आइए जानतें हैं 20 Love Story in Hindi

kahani sangrah

आज इस पोस्ट में हम आपको आसान शब्दों में Love Story in Hindi के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे। चलिए जानते हैं love story in hindi heart touching

Kahani number- 1

कहते हैं कि राधा भगवान श्री कृष्ण से अपार प्रेम करती थी, यह तो सभी जानते थे। परंतु कितना अपार प्रेम करती थीं यह तो हर कोई उसकी परीक्षा ले कर ही जानना चाहता था । राधा और भगवान श्री कृष्ण का विवाह तो नहीं हुआ था परंतु उनकी गाथा पूरे विश्व में गाई जा रही थी। 

राधा कृष्ण के प्यार को देखकर दासियों के मन में तरह तरह के विचार आते थे । एक बार राधा को दुखी करने के लिए दासियों ने एक योजना बनाई। उन्होंने दूध का एक गरमागरम तपता हुआ कटोरा लिया एवं उसे राधा के पास जाकर कटोरा देते हुए कहा कि ग्वाले ने यह दूध तुम्हारे लिए भेजा है।

राधा यह सुनते ही गरमा गरम वो दूध दासियों के समक्ष ही पी गई। राधा को वह गर्म दूध पीकर कोई हानि नहीं पहुँची। जब दासियाँ कृष्ण के पास लौटी तो उन्होंने देखा कि कृष्ण के मुंह में बहुत ही दर्दभरे छाले पड़ गए हैं। यह देखकर उन्हें अपने गलती का तुरंत एहसास हुआ।

यह कहानी हमें यह दर्शाती है कि कृष्ण से राधा कितनी जुड़ी हुई है। इसलिए गर्म दूध से राधा को तनिक भी हानि नहीं हुई, परन्तु गर्म दूध से ग्वाले बहुत ही प्रभावित हुए।

Kahani number- 2

करन एवं रीनू एक दूसरे को बहुत ही ज्यादा मोहब्बत करते थे . करन एवं रीनू दोनो एक ही गाँव में रहते थे, करन बी.कॉम कर रहा था एवं रीनू भी बी.कॉम कर रही थी , दोनो की आख़िरी साल थी , दोनो छुप छुप के एक दूसरे से सदैव मिलते थे ! दोनो बचपन से ही एक दूसरे को बहुत प्यार करते थे , एक दिन अचानक रीनू के पापा कुछ लोगो को लेकर घर पर आ गये , रीनू को इस बात की बिल्कुल भी जानकारी नही थी ,वो पानी लेकर आई एवं नमस्ते कर के चली गयी. रीनू के पापा ने रीनू के शादी तय कर दी थी वो भी बिना रीनू को बताए , रीनू को जब यह बात पता लगी तो उसे बहुत ही बुरा लगा कि उस के घर वालो ने बिना बताए उसकी शादी तय कर दी है उसने अपने पापा से कहा कि वो अभी विवाह नही करेगी परन्तु उसके पापा ने उस को डाट फटकार कर घर के अंदर जाने को कहा ,रीनू चुपचाप घर के अंदर चली गयी एवं खूब रोने लगी उस ने अपनी मम्मी से भी बात की पर वो भी नही मानी, रीनू दिन प्रतिदिन उदास सी रहने लगी एवं करन से मिलना बंद कर दिया करन को इसके बारे में कुछ भी नही पता था |

उसने रीनू को मिलने के लिए बुलाया पर वो नही आई करन बहुत नाराज हुआ और रीनू से उस के घर पर जाकर मिलने के बारे में सोचा , शाम का समय था रीनू के घर पर कोई भी नही था , मौका पाकर करन रीनू के घर मे चला गया और रीनू से पूछा कि तुम्हे क्या हुआ है. रीनू ने सारी बात उसको बता दी , फिर करन ने कहा कुछ नहीं होगा , इधर रीनू के पापा उसकी सारी बातों को सुन रहे थे | वो तुरंत आए और रीनू , करन से बहुत प्यार से बात की और उनसे कहा कि कल तुम दोनो से कुछ बात करनी है !

रीनू के पापा ने गांव के कुछ लोगो से बात कर ली और दूसरे दिन गन्ने के खेत के पास रीनू और करन दोनों को बुलाया , दोनो बहुत ही प्रसन्न थे कि आज पापा मान ही जाएगे, लकिन भाग्य मे कुछ और ही था | ये लोग जैसे ही खेत के पास गये तो आठ दस लोगो ने इनको घेर लिया एवं गन्ने से मारने लगे , दोनो बहुत तेजी से चिल्ला रहे थे , परन्तु वहाँ उनको कोई बचाने नहीं आया एवं उन लोगों ने दोनो को मार डाला ! मरने के पश्चात दोनो को गन्ने की पताई से उनको जला दिया |

Kahani number- 3

एक बार एक लड़का होता है। वह अपनी पढ़ाई के लिए दूसरे शहर में जाता है। लड़का जहां रहता है उसके घर के सामने एक बहुत ही सुंदर लड़की रहती है  सुबहसुबह लड़की जब अपनी छत पर आती है तो दोनों कि निगाहें आपस में टकराती हैं। दोनों एकदूसरे को अच्छे लगने लगते हैं। फिर एक दिन दोनों समय निकाल कर एक सुंदर से बगीचे में मिलते हैं। कुछ दिनों पश्चात उनकी यह मुलाकात मोहब्बत में बदल जाती है। 

दोनों एक दूसरे को अच्छे से जान भी लेते हैं। वे दोनों एक दूसरे से सच्चा प्यार करने लगते हैं। एक महीने पश्चात लड़का अपने घर अपने मां बाप से मिलने को जाता है। तभी लड़की का फोन आता है।  और वह कहती है कि मैं तुम्हारे बिना एक पल भी नहीं रह सकती. जब मैं अपनी आंखें बंद करती हूं तो आपको ही पाती हूं। आंखे खोलती हूं तो आपको ही देखना चाहती हूं. कृपया करके तुम जल्दी से वापस आ जाओ. तब लड़का फिर से वहां चला जाता है। और उस लड़की से मिलता है। एक दिन लड़का किसी बहाने से उस लड़की के घर पर जाता है 

घर में लड़की की मां एवं लड़की का भाई मिलते हैं। तब वह लड़का उसकी मम्मी से कहता हैआंटी जी क्या आप मुझे अपनी प्रेस दे सकती हैं। मुझे अपने कपड़े प्रेस करने हैं।  लड़की की मां ने कहा हां बेटा ले जाओ तब वह लड़की उसकी तरफ हँसती है। तभी लड़की का फोन आता है.

