Pariyon ki kahani | आइए जानतें हैं परियों की कहानी हिंदी में

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मित्रों इस पोस्ट में परियों की कहानी हिंदी प्रस्तुत है। यदि वर्तमान परिवेश में देखा जाये तो  Pariyon ki Kahani In Hindi  एक महत्वपूर्ण विषय है। आप परियों की कहानी हिंदी में पढ़ें एवं अपने ज्ञान का वर्धन करें। हमें उम्मीद है कि  परियों की कहानी आपको अवश्य पसंद आएगा।

डांसर परी

एक गाँव मे ज्योति नाम की लड़की अपनी माँ के साथ रहा करती थी। उसकी माँ मेहनत मजदूरी करके उसे पढ़ा रही थी।

एक दिन ज्योति अपने कॉलेज से घर को आ रही होती है तब उसे एक डांस क्लास दिखाई देती है।

ज्योति को डांस करना बहुत अधिक पसंद होता है। वो डांस क्लास के अंदर चली जाती है। अंदर जाकर वो देखती है वहाँ पर बहुत सारी लड़कियाँ डांस प्रैक्टिस कर रही होती है।

वो उसको देखकर मुस्कुराने लगती है और उसका मजाक बनाती है। गरीब लोगों को यहाँ डांस नहीं सिखाया जाता। यहाँ पर अमीर घरों की लड़कियाँ ही डांस सीखती है। ऐसा कहकर उसे निकाल दिया जाता है।

ज्योति भी ठान लेती है कि वो अपने आप डांस सीखकर दिखाएगी।

दूसरे दिन वो टेपरिकॉर्डर लेकर अपने घर के पीछे बने हुए मैदान मे चली जाती है एवं वहाँ पर डांस करने लगती है।

तभी वहाँ से रुबीना नाम की एक परी गुजर रही होती है। वो ज्योति को अकेले धूप मे डांस करते हुए देखती है तो उससे उसकी वजह पूछती है।

ज्योति उसे सब बात बता देती है। मेरे कॉलेज मे डांस कॉम्पटीशन होने वाला है। उसमें जीतने वाले को कम से कम 1 लाख का इनाम मिलने वाला है। जिसको जीतकर उन रुपयों से मे अपनी माँ का इलाज कराऊंगी। इसलिए मैं यह सब प्रैक्टिस कर रही हूँ।

रुबीना परी उसको बोलती है मैं परीलोक मे डांस सिखाती हूँ। मैं एक कुशल डांसर हूँ। मैं तुम्हें डांस सिखाऊंगी।

ऐसा कहकर रुबीना परी ज्योति को कुछ दिनों मे ही बहुत बढ़िया डांस सिखा देती है। ज्योति उसको बोलती है ‘दीदी ‘आपने मुझे जो स्टेप्स सिखाये है धरती पर तो ऐसे स्टेपस नहीं सिखाये जाते।

आपका बहुत बहुत धन्यवाद। यह सब ज्योति की क्लास मे पढ़ने वाली लड़की रूपा देख लेती है। जब ज्योति घर वापस जा रही होती है तब रूपा अपने चेहरे को छुपाकर ज्योति के पैरों पर डंडे से वार करती है जिससे ज्योति की पैरों की हड्डी पूरी तरह से टूट जाती है।

डॉक्टर ज्योति को कम से कम 4 महीने तक चलने फिरने को मना कर देता है। वो बहुत मायूस हो जाती है। दूसरे दिन जब रुबीना परी आती है तो उससे उसकी इस हालत का कारण पूछती है।

ज्योति बताती है रास्ते मे कल किसी ने मुझ पर हमला किया। पर उसका चेहरा मैं पूरी तरह से नहीं देख पायी।

तब रुबीना परी अपनी दिव्य दृष्टि से देखकर बताती है। वो तुम्हारी क्लास मे पढने वाली लड़की रूपा है। जिसने तुम्हारा यह हाल किया है।

परी अपनी शक्तियों से रूपा को वहाँ ले आती है और उसकी दोनों पैरों को तोड़ने वाली होती है।

