Beti Bachao Beti Padhao Slogan

Beti Bachao Beti Padhao Slogan | बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान

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Beti Bachao Beti Padhao अभियान की शुरूआत सौ जिलों में एक साथ हुई थी. इसका उद्देश्य महिलाओं का विकास करना था और हमारी website आपको देगी Beti Bachao Beti Padhao Slogan और कुछ अन्य जानकारी इस विषय पे. ऐसे ही कुछ विषय जैसे की बाल मजदूरी जिसके कारण हमारा देश बहुत ही पीछे रह गया है.

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान क्या है?

बेटी बचाओ बेटी पढाओ अभियान प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने बेटियों को बचाने के उद्देश्य से शुरू किया था। इसके साथ बेटियों के सशक्तिकरण करना था। प्रत्येक क्षेत्र में बेटियों की सहभागिता सुनिश्चित करना था। क्योंकि भारत के हर गाँव और हर शहर में बेटियों की भ्रूण हत्या जोरों पर थी। बालिकाओं की भ्रूण हत्या में हर वर्ग लगा हुआ था।

Beti Bachao Beti Padhao In Hindi Paragraph

इस अभियान देश के शुरूआत सौ जिलों में एक साथ हुई। यह सौ जिले सबसे कम लिंगानुपात वाले थे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बेटी बचाओ बेटी पढाओ में सन्देश दिया था कि बेटा बेटी एक समान है, यही सबका मंत्र होना चाहिए।

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उद्देश्य

बेटी बचाओ बेटी पढाओ का उद्देश्य महिलाओं के विकास करना था। साथ ही कल्याण के लिए सेवाओं में सुधार करना भी था। महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरुक करना है।

पुत्रियों की भ्रूण हत्या कारण

देश की आजादी को 70 साल हो गए हैं लेकिन देश आज भी कुरीतियों और अन्धविश्वास में जकड़ा है। समाज में लोग वैसा व्यवहार कर रहे हैं जैसा अशिक्षित और अविकसित लोग करते हैं।  यही कारण है कि महिलाएं पुत्रियों की भ्रूण हत्याएं करने का जघन्य पाप करती हैं। और चेहरे पर शिकन भी नही आती है।

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लिंगानुपपात को खत्म करना

विशेषकर महिलाएं कर्तव्य को भूल गयी हैं। उन्होंने अपनी ममता विसरा दिया हैं। जिससे वह  भ्रूण हत्या में बराबर की भागीदार हैं। इससे देश में लिंगानुपात लगातार कम हो रहा था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी देश में कम हो रहे लिंगानुपपात को खत्म करना चाहते हैं। इसके साथ बेटी पढाओ इस अभियान का उद्देश्य महिला का सशक्तिकरण भी था।

बेटी बचाओ बेटी पढाओ अभियान

बेटी बचाओ बेटी पढाओ अभियान देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुरू किया। प्रधानमन्त्री ने देश के  सबसे कम लिंगानुपात वाले जिले पानीपत जिले से शुरू किया था। बेटी बचाओ बेटी पढाओ की शुरुआत 22 जनवरी सन 2015  को शुरू हुआ। यह अभियान महिला बाल विकास मंत्रालय, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और मानव संसाधन विकास मंत्रालय के संयुक्त तत्वाधान में शुरू हुआ था।

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बेटी पढाओ का उद्देश्य

देश में कन्या भ्रूण हत्याएं हो रही हैं। जिसमे हरियाणा अव्वल  नुम्बर पर था। बेटी पढाओ का उद्देश्य बेटियों को शिक्षित करना था। जिससे  महिला परिवार में महत्व, परिवार में स्थान, समाज में महत्व और  जीवन में उपयोगिता समझ सके।

अभियान का प्रमुख उद्देश्य

बेटी बचाओ बेटी पढाओ के प्रमुख उद्देश्य  बालिकाओं की भ्रूण हत्याओं को रोकना था। साथ ही  जीवन स्तर बेहतर करना था। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य स्र्त्रियों को शिक्षित करना व् सशक्त करना था। जिससे बालिकाओं की शिक्षा और अन्य क्षेत्रों में भागीदारी पक्की हो सके।

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Beti Bachao Beti Padhao Slogan

