Horror Story in Hindi Written|भूत की कहानियाँ

kahani sangrah

आज इस पोस्ट में हम आपको आसान शब्दों में Horror Story in Hindi Written के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे। चलिए जानते हैं horror story in hindi real

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गुजरात शहर में एक लड़का रहा करता था। जिसका नाम उत्कर्ष था । जिसकी उम्र 35 साल की हो चुकी थी । उसने सोचा कि मैं अपने परिवार के साथ पिकनिक के लिए देहरादून घूमने जाऊं। जहां उसने चार – पांच दिन तक अपने परिवार के साथ बिताए। जब वह अपने घर गुजरात आने लगा। तो उसका पूरा परिवार गाड़ी में बैठ चुका था एवं वह भी रास्ते में आते – आते रात के तकरीबन दो बज चुके थे।

एवं वह देहरादून के पहाड़ों को पार कर रहा था। फिर अचानक ऐसा क्या हुआ कि सड़क एकदम सुनसान हो गई एवं पूरी तरह सड़क पर सन्नाटा – सा छाया गया। अचानक उत्कर्ष की गाड़ी के आगे एक भयानक औरत दिखाई दी जिसके बहुत काले घने लंबे बाल थे एवं उसने सफेद रंग की साड़ी पहनी हुई थी। और वह दूर से ही हाथ हिलाकर उसकी गाड़ी को रोकने का इशारा भी कर रही थी।

उस भयानक औरत को देखकर उसकी मां ने कहा बेटा गाड़ी मत रोको पता नहीं यह कैसी औरत होगी। जो रात के समय इस सूनसान सड़क पर घूम रही है क्या पता यह कोई लुटेरी हो या फिर कोई बुरी आत्मा हो। तब तक उसकी गाड़ी उस भयानक औरत के पास में पहुंच गई.

और वह औरत जोर-जोर से गाड़ी का दरवाजा पीटने लगी उसको देखकर ऐसा लग रहा था. कि मानो यह बहुत मुसीबत में फंस गई है उत्कर्ष की मां ने कहा  बेटा गाड़ी का दरवाजा बिल्कुल मत खोलो परन्तु उत्कर्ष ने कहा कि यह औरत किसी बड़े घर की शरीफ दिख रही है एवं लगातार रोए जा रही है।

एक बार इससे पूछ कर देखता हूं और उसने गाड़ी का दरवाजा खोल दिया और उस औरत से पूछा, कि आपको क्या दिक्कत है। और आपको कहां तक जाना है। आप इतनी परेशान क्यों हो रही हो। तब उस औरत ने कहा कि मेरी गाड़ी खाई के नीचे गिर गई है.और उसमें पीछे वाली सीट पर मेरी छोटी बेटी फंस गई है।

कृपया आप मेरी सहायता करो इतना सुनकर उत्कर्ष खाई की तरफ भागा एवं उसके पीछे उसका पूरा परिवार भी भागा उत्कर्ष उस सड़क के नीचे खाई में उतरा एवं गाड़ी का दरवाजा पीटने लगा परन्तु क्या था कि गाड़ी का दरवाजा नहीं खुल रहा था।

उसने किसी तरह की इट से पीटकर गाड़ी के कांच को तोड़ दिया. एवं लड़की को निकाल लिया। वह लड़की लगातार रोए जा रही थी। उत्कर्ष ने कहा कि बेटा तुम्हारी मम्मी पीछे ही खड़ी है।

अपनी मम्मी के पास जाओ तब भी वह लड़की मम्मी – मम्मी बोले जा रही थी। फिर मैंने उसको अपनी गोदी में उठा लिया एवं ऊपर आने लगा तभी मेरी निगाह गाड़ी के आगे वाली सीट पर गई। शीशे के अंदर कुछ धुंधला-धुंधला सा दिख रहा था।

मैंने उस काँच को भी तोड़ दिया तो मैं क्या देखता हूँ कि आगे वाली सीट पर एक औरत बैठी हुई थी। जिसका माथा बुरी तरह फूट गया था। बहुत सारा खून बह रहा था। और वह मर चुकी थी। जब मैंने पीछे मुड़ कर देखा तो वह औरत वहीं थी और यह दृश्य देखकर मेरे पैरों के नीचे की जमीन खिसक गई.

और तभी मेरा परिवार एकत्रित होकर मेरे पास आ गया। यह भयानक दृश्य सब ने देखा। जो औरत मर चुकी थी उसी ने हम से सहायता लेकर अपनी बच्ची को बचाया और रात में हमें उसके बाद वहां कोई भी नहीं दिखा।

हमने बहुत जोर से आवाज भी लगाई तो भी वह औरत दोबारा नहीं आई एवं हम उस बच्ची को लेकर अपने घर आ गए। अभी तक वह लड़की हम लोगों के साथ हमारे घर में रहती है। उसकी माँ न तो हमें कहीं दिखाई दी और न ही कभी उसने हमें दुखी किया।

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भानगढ़ से दो किलोमीटर दूर एक छोटा – के सा गांव था राजगढ़. वहां पर दो दोस्त रहा करते थे एवं वह एक दूसरे के साथ ही दफ्तर में अपना काम – काज भी करते थे. और रात होने पर भोजन करने के पश्चात गांव में घूमा करते थे. एवं यह पता लगाते थे कि आज गांव में क्या-क्या हुआ। क्योंकि दोनों को पंचायत करने का एवं सब का मजाक उड़ाने में उन्हें बहुत ही आनन्द प्राप्त होता था।

उनके मां-बाप ने उनकी इन्हीं शरारतों की वजह से उनका नाम भी सोच – समझ कर रखा था। एक का नाम था शेर सिंह दूसरे का नाम था राम भरोसे। शेर सिंह अपने नाम के हिसाब से न तो किसी से डरता एवं न ही किसी की बातों पर बिना देखे विश्वास करता. और राम भरोसे अपने प्रभु पर विश्वास करता था। वह सब पर भरोसा करता चाहे कोई सच बोले या कोई झूठ बोले वह उसको तुरंत मान लेता।

एक बार किसी ने राम भरोसे को बताया कि गांव के बाहर एक खेत में पीपल का पेड़ है। उस पर भूत – पिशाच रहते हैं। तो राम भरोसे को लगा कि इसने अवश्य ही देखा होगा। तभी तो यह बोल रहा है। यह सचमुच ही होगा। उसने यह बात अपने दोस्त शेर सिंह को बताया। शेर सिंह ने कहा कि ऐसा कुछ भी नहीं होता। भूत – पिशाच तो होते ही नहीं हैं तो राम भरोसे ने कहा ठीक है भई ।

अगर तुम्हें हमारी बातों पर भरोसा नहीं होता तो तुम आज रात उस पीपल के नीचे एक लकड़ी गाड़ कर आओ। शेर सिंह ने बोला क्यों नहीं ऐसा ही होगा। परन्तु तुम हमारे साथ अवश्य चलना। रामभरोसे ने तुरंत मना कर दिया. क्योंकि वह बहुत डरा हुआ था।

उसने कहा तुम लकड़ी जब गाड़ोगे तब मैं दूर से अपने सभी साथियों के साथ तुम्हें देखूंगा। जब तुम लकड़ी को गाड़ देना तभी हमें टॉर्च जलाकर इशारा कर देना। अगर फिर भी कुछ नहीं हुआ। तो हम लोग तुम्हारे पास अवश्य आ जाएंगे.

और तुम्हारी बातें भी मान लेंगे। शेर सिंह ने कहा ठीक है और आधी रात बीत जाने के पश्चात शेर सिंह उस पीपल के पेड़ के नीचे गया एवं बाकी दोस्त दूर से ही देख रहे थे। जैसे – जैसे लकड़ी को गाड़ने लगा तो ठक-ठक की आवाज आने लगी. और वह भी डर गया. और दौड़ने का प्रयत्न करने लगा। परन्तु लकड़ी के नीचे उसकी धोती फंस गई और वह खुल भी गई। उसने सोचा कि मेरी धोती भूतों ने खींच ली है।

तो वह बिना धोती लिए नंगा ही भाग खड़ा हुआ। उसको दौड़ते हुए देख कर उसके सभी साथी भी झट-पट अपने – अपने घर को दौड़ने लगे। तभी एक मित्र ने बोला कि डर ने शेर सिंह को अवश्य मार डाला होगा एवं हम को भी मारने के लिए दौड़ा है।

भागो जल्दी-जल्दी किसी का गिरने से पाव टूटा और किसी का हाथ टूटा यहां तक की.एक की आंख भी फूट गई फिर भी कोई रुका नहीं दौड़ता ही चला गया.

