तीन मूर्ख पंडित|पंचतंत्र की कहानी

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आज इस पोस्ट में हम आपको आसान शब्दों में तीनमूर्खपंडित के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे। चलिए जानते हैं तीन मूर्ख पंडित पंचतंत्र की कहानी

तीन मूर्ख पंडित पंचतंत्र की कहानी

मंगल हो हर मनुष्य का मंगल हो इस ब्रह्मांड का मंगल हो हे परम शक्ति इस पृथ्वी को समस्त समस्याओं से मुक्त करो.

प्रणाम गुरुदेव, ‘दीर्घायु हो शिष्य’

गुरुदेव आज आपने एक ही वक्त एक ही समय में हम सबको यहाँ याद क्यों किया है क्या आप हमें आज कोई नहीं शिक्षा प्रदान करने वाले हैं विचलित होने का कोई ऐसा कारण नहीं है वत्स तुम लोग मेरे सारे छात्रों में से सबसे उत्तम छात्र हो तुम लोगों को आज यहाँ एकत्रित करने का आज कोई दूसरा कारण है आज आप लोगों के शिक्षा संपन्न हुई है कल से आप लोगों का नया जीवन आरंभ होगा इतने दिन तुम लोगों ने जो भी कुछ सीखा है उसी शिक्षा को देश विदेश में फैलाव और अपने आत्मविश्वास को बढ़ाओ. 

हम धन्य हो गए गुरुदेव जाइए आप सब लोग विश्राम कीजिए जो आज्ञा गुरुदेव जो आज्ञा.

आज मैं इतना प्रफुल्लित हूं कि मैं आपको बता नहीं पा रहा हूं पूरे विश्व में मेरी विद्या के बारे में जो चर्चा करेंगे वो सोच कर ही मैं प्रफुल्लित हो गया हूं क्योंकि जहां जहां पर मैं जाऊंगा लोग मेरी सेवा करेंगे आप लोग जहां जहां जाएंगे कृपया मुझे भी वहां ले चलिएगा आप लोगों के साथ रहूंगा तो मैं भी सीखुंगा पागल है क्या तुम्हारे पास तो कोई शिक्षा ही नहीं है तुम्हें हम नहीं ले जा सकते तुम अलग ही जाना तुमने तो अपनी कोई भी शिक्षा पूर्ण नहीं की है अगर तुम हमारे साथ चलोगे तो हमारा असम्मान होगा हे हे हे.

आप लोगों के साथ रहकर मैं अपने ज्ञान को और समृद्ध करना चाहता हूं अच्छा ठीक है फिर यदि भाई बोलने में आप लोग अपमानित महसूस करते हैं तो सबको बोलिएगा यह हमारा नौकर है अब तो कोई आपत्ति नहीं है यह तुमने सही कहा.

सुनिए भाई यहां थोड़ा विश्राम कर लेते हैं यह आपने उत्तम बात की है अब हमें अपने भोजन के लिए कोई व्यवस्था करनी होगी अरे वाह इस पेड़ पर तो कितने फल हैं चलो चलो इन्हें तोड़कर खाया जाए अरे रुकिए रुकिए भाई लोग इस फल को तोड़ने के लिए मैं कुछ व्यवस्था करता हूं बुद्धि लगाता हूं ऐसी कौन सी बुद्धि इस्तेमाल करने वाले हो तुम चंद्रकांत हमें भी तो बताओ देखो देखो सारी बुद्धि खर्च मत कर देना हाहाहा…….. 

दोस्तों तुम लोगों ने तो किताबी ज्ञान बहुत लिया है लेकिन समय के अनुसार जो ज्ञान लगता है वो आप लोगों के पास कम है हे हे हे….. 

जो भी हुआ अब हम आगे बढ़ते हैं अरे यह जंगल में तो चल चल के हमारे पैर ही दुखने लगे पता ही हमें कोई मनुष्य दिखेगा भी या नहीं.

अरे देखिये देखिये रास्ते में कितने सारे हड्डियों के टुकड़े बिखरे हुए हैं हाँ सही बोल रहे हो यह किसकी हड्डी है यहाँ क्यों पड़ी है यह निश्चित ही कोई जंगली जानवर की हड्डी लग रही है अरे वाह वाह क्या यह भी तुम्हारे चतुर दिमाग का फल है वाह वाह क्या बात है तुम्हारे दिमाग की हाहा……

अरे नहीं दोस्त यह तो साधारण ज्ञान है जंगल में जंगली जानवर की हड्डी तो मिलेगी और किसी की हड्डी कैसे मिल सकती है वो तो तुम सही कह रहे हो पर यह आखिर किस जानवर की हड्डी है क्या हम किताबी ज्ञानों से यह जान पाएंगे हड्डियों देख कर तो ऐसा लग रहा है जैसे यह जंगल के राजा शेर की हड्डी है मुझे तो यह हड्डी देख कर लगता है कि मुझे तो यह हड्डी सियार की लगती है पता नही चन्द्रकांत को यह शेर की हड्डियाँ क्यों लग रही है मैं समझ नहीं पा रहा इस विद्या का नाम है सजक ज्ञान.

ठीक है ठीक है यह सब हम कल तय करेंगे अभी हम लोग विश्राम करते हैं चलो चलो चलते हैं.

अभी जो मैंने शिक्षा प्राप्त की है तो शिक्षा के माध्यम से इस अस्थियों को मैं अभी विसर्जित करूँगा ‘ऊं हे गुरुदेव आपकी दी हुई शिक्षा ज्ञान आशीर्वाद व्यर्थ ना जाए ऊं’. 

