जरूर जानें  karwa Chauth की पूरी kahani In Hindi

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आपके आगे प्रस्तुत है karwa Chauth की पूरी kahani In Hindi.  हम उम्मीद करते हैं कि  karwa Chauth की पूरी kahani In Hindi आपका ज्ञान अवश्य वर्धन करेगी। तो आइए दोस्तों जानतें हैं  karwa Chauth ki kahani In Hindi.

karwa Chauth ki kahaniyan In Hindi

एक साहूकार के सात बेटे और एक बेटी थी। सातों भाई अपनी बहन के साथ रहकर खाना खाते थे कार्तिक माह में करवा चौथ आई। भाई अपनी बहन से बोले आ बहन खाना खा लेते हैं। बहन बोली आज तो मेरा करवा चौथ का व्रत है इसलिए चांद देखकर ही खाना खाऊंगी। भाइयों ने सोचा आज तो हमारी बहन भूखी रह जाएगी इसलिए एक भाई ने दिया(टोर्च) लाया, एक भाई चालनी लेकर टीले पर चढ़ गया और दीया जलाकर चलनी से ढककर चलनी में चांद दिखा दिया। भाई बोले बहन चांद उग गया , अरख दे ले ।

बहन बोली , आओ भाभियों चांद देखकर अरख दे लो । भाभियाँ बोली कि ननद जी अभी तो आपका ही चाँद उगा है । हमारा तो रात को उगेगा । बहन अरख देकर भाइयों के साथ जीमने बैठी । पहले ग्रास में बाल आया , दूसरे में छींक आई और तीसरा ग्रास तोड़ते ही ससुराल से बुलावा आ गया । वो कपड़े निकालने लगी तो सारे कपड़े सफेद ही निकलते । माँ बोली , तेरे भाग्य में जो लिखा है वहीं होगा । माँ ने उसे सफेद कपड़े ही पहना दिये और हाथ में सोने का रुपया दिया और कहा जो तुझे पूरा आशीर्वाद दे , उसे यह सोने का रुपया दे देना और पल्ले को मोड़कर गांठ दे देना ।

रास्ते में सब औरतें ‘भाइयों का सुख देखना’ कि आशीष देती गई लेकिन किसी ने भी सुहाग का आशीष नहीं दिया वो आगे गई तो उसे पूरा आशीर्वाद किसी ने नहीं दिया । एक छोटी – सी ननद पालने में सो रही थी वो बोली , ” सीली हो सपूती हो सात पूत की माँ हो , थारा अमर सुहाग हो । ” उसने सोने का रुपया ननद को देकर पल्ले के गाँठ बाँध ली । घर में गई तो रोना कूटना लगा था । उसका पति मर चुका था , वो बोली , मैं तो अपने पति को जलाने नहीं दूंगी । मेरे लिए तो अलग झोपड़ी बनवा दो मैं भी इनके साथ जंगल में रहूँगी ।

उसकी सास रोजाना बची-खुची, ठंडी बासी रोटी भेज देती और कहती जा मुर्दा सेवणी को रोटी दे आ। ननद रोज उसको जंगल में ही खाना दे आती । अब गाजती धोरती माही चौथ आई । करवा ले सात भाइयों की प्यारी करवा ले दिन में चाँद ऊगानी करवा ले बहुत भूखी करवा ले । वह बोली माता वो मेरे पिछले जन्म के दुश्मन थे तुझे मेरा सुहाग देना पड़ेगा । मेरे से बड़ी बैशाख की चौथ आएगी उसके पैर पकड़ लेना ।

बैशाख की चौथ आई , उसके पैर पकड़ के लिए तो चौथ माता बोली , छोड़ पापिन मेरे पाँव । वो बोली , माता वो मेरे भाई नहीं थे पिछले के जन्म के बैरी , दुश्मन थे । आपको तो मेरा सुहाग देना ही पड़ेगा । मुझसे बड़ी भादवें की चौथ आएगी उसके पाँव मत छोड़ना , अगर उसके पाँव छोड़ दिए तो तुझे कहीं जगह नहीं है । भादवें की चौथ आई ‘ करवा ले भाइयों की प्यारी करवा ले , दिन में चाँद उगानी करवा ले , बहुत भूखी करवा ले । ‘ उसने माता के पैर पकड़ लिए , तब चौथ माता बोली छोड़ पापिन ! मेरे पैर पकड़ने लायक नहीं है ।