क्योंकि उनके पीछे तो भूत पड़ा था। किसी तरह सब लोग अपने – अपने घरों में आए। जब सुबह हुई तो सब लोगों ने सोचा कि चलो शेर सिंह के यहां उसके मरने की खबर उसके माँ-बाप को सुना देते है । नही तो पूरी जिंदगी वो यही सोचेंगे कि मेरा बेटा कही भाग गया है । जब सभी दोस्त मिलकर उसके घर पर पहुंचकर उन सबने क्या देखा कि शेर सिंह के दो दांत टूट कर निकल गए थे।

सिर पर बहुत ही गहरी चोट आई थी। सबको लगा की डर ने इसको अवश्य मार कर छोड़ दिया होगा। क्योंकि वह हम लोगों की तरफ भागने लगा था। सब लोगों ने यह घटना गांव वालों को बताई। सब ने बोला यह कोई अवश्य भूत ही कर सकता है

और जब सुबह सूरज निकला एवं दस – ग्यारह बजे सब मिलकर पीपल के पेड़ के नीचे जा पहुंचे। वहां उन्होंने ऐसा क्या देखा कि शेर सिंह की धोती लकड़ी के नीचे फंसी हुई थी। जिसकी वजह से उसको लगा कि कोई उसे अवश्य खींच रहा है। कुछ और दिखा तो नहीं परन्तु शेर सिंह भी तभी से सब की बातों पर भरोसा करने लगा एवं बहुत ज्यादा डरने भी लगा।

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दोस्तों मेरा नाम मुकेश है। और मैं केरल का रहने वाला हूं। मेरे दादाजी की मौत तकरीबन 30 साल पहले हो चुकी थी। मरने के पहले मेरे दादाजी ने एक लड़की का गला दबाकर उसे फांसी पर लटका दिया था। क्योंकि वह मेरे दादाजी के बारे में पहले ही बहुत सारी बातें जानती थी।

जो सब लोगों को बताना चाहती थी। इसीलिए मेरे दादाजी ने उसे मार दिया था। उस समय मैं बहुत ही छोटा था। मुझे कुछ याद भी नहीं था। जब मैं सोलह वर्ष का हो गया। तो मेरे गांव वालों ने मेरे दादाजी के किए हुए कारनामों के बारे में बताया। लेकिन मुझे बिल्कुल भी भरोसा न हुआ। एक बार की बात है। मेरे दादाजी की वर्षी थी। उस दिन पूरे गांव वाले एवं बाहर वाले को भोजन पर बुलाया था।

जब सब लोग भोजन कर अपने-अपने घर को चले गए। तो हम लोगों ने सबसे पीछे भोजन किया एवं अपना कामकाज करने के पश्चात छत पर सोने चले गए। आधी रात बीत जाने के बाद मेरे चाचाजी अजीबो गरीब हरकतें एवं तरह-तरह की आवाजें निकालने लगे। कभी हंसते कभी – कभी जोर- जोर से रोने लगते और उन्हें देखकर मैं बहुत ज्यादा घबरा गया था। तभी मेरे पिताजी ने कहा कि तुम सभी नीचे जाओ और मेरे पिताजी चाचाजी के सामने हाथ जोड़ कर बैठ गए।

उन्होंने उससे कहा कि आप कौन हो?और मेरे भाई को क्यों दुखी कर रहे हो। तब चाचा जी के अंदर से लड़की की आवाज आई । जिसको मेरे दादाजी ने मार दिया था। उस लड़की ने मेरे चाचाजी के जरिए अपनी सारी कहानी मेरे पिताजी को बता दी एवं उनसे कहा कि मुझे अभी तक मोक्ष प्राप्त नही हुआ है। इसीलिए मैं आप सभी को दुखी कर रही हूं। कुछ भी करके मुझे मोक्ष दिला दो। तब मेरे पिताजी बहुत दुखी हो गए ऐसा मानो कि उनके होश उड़ गए।

लेकिन क्या करते इस परेशानी से तो बचना था तो कुछ ना कुछ तो अवश्य करना ही पड़ेगा । इसीलिए मेरे पिताजी किसी ज्ञानी ज्योतिषी को यह सब बातें मिल कर उसको बता दी एवं ज्ञानी ज्योतिषी ने कहा मैं उस लड़की की आत्मा को मोक्ष दिलाने में तुम्हारी पूरी सहायता करूंगा एवं ज्योतिषी जी उसके घर पर आए और फूल,माला,लाल कपड़ा व नींबू इतना सारा सामान मंगवा कर पूजा करना प्रारंभ कर दिया।

चार-पांच दिन पूजा – हवन करने के पश्चात उस लड़की को मोक्ष प्राप्त हुआ एवं वह तब से आज तक हमारे परिवार में किसी को दुखी नही किया और न ही किसी को वह दिखी। हम सभी लोग समझ गए कि शायद उसे मोक्ष प्राप्त हो गया है परन्तु जो हमारे दादाजी ने किया वह दिल को दहला देने वाला था।

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आज मैं आप सभी को शिमला के एक श्रापित जंगल के बारे में कुछ बताने जा रहा हूं। जो शिमला शहर में रात को को हुई घटना के बारे में है। जिससे बचना बहुत ही कठिन है। शिमला के लोग रात के तकरीबन बारह बजे के पश्चात कभी भी कोई अपने घर से बाहर की ओर नहीं निकलते हैं। क्योंकि उन्हें मालूम होता है कि कभी कुछ भी हम लोगों के साथ बुरा ना हो जाए। इसलिए कोई भी व्यक्ति रात को अपने घर से बाहर को नही निकलता है।

शिमला में ऐसी कई जगह है जहां ऐसा ही रात का डर हमेशा बना रहता है। कहा जाता है कि शिमला में एक जंगल बहुत ही ज्यादा मशहूर है। सिर्फ दिनों में, पर रातों में उसका उतना ही डर बना हुआ है। उनका मानना है कि रात के समय जो भी वहां पर जाता है। तो उसकी मृत्यु होन निश्चित है। वहां के लोगों का मानना है कि जो लोगो की वहाँ पर मृत्यु हो जाती है।

तो उनकी आत्मा वहीं पर इधर – उधर भटकती रहती है। इसलिए शिमला का वो जंगल शापित माना जाता है। और दिन में भी जो लोग वहां पर जाते हैं। उनको कभी-कभी लगता है कि हमे कोई हमारे नाम से पुकार रहा है। जब हम पीछे की ओर देखते हैं। तो कोई भी नजर नहीं आता एवं कभी-कभी तो लगता है कि कोई हमे पीछे से धक्का दे रहा हो.

इसलिए दिनों में भी बहुत ही कम संख्या में लोग उस जंगल में जाते हैं। क्योंकि वहां पर जाने में सभी लोगो को बहुत डर लगा रहता है। कि हमारे साथ कोई दुर्घटना ना हो जाए। एक समय की बात है। जब हम एवं हमारे दोस्त उस जंगल में भ्रमण करने गए थे। तब मेरे दोस्त भी उसी जंगल के होके रह गए। और मेरे दोस्त के पिताजी ने उस जंगल पे मुकद्दमा ठोक दिया था।

और तब से वह जंगल भ्रमण करने के लिए वहां की सरकार ने बंद करवा दिया। कहा जाता है कि आज भी वह जंगल हमेशा के लिए सुनसान बन गया है। क्योंकि वहां पर अब कोई भी नहीं जाता है और आज भी उस जंगल को श्रापित माना जाता है।

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आज मैं आप सभी को एक बहुत बुरी दुर्घटना के बारे में बताने जा रहा हूं। एक रात मैं अपने गांव से मेरे दोस्त विक्रम के साथ अंधेरी रात में उस जंगल के रास्तों से बस स्टैंड की ओर जा रहे थे। तभी मेरे दोस्त ने कहा कि दोस्त इस जंगल से जल्दी-जल्दी निकल चलते हैं वरना कोई भी आपत्ति खड़ी हो जाएगी। तो मैंने अपने दोस्त से पूछा कि क्या बात है। तो वह कुछ ना बोल कर बस चले ही जा रहे थे।

मैंने उसे दूसरी बार फिर से पूछा तो उसने इस जंगल के बारे में बताया। कि तकरीबन चार – पांच साल पहले की बात है। एक आदमी इन्हीं जंगल के रास्तो से रात को निकल रहा था एवं जंगल में पेशाब करने के लिए वह एक पेड़ के नीचे ठहर गया।

उसके पश्चात वह जैसे ही थोड़ा आगे की ओर गया तो उसने क्या देखा कि कोई बच्चा वहाँ पर रो रहा है। तो उसने अपने मन में सोचा कि कोई औरत अपने बच्चे को लेकर यहां के रास्तों से जा रही होगी। परन्तु तभी उसे याद आया कि यह जंगल तो राजवीर काका का है। जो तकरीबन पांच साल पहले यहां पर फांसी लगाकर स्वर्ग को प्राप्त हो गए थे। वह आदमी बहुत ज्यादा डर गया था एवं उसके दिमाग में गांव वालों की बातें याद आने लगीं। कि रात के समय उस जंगल के रास्ते पर कोई भी बुलाएं या फिर कुछ भी पूछे तो उसकी तरफ बिल्कुल भी मत देखना एवं कुछ भी मत बोलना। यह सब सोचकर उसके पसीने भी छूटने लगे।

और वह जैसे-जैसे आगे की ओर बढ़ रहा था। तब-तब बच्चे के रोने की आवाज तेज होती जा रही थी। तभी अचानक उसने क्या देखा देखा कि एक छोटा बच्चा पेड़ के नीचे रो रहा है एवं उसने उस बच्चे को रोता हुआ देखा तो उसको बिल्कुल रहा नही गया। इसलिए उसने पीछे मुड़ कर देख लिया और उस बच्चे को गोद में उठा कर चलने लगा। तभी थोड़ी देर पश्चात उस बच्चे का वजन बहुत अधिक होने लगा।

तब उसने देखा कि अचानक इस बच्चे के हाथ और पैर यहां तक कि उसका शरीर बहुत ही विशाल हो रहा है। तभी उसने उस बच्चे को जमीन पर पटक दिया। जैसे ही वह बच्चा उसकी गोद से नीचे गिरा तो बच्चा बड़े आदमी की तरह जोर-जोर से मुस्कुराकर बोल रहा था.