और लड़के से कहती है कि तुम बड़े हिम्मती हो कि मेरे घर पर ही आ गए वाह  तब लड़का कहता है कि एक दिन इसी तरह तुम्हारा हाथ भी मांगने आ जाऊंगा. लड़की मुस्कुराते हुए कहती है कि तुम बिल्कुल पागल हो. एक दिन लड़की अपनी छत पर आती है। और एक दूसरे से इशारों में बात करते हैं अचानक लड़की का भाई उन दोनों को देख लेता है और वह बहुत ही नाराज होता है

और अपनी बहन से कहता है कि आज के बाद तुम छत पर नहीं जाओगी  तब लड़की को लगता है कि शायद भाई को हमारे बारे में सब कुछ पता लग गया है वह फोन करके लड़के को बताती है. कुछ दिनों तक दोनों एकदूसरे को देख नहीं पाते हैं।  एक बार लड़की का भाई अपनी बहन को फोन पर बात करते सुन लेता है और तब उसको बहुत ही क्रोध आता है. तब वह उस लड़के को मारने की सोचता है. लड़की का भाई अपने मित्रों के साथ मिलकर उसे मारने का कोई तरीका ढूंढता है. वह लड़का इस बात से बिल्कुल अनजान होता है। 

एक दिन वह उस लड़की को फोन करता है और कहता है मैं तुम्हारे बिना बिल्कुल नहीं रह सकता. आज शाम को तुम्हें मुझसे मिलना ही होगा. वह लड़का उसे मिलने का स्थान बता देता है जहां उसे मिलना होता है लड़का अपने समय पर वहां पहुंच जाता है और वहां अपनी मोटरसाईकिल खड़ी कर देता है तब वह लड़की को फोन करने के लिए दूसरी तरफ जाता है। 

तभी अचानक लड़की का भाई अपने मित्रों के साथ वहाँ आता है और मोटरसाईकिल के ब्रेक खराब कर देता है उसे यह बिल्कुल नहीं मालूम होता कि उसकी बहन भी यहां आने वाली हैब्रेक खराब करके वह वहां से चला जाता है तब वह लड़की वहां आती है और वह दोनों एक दूसरे के गले मिलते हैं तब लड़का एक बार फिर से अपनी मोहब्बत का इजहार करता है और लड़की से कहता है कि चलो थोड़ी दूर घूम कर आते हैं लड़का अपनी मोटरसाईकिल स्टार्ट करता है और लड़की उसके पीछे बैठ जाती है। 

थोड़ी दूरी पर लड़का अपनी मोटरसाईकिल को बहुत ही तेज कर देता है और सोचता है कि मैं अचानक से ब्रेक लगाऊँगा और वह मेरे पीठ पर आ गिरेगी लड़का जैसे ही ब्रेक लगाता है उस गाड़ी के ब्रेक बिल्कुल नहीं लगते हैं. बाइक की स्पीड और तेज हो जाती है।  लड़के को एहसास हो जाता है कि गाड़ी की ब्रेक फेल हो गई है. वह अंदर ही अंदर रोता है लड़की कहती है कि तुम अपनी बाइक इतनी तेज क्यों चला रहे होलड़कामुझे बहुत ही अच्छा लगता है अपनी बाइक को तेज चलाना. लड़की कहती है कि बाइक को धीरे करो मुझे बहुत ही डर लग रहा है। 

लड़कामुझसे मोहब्बत करती हो। तो लड़की कहती है कि अपनी जान से भी अधिक मैं तुम्हारे लिए कुछ भी कर सकती हूं। तभी लड़का कहता है, कि मुझे हग करो और लड़की उसे बहुत जोर से पीछे से पकड़ती है तब लड़का कहता है कि तुम मेरा हेलमेट पहन लोलड़की कहती है क्यों.  

लड़का कहता है, पहन लो ना प्लीज तब लड़की उसका हेलमेट पहन लेती है।  और अगले दिन पेपर में आता है कि बाइक के ब्रेक फेल होने की वजह से एक लड़के की मौत हो गई लेकिन उसके पीछे बैठी लड़की बच गई. तब लड़की का भाई वहां पहुंचता है और देख कर बहुत ही परेशान होता है तो इस प्रकार लड़का अपनी मोहब्बत को बचाने के लिए उसने अपनी जान दे दी। 

Kahani number- 4

यह कहानी एक बहुत सच्ची प्रेम कहानी है. लक्ष्मी एक सीधी साधी सी लड़की थी परन्तु उसने एक ऐसी गलती कर दी जिससे उसकी ज़िन्दगी पूरी तरह बदल दी. जी हाँ,  मित्रों लक्ष्मी ने एक बहुत ही गलत इंसान से प्रेम कर लिया जो कि उसे गालियां देता व मारपीट भी करता था एवं उसके साथ बहुत ही बुरा व्यवहार करता था

जब लक्ष्मी ने उसे छोड़ने का निर्णय लिया तो उस लड़के ने लक्ष्मी के चेहरे पर तेज़ाब फेंक दिया जिससे उसका चेहरा पूरी तरह झुलस गया.

इसके पश्चात लक्ष्मी ने अपनी ज़िन्दगी से बिल्कुल हार नहीं मानी और उस लड़के को कड़ी से कड़ी सजा दिलवाई. और फिर उसके पश्चात लक्ष्मी ने एसिड अटैक के खिलाफ आवाज़ उठानी आरंभ कर दी

लक्ष्मी ने कई ऐसी लड़कियों को इन्साफ दिलवाया जो कि एसिड अटैक से पीड़ित थी और उसने समाज सेवा करते हुए लक्ष्मी की मुलाकात एक अलोक दीक्षित नाम के लड़के से हुई और अलोक ने लक्ष्मी से विवाह करने का प्रस्ताव रखा जिसे लक्ष्मी ने भी दिल से उसको मान लिया. अब दोनों वे एक साथ रहने लगे एवं उनकी एक 2 साल की बच्ची भी थी.

Kahani number- 5

फैज़ल हसन क़ादरी उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गाँव निवास करते थे. वे अपनी पत्नी से बहुत ही प्यार करते थे. दुर्भाग्य कि बात यह थी कि इनकी कोई सन्तान न थी एवं फैज़ल जी की पत्नी उनसे सदैव यह कहा करती थीं कि हमारे मर जाने के पश्चात हम लोगों को कौन याद रखेगा

फैज़ल कादरी ने अपनी पत्नी को वादा किया कि वे उसके लिए एक वैसा ही ताज महल बनाएंगे कि जैसा शाह जहाँ ने अपनी पत्नी मुमताज बेगम के लिए बनवाया था. क़ादरी साहब की पत्नी की मृत्यु 56 साल की उम्र में ही हो गयी थी एवं उसके पश्चात इन्होने अपनी पत्नी के लिए एक सुंदर सा ताज महल जैसा मकान बनाना आरंभ कर दिया. क़ादरी साहब ने अपन सारा धन इसमें लगा दिया. परन्तु फिर भी बहुत ज्यादा बनना रह गया था. जब यू पी की  सरकार ने ये देखा तो उन्होंने कादरी साहब को आर्थिक सहायता देने का निर्णय लिया और तब जाकर क़ादरी साहब अपनी पत्नी के लिए ताज महल की तरह एक सुंदर सा मकान बना पाए

हालाँकि क़ादरी साहब द्वारा बनवाया गया मकान संगेमरमर का नहीं था परन्तु वह देखने में बिल्कुल ताज महल जैसा ही दिखता था. जैसा शाह जहाँ ने अपनी पत्नी के लिए बनवाया था. क़ादरी जी ने भी अपनी पत्नी को इसी सुंदर से मकान में दफना दिया था और अब यह चाहते है कि मेरे मरने के पश्चात मुझे भी यही दफना दिया जाए.

