेट लेवल के एग्जाम जो प्रोफेसर के लिए बहुत ही आवश्यक होते हैं वो ज़रूर पास करें। इसके पश्चात कम से कम 5 से 10 साल तक आपको टीचिंग का अच्छा एक्सपीरियंस हो जाय । इसके पश्चात आप उसी डिपार्टमेंट के एचओडी बन सकेगें। जिस बिषय में आपने पीएचडी की उपाधि प्राप्त की है।

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