कि तू आज तो बच गया अगर मेरे पैर जमीन से स्पर्श कर जाते तो तेरी मृत्यु मेरे हाथों से निश्चित थी। यह कहते ही वह बच्चा तुरंत गायब हो गया वह इंसान लड़-खड़ा कर अपने घर की तरफ जैसे-तैसे पहुंचा और उसे बहुत जोर का बुखार भी आ गया था । लगभग तीन – चार दिन बीत जाने के पश्चात उसने यह बात सारे गांव वालों को बताई।

यह कहानी मैं अपने मित्र विक्रम के मुंह से सुनकर जंगल के रास्ते से जल्दी-जल्दी अपने बस स्टैंड पर पहुंचा। उसके पश्चात मैं उस जंगल के रास्ते से आना जाना बिल्कुल बंद कर ही दिया। क्योंकि मुझे अपने दोस्त विक्रम की बात सुनकर बहुत डर लगने लग गया था.

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दोस्तों आप लोगों ने काली जुबान शब्द का नाम किसी ना किसी के मुंह से अवश्य सुना ही होगा। कभी किसी के बोलने से कुछ न कुछ अपशगुन हो ही जाए। तो हम उस व्यक्ति की जुबान को काली जुबान कहते हैं। एवं अगली बार से हम उस व्यक्ति से हमेशा के लिए दूर ही रहते हैं। आज मैं आप सभी लोगो को एक ऐसे ही स्त्रियों के बारे में कुछ बताने जा रहा हूं।

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में एक छोटे से गांव में एक पायल नाम की स्त्री रहा करती थी। उसका विवाह बचपन में ही उसके मां-बाप ने कर दिया था एवं उसके चार बच्चे भी हुए। उसको उसके ससुराल वाले अपनी बेटी की तरह रखते थे एवं गांव वाले लोग समझते थे कि इस स्त्री के अंदर किसी की आत्मा है. जिससे गांव वाले इस स्त्री से बिल्कुल भी बात नहीं करते थे। क्योंकि यह स्त्री  जो भी बोलती थी। वह सब सच ही हो जाता था। पायल की मां बताती थी कि जब पायल बहुत छोटी व नादान थी।

तब उसे उसकी सहेली ने उसे धक्का मारा था और वह नीचे को गिर गई थी। तभी पायल ने उसे अपनी बद्दुआ व गाली भी दी. तो वह तकरीबन एक हफ्ते के पश्चात फांसी लगाकर मर गई और उसकी सहेली का परिवार उस पायल को डायन कहने लगा। दूसरी घटना तो इससे भी दिल को दहेला देने वाली थी।

पायल जब अपने दोस्तों के साथ कहीं बाहर भ्रमण करने के लिए गई थी। तो उन्होंने वहां पर बहुत ज्यादा मजा किया एवं जब घर आने का समय हुआ। तो पायल को एक लड़की ने जल्दबाजी में बस में से नीचे को गिरा दिया। तभी पायल ने उसे खींचकर बस के पहियों के नीचे धकेल दिया। तब से उसकी सारी सहेलियां भी उसे डायन कहने लगी और उसके परिवार वाले उससे बहुत डरने लगे। तभी परिवार वालों ने सोचा कि पायल का विवाह करा देते हैं।

और विवाह के पश्चात पायल का पति किसी और के दुकान में अपना कोई काम करता था। वह अपनी पायल को देवी माताजी के मंदिर में ले जाता था। क्योंकि उसे मालूम था कि इसके अंदर कोई भी बुरी आत्मा का साया है जिससे वह वह जल्दी निकल जाएगी।

पायल जिस किसी को गलत बोलती है तो वह बात उसके साथ बिल्कुल सच हो ही जाती है। वरना वह अधिकतर बिल्कुल मौन ही रहती है क्योंकि उसे डर लगा रहता है कि कभी भी मेरे मुंह से कोई गलत शब्द न निकल जाए जिससे मेरे परिवार वालों को कोई भी नुकसान न हो।

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आज मैं आप लोगों को कुछ हकीकत बताने जा रहा हूं। जो एक बक्सर जिला के एक गांव में हुआ था । वहां पर एक परिवार रहता था जिसमें रौनक नाम का लड़का अपने मां बाप एवं भाई बहन के साथ बहुत अच्छे से रहता था। रौनक तकरीबन 20 साल हो गया। तो उसको देखने के लिए लड़की वाले उसके घर को आने लगे।

कुछ दिन बीत गये। तभी रौनक को एक लड़की की फोटो बहुत ही अच्छी लगी। उसने अपनी मां से कहा कि माँ मैं इसी से विवाह करूंगा. 

फिर उसकी मां ने कहा ठीक है बेटा. तुम्हारा विवाह मैं इसी के साथ करवाऊंगी एवं लड़की के पिता को हां भी बोल दिया। कुछ दिन पश्चात उसके विवाह का दिन भी आ गया। वह बहुत ही प्रसन्नचित था । क्योंकि उसकी हल्दी , मेहंदी व नाच – गाने से घर में प्रसन्नता की लहर दौड़ रही थी।

सभी मेहमानों से उसका घर भर गया था। वह अपने मन ही मन सोच रहा था। कि मैं अपनी स्त्री को बाहर भ्रमण के लिए अवश्य ले जाऊंगा एवं अपने मित्रों के साथ बहुत सारी बातें भी करूँगा कि देखो मेरी पत्नी लाखों में एक है(मन ही मन लड्डू फूट रहे थे) और उस दिन उसका इंतजार भी खत्म हो गया।

क्योंकि उस दिन उसका विवाह जो हो रहा था। गांव वाले भी धूमधाम से बारात लेकर लड़की के घर पहुंचे एवं दोनों का विवाह भी हो गया। जब सुबह विदाई हुई। तो उस समय लड़की को डोली में अकेले ही ससुराल लाया जाता था। चार कहार डोली को उठाते – उठाते बिल्कुल थक गए थे। उन्होंने सोचा कि कहीं एक पेड दिखे तो इस डोली उसके नीचे रख देंगे।

और थोड़ी देर विश्राम करके आगे को बढ़ेंगे इसी बीच एक आम का पेड़ तभी दिख गया। वह लोग उस डोली को रखकर पानी पीने लगे और बोले की बहू अगर आपको भी प्यास लगी हो तो पानी पी लो बहू ने कुछ नही कहा और चारों की थोड़ी – सी नींद आ गई।

तभी उस पेड़ की चुड़ैल नीचे उतरी एवं उस दुल्हन को मारकर उसके अंदर प्रवेश कर गई एवं उस डोली में जाकर बैठ गई क्योंकि दोपहर का समय था। थोड़ी देर पश्चात वह अपने ससुराल आ गई। लोक-चार होने के पश्चात जब रात हुई तो रौनक अपने कमरे में गया। जब वह अपने बिस्तर पर बैठकर दुल्हन से बातें कर रहा था।

तभी उसे बहुत जोर से प्यास लगी। उसने कहा मैं पानी पीकर आता हूं। दुल्हन ने बोला आप बैठो मैं आपको पानी दे रही हूं। इतना कहकर उसने अपना हाथ लंबा करके कुए से पानी निकाल कर उसको दे दिया। इतना देखते ही रौनक जमीन पर जोर – से गिर गया एवं बेहोश हो गया।

थोड़ी देर पश्चात जब उसे होश आया. तो उसने अपने सामने घुंघट में छुपी डायन को देख लिया एवं भागने का प्रयत्न करने लगा। तभी उस डायन ने आप आप भागो मत मैं आपको मारूंगी नहीं और अब मैं आपके साथ भी नहीं रहूंगी । 

क्योंकि आपने हमारा चेहरा देख लिया है। परन्तु यह गांव हमारी ही निगरानी में सदैव रहेगा। क्योंकि यहां मेरा ससुराल है और मैं आपको एक बात अवश्य बताती हूं। जो आप अपने गांव वालों को अवश्य बता देना। कि जिस घर का चूल्हा हमेशा उत्तर दिशा में होगा।

वह सब अपने घर के चूल्हे को दक्षिण दिशा में कर लो। तो उनके घर में सदैव उन्नति बनी रहेगी। इतना कहकर वह हमेशा के लिए अद्रश्य हो गई.