तभी ज्योति रुबीना परी को रोक लेती है। रूपा अपने किये की ज्योति से क्षमा मांगती है। फिर रुबीना परी ज्योति के पैरों को वापस से अपनी जादुई छड़ी से एकदम ठीक कर देती है। ज्योति कॉलेज के डांस कॉम्पटीशन मे भाग लेकर 1 प्राइज तो जीत लेती है और उन रुपयों से अपनी माँ का इलाज भी कराती है। फिर दोनों माँ बेटी प्रसन्नता से रहने लगती है।

झूठी परी

परीलोक की दुनिया मे कविता नाम की परी रहती थी। वह वहाँ की रानी परी थी। उसकी बेटी का नाम दीपा परी था।

दीपा बहुत ही झूठ बोलती थी। एक दिन उसका स्कूल जाने का मन बिल्कुल नहीं था। तो वो बहाना बनाकर अपने कमरे मे लेट गयी।

जब कविता परी आयी तो उससे बोली ‘माँ मेरा स्कूल जाने का तो बहुत मन है ,पर तबियत ठीक नहीं लग रही। कविता ने उसको आराम करने को बोला। दीपा हर बात मे झूठ बोलती थी।

जो दासियाँ उसको पसंद नहीं थी उनको भी वो कुछ न कुछ झूठ बोलकर निकलवा देती थी। कभी कपड़ो पर प्रेस अच्छे से नहीं की ,कभी भोजन बढ़िया नहीं बनाया। आदि।

अब तो कविता परी भी उसके झूठ बोलने की आदत से परेशान हो गयी थी। वो गुरु माँ के पास इस परेशानी का हल लेने को जाती है। गुरु माँ उसको बताती है ,कि पृथ्वीलोक पर एक झरना है।

यदि कोई पृथ्वीलोक का सच्चा इंसान उस झरने का पानी दीपा परी को पिलाये तो उससे उसकी झूठ बोलने की आदत तुरंत खत्म हो सकती है।

कविता परी ने पृथ्वीलोक पर मुनादी करवा दी। वहाँ पर दीपक नाम का एक राजकुमार था। वो बहुत सच्चा एवं बढ़िया इंसान था। इस बात को सुनकर वो झरना खोजने को निकल पड़ता है। जंगल मे पहुँचकर वो देखता है ,एक बूढी औरत दलदल मे धसि जा रही थी और वो सहायता के लिए पुकार रही थी। दीपक यह देखकर उसको बचाने को पहुँच गया।

एवं उस बूढी औरत को बचा लिया। दीपक ने ऐसी जगह पर उसके आने की वजह पूछी। तब उसने बताया मैं एक जादूगरनी हूँ बूढ़े होने के कारण अब मेरे पास शक्तियाँ बिल्कुल भी नहीं बची है।

उस औरत ने दीपक के वहाँ आने का कारण पूछा। तब उसने झरने के बारे मे बताया। तब वो बूढी उसको लेकर झरने के पास गयी। और एक बोतल मे पानी भरकर दिया।

और कहा यदि दीपा परी झूठ बोले तो उसके ऊपर यह पानी की कुछ बूँदे छिड़क देना। और कहना आपने जो अभी कहा है वह सब सच हो। उसके पश्चात् उसके साथ वही सब कुछ होगा।

जिससे वो झूठ बोलना छोड़ देगी। दीपक वह जल लेकर परीलोक गया। वहाँ दीपा बीमारी का बहाना बनाकर कमरे मे लेटी हुई थी।

जब दीपक ने उससे उसके लेटे होने का कारण पूछा। तो वह बोली मैंने कल रात बहुत डरावना स्वप्न देखा था।

जिसमे एक भूत मेरे पीछे पड़ा था। दीपक उसकी बात सुनकर बोला। आप जो भी कह रही हो वह सच हो और उस बोतल का पानी तुरंत उसके ऊपर छिड़क दिया। उसी रात को उसको वहीँ स्वप्न आया जो उसने झूठे को सुनाया था।

दूसरे दिन उसके सर मे दर्द होने लगा। पर उसकी माँ ने उसकी बात को झूठ ही माना। दीपक जब आकर देखता है तो दीपा रो रही होती है। तो वह उससे उसके रोने का कारण पूछता है।

तब दीपा उसको बताती है। मैंने बचपन से ही बहुत झूठ बोले है।मुझे अब कोई प्रेम नहीं करता। मेरा दिल दर्द कर रहा है।

