IVF Full Form in Hindi | जानिए क्या और कैसे होता है IVF Treatment

Full Form in Hindi

 IVF Full Form in Hindi की जानकारी के लिए इस पोस्ट पर बने रहें| hellozindgi.com पे  IVF Full Form in Hindi की इतनी जानकारी है कि आप पढ़ते पढ़ते थक जाएंगे पर हम ऑप्शन्स देते देते नही। 

IVF की फुल फॉर्म –

दरअसल IVF की फुल फॉर्म IN Vitro Fertilization होती है. इसको हिन्दी भाषा में इन विट्रो निषेचन कहते हैं.

यदि सरल शब्दों में कहा जाये तो IVF एक तकनीक है. इस तकनीक में स्त्री के अंडे का मनुष्य के शुक्राणु के साथ लेबोरेटरी में फर्टिलाइजेशन अवश्य करवाया जाता है तथा इससे बनने वाले भ्रूण को महिला के गर्भाशय में स्थापित कर दिया जाता है. माना जाता है कि ivf तकनीक उन शादी शुदा जोड़ो के द्वारा ही अपनाई जाती है जो बाँझपन या फिर नपुंसकता के चलते संतान सुख भोगने में असमर्थ होते है. साथ ही उन दम्पतियो के लिए एक Option है जो बाँझपन एवं  नपुंसकता का इलाज करवाकर थक चुके हैं.

IVF क्या होता है –

बता दें कि इन विट्रो फर्टिलाइजेशन ट्रीटमेंट को IVF ट्रीटमेंट कहा जाता है। पहले इसे “टेस्ट-ट्यूब बेबी” के नाम से पुकारा जाता था। इस प्रक्रिया का इस्तेमाल पहली बार सन 1978 में इंग्लैंड में किया गया था। आईवीएफ ट्रीटमेंट में प्रयोगशाला में कुछ नियंत्रित परिस्थितियों में महिला के एग्स एवं पुरुष के स्पर्म को मिलाया जाता है। जब संयोजन से भ्रूण बन जाता है तब उसे वापस महिला के गर्भाशय में पूर्णतया रख दिया जाता है। हालाँकि आईवीएफ एक जटिल एवं महंगी प्रक्रिया है, परन्तु यह प्रक्रिया उन दम्पतियों के लिए बहुत ही मददगार होती है जो बहुत समय से गर्भधारण की तैयारी कर रहे हैं या फिर किसी कारणवश अन्य फर्टिलिटी ट्रीटमेंट असफल हो गए हैं।

आई वी एफ प्रकिया में क्या होता है – 

बता दें कि इस प्रक्रिया में महिला एवं पुरुष की जाँच अवश्य की जाती हैं, उसके पश्चात परिणाम के अनुसार प्रक्रिया को आगे को बढ़ाते हैं।

  • पुरुष के सीमेन को लैब में साफ़ – सुथरा किया जाता है। फिर सक्रिय (अच्छे) एवं असक्रिय (बेकार) शुक्राणुओं को पूरी तरह से अलग भी किया जाता हैं।
  • महिला के शरीर में से इंजेक्शन के ज़रिए अंडे को बाहर निकालकर अच्छी तरह से फ्रीज किया जाता है।
  • फिर लैब में पेट्री-डिश में अंडे के ऊपर सक्रिय शुक्राणु को रखा जाता है एवं प्राकृतिक रूप से प्रजनन के लिए छोड़ दिया जाता है।
  • प्रजनन के तीसरे दिन तक भ्रूण पूरी तरह से तैयार भी हो जाता है।
  • कैथिटर (Catheter) जो एक विशेष लचकदार नली की तरह दिखता है, ठीक उसकी सहायता से महिला के गर्भाशय में ट्रासंफर भी कर दिया जाता है।
  • कई बार भ्रूण को कम से कम 5 दिन तक की निगरानी के पश्चात् महिला के गर्भाशय में रखा जाता है।
  • 5 दिन वाले भ्रूण में प्रेगन्नसी की सफलता दर कुछ अधिक बढ़ जाती है।

ध्यान देने वाली बात यह है कि आई वी एफ (IVF in Hindi) गर्भावस्था सामान्य प्रेग्नन्सी की तरह ही होती है सिर्फ इसमें भ्रूण को लैब में तैयार किया जाता है, जिससे कोई हानि (साइड इफ़ेक्ट) नहीं होती है। कई लोगों का यह मनाना है कि IVF Treatment से बच्चे के अंदर कोई कमी रह सकती है। यह सोच बिल्कुल भी ठीक नहीं है क्योंकि प्रजनन से लेकर शिशु जन्म तक की पूरी प्रक्रिया प्राकृतिक रूप से ही होती है। शिशु का विकास माँ की कोख में ही होता है, माँ के आहार एवं प्रतिक्रियाओं पर बच्चे का विकास पूरी तरह से निर्भर करता है।

कई फर्टिलिटी कठिनाइयों के लिए अलग-अलग प्रकार के इलाज मौजूद किये गये है। कई बार परेशानी शुक्राणुओं की कमी, शुक्राणुओं की गति, शुक्राणुओं के आकार, सीमेन में शुक्राणुओं की उपस्थिति न होना, खराब गुणवत्ता वाले शुक्राणु, खराब गुणवत्ता वाले अंडे या फिर ओवुलेशन में परेशानी के कारण से भी हो सकती है।