Kahani number- 6

विजयकांत एवं लीला की शादी को कई साल हो चुके थे. वे दोनों उत्तराखंड में एक तीर्थ यात्रा पर निकले थे. ये वही समय था जब उत्तराखंड में भयंकर सैलाव आया था. सैलाव में कई लोग मारे गए थे एवं हज़ारो की संख्या में लोग लापता भी हो गए थे एवं लीला भी उनमे से एक थी

हालांकि कुछ दिनों पश्चात सरकार ने मरे हुए व्यक्तियों की यह घोषणा की थी जिनमे लीला का नाम भी शामिल था परन्तु विजयकांत का दिल नहीं मान रहा था. वह ये मानने को बिल्कुल तैयार ही नहीं था कि उसकी लीला मृत्यु को प्राप्त हो चुकी है

विजयकांत ने कभी हार न मानी और अपनी लीला की खोज आसपास के गाँवों में आरंभ कर दी. लीला की केवल एक ही तस्वीर लेकर विजयकांत कई महीनो तक उसे खोजता रहा

अंत में उत्तराखंड के एक छोटे से गाँव में किसी व्यक्ति ने लीला के बारे में बताया और कहा कि ऐसी ही एक औरत पास के गाँव में भटक रही है जिसकी मानसिक स्थिति बहुत खराब हो गई है. जब विजयकांत ने उस स्त्री को देखा तो वो उसकी परमप्रिय लीला ही थी. सैलाव में फंसने एवं तबाही का मंज़र देखने के पश्चात लीला की यादाश्त जा चुकी थी

उसके मिलने के पश्चात विजयकांत अपनी लीला को अपने घर ले आये एवं उसका भरपूर इलाज करवाया. लीला की मानसिक स्थिति अब सुधर गई है और वे दोनों ख़ुशी से अपना जीवन व्यतीत कर रहे हैं.

Kahani number- 7

एक बहुत ही अमीर लड़का था. उसे एक गरीब किसान की लड़की से प्रेम हो गया. लड़की बहुत ज्यादा सुंदर होने के साथसाथ बहुत बुद्धिमान भी थी. एक दिन जब लड़के ने उस लड़की से कहा कि मैं तुमसे बेपनाह मोहब्बत करता हूँ, एवं तुमसे विवाह भी करना चाहता हूँ”  तो लड़की ने कुछ सोचने के पश्चात उस लड़के को विवाह करने से मना कर दिया. क्योंकि वह अपने गरीब परिवार से रिश्ता रखती थी.

परन्तु कुछ समय पश्चात जब ये बात उस लड़के को मालूम पड़ी, तो उसने लड़की के मातापिता से अपनी शादी के बारे में चर्चा की एवं उस लड़की को समझाया. बहुत समझाने के पश्चात वह लड़की मान गयी और दोनों का विवाह हो गया. विवाह के पश्चात, लड़का उसे बहुत मोहब्बत करता था. दोनों का दांपत्य जीवन बहुत ही अच्छी तरह से चल रहा था.

परन्तु कुछ महीनों पश्चात लड़की को चर्मरोग हो गया. जिसकी वजह से उसकी सुन्दरता खत्म होने लगी. अब लड़की को यह डर भी सताने लगा, “कि उसकी सुन्दरता नष्ट होने के कारण, कहीं मेरा पति मुझको छोड़ न दे.” लड़की उस चर्म रोग को ठीक करने का हर संभव प्रयत्न करने लगी.

समय बीत चुका था और लड़की की सुन्दरता धीरेधीरे नष्ट हो रही थी. एक दिन वह लड़का एक काम से दूसरे शहर में गया. लड़का जब शहर से वापस अपने घर की तरफ आ रहा थातो उसका रास्ते में एक कार से एक्सीडेंट हो गयाउस दुर्घटना के दौरान लड़के की आंखों की रोशनी हमेशा के लिए चली गई.

इस दुर्घटना के कुछ समय के पश्चात उनका जीवन फिर से सरलता एवं सुखी से बीतने लगावह लड़की चर्मरोग के कारण दिन प्रतिदिन कमजोर एवं बदसूरत होती जा रही थी. परन्तु उसका पति अंधा होने की वजह से उनका दांपत्य जीवन ठीक ठाक चलता रहा एवं उसको दिखाई न देने के कारण, वह लड़का उस से पहले की तरह बेपनाह मोहब्बत करता रहा.

कुछ सालो पश्चात बीमारी की वजह से उस लड़की की मृत्यु हो गई. पत्नी की मृत्यु होने के पश्चात , वह लड़का अंदर से बहुत ही परेशान रहने लगा, एवं वह शहर को छोड़कर जाने वाला ही था. तभी उसके पड़ोसी ने उसे सांत्वना देते हुए समझाया, “कि अब आप तो अपनी पत्नी के बिना अकेले पड़ जाएंगे. वह आपका बहुत ध्यान रखती थी. अब आपका जीवन अंधकार में कैसे बीतेगा.”

तब उस लड़के ने अपने पड़ोसी की ओर देखा एवं गहरी सांस लेते हुए बोला, “मैं कभी अंधा था ही नहीं. लेकिन मैं यह सोचकर अंधे होने का नाटक करता रहा, कि कहीं मेरी पत्नी को उसकी बीमारी एवं बदसूरती के कारण यह ना लगे. कि मैं उससे बिल्कुल मोहब्बत नहीं करता. इसीलिए! मैं इतने सालों तक बिना कुछ कहे हुए अपनी पत्नी की प्रसन्नता के लिए अंधा बना रहा.”  यह बात सुनकर पड़ोसी की आंखों से आंसू छलक आए और वह लड़का वहां से उठकर बहुत दूर को चला गया….!

Kahani number- 8

एक लड़का एवं एक लड़की दोनों की बहुत गहरी मित्रता थी. दोनों एकदूसरे से बेपनाह मोहब्बत करते थे. एकदूसरे से मिले बिना एवं बातें किये बिना रह नहीं सकते थे.

