मित्रों MSP की फुल फॉर्म Minimum Support Price होती है. ऐसी ही अन्य Full Forms in hindi जानने के लिए आप हमारी वेबसाइट hellozindgi.com से जुड़े रहिये. तो आइये दोस्तों जानते हैं कि Full Form of MSP in Hindi क्या होती है. दोस्तों अगर आप के मन में भी ये शंका है कि MSP ka full form kya hai तो आप ठीक जगह पे हैं. देखते हैं MSP ka full form Hindi mai
MSP का FULL FORM
आपको बता दें कि एमएसपी (MSP) क्या होता है- Minimum Support Price Full Form, न्यूनतम समर्थन मूल्य जैसे कि हम सब जानते हैं हमारे देश में किसान का कितना महत्व है क्योंकि वह हमारे भरण-पोषण के लिए बहुत ही कठिन परिश्रम करते हैं और इसी परिश्रम के बलबूते पर उन्हें आय का साधन प्राप्त होता है जिसे हम (MSP) एमएसपी के नाम से जानते हैं।
ऐसा कहा जाता है कि वह निर्धारित न्यूनतम मूल्य जिस पर Central Government की FCI (Food Corporation of India Agency) किसानों से फसलों को खरीदती है! उसे MSP (Minimum Support Price) अर्थात न्यूनतम समर्थन मूल्य भी कहते हैं! आपको यह भी बता दे, कि इस निर्धारित मूल्य (MSP) से कम दाम पर किसानों से कोई भी फसल बिल्कुल भी नहीं खरीदी जा सकती है!
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ऐसा कहा जाता है कि इस मूल्य को भारत सरकार निश्चित रूप से तय करती है! सरकार किसानों को इस न्यूनतम मूल्य फसलों को खरीदने की गारंटी भी देती है! British Government के दौरान इस तरह की प्रणाली को प्रारंभ भी किया गया था! यह फसल की लागत को तय करने का एक पैमाना भी अवश्य होता है!
आपको हम यह भी बता दें कि 26 दिसंबर सन 1964 को MSP को पूरी तरह से मंजूरी दी गयी थी! परन्तु इसी वर्ष इसको लागु भी नहीं किया गया! इसके अगले वर्ष अर्थात सन 1965 में MSP को उस समय भारत सरकार के सचिव के पद पर रहे बी शिवरामन ने उस पर अंतिम मुहर भी निष्टापूर्वक लगा दी थी !
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इसके पश्चात सन 1967 में पहली बार गेंहू की एमएसपी घोषित की गयी! यहाँ से हर वर्ष MSP की घोषणा भी तुरंत होने लगी! आपको बता दें कि सरकार द्वारा दी जाने वाली एमएसपी CACP (Commission for Agriculture Cost and Prices) सरकारी Agency द्वारा निर्धारित भी की जाती है! इसे हिंदी में कृषि लागत एंव मूल्य आयोग भी कहा जाता है! अर्थात हम यह कह सकते हैं कि सरकार CACP के मूल्य निश्चित करने के पश्चात MSP (Minimum Support Price) जारी करती है!
एमएसपी का निर्धारण कैसे किया जाता है
आपको हम यह बता दें कि MSP निर्धारण करने का काम CACP करती है। न्यूनतम समर्थन मूल्य का निर्धारण स्वामीनाथन समिति के फार्मूले के आधार पर ही किया जाता है। Swaminathan Committee भारतीय सरकार द्वारा किसानो की कठिनाइयों को सुलझाने के लिए बनाई गयी थी। नीचे दिए कुछ कारको के आधार पर किसी भी फसल की एमएसपी भी निर्धारित की जाती है।
- फसल उगाने में आने वाली कुल लागत
- बाजार की कीमतों में रुझान का होना
- मांग एवं आपूर्ति
- अंतर्राष्ट्रीय मूल्य स्थिति को ठीक करना
- जीवन यापन की लागत पर प्रभाव अधिक होना
- किसानो की लगने वाली लागत एवं उन्हें मिलने वाले दाम में समता का भी होना
- फसलो के भंडारण में आने वाला खर्च, टैक्स, परिवहन खर्चा एवं अधिकारियों के मार्जिन का भरपूर ध्यान रखना।
- इनपुट के दामो में बदलाव करना
- जीवन यापन की लागत पर बहुत बड़ा असर
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- हमारे देश के अलग अलग राज्यों में किस तरह की फसल होती है? कितने जगह में होती है? कितने हेक्टेयर में फसल होती है! इसके अनुसार MSP का निर्धारण पूरी तरह से किया जाता है!
- बाजार में मूल्य और फसल पर कुल लागत के अनुसार निर्धारित भी अच्छी तरह से किया जाता है
- देश की जनसख्या एवं प्रत्येक परिवार की खपत के अनुसार MSP (Minimum Support Price) निर्धारित होना
- प्रत्येक फसल की बुआई से लेकर कटाई तक होने वाले खर्च पर भी MSP ही निर्भर करता है!
- अनाजों के भंडारण, लाने ले जाने पर खर्च, टैक्स, मंडियों का टैक्स, फायदों एवं नुक्सान के अनुसार निर्धारित होना
- सरकारी और सार्वजनिक एजेंसियों जैसे FCI (Food Corporation of India) और NAFED (National Agriculture Cooperative Marketing Federation) की Storage Capacity पर भी MSP निर्भर भी करता है!
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लाभ
आपको बता दें कि MSP से किसानों को होने वाले लाभों को हमने नीचे दिया हुआ है जिन्हें आप भलीभांति देख सकते है
- आपको बता दें कि Minimum Support Price के माध्यम से किसानों की फसलों का दाम बिल्कुल भी नहीं गिरता है।
- ऐसा कहा जाता है कि बाजार में फसलों का दाम गिर जाने पर भी उन्हें निर्धारित ‘न्यूनतम समर्थन मूल्य’ प्रदान भी किया जाता है।
- दरअसल MSP से किसानों की आय में बहुत वृद्धि भी होती है।
- MSP के माध्यम से किसानों को कम नुकसान भी झेलना पड़ता हैं।
- न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रणाली के कारण से फसलो की कीमत अधिक नहीं गिर सकती। मार्किट का रुझान चाहे जैसा हो पर किसानो को उनकी उपज का एक फिक्स प्राइस तो अवश्य मिल ही जाता है।
- इस प्रणाली की सहायता से सरकार फसलों की कीमतों में तेज गिरावट एवं वृद्धि दोनों को नियंत्रित करने में बहुत सहायता भी मिलती है।
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एमएसपी के आने से किसान में नई तकनीको से फसल उगाने की पहल तेज़ होने में बहुत सहायता भी मिलती है।आपको बता दें कि इसका बाजार की कीमतों पर बहुत बड़ा असर पड़ता है जिससे किसानो को उत्पादन बढाने तथा आय के मामले में अन्य क्षेत्रों से कदम से कदम मिलाकर चलने में बहुत सहायता भी मिलती है।ऐसा कहा जाता है कि MSP निर्धारित करते समय कई फैक्टर ध्यान में रखे जाते हैं जिससे किसानो को बाज़ार की दया के भरोसे ही बिल्कुल भी नहीं छोड़ा जाता है।