तब दीपक उसको लेकर झरने पर जाता है और झरने का पानी उसको पिलाता है। जिससे दीपा की झूठ बोलने की आदत सदैव के लिए नष्ट हो जाती है। दीपा एवं दीपक बढ़िया मित्र बन जाते हैं।

कविता परी भी दीपा की झूठ बोलने की आदत नष्ट होने से बहुत प्रसन्न हो जाती है। और सभी दीपा से वापस प्यार करने लगते हैं।

असली परी

परीलोक की दुनिया मे एक दीप्ति नाम की परी अपनी बेटी पिया के साथ रहती थी , वहाँ की रानी परी बहुत ही बढ़िया थी।

उसके भी एक बेटी रोली परी थी। पर दीप्ति परी सदैव से ही अपनी बेटी को रानी परी बनाना चाहती थी। एक दिन रानी परी की तबियत बहुत ही ख़राब हो जाती है। उसका इलाज अस्पताल मे चल रहा होता है।

दीप्ति परी को जब यह पता चलता है कि रानी परी बस कुछ समय की और मेहमान है। तो वो बहुत ही प्रसन्न होती है और अपनी बेटी पिया से जाकर यह बात कहती है।

पिया बोलती है इससे हमारा क्या लाभ होगा माँ ? तब दीप्ति उसको एक बोतल दिखाते हुए कहती है। यह जादुई पानी है। इसको पीकर तुम रानी परी की बेटी की तरह दिखने लगोगी और हम इस परीलोक पर राज भी करेंगे।

रानी परी की कुछ दिनों के पश्चात मृत्यु हो जाती है। सभी परियां बहुत परेशान होती है। पर दीप्ति एवं उसकी बेटी पिया बहुत ही प्रसन्न होते हैं।

रानी परी की बेटी रोली एक दिन कहीं जा रही होती है ,तब दीप्ति एवं पिया उसका अपहरण कर लेती है। और उसे एक स्थान ले जाकर उसे बंद कर देती है। फिर दीप्ति परी पिया को वो पानी पीने को कहती है। जिसे पीकर पिया रोली परी के रूप मे आ जाती है।

जब वो परीलोक वापस आती है तब वहाँ की मंत्री परी बताती हैं कि कल रोली परी का रानी परी की जगह बिठाया जायेगा और कल से वहीं परीलोक की रानी होगी।

पिया एवं दीप्ति यह सुनकर बहुत ही प्रसन्न हो जाती हैं। रोली परी की सहेली शानू परी को रोली बनी पिया पर शक होता है। तो वह पिया के पीछे जाती है। पिया एवं दीप्ति अंदर कमरे मे जाकर बात करने लगती है।

जिसे शानू परी सुन लेती है। और वह असली रोली परी को छुड़ाकर ले आती है।

जब वह परीलोक वापस आती है। तब सभी परियां 2 रोली परी को देखकर अचंभित हो जाती हैं। शानू परी कहती है यह जो मेरे साथ है यही असली रोली परी है।

पर दीप्ति परी कहती है वो कोई बहुरुपिया है। यही असली रोली परी है।

तब मंत्री परी कहती है। रानी परी ने कुछ समय पहले रोली परी के लिए एक महल बनवाया था। जिसका दरवाजा रोली परी के हाथों की छाप से ही खुलता है।

इसमें से जो भी असली रोली होगी उससे ही यह दरवाजा खुलेगा। ऐसा कहकर वो दोनों को महल के गेट पर ले जाती है और पहले पिया से कहती है तुम अपना हाथ वहाँ रखो। रोली बनी पिया जब वहाँ हाथ रखती है तो दरवाजा बिल्कुल भी नहीं खुलता है। पर रोली के हाथ रखते ही दरवाजा तुरंत खुल जाता है।

फिर पिया सब सच – सच बता देती है।

दीप्ति एवं उसकी बेटी पिया को परीलोक की जेल मे डाल दिया जाता है। रोली परी को रानी परी के स्थान पर बिठाया जाता है। इसीलिए कभी भी धोखाधड़ी करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। इससे स्वयं का ही नुकसान होता है।

राजकुमार एवं जलपरी

एक किशनपुर राज्य था वहां एक बहुत ही प्रतापी राजा का राज्य था। वे बहुत ही बढ़िया एवं दयालु राजा थे। उनका एक बेटा था।