एक दिन गर्लफ्रेंड ने अपने बॉयफ्रेंड से कहा, “प्रिय एक दिन तुम मुझसे मिले बिना, फोन किये बिना और कोई मैसेज किये बिना रहकर दिखाओ. ये तुम्हारे लिए सबसे बड़ा चैलेंज है. देखती हूँ कि तुम ये सब कर भी पाते हो या नहीं. अगर यह सब कर पाये, तो मेरी मोहब्बत तुम्हारे लिए और भी ज्यादा हो जायेगी.

तब बॉयफ्रेंड ने उसका चैलेंज स्वीकार कर लिया. और दूसरे दिन वह उससे मिलने को बिल्कुल नहीं गया, न ही उसे कोई फोन किया और न कोई भी मैसेज किया. उस दिन वह बहुत ही प्रसन्न था कि अपनी गर्लफ्रेंड के दिए हुए चैलेंज में वह जीत जायेगा. परन्तु इस बात से वह अनजान था कि उसकी गर्लफ्रेंड कैंसर से मर गयी है.

अगले दिन वह खुशीखुशी अपनी गर्लफ्रेंड से मिलने गया. वह बहुत ही प्रसन्नचित था उसे यह बताने के लिए कि देखो मैंने तुम्हारे बिना एक पूरा दिन रह कर दिखा दिया. परन्तु वहाँ पहुँचने पर उसे पता चला कि उसकी गर्लफ्रेंड की एक दिन पहले ही मौत हो चुकी है. वह उसके लिए एक पत्र छोड़कर चली गई थी, जिस पर लिखा था – “प्रिय, तुमने एक दिन मेरे बिना रह कर दिखा दिया. अब से ऐसा प्रतिदिन करना. मैं तुमसे बेपनाह प्यार करती हूँ. आई लव यू.

Kahani number- 9

दो दिन पहले उनकी शादी की आठवीं सालगिरह थी, लेकिन हिरेन यह भूल गया था और ऊपर से बहुत ही लेट आया। फिर तो कहना ही क्या था ? उस दिन दोनों के बहुत ज्यादा झग़डे हुए थे। बहुत देर बाद गुस्सा ठंडा हो जाने पर हिरेन ने अपनी पत्नी को मनाने की बहुत कोशिश भी की, परन्तु मेडम तो मेडम होती है। उनकी मर्ज़ी चाहे तो क्षमा करें, और अगर न चाहे तो ना करें।

शादी के कुछ साल तक तो सब कुछ ठीक ठाक चल रहा था, परन्तु धीरे धीरे प्यार की जगह मन मुटाव एवं रोमांस के झग़डे भी होने लगे। अब तो एक दूसरे के प्रति आदर व मान सम्मान के बीच में उनका कोई स्वाभिमान न रहा। एक समय था जब दोनों को लगता था कि वें एकदूसरे के बिना बिल्कुल रह नही पाएंगे। मगर आज वहीं दो प्रेमी एक ही छत के नीचे अनजानों की तरह जीवन व्यतीत कर रहे थे।

सोफे पर बैठी त्रिवेणी के मन में एक ख्याल आया कि कोई भी अपनी शादी की सालग्रह को भूल सकता है क्या. वह अपने पति से इतनी गुस्से में थी कि पिछले दो दिन से उससे ठीक ठाक से बात भी नही कर रही थी।

तभी दरवाज़े की घंटी बजी, उसने जाकर दरवाजे को खोला, सामने बारिश में भीगा हुआ उसका पति हिरेन खड़ा था। हाथों में फूलों का एक सुंदर सा गुलदस्ता लिए था और उसके चेहरे पर मुस्कान थी।

लेकिन त्रिवेणी अभी भी उसे क्षमा करने के विचार में बिल्कुल नही थी। उसने गुलदस्ते को नीचे की ओर फेंक दिया और फिर से लड़ झगड़ने लगी और कहने लगी, कि तुम्हें क्या लगता हैं, इस तरह से मुझे गुलदस्ता देने से मैं अपनी बात को भूल जाऊंगी? अगर सच में मुझसे बेपनाह मोहब्बत करते हो तो मुझे दिखाओ, इस तरह से झूठमुठ का नाटक मुझे बिल्कुल पसंद नही है।

हिरेन कुछ बोलता उससे पहले घर के अंदर से मोबाइल की घंटी बजने की आवाज़ सुनाई दी। त्रिवेणी ने अंदर जा कर फोन को अपने हाथ में लिया और कॉल करने वाले का नंबर देखा। उसे थोड़ा सा शक हुआ, कि वह कॉल हिरेन ने ही कि थी।

परन्तु जब उसने फोन को उठाया तो दूसरी तरफ किसी अनजान मर्द की आवाज़ सुनाई दी, “हैलो, मैं गुड़गाँव पुलिस स्टेशन से सब इंस्पेक्टर विजयसिंघ राठौड़ बात कर रहा हूं। क्या यह हिरेन शर्मा के घर का नंबर है?”

जी हाँ, क्या कोई मुसीबत आ पड़ी है?”

मुझे खेद है, लेकिन एक दुर्घटना अवश्य हुई है जिसमें एक आदमी की मृत्यु हो गई हैं। हमें उसकी जेब से एक पर्स और एक उसका मोबाइल फोन भी मिला हैं। जिसमें आपका नंबर घर के नाम से सेव किया गया है; हमें उसके शरीर की पहचान करने के लिए किसी की आवश्यकता आ पड़ी है, क्या आप अभी सिविल हॉस्पिटल आ सकती हैं?”

त्रिवेणी का दिल बैठ गया! वह अचंभे में पड़ गयी। उसने कहा लेकिन मेरे पति तो यहाँ मेरे साथ घर पर ही हैं,

क्षमा करें महोदया, परन्तु यह घटना करीब दो घंटे पहले ही हुई, जब वह रेलवे स्टेशन से बाहर की ओर निकल रहे थे।

त्रिवेणी अपना होश आवाश खोने लगी थी। यह कैसे हो सकता हैं? उसने पहले किसी से सुना था कि कभी कभी आत्माएं इस दुनिया को छोड़ने से पहले अपने परिवारजनों से मिलने को आती है।

अपनी आंखों में आँसू के साथ वह दौड़ती हुई अपने हांल में पहुंची। हिरेन वहां नहीं था। पुलिस वाला सही कह रहा था। अब उसे पछतावा होने लगा था। हिरेन मरने के पश्चात भी आख़िरी बार उसे मनाने अवश्य आया था। परन्तु उसने गुस्से में आकर उसके साथ घटिया क़िस्म का बर्ताव किया ।

वह रोती हुई फर्श पर बैठ गई और कहने लगी कि कितनी बेकार हूं मैं?” उसने अपना मौका हमेशा के लिए खो दिया था।

त्रिवेणी ने अपनी आँखें बंद कर ली एवं ईश्वर से प्रार्थना करने लगीकि हे भगवान, बस एक बार मुझे उनसे मिला दो, ताकि उसे बता सकूँ कि मैं उससे कितनी बेपनाह मोहब्बत करती हूं।

