आज इस पोस्ट में हम आपको आसान शब्दों में Chidiya ki kahani in hindi के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे। चलिए जानते हैंश्री मदभगवद्गीता से एक छोटी – सी चिड़िया की द्रढ़ निश्चय की एक रोचक कहानी लेकर आए हैं.
Chidiya ki kahani hindi mein
नमस्कार दोस्तों आज हम आप के लिए श्री मदभगवद्गीता से एक छोटी – सी चिड़िया की द्रढ़ निश्चय की एक रोचक कहानी लेकर आए हैं. बहुत समय पहले की बात है एक छोटी सी गौरैया समुंद्र के किनारे एक गड्ढे में घोंसला बनाकर रहती थी वहाँ उस गौरैया ने दो अंडे दिए सुबह होने पर अपने अंडे को वहीं छोड़कर वह गौरैया दाना चुगने निकल गई शाम को दाना चुगने के बाद जब गौरैया वापस आई तो उसने देखा तो उसके अंडे वहां नहीं थे वह घबरा गई उसने आसपास देखा परन्तु उसे कोई नहीं दिखा तब उस गौरैया ने समुंद्र से पूछा समुद्र मैंने अपने यहाँ दो अंडे रखे थे क्या तुमने देखें समुंद्र इठलाते हुए बोला तेरे अण्डों का मुझे क्या पता समुंद्र के इठलाने से गौरैया को अंदाजा हो गया कि उसके अंडे समुंद्र ने ही चुराए हैं.
वह समुंद्र से बोली तुम्हारे अलावा यहाँ और कोई नहीं है इसलिए तुम्हें जरूर पता है कि मेरे अंडे कहां है तुमने ही मेरे अंडे चुराए हैं अब तुम ही मुझे मेरे अंडे वापस करो गौरैया की यह बात सुनकर समुंद्र को हंसी आई और वह अहंकार में बोला मुझे नही पता तुम्हारे अंडे कहाँ है दूंढ सकती हो तो दूंढ लो यह सुनकर गौरैया गुस्से में बोली मेरे अंडे वापस करो नहीं तो मै पूरे समुंद्र का पानी सुखा दूंगी.
यह सुनकर समुंद्र गौरैया पर हंसने लगा गौरैया गुस्से में एक टक समुंद्र को देखने लगी समुंद्र की लहरें आती और जाती परंतु गौरैया उसे घूरती रही गौरैया बोली समुंद्र तुम ऐसे नहीं मानोगे अब मैं तुम्हारा पानी सुखा कर ही रहूंगी ऐसा कह कर गौरैया अपनी नन्ही चोंच में समुंद्र से पानी लेती और किनारे पर डालती इस तरह करते-करते उसे सुबह से शाम हो गई शाम के समय अन्य पक्षी उसे देखने आए और बोले गौरैया आज तुम दाना चुगने क्यों नहीं आईं परंतु गौरैया तो गुस्से में कुछ नहीं बोली बस अपनी चोंच में समुंद्र से पानी लेती और किनारे पर डाल देती सभी पक्षों ने उसे बहुत समझाया कि यह कार्य असंभव है समुद्र का पानी कौन सुखा सकता है लेकिन गौरैया ने यह प्रण किया है मैं इस समुंद्र का पानी सुखा कर ही रहूंगी जिससे मेरी अंडे मुझे वापस मिल जाएंगे ऐसे द्रढ़ निश्चय के साथ वह गौरैया अपने कार्य में लगी रही जब वह थक जाती तो थोड़ी देर रुक जाती और फिर अपने कार्य में लग जाती. यह सिलसिला तीन से चार दिनों तक चलता रहा.
और गौरैया का स्वास्थ्य धीरे-धीरे गिरने लगा यह देखकर सभी देख कर प्राणी पशु पक्षी हैरान थे सबको उसको उसकी चिंता होने लगी तब सभी पक्षी मिलकर पक्षियों के राजा गरुण देव के पास पहुंचे और उनसे बोले महाराज यह नन्ही सी गौरैया अपनी जिद पर अड़ी है और इतने विशाल समुद्र का पानी सुखाने का प्रयास कर रही है यह सुनकर गरुण देव समुद्र तट पर गोरिया के पास पहुंचे और बोले गौरैया क्या हम तुम्हारी कुछ मदद कर दें हमारी चोंच कुछ बड़ी है गौरैया गुस्से में बोली यह मेरा काम है मुझे करने दो मुझे किसी की मदद नहीं चाहिए गरुण देव समझ गए कि गौरैया अपने बच्चों की चिंता से गुस्से में है तब गरुड़ देव भगवान श्री हरि विष्णु के पास गए और उनसे मदद की विनती करने लगे और बोले प्रभु आप सृष्टि के रचयिता हैं अब आप ही कुछ चमत्कार कर सकते हैं यह नन्ही गौरैया जिद में आकर समुद्र का पानी सुखाने की ठान बैठी है जोकि संभव नहीं है.
भगवान विष्णु ने देखा कि गौरैया निरंतर अपने कार्य में लगी है उसके द्रढ़ निश्चय को देख कर प्रसन्न होकर भगवान श्री हरि विष्णु ने समुद्र देव से पीछे हट कर गोरिया को उसके अंडे लौटाने को कहा भगवान विष्णु की आज्ञा अनुसार समुद्र पीछे हटा और गौरैया ने उसमे से अपने अंडे निकाल लिए और वह इठलाती हुई बोली देखा मैंने कर दिखाया.
दोस्तों इस कहानी से हमें शिक्षा मिलती है कि कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता यदि द्रढ़ निश्चय कर ले तो असंभव कार्य भी ईश्वर की मदद से पूर्ण होता है. जय श्री हरि विष्णु.