Mahatma budh ki kahani|Gautam buddha ki kahani hindi mein

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आज इस पोस्ट में हम आपको आसान शब्दों में Mahatma budh ki kahani के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे। चलिए जानते हैं भगवान बुद्ध की प्रेरणादायक कहानी 

भगवान बुद्ध की अति प्रेरणादायक कहानी 

दोस्तों बहुत पहले की बात है एक गरीब इंसान अपनी गरीबी से बहुत परेशान हो गया था अपनी गरीबी के कारण उसका अपने परिवार का पालन पोषण करना बहुत कठिन हो गया था एक पत्नी और दो पुत्रों के भरण-पोषण के बोझ ने उसके मन में उथल-पुथल मचा दी थी इसी उथल – पुथल के चलते उसने घर छोड़कर भाग जाने का निर्णय ले लिया और एक रात वह चुपचाप अपना घर परिवार छोड़कर चला गया.

वो रात में बिना किसी मंजिल को निर्धारित किए चला जा रहा था जब वह एक नदी के किनारे पहुंचा तो उसने देखा वहाँ भगवान बुद्ध अपने शिष्यों के साथ डेरा डाले हुए हैं यह देख उसने निर्णय लिया कि वो सन्यासी हो जाएगा और भगवान बुद्ध का शिष्य बन कर उनके साथ ही विचरण करेगा यह निर्णय लेकर वो भगवान बुद्ध के डेरे में जाकर उनके चरणों में गिर गया और उन से विनती करने लगा कि वह उसे अपना शिष्य बना कर अपने साथ ही रख लें भगवान बुद्ध ने उस गरीब इंसान पर कृपा करके उसे अपना शिष्य बना लिया.

उसके बाद जब भगवान बुद्ध का काफिला आगे बढ़ा तो वो भी उनके साथ ही चल पड़ा गर्मी का महीना था भगवान बुद्ध का काफिला चलता चला जा रहा था जब वो एक जंगल में पहुंचे तो सभी लोग पेड़ के नीचे विश्राम करने के लिए रुक गए गर्मी के कारण भगवान बुद्ध को काफी जोरों की प्यास लगी थी उन्होंने अपने नये शिष्य से कहा यहां पास में सरोवर है तुम जाकर वहां से पानी ले आओ भगवान बुध का आदेश सुनकर सरोवर से पानी लेने चल पड़ा.

जब वह सरोवर के पास पहुंचा तो उसने देखा कुछ जंगली जानवर सरोवर में उधम मचा रहे हैं परंतु जब वो सरोवर के पास पहुंचा तो सभी जानवर डर कर भाग गए उस शिष्य ने सरोवर के पास जाकर देखा कि सरोवर का पानी जानवरों के उधम मचाने के कारण काफी गंदा हो गया था सरोवर का कीचड़ और सड़े – गले पत्ते बाहर उभर कर आ गए थे इतना गंदा पानी देखकर वो बिना पानी लिए ही वापस आ गया और आकर भगवान बुद्ध से बोला.

भगवान उस सरोवर में तो बहुत ही गंदा पानी था उसे तो पिया ही नहीं जा सकता शिष्य की बात सुनकर भगवान बुद्ध कुछ देर तक कुछ नहीं बोले फिर उससे कहा, जाओ उसी सरोवर से जाकर पानी ले आओ भगवान बुद्ध का यह आदेश सुनकर वो शिष्य पानी लेने चल तो पढ़ा परंतु मन में यही सोचता जा रहा था कि भगवान बुद्ध इतने गंदे पानी को पिएंगे कैसे जब वह चलता हुआ सरोवर के पास पहुंचा तो यह देखकर चकित रह जाता है कि सरोवर का पानी निर्मल और स्वच्छ हो गया है.

वह पानी लेकर भगवान बुद्ध के पास आता है और उनसे यह प्रश्न करता है कि थोड़ी ही देर में सरोवर का पानी इतना साफ कैसे हो गया तब भगवान बुद्ध ने उसे समझाते हुए कहा जब जानवर पानी में उधम मचा रहे थे तब उसका कीचड़ उभर आया था परंतु कुछ देर शांत रहने पर कीचड़ वापस नीचे बैठ गया और पानी फिर से निर्मल हो गया इसी प्रकार हमारे मन की भी स्थिति होती है.

जीवन की भागदौड़ और कठिनाइयां हमारे मन में उथल-पुथल पैदा कर देती है और तब हम गलत निर्णय लेते हैं परंतु कोई भी निर्णय लेने से पहले अगर हम अपनी चित को शांत रखें और धीरज पूर्व बैठकर सोचे हमारे मन की वो उथल – पुथल भी पानी के कीचड़ की तरह नीचे बैठ जाती है और तब हम जो निर्णय लेते हैं वह हमेशा ही सही होता है.

इसलिए बुरे समय में इंसान को कभी भी धीरज नहीं खोना चाहिए भगवान बुध का यह उद्देश्य उसके समझ में आ जाता है और जब वह शांति से बैठ कर सोचता है तो उसे यह आभास हो जाता है कि उसने घर छोड़कर गलत निर्णय लिया था और वह भगवान खुद से आज्ञा लेकर अपने घर वापस चला जाता है.