तभी अचानक बाथरूम में से आहट सुनाई दी, दरवाज़ा खुला, हिरेन बाहर आया और बोला, “स्वीटहार्ट, मैं तुम्हें यह बताना भूल गया कि,आज शाम को ट्रेन में आते वक़्त मेरा पर्स एवं मोबाइल चोरी हो गया हैं।

त्रिवेणी भागती हुई उसके पास गई और गले से लिपट कर जोर जोर से रोने लगी।

Kahani number- 10

श्याम एवं राधिका बचपन से एक दूसरे को भलीभांति जानते थे। वे साथ साथ खेलते एवं साथ साथ पढ़ा भी करते थे । एक दिन उनकी कक्षा में श्याम की अचानक से तबीयत बिगड़ गई एवं वह बेहोश भी हो गया, थोड़ी देर पश्चात उसे होश आया। शर्मिंदगी से बचने के लिए वह अपनी कक्षा से बाहर की ओर आ गया उसे लगा कि कहीं बच्चे उसका मजाक न बनाये।

राधिका को यह बात पता चली और उसने उसे बहुत समझाया कि ऐसा होता है इसलिए तुम बिल्कुल डरो नहीं, दोनों ने बातें की और बातें करते करते इतने खो गए कि श्याम को यह पता ही नहीं कि उसकी क्लास में कुछ हुआ था।

राधिका का अब बोर्ड का पेपर था एवं उसे थोड़ी टेंशन भी हो रही थी। अब की बार श्याम ने उसे पूरा सहयोग दिया था एवं उसे पढ़ाया भी था यह देखते देखते दोनों ने एक साथ परीक्षा को पास कर लिया और अगली कक्षा में पहुंच गए।

दोनों की मित्रता कब मोहब्बत में बदल गई वो यह बिल्कुल भी नहीं जानते थे। धीरेधीरे अपना अधिक समय आपस में बिताने लगे। दोनों ने मिलकर एक निर्णय लिया कि वे दोनों इस बेपनाह मोहब्बत को कामयाब करेंगे एवं सदैव के लिए एक दूसरे के बंधन में बंध जायेंगे। 

श्याम ने अपने घरवालों एवं राधिका ने अपने घरवालों को यह बात बताई कि वे दोनों एक दूसरे से बेपनाह मोहब्बत करते हैं और वे दोनों आपस में विवाह करना चाहते हैं। 

दोनों परिवार वाले थोड़ी देर तक मौन रह गए। फिर उन्होंने आपस में इन दोनों के बारे में चर्चा करी। दोनों परिवार एक दूसरे से मिले एवं रिश्ते को आगे बढ़ाया। परिवार वालों ने दोनों के प्यार को स्वीकार किया एवं श्याम और राधिका का विवाह करा दिया।

दोनों खुशीखुशी अपने परिवार के साथ जीवन व्यतीत कर रहे हैं यही होता है सच्चा प्यार और इसी को कहते हैं। 

केवल एक दूसरे को पसंद करना ही प्यार मोहब्बत नहीं होता। अपितु उस प्यार को अपने मंजिल या अंजाम तक पहुँचाना अर्थात् कामयाब बनाना होता है। 

Kahani number- 11

एक लड़की बहुत ही सुंदर थी। जितनी वह सुंदर व आकर्षक थी, उतनी ही वह बहुत ईमानदार भी थी। वह न किसी से झूठ बोलना एवं न किसी से बातें करना सिर्फ वह अपने काम से काम रखती थी। वह लड़की स्कूल में पढ़ने जाया करती थी।

उसी की कक्षा में एक लड़का भी पड़ता था। वह मन ही मन उससे बेपनाह मोहब्बत करता था। लड़का अक्सर उसके छोटेमोठे काम भी किया करता था। बदले में जब लड़की हँसकर उससे धन्यवाद कहती, तो लड़के की ख़ुशी की सीमा नहीं रहती थी।

एक बार की बात है, दोनों लोग साथसाथ घर पर जा रहे थे की तभी जोरदार बारिश होने लगी। दोनों ने एक पेड़ के नीचे शरण ली। वह पेड़ बहुत ही छोटा था। ऐसे में बारिश से बचने के लिए दोनों एक दूसरे के बहुत ही नजदीक आ गए।

लड़की को इतने नजदीक पाकर लड़का अपने जज्बातों पर काबू न कर सका। उसने लड़की को अपने प्यार के बारे में सब कुछ बता दिया। लड़की भी मन ही मन उसे चाहती थी इसलिए वह भी उससे राजी हो गई एवं इस तरह उन दोनों का प्यार आरंभ हो गया।

एक बार की बात है, लड़की उसी पेड़ के नीचे उस लड़के का इंतजार कर रही थी। लड़का वहाँ बहुत ही देर से आया। उसे देखकर लड़की नाराज होकर बोली, “तुम इतनी देर से क्यों आए हो ? मेरी तो जान ही निकल गई थी।

यह सुनकर लड़का बोला, “अरे भई , मैं तुमसे दूर कहाँ गया था, मैं तो तुम्हारे दिल में ही रहता हूँ,  अगर तुम्हे यकीन न हो तो अपने दिल से ही पूछ लो।

लड़के की इस प्यारी सी बात को सुनकर लड़की अपना सारा गुस्सा भूल गई एवं भागकर उस लड़के के गले से लिपट गई।

एक दिन दोनों उसी पेड़ के नीचे बैठे कोई चर्चा कर रहे थे एवं लड़का उसकी गोद में सर रखकर लेटा हुआ था। तभी लड़की बोली, “सुनो, अब तुम्हारी जुदाई मुझसे बिल्कुल बर्दास्त नहीं होती। तुम्हारे बिना एक पल भी मुझे सौ साल के बराबर लगता है। तुम मुझसे जल्दी से विवाह कर लो नहीं तो मैं अवश्य ही मर जाऊंगी।

लड़के ने तुरंत लड़की के मुँह पर अपना हाथ रख दिया और बोला, “ऐसी बात बिल्कुल मत किया करो, अगर तुम्हे कुछ हो गया तो मैं कैसे जीवित रहूँगा।फिर लड़का कुछ देर तक सोचता हुआ बोला, “तुम चिंता बिल्कुल मत करो, मैं जल्द ही अपने घर वालो से बात करूँगा।

धीरेधीरे बहुत ही समय बीत गया। एक दिन दोनों उसी पेड़ के नीचे बैठे हुए थे। उस समय लड़के का चेहरा बिल्कुल उतरा हुआ था। लड़की के पूछने पर वह रोते हुए बोला, “सुनो, मैंने अपने घर वालो को बहुत समझाया परन्तु वह हमारे विवाह के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं है। उन्होंने मेरा विवाह कही और तय कर दिया है।