जो कि किशनपुर राज्य का राजकुमार था। वह बहुत ही होशियार एवं बुध्दिमान भी था। उसे शिकार खेलने का बहुत ही शौक था।

एक दिन वह शिकार खेलने के लिए घने जंगल की ओर जा रहा था। तब उसके पिता ने उसे कहा, ” राजकुमार आपको अभी उस जंगल के बारे में अधिक ज्ञान बिल्कुल भी नहीं है।

अगर आपको किसी कारणवश वहीं रुकना पड़े तो किसी के माध्यम से हमे सूचित कर दीजिएगा। नहीं तो हमे आपकी चिंता लगी रहेगी।”

राजकुमार ने अपने पिता की बात मान ली एवं वहाँ से जंगल की ओर चल दिये 

दिन में ही उन्हें एक बढ़िया सा शिकार हिरन के रूप में दिख गया। राजकुमार ने हिरन का शिकार कर लिया। और सैनिकों को सौंप दिया। परन्तु आगे चलकर, राजकुमार का घोड़ा अचानक दौड़ पड़ा जिस कारण, राजकुमार अपने सैनिकों के झुंड से अलग हो गए तथा अपना रास्ता भटक गए। रात हो चली थी एवं राजकुमार जंगल मे ही भटकते रहे।

तभी उन्हें जंगल से एक बहुत ही मीठी आवाज आई। मध्यरात्रि का समय था। राजकुमार आवाज की दिशा में आगे बढ़े तो वह एक तालाब के पास जा पहुंचे। वहां उन्होंने देखा कि एक सुंदर सी लड़की मछलियों से बातें कर रही है।

राजकुमार उस लड़की के नजदीक गए एवं उसको अपने बारे में बताया फिर उससे, उसके बारे में पूछा।

लड़की बोली, ” मैं जलपरी हूँ। पहले मैं भी इन मछलियों की तरह ही एक मछली थी। एक दिन जब मैं पानी मे तैर रही थी तो मेरे सामने एक परी प्रकट हुई जो कि मुझे देखकर बहुत ही प्रभावित हुई एवं प्रसन्न होकर मुझे यह रूप दे दिया।”

राजकुमार ने फिर अपना हाल बताया कि वह कैसे इस जंगल मे फंस गया। राजकुमार को बहुत भूख भी लगी थी। जलपरी ने बिन बोले ही उसके सामने अपने जादू से खाने के कई सारे व्यंजन रख दिये। राजकुमार ने उन्हें खाया तथा उसका पेट भर गया।

फिर उन्होंने खूब सारी बातें भी की। सुबह होने ही वाली थी। जलपरी ने कहा, ” अब मुझे जाना होगा। तुम्हारे सैनिक भी तुम्हें ढूंढते हुए इधर आ रहे हैं। तुम यही उनका इंतजार करो।” इतना कहकर जलपरी वहाँ से चली गयी।

कुछ ही देर में वहां सैनिक भी आ पहुंचे। फिर राजकुमार अपने सैनिकों के साथ वापस महल चले गए।उन्होंने मन ही मन परी का बहुत धन्यवाद भी दिया।

परी एवं डाकू

एक परी प्रतिदिन पृथ्वी लोक में भ्रमण करने के लिए आया करती थी। इसे परीलोक से सुंदर पृथ्वीलोक लगता था। परि बहुत ही सुंदर थी। उसके सुनहरे पंख एवं लंबे बाल उसकी खूबसूरती में चार चांद लगा देते थे।

एक दिन जब वह परी शाम को पृथ्वी पर आई तो वह एक बगीचे में गयी। उसे वहां के फूल बहुत अधिक पसंद आए तो वह उन फूलों के साथ वहाँ पर खेलने लगी। बगीचे में कुछ डाकू अपना भेष बदल कर आ गए थे।

जो कि वहां पर मौजूद अमीर लोगों को लूटना चाहते थे।

जब परी फूलों के पास थी तो, एक डाकू की नजर उस परी पर गयी। उसने अपने दोनों साथियों को भी परी को दिखाया। सब उस परी को देखकर हैरान रह गए। पहले तो कोई भी भरोसा नहीं कर रहा था कि वह एकदम असली परी है,