इस अभियान का उद्देश्य बेटियों के जीवन और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना था। तो बेटियों के महत्व, मूल्य और जीवन में उनके योगदान के प्रति समाज को जागरूक करना आवश्यक है। समाज को जागरूक करने के लिए स्लोगन्स का होना अपरिहार्य  है। जिनका इस्तेमाल दीवारों पर लिखकर समाज को जागरूक किया जा सके। आइये जानते हैं। बेटियों के लिए लिखे गए स्लोगन्स

  • बेटी बचाओ बेटी पढाओ ||
  • बेटी है कुदरत का अनमोल उपहार |
  • जीने और पढने का भी दी अधिकार ||
  • बेटी है तो कल है ||
  • बेटा अंश है तो बेटी वंश है |
  • बेटा आन है तो बेटी शान है ||
  • आज, अभी और अब से 
  • बेटी पढ़ेंगी बेटी बढेंगी ||
  • बेटी को अधिकार दो 
  • बेटा जैसा प्यार दो ||
  • शिक्षा बेटी का है अधिकार 
  • बाधाओं कदम और करो विचार ||
  • बेटी को मत समझो भार 
  • बेटी है जीवन का आधार ||
  • 21 वीं सदी है आई 
  • बेटियों का दौर है  लाई ||
  • नारी तू ही है घर का गहना 
  • तुझमे ही माँ ,बीबी और बहना ||
  • आपकी लालसा है बेकार 
  • बिन बेटी के चले न संसार||
  • बेटी बचाओ बेटी पढाओ पर निबंध 

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प्रस्तावना

स्त्री के बिना इस दुनिया की कल्पना नही की जा सकती है क्योंकि जन्म देने की शक्ति पूरे ब्रहामंड में सिर्फ और सिर्फ स्त्री जाति के पास है। स्त्री पुरुष को पिता बना कर उसको ख़ुशी और प्रसन्नता देती है। स्त्री खुशियों की जननी है। स्त्री व्यस्क अवस्था है। बेटी स्त्री प्रारम्भिक अवस्था है  पुरुष के समस्त सुख और खुशियाँ  स्त्री के ही चरों ओर होती है।

स्त्री का महत्व

स्त्री सबसे पहले बेटी होती है। बेटी पिता को दुनिया में सबसे ज्यादा प्यार करती है। वह अपने पिता का समर्थन करती है। बेटी पिता को  परिपक्व बनाती है। वह पिता में श्रद्वाम आस्था, त्याग और जिम्मेदारी का एहसास कराती है। और अपने महत्व को पामानित करती है।

लोभी स्वाभाव से मानव मूल्यों का पतन

मनुष्य के स्वभाव में लोभ के प्रति आकर्षण बढ़ गया है क्योंकि भौतिक जगत की आवश्यकता धन की होती है। व्यक्ति में रचनात्मकता की कमी हो गुई है।मनुष्य के पास धन को अर्जित करने के विकल्प सीमित हो गए हैं। इसलिए अब समाज के हर वर्ग में बेटी बोझ लगने लगी है। व्यक्ति ने बोझ को कम करने के लिए कन्या भ्रूण हत्या का सहारा ले लिया है जो कि पाप है।

प्रधानमंत्री ने बेटियों के महत्व को समझा कि समाज में समानता के लिए बेटियों का जन्म अनिवार्य है तथा स्त्रियों को प्रोत्साहित किये बिना यह संभव नही है। इसलिए प्रधानमंत्री ने  बेटी बचाओ बेटी पढाओ, जैसे अभियान की शुरुआत की।बेटी बचाओ बेटी पढाओ जैसा कि नाम से ही मालूम हो रहा है कि इसमें बेटी को बचाने की बात है फिर बेटी को पढ़ाने की बात की गयी है।भारत में कन्या भ्रूण हत्या चलन में है। इसमें गर्भ में ही बच्चे के लिंग जान लिया जाता है। और भ्रूण लड़की है। तो उसे कोख में ही मार दिया जाता है।वैसे तो यह जघन्य पाप है। यह समाज के हर स्तर पर यह पार हो रहा है। इसका परिणाम हुआ कि देश में लिंगानुपात बेहद असंतुलित हो गया।