शास्त्रों के हिसाब से यह माना जाता है कि दक्षिण में अक्सर भूत प्रेत निवास करते हैं। परन्तु ऐसा करने से आज भी उस गांव में कभी भूखमरी या फिर कोई बीमारी जल्दी नहीं आती। वहां पर सब हंसी खुशी से जीवन व्यतीत करते हैं।

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आज मैं आपको अपनी घटना के बारे में बताता हूँ कि मैं दिल्ली के एक फैक्ट्री में साफ- सफाई का काम करता हूं। मेरा घर फैक्ट्री से तकरीबन पांच किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। जो कि मेरे पास एक साइकिल थी। जिससे मैं अपने घर से फैक्ट्री एवं फैक्ट्री से अपने घर आता-जाता था। एक दिन जब मैं फैक्ट्री से घर की तरफ जा रहा था । तो रास्ते में मुझे एक लड़की दिखाई दी एवं वह मुझे घूर-घूर के देख रही थी।

मैं उसको टालते हुए अपने घर की ओर निकल पड़ा। दूसरे दिन फिर वही लड़की मुझे उसी जगह पर दिखाई दी और वह मुझे फिर से घूर – घूर कर देखने लगी फिर भी मैंने उसकी तरफ पलटकर बिल्कुल नहीं देखा एवं अपने घर की ओर चल पड़ा। मैं उसके पास बिल्कुल रुका भी नहीं क्योंकि मुझे उस लड़की से बहुत ही डर लग रहा था। वह लड़की कई दिनों तक मुझे देखती ही रहती थी।

एक दिन वह लड़की वहां पर नहीं दिखाई दी।तो मैं अचानक सोच में पड़ गया। कि ऐसा क्या हुआ जो वह लड़की आज दिखाई नहीं पड़ी। फिर मैं अपने घर की ओर चल पड़ा। एक हफ्ते पश्चात मेरे घर पर एक चिट्ठी आई और मुझे पता चल गया था कि यह चिट्ठी उसी लड़की की है। उसमें उसका नाम प्रीति लिखा हुआ था।और उसमें से एक फोटो भी निकली थी। जो कि उसी लड़की की थी। मैं एकदम चौक – सा गया कि उसे मेरे घर का पता कैसे चला।

उस चिट्ठी में लिखा हुआ था.कि कल जब फैक्ट्री से निकलो तो जहां पर मैं खड़ी रहती हूं वहां पर मेरा इंतजार अवश्य करना उस के दूसरे दिन मैं वहां पर पहुंच गया। तो वह लड़की वहां पर बिल्कुल नहीं थी। मैंने उसका बहुत देर तक इंतजार किया फिर मैं अपने घर की ओर चल दिया.और तभी मुझे याद आया कि वो जो चिट्ठी आई थी। उसमें उसका पता तो अवश्य ही होगा। फिर मैं उसका पता पढ़ कर उसके पते के अनुसार मैं उसके घर मिलने के लिए गया।

दरवाजा खोलते ही एक आदमी वहाँ आया और मुझसे बोला कि क्या काम है तो मैंने उससे कहा कि मुझे प्रीति से मिलना है। तो उस आदमी ने कहा कि मैं उसका पापा हूं और प्रीति को मरे हुए तकरीबन दो महीने बीत चुके हैं। मेरे हाथ पांव तुरंत कांपने लगे मैं सोच में पड़ गया कि वह लड़की जो मुझे रास्ते में मिली थी और जिसने मुझे एक चिट्ठी भी भेजी थी। वह कौन होगी? मुझे लगा कि वह उसकी कहीं आत्मा तो नही है।

तभी प्रीति के पापा ने मुझे दिखाया कि देख लो उसकी फोटो पर माला पड़ी हुई है। तभी मैं दौड़कर अपने घर की ओर आया फिर मैंने उस चिट्ठी को तुरंत जला दिया एवं उस दिन के पश्चात मैंने कभी भी अनजान लोगों से मिलना एवं बात करना हमेशा के लिए बंद कर दिया।

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यह एक आंखों देखी एक घटना है। जो एक बार गर्मी की छुट्टियों में मैं एवं मेरी बहन अपने मामा के घर भ्रमण करने गए थे । मामा के घर में नानी मुझे बहुत अधिक प्यार करती थीं । और मेरी बहनों को यह बिल्कुल अच्छा नहीं लगता था । क्योंकि वे थोड़ी शरारत वाली एवं थोड़ी मौज – मस्ती वाली थीं।

एक दिन मेरी मां की तबीयत अचानक बिगड़ गई । तब मेरे मामा मुझे मेरे घर ले आये और वो भी मेरे घर पर रुक गए ।जब मेरी मां की तबीयत कुछ ठीक हो गई। तब मामा जी बोले कि मैं अब अपने घर को जा रह हूँ ।

मैं मामा से कुछ बोल पाती इससे पहले ही मां ने मामा को बोला हां भैया । अब मैं बिल्कुल स्वस्थ हूं आप घर को चले जाइए. फिर क्या था वो अपने घर को चले गये तब एक दिन रात में मुझे बहुत जोर की प्यास लगी। और मैं आंगन में पानी पीने के लिए उठी।

तभी मेरी नजर ऊपर गई और मैंने क्या देखा कि धुंआ जैसा कुछ उठ रहा है । तब मैंने अपनी मां को जगाया एवं माँ से बोला माँ जल्दी ऊपर की ओर देखो । यह काला – काला धुंआ जैसा क्या उठ रहा है। मेरी मां बिल्कुल समझ गई ।

कि यह मेरी चाची की आत्मा जो मुझे अवश्य लेने आई थी। क्योंकि मरने से पहले मेरी चाची ने कहा था। कि मैं तुम्हारी बड़ी बेटी को बिल्कुल छोडूंगी नहीं . मेरी माँ ने मुझे सुला दिया एवं स्वयं को अपने घर के पीछे एक बैर के पेड़ के नीचे बैठकर रोने लगी ।

क्योंकि बकाइन – मेहंदी के पेड़ पर सदैव तकरीबन रात साढ़े ग्यारह बजे के पश्चात चुड़ैल, आत्मा, भूत -प्रेत जैसे निवास करते हैं और उसी पेड़ पर चाची की आत्मा भी रहा करती थी। तभी मैंने देखा कि मेरी मां के आस – पास बहुत सारी स्त्रियाँ बैठी हुई थी। मेरे दिमाग में कुछ ना सुझ रहा था।

एक बार हम लोग 8वीं कक्षा में जब पढ़ रहे थे। तो हमारे गुरु जी ने यह बताया था । कि कभी भी भूत – प्रेत या आत्मा दिखाई दे तो गायत्री मंत्र का जाप अवश्य कर लिया करो । बजरंगबली का नाम भी ले लिया करो । तो आत्मा या कोई साया भी वहां से डर कर भाग जाएगा । उस समय यह बात मुझे याद आ गई । और मैंने बिल्कुल वैसा ही किया । जैसे मेरे गुरु जी ने मुझे बताया था। आज मैं और मेरी मां बिल्कुल सही सलामत है।

लेकिन जब से मेरी मां के साथ ऐसा हादसा हुआ था । तब से मां को थोड़ी भूलने की बीमारी एवं थोड़ी डरने की बीमारी पैदा हो गई है। और एक कमरे में बंद रहने लगी है। क्योंकि बाहर अभी भी चाची की आत्मा दिखाई देती है । लोग बोलते हैं कि यह असत्य है। लेकिन जिसके ऊपर बीतती है । वही जानता है।

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मैं आप लोगों को एक छोटी सी कहानी बताना चाहूंगा जो मुंबई में सालों पहले घटित हुई थी। मैं उस समय तकरीबन नौ वर्ष का था।

गर्मियों की छुट्टी के दौरान मेरे चाचा मुझे एवं मेरे दूसरे भाई-बहनों को खेलने के लिए पास के एक बगीचे में ले जाते थे।

हर शाम हम उस बगीचे में जाते, झूलों, स्लाइड और जंगल जिम में खेला भी करते थे।

मैं बहुत अधिक शरारती था एवं अपने छोटे भाई-बहनों को दिखाने के लिए कई बार स्लाइड के ऊपर से कूद भी जाया करता था।

एक दिन मैं बहुत बीमार पड़ गया था एवं उस बगीचे में नहीं जा सकता था इसलिए मेरे चाचा मेरी छोटी बहनों के साथ उस बगीचे में चले गए।

मेरी सबसे छोटी बहन उस समय तकरीबन चार साल की थी।

खैर, वे उस दिन बगीचे से जल्दी ही वापस आ गए, एवं मेरी सबसे छोटी बहन के हाथ एवं पैर में चोट के निशान भी थे, जो उसे डॉक्टर के पास ले जाया गया और उस डॉक्टर ने कहा कि वह ठीक है एवं उसे थोड़ा विश्राम की आवश्यकता है।

जब मैंने उससे पूछा कि उसको चोट कैसे लगी?

तो उसने सबको बताया कि वह बस मेरा पीछा कर रही थी।

उसने कहा कि उसने मुझे स्लाइड से कूदते देखा था एवं उसने मन में सोचा कि वह भी ये कर सकती है, यह बात बहुत ही अजीबो – गरीब थी एवं हमें लगा कि वह झूठ बोल रही है।

परन्तु वह जोर – जोर से कहती रही कि वह मेरा पीछा कर रही थी, और मैंने एक बहुत ही सुंदर व आकर्षक सफेद ड्रेस पहनी हुई देखी थी।

मामा ने सोचा कि वह चीजों को कल्पना कर रही होगी क्योंकि वह घर में हर समय टीवी को देखा करती थी, और मेरे पास कोई वैसा सफेद ड्रेस भी नहीं थी।

उसे उतनी चोट नहीं आई थी क्योंकि वह एक ऐसे व्यक्ति पर गिर गई थी जो स्लाइड के बगल में व्यायाम कर रहे थे।

परन्तु मुझे अभी भी यह आश्चर्य हुआ कि उस दिन आखिरकार उसने वह ऐसा क्या देखा होगा ?

