Chidiya Aur Kauwa Ki Kahani | Hindi kahaniya|Hindi stories

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आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहे है  Chidiya Aur Kauwa की पूरी Kahani Hindi. ताकि आप Chidiya Aur Kauwa ki kahani के बारे में पूरी जानकारी हासिल कर सके। तो आइए दोस्तों जानते हैं Chidiya Aur Kauwa Ki Kahani In Hindi.

Chidiya Aur Kauwa Ki Kahani In Hindi

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जंगल में एक पेड़ पर चिड़िया का एक घोंसला था. एक छोटी चिड़िया उसमें रहती थी. एक दिन कहीं से एक बड़ा कौआ उड़ता हुआ आया एवं उस चिड़िया के घोंसले के पास जाकर बैठ गया. उसने चिड़िया से प्रेम से बातें की तथा दोनों में बहुत दोस्ती हो गई. उस दिन के बाद से कौआ प्रतिदिन चिड़िया से मिलने आने लगा. दोनों ढेर सारी बातें करते और एक-दूसरे के साथ समय व्यतीत करते. कई बार वे भोजन की तलाश में भी साथ-साथ जाते.

एक दिन कौआ एवं चिड़िया भोजन की तलाश में निकले. उड़ते-उड़ते वे एक गाँव में पहुँचे, वहाँ एक घर के आंगन में चटाई पर लाल मिर्च सूख रही थी. जब कौए की दृष्टि लाल मिर्च पर पड़ी, तो वह चिड़िया से बोला, “देखो देखो लाल मिर्च”

दोनों नीचे चटाई के पास आकर बैठ गए. चिड़िया बोली, “चलो एक प्रतिस्पर्धा करते हैं. देखें, कौन सबसे अधिक लाल मिर्च खा पाता है.”

“ठीक है. परन्तु जो जीता, वो दूसरे को भी खा जायेगा.” कौआ प्रतिस्पर्धा के लिए एकदम से तैयार होकर बोला.

चिड़िया ने सोचा कि कौआ मज़ाक कर रहा है. इसलिए वह तुरंत तैयार हो गई.

दोनों ने लाल मिर्च खाना शुरू किया. चिड़िया ईमानदारी के साथ इस प्रतिस्पर्धा में थी, इसलिए ईमानदारी से मिर्च खा रही थी. परन्तु कौआ चिड़िया से नज़र बचाकर बेईमानी करने लगा. वह कुछ मिर्च तो खाता, परन्तु कुछ चटाई के नीचे छुपा देता. इस बेईमानी के कारण कौआ जीत गया. जीत की ख़ुशी में वह चिल्लाया, “मैं जीत गया. मैं जीत गया. अब मैं तुम्हें खा जाऊंगा.”

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कौए की बात सुनकर चिड़िया बहुत दु:खी हुई. वह तो कौए को अपना दोस्त समझती थी. परन्तु कौवे ने अपना असली रंग दिखा ही दिया था.

कौआ चिड़िया को खाने के लिए उतावला होने लगा, तब चिड़िया बोली, “ठीक है, तुम मुझे खा सकते हो. परन्तु मुझे खाने से पहले अपनी चोंच धोकर आओ. पता नहीं तुम क्या-क्या खाते हो और तुम्हारी चोंच बहुत ही गंदी रहती है.”

कौआ चिड़िया की बात मान गया और उड़कर नदी किनारे चला गया. जब उसने नदी से पानी मांगा, तो नदी बोली, “मैं तुम्हें पानी देने को तैयार हूँ. परन्तु पहले एक मटका लेकर आओ. उसमें जितना चाहो, उतना पानी ले जाना.”

कौआ उड़ता हुआ कुम्हार के पास गया और उससे मटका बनाने को कहा. कुम्हार बोला, “मैं तुम्हारे लिए मटका बना दूंगा. परन्तु उसके लिए मुझे मिट्टी की ज़रूरत होगी. अभी मेरे पास मिट्टी नहीं है. मुझे थोड़ी मिट्टी लाकर दो.”

कौआ उड़ता हुआ खेत में पहुँचा और अपनी चोंच से मिट्टी खोदने लगा. तब धरती उससे बोली, “पूरी दुनिया जानती है कि तुम कूड़ा एवं गंदगी खाते हो. इसलिए मैं तुम्हें अनुमति नहीं दूंगी कि तुम मेरी मिट्टी पर अपनी चोंच मारो. इसलिए अगर तुम्हें मिट्टी चाहिए, तो कुदाल लेकर आओ.”

कौआ लोहार के पास गया एवं उससे बोला, “मुझे एक कुदाल बनाकर दो.”

लोहार बोला, “अगर तुम्हें कुदाल चाहिए, तो मुझे आग लाकर देना होना.”

कौआ पास ही स्थित एक किसान के घर गया. वहाँ किसान की पत्नी भोजन बना रही थी. कौआ उससे बोला, “मुझे आग चाहिए.”

किसान की पत्नी ने चूल्हे में जलती हुई एक लकड़ी निकालकर कौए की चोंच पर रख दी. आग की लपट उसने पंखों तक पहुँच गई और कुछ ही देर में कौआ जलकर भस्म हो गया.

इस प्रकार अपने दोस्त से छल करने वाले कौए के प्राण-पखेरू उड़ गए.