यह सुनकर लड़की का कलेजा फट गया। उसका मन हुआ की वह जोर जोर से रोए परन्तु उसने अपने जज्बातों पर नियंत्रण पा लिया और वह बोली, ‘मैं तुमसे सच्ची बेपनाह मोहब्बत करती हूँ, मैं तुम्हे कभी भी भुला नहीं सकती।

लड़का धीरे स्वर में बोला, “कृपया मुझे क्षमा कर देना। वैसे अगर तुम चाहो तो हम सदैव के लिए मित्र रह सकते हैं।

यह सुनकर लड़की जोर जोर से रोने लगी। लड़के ने उसे समझाया और दोनों एक साथ रोते हुए अपनेअपने घर की ओर चले गए।

देखते ही देखते लड़के का विवाह का दिन भी आ गया। लड़के को यकीन था कि उसके शादी में उसकी मित्र अवश्य आएगी पर ऐसा हुआ ही नहीं परन्तु लड़की का भेजा हुआ एक गिफ्ट उसे अवश्य मिला। लड़के ने अपने थरथराते हाथो से उसको खोला। उसे देखते ही वह बेहोश हो गया। 

गिफ्ट पैक में और कुछ भी नहीं बल्कि उसके खून से लथपथ लड़की का दिल रखा हुआ था एवं साथ ही एक चिट्ठी भी थी । उस चिट्ठी में लिखा था अरे पगले, अपना दिल तो लेते जा, वरना अपनी पत्नी को क्या देगा।

Kahani number- 12

राज एवं प्रिया की लव मैरिज हुई थी एवं दोनों का जीवन अच्छे से बीत रहा था। उनके दो बच्चे भी हुए। दोनों बच्चे पढाई लिखाई में बहुत ही तेज थे और दोनों ही अपने मातापिता का आदर व मान सम्मान किया करते थे। दोनों बच्चे बहुत ही बड़े हो गए एवं दोनों को ही बढ़िया नौकरी मिल गई। दोनों ही अपने जीवन में सेटेल हो गए और उनके मातापिता राज और प्रिया दोनों अपने घर पर ही रह गये।

पर वह दोनों अलग कहाँ हुए थे, वह तो सदैव एक दूसरे के साथ रहते थे । जो उन्होंने जीवन में आखिर तक रहने का निश्चय किया था और उसे खूब अच्छी तरह निभाया भी था। उनका सब कुछ ठीकठाक चल रहा था पर शायद प्रभु को कुछ और ही मंजूर था।

प्रिया को अचानक एक बीमारी हो गई जिसके कारण उसकी भूलने की शक्ति धीरे धीरे नष्ट होती जा रही थी। यहाँ तक की अपने प्यार राज को भी भूलने लगी थी।  पर राज प्रिया को नहीं भुला पाया। उसने बिल्कुल हार नहीं मानी। वह कैसे अपनी प्रिया को भूल सकता था

वह हर रोज प्रिया को उन दोनों की पहली मुलाक़ात से उनकी बुढ़ापे तक की कहानी सुनाता रहता था। उसे लगता था कि शायद इन सब बातों को कहने से प्रिया उसको पहचान लेगी।

प्रिया बड़े मजे से उसकी कहानी सुनती थी। कहानी सुनकर प्रिया को कुछकुछ याद तो आता था परन्तु फिर थोड़ी ही देर में सबकुछ भूल जाती एवं राज से यह पूछने लगती , “कि आप कौन है? क्या मैं आपको जानती हूँ?”

यह सुनकर राज हर रोज परेशान हो जाता था एवं मन ही मन ऊपर से हँसता भी था। पर राज ने बिल्कुल हार नहीं मानी, वह रोज उन दोनों की प्रेम कहानी उसे सुनाया भी करता था कि शायद उसकी यादास्त जल्दी लौटकर आ जाए।

ऐसे ही कुछ महीना निकल गया और राज प्रिया को इसी तरह रोज घंटो तक कहानी सुनाया करता था । प्रिया रोज उसकी कहानी सुनने का इंतजार करती थी । प्रिया यह समझती थी कि राज उसकी बहुत ही कदर करता है पर उसे पहचान नहीं पाती। 

जब भी प्रिया को उसकी यादास्त वापस आती वह राज से एक वादा करने को कहती कि वह कभी उसे छोड़कर न जाए, सदैव उसके सामने रहे। राज भी प्रिया से यह वादा कर बैठता कि वह उसे छोड़कर कही भी नहीं जाएगा एवं सदैव उसका साथ निभाएगा।

एक दिन, अचानक राज की मौत हो गई और इधर प्रिया उसका इंतजार करती रही कि कब राज उसके पास आएगा और उसे कहानी भी सुनाएगा। पर जब प्रिया ने राज की मृत शरीर को देखा तब वह बहुत रोने लगी, इसलिये नहीं कि उसे अब कहानी कौन सुनाएगा या उसका ख्याल कौन रखेगा पर इसलिए कि उसे उस वक़्त यह याद आ गया कि राज ही उसका पहला प्यार था, राज ही उसका पति था, वह इंसान जिससे वह बहुत बेपनाह मोहब्बत करती थी और जिसके साथ जीनेमरने की कस्मे भी खाई थीं। बिना कहानी सुने उसे सब कुछ याद आ गया।

अपनी आखरी अलविदा में भी उसे राज का एक साथ मिला जिसकी वह इच्छा रखता था। राज की चिता में आग लगने से पहले ही प्रिया की चिता भी उसके पास लग गई। प्रिया अपनी बीमारी में यह बर्दाश नहीं कर पाई कि उसका प्यार उसे इस दुनिया में अकेला छोड़ कर चला गया।राज ने अपना वादा तो नहीं निभाया लेकिन प्रिया ने अपना वादा अवश्य निभाया। 

Kahani number- 13

एक बार की बात है. एक फकीर से एक लड़के ने पूछा— “बाबा! मैंने कई जगह पढ़ा है और कई लोगों से यह भी सुना है, कि सच्चा प्यार लोगों को नसीब नहीं होता‘. मैं तो बस यह जानना चाहता हूं कि लोग इस बात को क्यों बोलते है

तो उस वृद्ध फकीर ने लड़के की बातों को ध्यान से सुनकर कहा, “बेटा! एक काम करो तुम्हारे घर के पास जो फूलों का बगीचा है, उस बगीचे में से मुझे एक सबसे सुंदर व आकर्षक फूल लाकर दो. मैं तुम्हारे हर प्रश्न का उत्तर दूंगा“.

लड़के ने फकीर की यह शर्त मान ली और बगीचे से फूल तोड़ने के लिए चला गया. कुछ समय के पश्चात वह लड़का खाली हाथ लौट कर वापस आया. उसके हाथ में किसी भी प्रकार का कोई भी फूल नहीं था. जब फकीर ने लड़के से पूछा किफूल तोड़ कर नही लाये हो?