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यह मेरे साथ ही नहीं हुआ था, बल्कि यह मेरी दादी के साथ ही हुआ था। मेरी दादी की उम्र कम से कम तकरीबन सोलह या सत्तरह साल होगी।

यह गुजरात के एक छोटे से गावं की घटना है, जो उस समय भारत में “चरखा” नामक चीज़ से कपास को तैयार किया जाता था।

मेरी दादी भी कपास को बनाने वाले जगह में काम करती थी,  उस दिन उनको कपास बना कर लौटने में देर रात भी हो गई।

मेरी दादी एवं उनके साथ ही काम करने वाली उसी गाँव की लड़कियाँ वापस अपने घर को जा रही थीं, तभी उन में से एक लड़की ने किसी को, उन्हीं में से एक लड़की का नाम पुकारते हुए सुना।

उस लड़की ने पीछे की ओर देखा तो, एक महिला अपने खुले बालों एवं बड़े दांतों के साथ उनके पीछे की ओर आ रही थी,  एवं उसके पैर और हाथ पीछे की ओर थे और वह बहुत ज्यादा मुस्कुरा रही थी।

जब उन सब ने उसको पीछे मुड कर देखा, तो वह धीरे-धीरे , एक-एक कर के उन सब का नाम भी पुकारने लगी, और ये सब द्रश्य को देखकर वे लोग इतना डर गईं कि वे लोग अपना सब कुछ वहीँ छोड़ कर वहां से भाग खड़ी हुईं।

12

ये कहानी एक सत्य घटना पर आधारित है.जो मेरी मम्मी ने मुझे बताई थी. बचपन में मेरी माँ अपने पूरे परिवार के साथ अहमदनगर जिले के एक वडनेर नाम के छोटे से गाँव में रहती थी.

उनका परिवार बहुत ही बड़ा था. इसलिए बड़े बूढ़े एवं जानकार लोगों की कमी बिल्कुल भी नहीं थी. उसवक़्त गाँव में पानी के नल भी नहीं थे. इसलिए सभी स्त्रियाँ अपने वस्त्र को धोने के लिए एक कुएँ पर जाती थीं. सुबह को अधिक काम होने के कारण मेरी दादी वस्त्र धोने के लिए शाम को छह बजे उस कुएँ पर अकेली ही गई थीं. उनको आने में बहुत ही देर हो गई थी. तकरीबन साढ़े सात बजे का समय हो रहा था. जब वह लौटी तब पूरा परिवार आश्चर्य चकित हो गया. क्योंकि दादी अपने घर से बिल्कुल ठीक ठाक गई थी.

पर ऐसा क्या हुआ जब वह अपने घर को लौटी तब वह नौ महीने की गर्भवती बन चुकी थी एवं जैसे ही अपने घर को आते ही कुछ खाने के लिए काजू , बादाम , पिस्ता व दूध – घी मांगने लगी. मेरी परदादी एक जानकर एवं धीरज वाली स्त्री थीं. उन्होंने मेरी माँ को हनुमान मंदिर वाले ज्ञानी ज्योतिषी जी को तुरंत बुलाने भेजा था.

और जब तक ज्योतिषी आते तबतक घरवालो ने दादी माँ को खाने की वह सब चीजे दे दी जो उन्होंने उनसे मांगी थीं. तत्पश्चात जब ज्ञानी पंडित जी आये तब उनमे और मेरी परदादी में कुछ चर्चा भी हुई. पडिंत जी को जाने के पश्चात हमारी परदादी ने घर में जितना काजू , बादाम एवं पिस्ता था.

वो सब एक थैले में भर लिए और साथ मे एक बड़ा मटका भरकर दूध भी ले लिया. यह सब चीजे लेकर ठीक रात के तकरीबन बारह बजे उस कुंए के पास जाकर पेड़ के नीचे रखकर अपने घर को आ गई एवं जब वह अपने घर को पहुँची. तब तक दादी माँ का पेट बिल्कुल खाली हो चुका था.

बाद में सुबह मेरी माँ ने अपने से बड़ो की बाते सुनी थी कि कुछ महीनो पहले पास के ही गाँव की एक गर्भवती महिला ने किसी पारिवारिक मन – मुटाव में आकर कुँए में कूदकर आत्महत्या कर ली थी. तभी से उस गर्भवती महिला की आत्मा इधर – उधर भटक रही थी. और शायद उसकी कुछ बढ़िया खाने की इच्छा अधूरी रह गई थी. जो उसने हमारी दादी के जरिये पूरी कर ली थी.

13 

मित्रों एक समय की बात थी जब एक शहर में राजू नाम का एक लड़का रहता था । वह लड़का नौजवान था एवं अपनी पढ़ाई पूरी करने के पश्चात कोई नौकरी नहीं मिलने पर बस दिन भर यहां – वहां घूमता रहता था ।

उसके घर वाले उसके लिए सदैव दुखी रहते थे कि हमारा लड़का कोई काम नहीं करता है और दिन भर बस यहां वहां घूमता रहता है ।

राजू कभी-कभी अपने घर बहुत ही अधिक देर से आता था । कभी-कभी राजू अपने मित्रों के साथ रात भर बाहर भ्रमण करता रहता था । इसलिए उसके घर वाले राजू से सदैव दुखी रहते थे ।

सुबह उठते ही राजू अपने मित्रों के साथ गाड़ी में इधर – उधर भ्रमण करने के लिए निकल जाता था । और फिर तकरीबन शाम को ही घर लौट कर आता था

थोड़ी देर पश्चात फिर वह अपने दोस्तों के साथ बाहर निकल जाता था।

और फिर सीधे रात को बहुत ही देर से घर आता था । राजू की यह आदत बहुत बुरी होती जा रही थी । एक दिन राजू बहुत देर रात तक घूम रहा था।

परन्तु उसके सभी मित्र अपने घर को जा चुके थे सिर्फ वही अकेला बचा था ।

और वह अकेले ही पैदल अपने घर को आ रहा था । वह जिस रास्ते से आ रहा था वह रास्ता बहुत ज्यादा सुनसान एवं बिल्कुल अंधेरा था ।

वह चुपचाप बिना कुछ सोचे – समझे अपने घर की ओर आगे बढ़ रहा था । उस जगह पूरी तरीके से सन्नाटा छाया हुआ था एवं कोई भी आवाज नहीं आ रही थी ।

इतने शांत माहौल में राजू चुपचाप अपने घर की ओर आगे बढ़ रहा था । अचानक से राजू को एक ऐसी आवाज सुनाई देती है.

जैसे कि उसका कोई पीछा कर रहा हो! राजू तुरंत ही अपना सिर पीछे घुमा कर देखता है तो उसे कोई भी नजर नहीं आता है!

जैसे ही वह अपना सिर आगे की ओर करता है तो वह क्या देखता है कि एक काला साया तुरंत ही वहां से निकलता है । यह सब देख कर राजू थोड़ा सा डर जाता है. 

राजू अपने कदम फिर आगे बढ़ाता है और वापस अपने घर की तरफ धीरे-धीरे बढ़ने लगता है। तथा पूरी तरीके से वहाँ सन्नाटा छा जाता है ।

थोड़ी दूर आगे चलने पर राजू को एक ऐसी आवाज पीछे से फिर आने लगती है जैसे कि उसे कोई पुकार रहा है।

राजू थोड़ा सा सहमा हुआ पीछे की ओर देखता है तो उसे कोई भी नजर नहीं आता । राजू फिर वापस आगे को बढ़ने लगता है अब उसके कदम और तेज हो जाते हैं!

राजू जैसे ही आगे बढ़ता जाता है उसे आवाज बहुत तेजी से सुनाई देने लगती है ।

उसे ऐसी आवाज आने लगती है जैसे कि उसे कोई पुकार रहा हो जैसे कि उसे उसके मित्र पुकारते हैं!

राजू जब पीछे मुड़कर देखता था तो उसे कोई भी दिखाई नहीं देता था ।

राजू चुपचाप तेजी से आगे बढ़ता चला जा रहा था और तभी उसे वापस से वैसे ही आवाज आने लगती है राजू इस बार बिना देखें आगे बढ़ता जाता है! जैसी ही वह आगे को बढ़ता जाता है

आवाज फिर से तेज होने लगती है।

अंत में जब राजू फिर से पीछे की ओर देखता है तो उसे एक काला साया दिखाई देता है । जो उसे उसके मित्र के जैसा नजर आता है।

जो ऊपर हाथ किए हुए राजू को आवाज दे रहा था!

राजू सोचता है कि आखिर कैसे उसके मित्र इतनी रात को आ सकते हैं जबकि वह सभी तो अपने – अपने घर को मिकल गए थे! राजू फिर से इधर-उधर देखता है

और वापस में जब उस काली परछाई की तरफ देखता है तो वह अद्रश्य हो चुकी होती है!

यह राजू को बहुत अधिक डरा देता है । राजू चुपचाप वहां से दौड़ता हुआ घर की ओर आगे बढ़ने लगता है!

