RSS Full Form In Hindi RSS Full Form Kya Hoti Hai

 RSS Full Form In Hindi | RSS Full Form Kya Hoti Hai

Full Form in Hindi

मित्रों RSS की फुल फॉर्म Rashtriya Swayamsevak Sangh होती है. ऐसी ही अन्य Full Forms in Hindi जानने के लिए आप हमारी वेबसाइट hellozindgi.com से जुड़े रहिये. तो आइये दोस्तों जानते हैं कि Full Form of RSS in Hindi क्या होती है. दोस्तों अगर आप के मन में भी ये शंका है कि RSS ka full form Kya Hai तो आप ठीक जगह पे हैं.  देखते हैं RSS ka full form Hindi Mai

आर.एस.एस की फुल फॉर्म

आपको बता दें कि आर.एस.एस की फुल फॉर्म Rashtriya Swayamsevak Sangh होता है. राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ जो कि सन 2025 तक 100 साल का पूरा हो जाएगा इसकी स्थापना सन 1925 में डॉक्टर केशव बलिराम हेडगेवार ने दशहरे के दिन अवश्य की थी।

दरअसल राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भारत का एक , हिन्दू राष्ट्रवादी, अर्धसैनिक, स्वयंसेवक संगठन हैं, जो व्यापक रूप से भारत के सत्तारूढ़ दल भारतीय जनता पार्टी का पैतृक संगठन अवश्य माना जाता हैं। यह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अपेक्षा संघ या आर.एस.एस. के नाम से बहुत अधिक प्रसिद्ध भी है।आपको यह भी बता दें कि RSS स्वयं को राजनीतिक नहीं, अपितु एक सांस्कृतिक, संगठन के रूप में प्रस्तुत करता है. जो हिंदुत्व के बैनर तले हिंदू राष्ट्रवादी एजेंडे की वकालत भी करता है, या “हिंदू-नेस”। समूह एक राष्ट्रीय नेता के मार्गदर्शन में पदानुक्रमित रूप से संरचित है, जबकि क्षेत्रीय नेता भी हैं. इस संगठन के द्वारा हिंदू युवाओं में ताकत, वीरता, एवं साहस को बहाल करने तथा सभी जातियों और वर्गों के हिंदुओं के बीच एकता को बढ़ावा देने के साधन के रूप में, मानसिक एवं शारीरिक दोनों प्रकार के समर्पण तथा अनुशासन पर एक प्रमुख जोर दिया जाता है। पैरामिलिट्री प्रशिक्षण और दैनिक व्यायाम और अभ्यास इस संगठन के अनुशासन का एक हिस्सा भी है. दरअसल RSS हनुमान (हिंदू पौराणिक कथाओं में, वानर सेना के कमांडर) का सम्मान करता है एवं संगठन के शुरुआती वर्षों में उसे अपने दीक्षा समारोह का केंद्र भी बनाता है।

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आरएसएस का गठन

आपको बता दें कि आरएसएस का गठन 27 सितंबर सन 1925 को केशव बलिराम हेडगेवार ने किया था तथा इसकी विचारधारा भारत के लिए निस्वार्थ सेवा के सिद्धांत पर आधारित भी है । सन 2014 तक, इसकी सदस्यता 5-6 मिलियन है । इसका मुख्यालय नागपुर, महाराष्ट्र में स्थित है । इसे ब्रिटिश शासन के दौरान और भारत सरकार द्वारा स्वतंत्रता के पश्चात तीन बार प्रतिबंधित भी किया गया था । इसे पहली बार सन 1948 में प्रतिबंधित किया गया था जब आरएसएस के एक पूर्व सदस्य नाथू राम गोडसे ने महात्मा गांधी की हत्या भी की थी, दूसरी बार आपातकाल के दौरान सन (1975-77) एवं तीसरी बार सन 1992 में बाबरी मस्जिद के विध्वंस के बाद भी किया था।

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आरएसएस का संस्थापक कौन है

दरअसल संघ का पूरा नाम है राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ इस संघ के संस्थापक है डॉ. केशवराव  बलिराम हेडगेवार। डॉ. जी स्वातंत्र्य सेनानी भी थे। उन्होंने अपना पूर्ण जीवन राष्ट्र सेवा में ही समर्पित भी किया था। उन्होंने नागपुर में, सन 1925 में संघ प्रारंभ किया।