माता-पिता अपना कर्तव्य भूल गए तो  सरकार ने इसे राष्ट्रीय समस्या हो गया और समाज में लैंगिक अपराध न बढे। इसलिए प्रधानमन्त्री ने बेटी के प्रति जागरूकता लाने के लिए एक अभियान की आवश्यकता अनुभव की।भारत की संस्कृति में स्त्रियों का विशेष स्थान हैं। यहाँ पर स्त्री को देवी के रूप में पूजा जाता है।यहाँ पर पुरुष और स्त्रियाँ  साल में दो बार नवरात्रि के उपवास रखतीं हैं। सभी बेटियों की पूजा वंदना देवी रूप में करती हैं। फिर भी स्त्रियाँ भूल जाती हैं। कि कन्या की उपयोगिता परिवार, समाज और देश के लिए क्या है और भ्रूण हत्या में बराबर की भागीदार हैं।

हर माँ को अपने बेटे के लिए बहु चाहिए। लेकिन उसे बेटी नही चाहिए। बेटी के बिना बहु की कल्पना नही की जा सकती है। लेकिन स्त्री बेटी के बिना बहु की कल्पना कर लेती है।बेटी को स्त्रियाँ ही बोझ, पराया धन समझतीं हैं। बेटियों को आर्थिक उन्नति में बाधक मानती हैं। उनका सोचना है कि बेटी को पढाना-लिखाना सब बेकार है क्योंकि यह किसी दुसरे घर को लाभ पहुचायेंगी। साथ ही इनकी शादी में जो धन खर्च होगा। उसका कोई लाभ होने वाला नही है इस तरह से यह आर्थिक नुकसान  ही है।

परिवार में जन्म लेने से पहले बच्चे का लिंग क्या है यह सभी जानना चाहते हैं। जब परिवार लिंग के बारे में जानते हैं। जो उनकी मानसिकता के अनुसार नहीं होता है। तो लोगों पर मानसिक दुर्बलता हावी हो जाती है। फिर मानसिक दुर्बलता बेटी को कोख में मारने का निर्णय लेती है।समाज में मौजूद लोभी डॉक्टर्स कन्या भ्रूण हत्या करने में बिल्कुल नहीं झिझकते हैं।

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान की शुरुआत कब और किसने की?

योजनाओं का प्रमुख उद्देश्य

  • प्रधान मंत्री ने बेटियों के सुरक्षित जन्म लेने के लिए पोषण को शामिल किया।
  • समाज में पोषण की वितरण नियमित हो यह सुनिश्चित किया।
  •  गर्भवती स्त्री के नियमित टीकाकरण के प्रति महिलाओं को जागरूक करना।
  • गर्भवती स्त्री के प्रसव योजना और सुविधाएं लेने के समाज को जागरूक करना।
  • बेटियों के भविष्य सुरक्षित करने के लिए विभिन्न योजनाओं को प्रचार प्रसार करना।
  • आइये जानते हैं बेटी बचाओ बेटी पढाओ में शामिल योजनाओं के  अंतर्गत सुकन्या लक्ष्मी योजना।
  • बेटी है अनमोल योजना।
  • कन्या विवाह अनुदान योजना।
  • भाग्य लक्ष्मी योजना (उत्तर प्रदेश)।

बेटी बचाओ बेटी पढाओ योजना के लिए लड़कियों की योग्यताएं

बेटी बचाओ बेटी पढाओ योजना का लाभ लेने के लिए लड़कियों में यह योग्यताएं होनी चाहिए। तो आइये जानते हैं बेटी बचाओ बेटी पढाओ का लाभ लेने के लिए लड़कियों की योग्यताएं।

  • लड़की भारत की मूल निवासी हो।
  • बेटी की उम्र 10 वर्ष होनी चाहिए।
  • लड़की का सुकन्या खाता होना चाहिए।

बेटी बचाओ बेटी पढाओ की योजना का लाभ लेने के लिए कुछ दस्तावेज चाहिए। इन दस्तावेज का कोई विकल्प नही है आइये जानते हैं लाभ लेने के लिए अनिवार्य दस्तावेज।

  1. आधार कार्ड 
  2. लड़की का जन्म प्रमाण पत्र 
  3. लड़की इ माता-पिता का पहचान पत्र 
  4. मोबाइल नम्बर 
  5. मूल निवास प्रमाण पत्र
  6. फोटो

निष्कर्ष

सरकार अपना काम पूर्ण जिम्मेदारी से निभा रही है और बेटियों के भविष्य को सुरक्षित करने के पूरे प्रयास किये है। शेष काम समाज के लिए करना है। जिससे की समाज में बेटियां भी सुरक्षित रह सके और अपनी उन्नति कर समाज में अपना और परिवार का नाम रोशन  कर सकें।