जब आगे बढ़ रहा था तब उसे कुछ मुस्कुराने की आवाज आने लगती है! अब वह बिना कुछ सुने अपने घर की तरफ आगे को बढ़ता चला जाता है ।

थोड़ी दूर आगे जाने पर राजू को लोगों का कुछ समूह दिखाई देता है! तब राजू को कुछ राहत मिलती है ।

राजू तुरंत दौड़ते हुए उनके पास जाता है । और उनके पास जाकर खड़ा हो जाता है।

जब राजू उनके पास पहुंचता है तब वह देखता है कि उस समूह में खड़े सभी लोग उससे अजीब तरीके से उसकी ओर देख रहे हैं और थोड़ी देर पश्चात वे सभी राजू को घूमते हुए एक डरावनी सी हंसी भी देने लगते हैं!

राजू उससे बहुत ही अधिक डर जाता हैं और वहां से भागने लगता है । राजू अब भागते हुए अपने घर की तरफ जाता है वह बस पहुंचने ही वाला होता है ।

कि तभी उसे लगता है कि पीछे कोई है जो उसका पीछा कर रहा है।

परन्तु वह पीछे मुड़कर बिल्कुल नहीं देखता है और आगे की ओर बढ़ता जाता है । फिर से आगे बढ़ते हुए राजू को किसी के कदमों की आवाज सुनाई देती है

जो कि उसका पीछा कर रही है, लेकर राजू फिर से उसे पलट कर नहीं देखता है।

आगे बढ़ते रहने पर राजू को वह आवाज आती रहती है और कुछ समय पश्चात तंग आकर राजू पीछे मुड़कर जब देखता है तो उसे ऐसा क्या दिखाई देता है

कि एक ऐसा इंसान जो शरीर से बिल्कुल झुका हुआ है और ढंग से चल भी नहीं पा रहा है,

वह राजू का पीछा कर रहा होता है परन्तु उसका चेहरा बिल्कुल भी दिखाई नहीं देता साथ ही बाल भी उसके बहुत लंबे एवं काले होते हैं और दोनों हाथों को आगे फैलाए हुए आगे चल रहा होता है।

राजू यह देखकर बहुत ही अधिक डर जाता है एवं दौड़ते हुए अपने घर के अंदर चला जाता है । वह दिन राजू इतना ज्यादा डर जाता है कि वह ठीक से भोजन भी नहीं खा पाता एवं वह सोने को चला जाता है ।

उसे नींद भी बिल्कुल नहीं आती है परन्तु एक समय जब उसे नींद आ भी जाती है । तब वह स्वप्न में भी डरावनी चीजें ही देखता है और उसकी नींद भी खुल जाती है ।

वह रात राजू की सबसे अधिक डरावनी रात थी । उस रात राजू को किसी भी तरीके से नींद नहीं आ रही थी । राजू बहुत ही डरा हुआ था उसके पूरे शरीर से पसीना बह रहा था ।

वह बस चद्दर अपने सिर तक ढके हुए लेटा हुआ था । वह बहुत अधिक डरा हुआ था और सुबह होते ही वह अपने माता पिता के पास जाता है और अपनी सारी बातें बता देता है ।

तब उसके माता-पिता उसे बहुत अधिक चिल्लाते हैं और फिर उसे समझाते भी हैं परन्तु राजू को बुरा बिल्कुल भी नहीं लगता है।

इस दिन के पश्चात राजू ने बाहर घूमना बिल्कुल बंद कर दिया था एवं वह अपनी नौकरी की तलाश में इधर – उधर घूमने लगा था परन्तु रात होने से पहले ही वह अपने घर को आ जाता था।

14

एक दिशक शहर की बात है । जहाँ एक घर था जो बहुत ही पुराना था । वह घर कई लोगो ने खरीद चुका था । परन्तु उन लोगों का किसी न किसी घटना से मृत्यु हो जाया करती थी ।

एक दिन कबीर नाम के व्यक्ति ने उस घर को खरीद लिया वह भी बिलकुल सस्ते भाव मे और अपने बेटे राज के साथ उस घर में रहने लगा ।

उस घर को खरीदे हुए तकरीबन एक दो दिन ही हुआ कि कबीर को घर मे किसी के होने का मह्सुस किया।

तीसरे दिन ही एक बार राज ने कहा :- पापा वाशरूम का नल अपने आप चालू होकर बंद हो गया । 

कबीर ने पूछा :- क्या कोई था वहाँ पर ?

राज :- हाँ पापा एक साड़ी पहनी हुई स्त्री थी फिर राजने कहा पापा वो स्त्री  आपके पीछे खड़ी है।

कबीर :- अभी वो हमारे पीछे क्या कर रही है ।

राज :- वो आगे को आ रही है ।

तब कबीर बहुत डर गया एवं राज के पास आ गया । उसी दिन कबीर एक कुत्ता खरीद कर लाया । कुत्ता भी घर आने के यहाँ इधर – उधर भौंकता था ।

चौथे दिन बहुत तेजी के साथ बारिस व आँधी भी आ गयी थी ।

तब कबीर ने अपने घर का दरवाजा एवं खिड़की को बंद कर दिया । उसी समय बिजली भी चली गई थी । घर मे वापस उस साड़ी वाली स्त्री का अनाजाना प्रारंभ हो गया । कबीर ने डर के मारे उस खिड़की को फिर से खोल दिया ।

एवं बाहर की ओर देखा तो सभी के घर में बिजली थी बस उसी के घर में बिजली नही थी । कबीर अपनी टॉर्च लेकर घर के नीचे पावर हाउस मे गया तो उसके पीछे – पीछे उसका कुत्ता भी भौंकते – भौंकते आने लगा ।

कबीर ने जैसे ही अपने पावर हाउस का दरवाजा खोला तो उसे वहाँ एक डेडबॉडी दिखाई दी । कबीर उसको देखकर बहुत डर गया एवं तुरंत वहाँ से दौड़ा और अपने बेटे राज को लेकर घर का दरवाजा बंद करके घर से दौड़ना शुरू किया ।

बारिश बहुत ही तेजी के साथ बरस रही थी कबीर अपने बेटे राज के साथ बाहर  की ओर दौड़ते – दौड़ते उसका पैर एक खड्डे मे हिलग गया ।

राज अपने पापा का पैर निकलना चाहा परन्तु कोई उसे अपनी ओर खींच रहा था। राज ने बहुत कोशिश की लेकिन वह अपने पापा को नही निकाल पाया।

तभी वह स्त्री उस लड़के को व उसके कुत्ते को अपने साथ ले गई.

बहुत कोशिश करने के बाद कबीर को निकलने मे पाँच मिनट लग गया । वह वापस घर मे गया तो दरवाजा खुला देखा। कबीर, राज एवं अपने कुत्ते को खुब ढूँढा परन्तु उसे राज एवं कुत्ता कहीं भी नही दिखाई दिये । कबीर वहीं अपने घर मे रहने लगा ।

एक कस्टमर कबीर का लोन पास करने कबीर के घर आया था । वह वहाँ से तुरंत दौड़ा और वहाँ से कबीर ने बाहर आकर पूछा क्यो भाई आप बाहर को क्यो आ गये।

कस्टमर :- आप के घर मे एक स्त्री, एक लड़का एवं एक कुत्ता भी दिखाई दिया।

15

एक सिद्धपुर नाम का बड़ा गांव था । गाँव मे सब खेती करने वाले सामान्य किसान रहा करते थे ।

गांव मे एक कच्चे एवं पूराने जंगली वृक्ष के पास एक भूत भी रहा करता था । लेकिन गांव वालो को इसके बारे मे कुछ भी पता नही था ।

वह भूत दिन मे गायब रहा करता था । परंतु जैसे ही रात होती थी । वह भूत तुरंत गांव मे जाता एवं गांववालो का बहुत अधिक नुकसान भी किया करता था ।

जैसे कि किसी की गाय , भैस को छुड़ाकर भगाना, मारना, जबकि किसानो को ठीक प्रकार से सोने तक नही देता था एवं उन्हे बहुत अधिक परेशान करता  था ।

सभी गांव वाले उस भूत से बहुत डरा करते थे । भूत के इस प्रकार के व्यवहारों  से गांव मे हलचल – सी मच गई । जब गांव वालो को यह पता चला कि भूत रात मे आकर हम सबको परेशान करता है।

तब गाँव वालो ने इस बात को लेकर प्रधान के पास गए एवं अपने प्रधान ने इस मुद्दे को हल करने के बारे मे सोचा ।

दूसरे दिन प्रधान ने एक महान साधू बाबा को उस भूत को पकड़ने के लिये बुलाया ।

साधू बाबा उस पेड़ के पास गये और उस भूत को पकड़ना चाहा परंतु भूत उस साधू बाबा के हाथ बिल्कुल आता ही नही था । साधू बाबा की बहुत कोशिश करने पर भी जब वह उनके हाथ नही आया तो साधू बाबा ने गांव वालो से कहा कि इस भूत को रोशनी से बहुत डर लगता है । आप इसे रोशनी के सहारे इसे खत्म कर सकते हो ।

तब गांव वालो ने साधू बाबा के बताये अनुसार एक योजना बनाई एवं सभी गाँव वालो ने एक – एक अपने हाथ में टार्च को ले लिया और रात को योजना के अनुसार सो गए. 