वो बोली कि – हे माता ! वो मेरे भाई नहीं पिछले जन्म के दुश्मन थे । आपको बताना पड़ेगा , मैं क्या करूँ । माता बोली , तुझे इतनी शिक्षा कौन दे गया । माता मुझे किसी ने कुछ नहीं बताया , आप ही बताओ मैं है क्या करूं । तब माता बोली , मेरे से बड़ी करवा चौथ आएगी उसके पाँव मत छोड़ना । वो जो मांगे वो बस सामान मंगा लेना बेस और सारे सुहाग का सामान मंगा लेना । दूसरे दिन ननद रोटी देने आई तो वो बोली , ननद जी काजल , मेंहदी बिन्दी , रोली , मोली , सारा सुहाग का सामान लाना और बेस भी लाना। ननद ने एक – एक करके सारा सामान ला दिया ।

कार्तिक की करवा चौथ आई , करवा ले करवा ले दिन में चाँद देखनी करवा ले , बहुत भूखी करवा ले । माता वे मेरे पिछले जन्म के दुश्मन थे और ये कहकर उसने माता के पैर पकड़ लिए , छोड़ पापिन मेरे पाँव , तू मेरे पाँव पकड़ने लायक नहीं है । माता आपको मेरा सुहाग देना पड़ेगा । तेरे पास जंगल में सुहाग की क्या चीज है । वो बोली , माता आप मांगो वो सभी है । माता बोली , रोली , मोली , सठेली , गठेली , पताशा , गेहूँ , करवा , जलेबी ला , उसने सभी चीजें निकालकर दे दी ।

माता बोली , तुझे ये ज्ञान कहाँ से आया । हे माता ! मुझे जंगल में ये ज्ञान कौन देगा । मुझे तो सारा ज्ञान आपने ही दिया है । माता ने सारी सुहाग की चीजों को घोलकर छींटा दे दिया तो उसका पति अकड़कर बैठ गया और जाते हुए माता ने झोपड़ी को लात मारी तो महल हो गए । सुबह ननद खाना देने आई तो वो बोली , मेरे भाई – भाभी कहाँ गए । भाभी ने ऊपर से आवाज लगाई , ननदजी आओ । हम तो यहाँ बैठे हैं । ननद ने पूछा , भाभी ये सब कैसे हुआ ।

भाभी बोली , रात में चौथ माता आई थीं वो ही ये कर गई हैं । जाओ ननद ,  माताजी को बोलो कि पुरानी चौथ का उजलवाओं और नई घड़ाओं और हमें गीत गाते लेने आओ । ननद माँ को जाकर बोली , माँ भाभी ने तो भाई को जिन्दा करवा दिया और भाभी बोलती है कि उनको गीत गाते हुए लेने चलो । सासू गीत गाती बहू को लेने गई , बहू सास के पैरों में पड़ी और कहने लगी कि यह तो आपके भाग्य से ही हुआ है , सासू कहने लगी कि नहीं यह तो आपके भाग्य से ही सही हुए हैं ।

सासू बोली , बह घर चलो और चौथ माता का उजरना करके सास बहू – बेटे को घर लेकर आ गई और सारी नगरी में कहलवा दिया कि पति की पत्नी , बेटे की माँ , बारह महीने की तेरह , नहीं तो चार या दो तो हर कोई करना । जिसके कोई नहीं हो वो अपने दीदे – गोड़े की करना।जैसे माता ने साहूकार की बेटी को सुहाग दिया वैसे माता सबको देना । करवा चौथ की कहानी कहते को, सुनते को, हुँकारा भरते को सबको देना।

यह थी करवा चौथ की कहानी (करवा चौथ की कथा)। हम आशा करते हैं कि आपको करवा चौथ की कहानी पसंद आई होगी धन्यवाद।