तो लड़के ने कहा, “बाबा! जब मैं बगीचे में पहुंचा, तो मुझे शुरुआती पेड़ों पर बहुत ही सुंदर फूलदिखाई दिया. परन्तु मैं उससे भी अच्छे फूलों की खोज में पूरे बगीचे में इधर उधर भटकता रहा. जब मुझे कहीं भी उससे बढ़िया फूल नहीं दिखा, तब मैं उसी फूल को लेने के लिए वापस गया. परन्तु तब तक उस फूल को कोई और तोड़कर ले जा चुका था और मुझे खाली हाथ आपके पास लौट कर वापस आना पड़ा“.

लड़के की पूरी बात को सुनने के पश्चात, फकीर ने हँसते हुए कहा— “बेटा! ठीक ऐसा ही हमारी जिंदगी में भी होता है. कई लोग के पास जो अच्छा समय खुद के पास है उससे बेहतर खोजने में अपना समय नष्ट करते रहते हैं. परन्तु उनको यह पता नहीं चलता कि जिस बेहतर प्यार या रिलेशनशिप को वह बाहर खोज रहे हैं, वह उनके पास पहले से ही मौजूद है. जब तक उनको इस चीज का एहसास होता है, तब तक बहुत देर हो चुकी होती है एवं बेहतर खोजने के चक्कर में वो हर तरफ से वंचित रह जाते हैं“.

किसी ने सच ही कहा है कि सच्चा प्यार लोगों को नसीब नहीं होता“. यह बात सुनकर लड़के की आंखों में एक अलग सी चमक आ जाती है और उसे दुनिया का सबसे अनमोल वचन मिल चुका था. और उसे रिश्तो को निभाना भी आ गया था

वह लड़का हँसते हुए अपने घर की ओर वापस चला गया और फकीर ने भी अपना रास्ता बना लिया.

Kahani number- 14

एक दिन एक आदमी को उसकी पत्नी ने, जिसके बाल बहुत लम्बे थे उसने उसके लिए एक कंघा खरीदने को कहा ताकि वो अपने बालो की अच्छे से देखभाल कर सके.

उस आदमी ने अपनी बीवी से क्षमा मांगी और कंघी लाने से इंकार कर दिया. उसने अपनी बीवी समझाया कि उसके पास अभी कंघी लाने के लिए पैसे नहीं है. लेकिन फिर भी उसकी पत्नी अपनी जिद पर अड़ गयी.

नाराज होकर वह इंसान काम पर जाने के लिए निकल गया और जातेजाते एक दम रास्ते में उसकी नजर एक घडी की दुकान पर पड़ी, उसने सोचा की वह उस दुकान पर अपनी घड़ी को बेच देगा और अपनी बीवी के लिए एक कंघी  लेकर जायेगा.

शाम को जब वो कंघी लेकर अपने घर आया, तो अपनी पत्नी को कंघी देने ही वाला था कि उसकी नजर अपनी पत्नी पड़ी. अचानक अपनी पत्नी को देखकर वह आश्चर्यचकित हो गया, क्योंकि उसने अपनी पत्नी को पहली बार शोर्टहेयर (कम बालो) में देखा था.

उसकी पत्नी ने अपने बालो को बेचकर अपने पति की घड़ी के लिए नई चैन को ख़रीदा था.

एक दूसरे के प्रति इतना प्यार देखते हुए दोनों की आँखों से आंसू निकलने लगे, ये आंसू उनकी ख्वाइश पूरी होने के वजह से नहीं बल्कि उनके एकदूजे के प्रति  प्यार को देखकर थे.

Kahani number- 15

जब ग्वाला वृंदावन में अपनी बांसुरी बजाता था, तो सिर्फ गाय ही नहीं आती थी बल्कि उनके साथ गोपियाँ भी आती थी। उनमें राधा भी थी जिसने ग्वाले के मन को चुराया भी था। कृष्ण का नीला रंग, बादाम के आकार की तरह आंखे, हल्के गुलाबी होंठ, काले बालों में मोर के पंख और शरारतीपन को देखकर सारे गोपियाँ कृष्ण पर मन्त्र मुग्ध हो गयी । परन्तु केवल राधे ने कृष्ण की बांसुरी की मीठी आवाज को अपने मन में बसा ली थी। जब कृष्ण की बांसुरी बजने पर राधा नाचती थी तो वृंदावन में स्वर्ग की सुंदरता दिखाई देती थी। राधा ने कृष्ण का मन भी चुरा लिया था , एक चोर जो हर घर में मक्खन चुराता था। जब कृष्ण उससे विवाह करना चाहता था, तो उसने उससे विवाह करने से मना कर दिया। इसके पीछे मजबूत एवं पवित्र वजह थी.

राधा को 6 साल की आयु में अयान नाम के एक सैनिक के साथ उसका बाल विवाह हो गया था। परन्तु उनकी शादी के एक साल के भीतर ही अयान की मृत्यु हो गयी। उसके पश्चात कृष्ण को राधा मिली। वह कृष्णा से तीन चार साल बड़ी भी थी। राधा की पहले ही शादी हो चुकी थी। इसलिए वो अपनी मूर्खतापूर्ण भावनाओं को छुपाए रखी एवं उसके पास कृष्ण के लिए सिर्फ प्रेम की भावनाएँ थीं। वो कृष्ण से बहुत प्रेम करती थी। परन्तु उसने विवाह करने से मना कर दिया। क्योंकि वो पहले से ही शादीशुदा थी। इसके अलावा उसके मन में ऐसी हीन भावना थी कि कृष्ण राजा होनेवाला है। लेकिन मैं गाय चरानेवाली साधारण सी गोपिका हूँ।

राधा चाहे तो पहले से ही शादीशुदा होने के कारण भी कृष्ण से विवाह कर सकती थी। परन्तु उसकी प्यार की कल्पना बिल्कुल अलग थी। राधे एवं कृष्ण का मन परस्पर मिला हुआ था। इसके आलावा वो मानती थी कि प्यार में एक हुए मनों को शादी के बंधन की आवश्यकता नहीं है। 

Kahani number- 16

सुबह के ठीक साढ़े आठ बजे थे. ठीक उसी समय लगभग अस्सी वर्ष के एक वृद्ध व्यक्ति ने अस्पताल में आया. वह जल्दी में लग रहा था.

उसकी हड़बड़ी देख अपनी रात की ड्यूटी ख़त्म कर वापसी लौट रही एक नर्स ने जिज्ञासावश उससे पूछ लिया, “सर, क्या आपको किसी डॉक्टर से मिलना है?”

वृद्ध व्यक्ति ने जबाव दिया, “नहीं बहन ! मैं तो यहाँ अपनी पत्नी से मिलने आया हूँ. उसे बहुत ही ज्यादा तकलीफ है और वह यहाँ भर्ती है. करीब नौ बजे मुझे उसके साथ नाश्ता करना है.