ध्यान रहे कि यह हिन्दू जीवन दृष्टि भी है, एक ही चैतन्य अनेक रूपों में अभिव्यक्त भी हुआ है, इसलिए सभी में एक ही चैतन्य विद्यमान है इसलिए विविधता में एकता (Unity in Diversity )यह भारत की जीवन दृष्टि भी है, यह हिन्दू जीवन दृष्टि है, इस जीवन दृष्टि को मानने वाला,भारत के इतिहास को अपना मानने वाला,यहाँ जो जीवन मूल्य विकसित भी हुए हैं,उन जीवन मूल्यों को अपने आचरण से समाज में प्रतिष्ठित करने वाला एवं इन जीवन मूल्यों की रक्षा हेतु त्याग एवं बलिदान करनेवाले को अपना आदर्श मानने वाला हर मनुष्य हिन्दू है, फिर उसका मजहब या उपासना पंथ चाहे जो भी हो।

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आरएसएस की सदस्यता की प्रक्रिया क्या है?

आपको यह बता दें कि आरएसएस में कोई औपचारिक सदस्यता नामांकन बिल्कुल भी नहीं है । कोई भी मनुष्य निकटतम ‘शाखा’ से संपर्क भी कर सकता है जो आरएसएस की गतिविधि की मूलभूत इकाई है तथा स्वयंसेवक भी बन सकता है । कोई शुल्क भी नहीं है, कोई पंजीकरण फॉर्म भी नहीं है, तथा कोई औपचारिक आवेदन भी नहीं है । एक बार जब आप अपनी सुविधा के अनुसार या तो सुबह या शाम को दैनिक शाखा में भाग लेने लगते हैं, तो आप आरएसएस के स्वयंसेवक भी अच्छी तरह से बन जाते हैं। अगर आपको किसी को पास के किसी भी शाखा या स्वयंसेवक का कुछ भी नहीं पता है, तो कोई भी ऑनलाइन आरएसएस से जुड़ सकता है । 

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संघ की प्रार्थना

नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे (सदा वत्सल मातृभूमि, आपके सामने शीश झुकाता हूँ।) यह संघ की एक प्रार्थना है। यह संस्कृत में है एवं इसकी अन्तिम पंक्ति हिन्दी में है। संघ की शाखा या अन्य कार्यक्रमों में इस प्रार्थना को अनिवार्य रूप से गाया भी जाता है तथा ध्वज के सम्मुख नमन भी किया जाता है। लड़कियों/स्त्रियों की शाखा राष्ट्र सेविका समिति और विदेशों में लगने वाली हिन्दू स्वयंसेवक संघ की प्रार्थना बिल्कुल अलग भी है।

आपको यह बता दें कि आरएसएस सच में सरल सिंडिकेशन के लिए होता है, इसे रिच साइट सारांश के रूप में भी अवश्य जाना जाता है । यह वेब सामग्री के सिंडिकेशन के लिए एक मानक भी है तथा एक्सएमएल आधारित प्रारूप में समाचार फ़ीड सुर्खियों, घटना सारांश एवं फोरम अपडेट जैसी वेब सामग्री वितरित करने के लिए इस्तेमाल भी किया जाता है।

दरअसल आरएसएस RSS भारतीय स्वयंसेवी संगठन है। इसका मुख्य उद्देश्य हिन्दू संस्कृति की रक्षा करना होता है जिसके अंतर्गत इनके द्वारा हिन्दू समाज को तन्दुरस्त बनाने के लिए बहुत प्रयत्न किया जाता है, तथा लोगो के हित के लिए समय – समय पर विभिन्न तरह के समाजिक हित के कामों को ही किया जाता है।

इसके द्वारा भारत को एक समृध्दशाली सनातन संकृतिक मूल्यों के संवर्धन का प्रयत्न भी किया जाता है। आरएसएस ने सदैव ही समाज में फैली वर्ग भेद, उंच नीच, भेदभाव ,जाती भेद का विरोध भी किया है। इसके लिए इनके द्वारा अनेको प्रयत्न भी किये गये हैं ।

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