क्या बात है क्या बात है तुमने कर दिखाया सोमेश्वर तुमने कर दिखाया तुमने बिखरी हुई हड्डियों को एकत्रित कर दिया देखा चन्द्रकांत यही होती है असली शिक्षा जिसको तुम कभी ग्रहण नहीं कर पाओगे हाहाहा………

इस बार आपने बिल्कुल सही बात कही है दोस्त आपकी शिक्षा सार्थक हुई है पर अभी भी एक दुविधा मेरे मन में रह गई है कौन सी दुविधा के बारे में बात कर रहे हो यह बताओ कि यह कंकाल किस प्राणी का है यह हमें अभी तक नहीं पता चला है हमने अपना अनुमान लगा लिया है पर हमें अभी तक कोई सडीक उत्तर नहीं मिला है देखो भाइयों देखो मैं इस बारे में तो बिल्कुल निश्चित हूं कि जंगल के राजा शेर की हड्डियां है आप फिर भी इसे निश्चित करना आवश्यक है क्या बोलो दोस्तों क्यों नहीं बताओ इस विषय के बारे में हमें पूर्ण ज्ञान चाहिए क्यों सही कहा ना तुम्हारी जानने की पूर्ण इच्छा नहीं है इसलिए तुम्हारी शिक्षा भी पूर्ण नहीं हो पाई है ठीक है ठीक है लेकिन इसके बारे में कैसे सडीक होंगे बताओ जरा इसकी जिम्मेदारी तुम लोग मुझे दे दो वो कैसे मैंने जो विशेष ज्ञान प्राप्त किया है उसके उसके जरिए मैं इस कंकाल में मांस और चमड़ा वापस ला सकता हूं और पता चल जाएगा कि कौन सा प्राणी था ठीक है तो इस बारे में हम कल सुबह चर्चा करेंगे ठीक है.

हम लोग निकले थे देश भ्रमण के लिए लेकिन फिर भी हम बहुत विलंब कर रहे हैं अरे ओ चंद्रकांत तुम्हारे अंदर की ये जो जलन है वह हमें ये साफ दिख रही है नही भाई नहीं यह आप बहुत गलत बोल रहे हैं तो चलो अब समय बर्बाद ना करते हुए हम अपनी परिकल्पना पर काम करते हैं तो अब शुरू करें चलो हे गुरुदेव मुझे आशीर्वाद दीजिए आपकी दी हुई शिक्षा द्वारा मैं इस कंकाल में मांस और चमड़ा भरना चाहता हूं बहुत अच्छे बहुत अच्छे तुमने यह कर दिखाया वीरबाहु तुम बहुत अच्छे इससे आपके आश्रय क्षमता का परिचय मिला.

आप धन्य हो धन्य हो धन्य हो आप चंद्रकांत तुमने यह सारी शिक्षा ग्रहण नही करी तो उसमें चिंता की कोई बात नहीं है तुम हमारे साथ रहोगे तो सब कुछ सीख जाओगे हाहाहा…….. 

मैं अपने दोस्तों के लिए गर्व अनुभव करता हूं तो फिर हम क्या अपनी यात्रा शुरू कर सकते हैं अरे तुम्हें क्या पता गुरु की खास विद्या तो मेरे पास है जिसका प्रयोग मैंने किया नहीं कौन सी विद्या प्राण दान की विद्या अकेला मैं ही इस विद्या को ग्रहण कर पाया हूँ.

क्या बोल रहे हो रामनाथ यह श्रेष्ठ शिक्षा भी तुमने ग्रहण कर ली आखिर कैसे हाँ ताकि तुम लोगों को यह झूठ ना लगे इसीलिये मैं यह विद्या का प्रयोग शेर पर करूँगा.

असम्भव आप लोगों के ज्ञान को क्या हुआ है आप लोग शेर का प्राण लौटाने की बात कर रहे हैं तुम मना क्यों कर रहे हो हमारे गुरुदेव ने क्या कहा था उस बात को मनन कीजिए कि जो ज्ञान और विद्या आप लोगों ने अर्जित किया है वो समस्त ज्ञान पृथ्वी के उपकार के लिए है लेकिन अगर मृत शरीर को हम प्राण लौटा देते हैं तो यह जगत का कल्याण नहीं होगा हर प्राणी जगत के नियम के अनुसार ही प्राण त्याग करता है प्रकृति के विरुद्ध जाना सही नहीं होगा यहाँ उपकार से ज्यादा समस्या आने की आशंका ज्यादा है नही, नही, नही.  

इस विषय में मैं आपका साथ बिल्कुल नहीं दे पाऊंगा अरे मूर्ख ब्राह्मण डरे हुए ब्राह्मण हम तुम्हारे साथ नहीं रहेंगे चले जाओ यहां से देखो तुम लोग मेरे पुराने बहुत दोस्तों तो मैं इस तरह से त्याग नहीं कर पाऊंगा किन्तु मैं तुम लोगों से दूरी बनाए रखूंगा मैं जा रहा हूं.

देखो भाई शमेश्वर देखो देखो देखो यह देखो विश्व की सबसे श्रेष्ठ विद्या मेरे पास है नहीं हायहायहाय……… 

इसी कारण से मैं डर रहा था. सिर्फ पोथी पड़ने से ही संपूर्ण ज्ञान नहीं मिलता है वास्तव बुद्धि का भी प्रयोग करना चाहिए लेकिन आप लोगों ने मेरी बात नहीं मानी आप लोग मेरी बात मानते तो ऐसी अवस्था कभी नही होती कदापि नही होती.