ओह, तो क्या आपके देर से पहुँचने पर वो नाराज़ हो जायेंगी.

नहीं, उसने तो मुझे पिछले पांच सालों से पहचाना ही नहीं है.उस बूढ़े की आँखों में उसके ह्रदय में उठ रही जिज्ञासा की एक झलक थी.

इसके पश्चात आप उनसे मिलने प्रतिदिन यहाँ आते है, जबकि वह ये भी नहीं जानती कि आप उनके कौन हो.

बूढ़े व्यक्ति ने हँसते हुए उत्तर दिया, “तो क्या हुआ? मैं तो उसे पहचानता हूँ कि वो कौन है.

Kahani number- 17

एक गरीब लड़का था और वह एक अमीर आदमी की लड़की से बेपनाह मोहब्बत करता था. एक दिन किसी तरह हिम्मत करके उसने अपने दिल की बात उस लड़की को बता दी. लड़की को अपने पिता के पैसों का बड़ा ही घमंड था. वह बोली, “देखो! मेरा प्रतिदिन का खर्च तुम्हारी एक महिने की तनख्वाह से भी अधिक है. मैं तुमसे कैसे मोहब्बत कर सकती हूँ? तुमने ऐसा सोच भी कैसे लिया? मैं तुम्हें कभी भी मोहब्बत नहीं करूंगी. इसलिए यह बेहतर होगा कि तुम मुझे भूल ही जाओ एवं अपने लेवल की किसी लड़की से विवाह कर लो.

लड़का उस लड़की को भुला नहीं पाया. तकरीबन दस साल हो गए. एक दिन अचानक वह उस लड़की से एक किसी शॉपिंग मॉल में टकरा गया. लड़की उसे देखते ही पहचान गई और उसे दस साल पहले की घटना याद आ गई. उस पर अब भी पैसे का बहुत ही घमंड था. लड़के को फिर से नीचा दिखाने के मकसद से वह बोली, “अरे तुम! कैसे हो? बहुत लंबे समय बाद हमारी मुलाकात हुई है. देखो ज़िंदगी कितनी बदल गई है और मेरी शादी भी हो गई है. मेरे पति भी खूब अच्छाखासा कमाते भी हैं

इतने सालों बाद लड़की के वैसे ही व्यंग्यबाण लड़के के दिल को छलनी कर गए. उसकी आँखें नम आई.. 

वे साथ खड़े ही थे कि लड़की का पति भी वहाँ आ गया. इससे पहले कि वह कुछ कह पाती, लड़के को देख वह बोल पड़ा, “सर! आप यहाँ? ये मेरी पत्नी है?”

फिर वह अपनी पत्नी से बोला, “ये मेरे सर हैं. मैं इनके सौ करोड़ के प्रोजेक्ट का हिस्सा हूँ. और प्रिय तुम्हें एक बात बताऊं? मेरे सर एक लड़की से बहुत बेपनाह मोहब्बत करते थे, पर उसका दिल नहीं जीत सके. इसलिए इन्होंने आज तक विवाह नहीं किया. वह लड़की कितनी खुशनसीब होती, अगर उसने हमारे सर सेविवाह कर लिया होता. आज के ज़माने में कौन किसी से इतना बेपनाह मोहब्बत करता है?”

यह सुनकर लड़की को बहुत गहरा झटका सा लगा . वह एक शब्द न कह सकी.

Kahani number- 18

यह कहानी उस एयर फोर्स नौजवान मनदीप की है | जो बचपन से ही एयरफोर्स में नौकरी करना चाहता था एवं एक दिन उसका यह स्वप्न भी पूर्ण हो गया | मनदीप को अपने शहर के एक संजना नाम की एक लड़की से बहुत बेपनाह मोहब्बत हो गई, वह उससे विवाह भी करना चाहता था | दोनों को बसंत का मौसम बहुत ही प्रिय था, बसंत के मौसम में दोनों इतने प्रसन्न रहते थे कि मानो इनको क्या मिल गया है| आज फिर से बसंत का मौसम आ गया है और मनदीप इस बार अपनी जॉब की वजह से संजना से मिलने नहीं आ पाया था| संजना को यही बसंत जो उसको बहुत ही अच्छा लगता था, उसको यह वसंत काटने को दौरने लगा | संजना यह हट करने लगी कि तुमको यहाँ आना ही पड़ेगा, परन्तु मनदीप अपने देश की जिम्मेदारी के आगे बहुत मजबूर था | उसकी पोस्टिंग ऐसे जगह पर हुई थी जहाँ पर कभी भी जान जा सकती थी |

जब संजना बहुत हट करने लगी तो मनदीप ने अपने बड़े अफसर को यह बात बताई और फिर उसको दो दिन की छुट्टी दे दी | वह बहुत प्रसन्न था और संजना से बोला मैं यहाँ कल तक आ जाऊंगा बस आज की रात ड्यूटी है | इधर संजना अपने स्वप्नों में खो गयी और सोचने लगी कब हमारा मनदीप आएगा | परन्तु समय को कुछ और ही मंजूर था उसी दिन रात को मनदीप और आतंक वादियों के बीच लड़ाई छिड़ गई और मनदीप वहाँ शहीद हो गया |

मनदीप अगले दिन अपने शहर वापस तो आया लेकिन जिन्दा नहीं | मनदीप के सव को देखकर संजना बुरी तरह बेहोश हो गयी और अपने आप को कोसने लगी की काश मैंने मनदीप को बुलाया नहीं होता | इसके पश्चात संजना ने कभी भी बसंत के मौसम को प्रसन्नचित होकर नहीं मनाया

Kahani number- 19

एक गौरैया थी जो एक सफेद फूल से बेपनाह मोहब्बत करती थी परन्तु सफेद फूल गौरैया से मोहब्बत नही करता था , उस ने बोला जब वह लाल हो जाएगा तब उस से बेपनाह मोहब्बत करेगा परन्तु ऐसा बहुत ही कठिन था कि सफेद फूल लाल हो जाए , परन्तु गौरैया सफेद फूल से बहुत बेपनाह मोहब्बत करती थी , उस ने बहुत प्रयास किया परन्तु सफेद फूल कभी लाल नही हुआ !

एक दिन गौरैया के मन मे एक विचार सूझा कि उस को अपने प्यार को पाने के लिए कुछ भी करना है उस ने अपने शरीर को सफेद फूल के कांटो से फाड़ डाला एवं अपने रक्त को सफेद फूल के ऊपर गिरा दिया , अब सफेद फूल लाल हो गया , परन्तु गौरैया अब मर चुकी थी ! सफेद फूल को अपने पूरे जीवन में अफ़सोस होता रहा कि काश मैने ऐसा बिल्कुल न बोला होता तो आज गौरैया  जीवित होती!