जब रात को भूत पेड़ से निकला। और गाँव के किसानो के पास जाने लगा।

जैसे ही किसानों को यह पता चला कि भूत आ गया है और सभी जोर – जोर से चिल्लाने लगे कि आ जाओ भूत आ गया।

सभी गांव वाले तुरंत भूत के ऊपर टार्च जलाकर रोशनी दिखाना शुरु कर देते हैं  । और भूत उस रोशनी के कारण बहुत तेजी से भागता है ।

परन्तु गांव वाले उसे पकड़ कर रोशनी दिखाने लगते है । वह भूत कूछ भी नही कर पाता है ।

गांव वाले उसी के पेड़ मे उस भूत को बाँधकर पेड़ के साथ जला देते हैं।

इस प्रकार भूत अपने पेड़ के साथ जलकर राख हो जाता है एवं हमेशा के लिए खत्म हो जाता है और इस प्रकार गांव वाले इस भूत को जान से मार डालते हैं.

16

एक मनकपुर नाम का गांव था. गांव से व्यापारी अपने माल का व्यापार करने शहर मे जाते थे. परन्तु जाने के लिये केवल एक ही सड़क थी ।

सड़क के दोनो तरफ बहूत घना एवं डरावना जंगल था । जंगल बहूत अधिक डरावना था इसलिये गांव वाले अक्सर अकेले नही जाया करते थे ।

क्योंकि वहाँ दिन – रात दोनो समय दुर्घटना ही होती रहती थी जिसमे से अधिकतर व्यापारी माल को बैलगाड़ी से लाते थे ।

रात के समय सड़क पर भूत भी दिखाई देते थे । और आने – जाने वालो को डराकर उनको मार डालते थे ।

जो लोग बैलगाड़ी एवं छोटे वाहन से आते – जाते थे भूत उसे भी वही दुर्घटना कराकर मार डालते थे । अधिकतर भूत इन लोगों को बैलगाड़ी एवं कार से टक्कर करवाते थे. जिससे दोनो की वहीं पर मौत हो जाया करती थी ।

इस प्रकार दुर्घटना अधिक होने के कारण गांव वाले उस सड़क से आना ‌- जाना भी बिल्कुल बंद कर दिया था. गांव से शहर मे व्यापार होना भी बिल्कुल रुक गया था ।

परन्तु उस सड़क से अधिक दूर दूसरा सड़क बनना प्रारंभ हो गया था । गांव वाले उस दूसरे सड़क के बनने का इंतजार करने लगे । कुछ दिनो मे ही दूसरा सड़क भी बनकर तैयार हो गया ।

गांव वाले ने उस भूतिया सड़क पर आना – जाना बिल्कुल पूरी तरह से बंद कर दिया था और उस सड़क पर पेड़ एवं पत्थरों को तोड़कर उस सड़क पर गिरा दिया था ताकि कोई और दुर्घटना ना हो सके साथ मे यह सूचना भी लिख दी ।

कि शहर की तरफ से भी भूतिया सड़क को हमेशा के लिए बंद करवा दिया गया है एवं दूसरा सड़क बिल्कुल अच्छे से बना दिया है और वहाँ से आना – जाना भी आरंभ हो गया है साथ ही मे वहाँ किसी प्रकार का दुर्घटना जैसी कोई समस्या नही है । 

17

एक रोनकपुर नाम का छोटा सा गांव था । गांव का राजा रोनकसिन्ह जो सदैव  अपने प्रजा की रक्षा करता था ।

एक दिन की बात है एक गीध नाम का पक्षी जो एक भूतिया पेड़ का बीज लेकर उड़ रहा था ।

जब वह गीध रोनक पुर गांव से निकला तो अचानक बीज उसके मुँह से गिरकर गांव के बीचों – बीच मे जाकर गिर गया ।

और वह बीज तुरंत दूसरे दिन एक पौधा बन गया । गांव वालो की नजर उस पौधे पर पड़ी क्योकि वह पौधा काला रंग का था तो उन्हे लगा कि होगा कोई खर पतवार।

उसके दूसरे दिन ही वह पौधा और भी बड़ा हो गया । गांव वाले बहुत ही आश्चर्यकित हो गये कि कल ही ये बहुत छोटा – सा पौधा था और आज भर मे इतना बड़ा हो गया ।

एसे ही बात – बात मे गांव वाले यह सब भूल गये । लेकिन वह पौधा तीसरे दिन उस काले पौधे ने एक विशाल पेड़ का रूप धारण कर लिया ।

इस बात को लेकर पूरे गांव मे बहुत हलचल मच गयी कि तीन दिन मे इतना विशाल पेड़ उग गया ।

इस बात के बारे मे गांव वाले अपने राजा के पास गये । राजा भी एक दिन के लिए रुक गये ।

चौथे दिन वह पेड़ और भी विशाल होता गया । सभी गांव वाले उस भूतिया पेड़ को देखते ही देखते रह गये ।

राजा तुरंत उस पेड़ के पास पहुँचे और उस पेड़ को देखा तो वह पेड़ बहुत ही विशाल हो गया था ।

राजा ने यह आदेश दिया कि जो इस पेड़ को खत्म करेगा उसे एक हजार सोने की मोहरें ईनाम के रूप मे एवं मेरे बाद राजा बनेगा ।

सभी मंत्री अपनी – अपनी योजना बनाने लगे । कई मंत्री पेड़ के पास आग लगाये परन्तु उस पेड़ को कुछ भी नही हुआ ।

एक मंत्री भूतिया पेड़ को विशाल हाथियों से खिचवाया परन्तु फिर भी उस भूतिया पेड़ को कुछ भी नही हुआ ।

उसी गांव मे एक समझदार व्यक्ति रहता था जब उसे इस बात के बारे मे पता चला तो वह अपने गुरु से भूतिया पेड़ के बारे मे पूछने को चला गया ।

उसके गुरु जी ने उसे उसके समाधान के बारे मे बताया । और उससे कहा उस पेड़ को खत्म करने के लिये उसके आस – पास नमक डालना पड़ेगा ।

वह व्यक्ति समय से पहले राजा को इस बात के बारे मे बताया तो तुरंत राजा ने अपने सैनिकों को यह आदेश दिया और खुब जत्था भर नमक लाकर भूतिया पेड़ के आस पास डाल दिया गया ।

कुछ ही समय मे पेड़ का आकार कम होने लगा और पाँचवें दिन वह पेड़ एकदम छोटा हो गया एवं एकदम गल गया ।

राजा उस व्यक्ति के तरकीब से बहुत ही प्रसन्न हुए और उसे एक हजार सोने की मोहरें ईनाम के रूप मे एवं अपने बाद का राजा उसे बनाने का वचन भी दिया।

18

साल 2001 की बात है. कि मई के महीने में बहुत ही भीषण गर्मी के बावजूद लोग बंद कमरे में सोने को मजबूर थे. सभी लोगों की वजह केवल मंकीमैन का डर दिलों में बसा हुआ था. मंकीमैन की अफवाह पूर्वी दिल्ली, गाजियाबाद, नोयडा एव कई आसपास के क्षेत्रों में बुरी तरह फैली हुई थी. मंकीमैन की दहशत से दुर्घटनाओं में कम से कम 6 लोगों को अपनी जान से भी हाथ धोना पड़ा था.

मंकीमैन से एनकाउंटर की हर शख्स की अपनी एक कहानी थी. कोई कहता वो बंदर लंबी छलांगें लगा सकता है, एवं उसके तेज नाखून भी हैं. उसके शरीर में बिजली सी दौड़ती है. किसी को ये बंगाल का जादू लगा तो किसी को पाकिस्तानी साजिश तथा किसी को ये भूतों का साया लगा. कुछ दिन बीत जाने के बाद यह सब लोगों को दिखना बिल्कुल बंद हो गया और फिर धीरे-धीरे लोग उसे सब पूरी तरह भूल गए. कि वो कौन था, और कहां से आया था, आया भी था या सिर्फ किसी की यह कल्पना थी, इन सवालों के जवाब अब तक नहीं मिल पाये हैं कि वो कोई भूत था या कोई अपवाह थी.

