IPO Full Form Share Market Full Form Of IPO In Hindi

IPO Full-Form Share Market | Full Form Of IPO In Hindi

Full Form in Hindi

मित्रों IPO  की फुल फॉर्म  Initial Public Offering होती है. ऐसी ही अन्य Full Forms in Hindi जानने के लिए आप हमारी वेबसाइट hellozindgi.com से जुड़े रहिये. तो आइये दोस्तों जानते हैं कि Full Form of IPO in Hindi क्या होती है. दोस्तों अगर आप के मन में भी ये शंका है कि IPO ka full form Kya Hai तो आप ठीक जगह पे हैं.  देखते हैं IPO ka full form Hindi Mai.

IPO की FULL FORM

दरअसल जब इन कंपनियों को पूंजी की बहुत ही आवश्यकता होती है तो ये स्वयं को शेयर बाजार में लिस्ट कराती हैं तथा इसका सबसे बड़ा कारगर तरीका है IPO अर्थात Initial Public Offer जारी करना. शेयर मार्केट में लिस्ट होने के लिए प्राइवेट कंपनी जो IPO लाती है, असल में वो बहुत ही बड़ी संख्या में आम लोगों, निवेशकों एवं अन्य को कंपनी के शेयर अलॉट भी भलीभांति करती है.

ऐसा कहा जाता है कि यह किसी कंपनी द्वारा ‘सार्वजनिक’ मतलब पब्लिक होने के लिए उठाया गया एक पहला कदम है। इसका सीधा यह साधारण सा अर्थ है कि कोई कंपनी IPO के द्वारा स्टॉक एक्सचेंज में लिस्ट होने के बहुत ही परम योग्य हो जाती है।

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आईपीओ का अर्थ

आईपीओ को एक कंपनी द्वारा लाया जाता है , जो एक व्यवसाय अधिकतर – समय छोटे या मध्यम, कुछ बार ,यह बड़ा नाम भी होता है। इस प्रकार ,दूसरे शब्दों में, आईपीओ का अर्थ वित्तीय उत्पाद पेश करने के लिए एक छोटा सा व्यवसाय जनता के पास आ रहा है, जाहिर है कि यह उसकी कंपनी से बिल्कुल पूरी तरह से संबंधित होगा।

आपको यह बता दें कि जब कोई कंपनी कुछ पेशकश कर रही है, तो उसे बदले मे भी कुछ वस्तु के बहुत ज़रूरत होगी। इस प्रकार, तकनीकी रूप से आईपीओ का अर्थ एक व्यवसाय द्वारा शेयर (हिस्सेदारी) के बदले आम जनता से खूब सारा धन उठाना है।

दरअसल जब किसी कंपनी को अतिरिक्त पूंजी की बहुत ज़रूरत होती है तो वह आईपीओ जारी करती है। ये आईपीओ कंपनी उस समय भी जारी कर सकती है जब उसके पास धन की पूरी कमी हो वह बाजार से कर्ज लेने के बजाय आईपीओ से पैसा जुटाना अधिक बढ़िया समझती है। यह किसी भी कंपनी की विस्तार योजना भी होती है। शेयर बाजार में सूचीबद्ध होने के पश्चात कंपनी अपने शेयरों को अन्य योजनाओं में अवश्य लगा सकती है।

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IPO से लाभ

ध्यान देने वाली बात यह है कि आईपीओ में निवेशक तरफ से लगाई गई पूंजी सीधे कंपनी के पास जाती है। हालांकि विनिवेश के मामले में आईपीओ से जो पूंजी मिलती है वह सीधे सरकार के पास जाती है। अगर एक बार इनके शेयरों की ट्रेडिंग की पूरी तरह से इजाजत मिल जाए तो फिर इन्हें खरीदा एवं उसे भलीभांति बेचा भी जा सकता है, हां एक बात अवश्य धयान में रखें शेयर को खरीदने एवं बेचने से होने वाले लाभ तथा हानि की जिम्मेदारी निवेशक की अवश्य होगी.

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कैसे तय होती है कीमत

आपको हम बता दें कि आईपीओ की कीमत कम से कम दो तरह से निश्चित होती है।पहला प्राइस बैंड तथा दूसरा फिक्स्ड प्राइस इश्यू ।

प्राइस बैंड (Price Band of IPO): अधिकतर कंपनियां जिन्हें आईपीओ लाने की पूरी इजाजत होती है, वे अपने शेयरों की कीमत एकदम निश्चित भी कर सकती हैं। परन्तु इन्फ्रास्ट्रक्चर एवं कुछ दूसरी क्षेत्रों की कंपनियों को सेबी और बैंकों को रिजर्व बैंक से अनुमति अवश्य लेनी होती है। कंपनी का बोर्ड ऑफ डायरेक्टर बुकरनर के साथ मिलकर प्राइस बैंड निश्चित करता है। भारत में कम से कम 20 फीसदी प्राइस बैंड की इजाजत है। इसका अर्थ यह है कि बैंड की अधिकतम सीमा फ्लोर प्राइस से 20 फीसदी से अधिक ऊपर को नहीं हो सकती है।

अंतिम कीमत (Last Price): बता दें कि बैंड प्राइस निश्चित होने के पश्चात निवेशक किसी भी कीमत के लिए बोली अवश्य लगा सकता है। बोली लगाने वाला कटऑफ बोली भी लगा सकता है। इसका अर्थ यह है कि अंतिम रूप से कोई भी कीमत निश्चित हो, वह उस पर इतने शेयर खरीदेगा। बोली के पश्चात कंपनी ऐसी कीमत एकदम निश्चित करती है, जहां उसे लगता है कि उसके सारे शेयर एकदम अच्छे तरीके से बिक जाएंगे।

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IPO में Invest कौन कर सकता हैं

ऐसा कहा गया है कि ipo में इन्वेस्ट कोई भी व्यस्क एवं अवयस्क इंसान ही भलीभांति कर सकता है एवं स्वस्थ मस्तिष्क वाला मनुष्य जो 2 लाख रुपए तक का निवेश करना चाहता है वह रिटेल निवेशक के रूप में आई पी ओ में निवेश भी निष्ठापूर्वक कर सकता है.

भारत में यदि आप Investor के रूप में किसी कंपनी के IPO में निवेश करना चाहते हैं तो आपकी सुविधा के लिए भारतीय सरकार के कॉर्पोरेट मंत्रालय तथा SEBI ने कुछ नियमों (Rules) एवं गाइडलाइन्स का निर्धारण अवश्य किया गया है उनको ध्यान में रखना बहुत ही अनिवार्य होता है.

ध्यान देने वाली बात यह है कि यदि आप ipo में इन्वेस्ट करना चाहते हैं तो उसके लिए आपको डीमेट या trading खाता अवश्य खोलना होता है. दरअसल आई पी ओ के अंतर्गत निवेश करने के लिए आपके पास बैंक खाता, डीमैट एकाउंट एवं पैन नंबर होना बहुत ही अनिवार्य माना गया है। इसके पश्चात आपने जिस कंपनी का पूरी तरह से चयन किया है तो उसके Prospectus एवं Application Form ले लें । उसके पश्चात ठीक रूप से भरा गया फॉर्म निर्धारित राशि के डिमांड ड्राफ्ट के साथ निर्धारित बैंक में अवश्य जमा कर दें।

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