19

भारत में अक्सर जगह – जगह पर रूढ़िवादिता दिखाई देती है। ऐसा ही एक गांव था जो पीरामल जहां पर सती प्रथा का बहुत ही प्रचलन था।

इस प्रथा में उन महिलाओं को जबरदस्ती जिंदा जला दिया जाता था जिनका पति मर चुका होता है ।

ऐसी ही एक घटना इसी गांव में देखने को मिली जहां एक महिला अपनी नवजात बच्ची की देखरेख के लिए गांव वालों से भीख मांगती रही कि मुझे अपनी बच्ची के खातिर मुझे छोड़ दिया जाए परन्तु गांव वालों ने उसके पति के मर जाने के पश्चात उसे बड़ी बेरहमी से जिंदा जला दिया।

परन्तु अपनी नवजात बच्ची की चिंता की वजह से उसकी आत्मा को पूर्ण रूप से शांति नहीं मिली।

धीरे-धीरे समय बीतता गया एवं कब 20 साल पूरे हो गए उसे बिल्कुल पता ही नहीं चला एवं उसकी बेटी बहुत जल्दी बड़ी भी हो गई। उसके पश्चात घर वालों ने अच्छा समय देखकर गांव में ही उसका विवाह कर दिया।

अभी विवाह को करीब एक साल भी पूरे नहीं हुए थे कि उसका पति गुजर गया और फिर लोगों ने उसके पति के साथ – साथ उसकी चिता भी बनाई।

वह बिल्कुल मरना नही चाहती थी परन्तु गांव वालों ने उससे जबरदस्ती डंडे से पीट – पीटकर उसे चिता पर बैठा दिया।

उसके पश्चात जैसे ही लोगों ने उस चिता में आग लगाना चाहा वैसे ही जोर – शोर से आंधी चलना प्रारंभ हो गई और जलती हुई मशाल भी बुझ गई।

थोड़ी देर पश्चात आंधी भी बिल्कुल खत्म हो गई चिता को जलाने के लिए फिर से पहले मशाल में आग लगाई गई और दुबारा चिता को जलाने का बहुत प्रयास किया गया परन्तु इस बार भी फिर से आंधी चलने लगी और मशाल बुझ गई।

ऐसा पूरे 10 बार हुआ, जैसे ही उस मशाल को जलाया जाता और आंधी आने से बुझ जाती।

अब तो गांव वाले बहुत ही डरने लगे एवं उन्हें जब यह बात पता चली कि पूरे गांव में आंधी नहीं है सिर्फ इसी जगह पर है तो वे और भी अधिक घबरा गए।

इतने में उस चिता में पड़ी हुई कोमल को होश आ गया और होश में आते ही कोमल चिता से उठ खड़ी हुई।

कोमल को चिता से उठते देख गांव वालों ने उसे फिर से चिता में बैठाने की सोची, इससे पहले कि वे कुछ कर पाते, तब तक चिता अपने आप जलना प्रारंभ हो गई।

इसके पश्चात गांव वाले समझ गए कि यहां जरूर कोई ना कोई बुरी आत्मा है जो यह सब कर रही है यह जानकर वे सब वहां से भाग निकले।

वह लड़की कोमल समझ गई कि यह आत्मा कोई और नहीं बल्कि मेरी मां की है और वह वहां पर बैठकर जोर – जोर से अपनी मां को याद करके रोने लगी।

उस दिन के पश्चात वहां जो भी किसी औरत को जिंदा जलने की कोशिश करता उसके साथ ऐसा ही होता था।

अब पूरे गांव के लोगों में इसका डर समा गया और धीरे-धीरे यह प्रथा भी वहां पूरी तरह से खत्म हो गई।

20

शीतल एक बहुत ही शांतिप्रिय लड़की थी वह एक बड़ी शहर में बैंक में नौकरी किया करती थी।

शीतल को शहर की चकाचौंध भरी दुनिया बिल्कुल भी पसंद नहीं थी, उसे प्रकृति से बहुत ही प्रेम था, और उसे जब भी मौका मिलता अपने प्राकृतिक स्थानों पर वह अवश्य घूमने जाती।

शहर की भीड़भाड़ वाली दुनिया से बहुत ही दूर रहने के लिए उसने पास के ही एक गांव में एक घर को ले रखा था। शीतल की हफ्ते में 5 दिन ड्यूटी रहती थी एवं शनिवार एवं रविवार को उसकी छुट्टी भी होती थी।

हर शुक्रवार को शीतल अपनी कार लेकर पास के गांव में चली जाया करती थी, और अपने घर में पहुंचकर सुकून महसूस किया करती थी।

ऐसे ही एक शुक्रवार को वह गाड़ी चला कर अपने घर को पहुंची।

उस दिन वह बहुत ज्यादा थकी हुई थी एवं बिस्तर पर जाते ही उसे बहुत गहरी नींद आ गई।

किंतु रात के तकरीबन बारह बजे अचानक उसकी नींद खुल गई और उसने देखा कि उसकी गाड़ी का अलार्म बार – बार जोर – जोर से बज रहा है।

शीतल ने उठकर खिड़की से गाड़ी की ओर देखा परन्तु उसे वहां पर कोई भी दिखाई नहीं दिया फिर वह अपनी चाबी से उस गाड़ी का अलार्म बंद करके सो गई।

अगले 5 मिनट बाद उसे फिर से गाड़ी का अलार्म सुनाई दिया उसने फिर उठकर देखा तो उसे कोई भी दिखाई नहीं दिया। फिर से उसने गाड़ी का अलार्म बंद किया और फिर से सो गई।

तीसरी बार 5 मिनट में फिर से गाड़ी का अलार्म बजना शुरू हुआ और शीतल ने अपने बेड पर सोते हुए ही गाड़ी का अलार्म बंद किया तभी फिर से सो गई।

थोड़ी देर पश्चात फिर से गाड़ी का अलार्म बजा।

बिना वजह बार – बार उस कार का अलार्म बार-बार बज रहा था यह जानकर स्नेहा थोड़ा डर – सी गई परन्तु उसने सोचा शायद यह कोई उसके साथ शरारत भी कर सकता है।

अबकी बार गाड़ी का अलार्म बजा तो स्नेहा खिड़की के पास गई और अलार्म को बंद किया. 

इस बार अलार्म बंद करने के पश्चात भी शीतल खिड़की के पास ही छुपकर देखने लगी कि आखिर ऐसा क्यों हो रहा है?

तभी उसने ऐसा क्या देखा कि एक लंबा – सा काला आदमी झाड़ियों के पीछे  से निकला और गाड़ी में अपना दो बार हाथ पीटा और फिर से झाड़ी के पीछे छुप गया।

उस काले साए को देखकर शीतल बहुत ज्यादा घबरा गई, और अलार्म बंद करके चुपचाप अपने बिस्तर में जा घुसी। थोड़ी देर पश्चात उसने अपनी आँखे खोली तो देखा कि वही काला साया उसकी खिड़की में चिपका हुआ है।

उसके बड़े बड़े नुकीले दांत, पूरा काला बदन, लंबे नाखून, लाल आंखें, व सब कुछ चांद की रोशनी में शीतल को स्पष्ट दिखाई दे रहा था।

अब तो डर की वजह से शीतल की आंखों पर पसीने की बूंदें छा गई, उसकी धड़कन बहुत ही धीमी हो गई, उसकी सांसों की आवाज भी ठीक – ठाक से नहीं आ पा रही थी।

वह चुपचाप डरी – सहमी रजाई के अंदर से उस काले साए को बड़े ध्यान से देख रही थी।

उसके मुंह से बार-बार जोरों की भाप निकल रही थी जो पूरी कांच की खिड़की पर छा गया थी।

करीब 1 घंटे तक खिड़की में रहने के पश्चात वह काला साया वहां से दूर हट गया तब जाकर शीतल ने चैन की सांस ली।

शीतल अब सोने ही वाली थी तभी उसने दरवाजा पीटने की आवाज सुनी और वह घबराकर उससे बचने के लिए एक मजबूत सोफे के नीचे जाकर छिप गई।

वह काला साया बार-बार दरवाजे को पीट रहा था एवं शीतल सोफे के नीचे से सब कुछ उसको देख रही थी।

थोड़ी देर दरवाजे पीटने की आवाज भी बिल्कुल बंद हो गई और उसने देखा कि दरवाजे के नीचे की दरार से एक हाथ अंदर आ रहा है जो बहुत डरावना – सा है, जिसमें बहुत ही अधिक भयानक एवं नुकीले नाखून लगे हुए हैं।

शीतल, बस यही चाह रही थी कि उस काले साए को एहसास भी ना हो कि अंदर कोई है परन्तु वह काला साया वहां से जाने को बिल्कुल तैयार ही नहीं था।

शीतल को अपनी मौत साक्षात सामने दिख रही थी।

यही सोचते-सोचते डर के मारे वह बिल्कुल बेहोश हो गई। और जब उसकी आंखें खुली तो उसने देखा कि सुबह हो चुकी है, और वह सोफे के नीचे बैठी है. 

वह काला साया अब यहाँ से जा चुका है और वहां उसके अलावा कोई भी नजर नहीं आ रहा है।

शीतल ने इसके पश्चात चुपचाप अपने कार की चाबी उठाई, एवं बिना अपना कोई सामान लिए गाड़ी की ओर दौड़ी और उसने गाड़ी को तुरंत स्टार्ट किया एवं जितनी तेज हो सके उसने उतनी ही तेजी से कार को चला कर वह अपने शहर को पहुंच चुकी थी।

अपने घर में जाकर शीतल ने चैन की सांस ली और उसने समाचार सुनने के लिए रेडियो को खोल दिया।

रेडियो खोलने के पश्चात उसने जो सुना, उसे सुनकर उसके रोंगटे खड़े हो गए।

जिस गांव में शीतल रुकी थी उसी गांव की दो लड़कियों का कत्ल भी हो गया था.

दोनों लड़कियों को बहुत अजीब तरीके से मारा गया था। उनके शरीर में नाखून के निशान भी मिले थे, जो किसी भी जानवर या इंसान से मेल नहीं खाते थे।

यह खबर सुनकर शीतल भूलकर भी कभी उस गांव में दुबारा वापस नहीं गई परन्तु आज तक उसके दिमाग में यह प्रश्न हमेशा घूमता रहता है कि आखिर वह कौन था वह भूत – प्रेत , पिशाच या फिर कोई इंसान था।