परन्तु जब वह उड़ी तब उन्हें भरोसा हो गया कि यह असली परी है। अब उन्होंने एक योजना बनाई कि अगर हम इस परी को ले जाकर बाजार में बेच आएंगे तो, हमे करोड़पति बनने से कोई भी नहीं रोक सकता।

सभी डाकू बहुत प्रसन्न हुए। परन्तु जब तक वह परी को पकड़ने के लिए जाते, तब तक वह परी उड़ चुकी थी। डाकुओं ने आस पास बहुत देखा परन्तु कहीं पर भी उन्हें परी नहीं दिखी।

तब उन्होंने योजना बनाई की जब वह परी कल आएगी, तो वे उसको अपना बन्दी बना लेंगे।

अब अगले दिन, डाकू अपनी तैयारी कर के परी का इंतजार कर ही रहे थे। तभी एक नौजवान व्यक्ति वहां पर आया, उसने डाकुओं को देखा,

उसे उन लोगों के इरादे कुछ ठीक नही लगे अतः वह अब उन डाकुओं को छिपकर देखने लगा।

तभी परी वहां उड़ते हुए आ गयी। डाकुओं ने पीछे से आकर जाल परी पर फेंक दिया और परी को बन्दी बना लिया। अब परी एकदम से असहाय हो गयी।

वो व्यक्ति तो छिपकर यह सब देख रहा था। वह तुरंत आगे आया औऱ एक डंडे की मदद से सभी डाकुओ को मारने लगा। तभी परी भी किसी तरह से जाल से छूट गयी।

अब परी ने अपने जादू से सभी डाकुओं को जाल में बांध दिया।

परी ने उस मनुष्य को धन्यवाद दिया। वह युवक को कुछ उपहार देकर वहां से चली गयी।

काली परी 

एक बार परीलोक में एक परी थी जिसका नाम रीमा था। रीमा मन की बहुत ही बढ़िया थी। परन्तु उसका रंग बहुत ही सांवला था। वह एक दिन परीलोक से पृथ्वी लोक पर आई थी।

वह एक साधारण लड़की बनकर शहर में इधर – उधर घूम रही थी।

तभी उसे एक मोहित नाम का लड़का दिखाई दिया। मोहित ने उसे रास्ता बताया। रीमा को मोहित बहुत ही बढ़िया लगा एवं रीमा ने मोहित से बिना परी मां की इजाजत के मोहित से विवाह कर लिया।

जब यह बात बताने के लिए रीमा परीलोक गयी तो, उसे परीलोक से बाहर निकाल दिया गया। और उसकी सभी शक्तियों को भी छीन लिया गया। अब रीमा एक साधारण लड़की बनकर धरती पर मोहित के साथ वहाँ रहने लगी।

वहां मोहित की मां रीमा को उसके काले होने के कारण से बिल्कुल भी पसन्द नहीं करती थी। वह केवल अपनी छोटी बहू से ही प्रेम करती थी, क्योंकि वह बहुत ही सुंदर थी।

रीमा घर का सारा काम – काज करती थी और उसकी देवरानी उसको फिर भी नीचा दिखाने का एक भी मौका नहीं छोड़ती थी।

रीमा की सास भी जब उससे बातचीत करती तो, उसको उसके रूप के बारे में ताने कसने लग जाती थी।

रीमा सब कुछ चुपचाप सहन कर रही थी। वह इस बारे में मोहित को भी नहीं बता सकती थी। क्योंकि, मोहित अपनी मां का अंधा भक्त था।

एक दिन छोटी बहू रीमा के नजदीक रसोई में गई । रीमा अपना काम – काज कर रही थी। छोटी बहु ने रीमा से उसके लिए पकवान बनाने के लिए कहा,  तब रीमा ने थोड़ी देर में बना देने के लिए उससे कहा।

इतने में छोटी बहू रो रोकर सास के पास गयी। और उसके बारे में सास को खूब भड़का दिया। रीमा की सास क्रोध से आग बबूला हो गयी एवं क्रोध में आकर रीमा को घर से बाहर निकल जाने को कहा।

रीमा रो रोकर घर छोड़कर एक तालाब के किनारे चली गयी। वह बहुत ही परेशान थी और रोए ही जा रही थी। दो-तीन दिन गुजर गए और वह वहाँ पर भूखी – प्यासी बैठी रही।

तब एक दिन अचानक उसके सामने एक परी प्रकट हुई। परी ने रीमा को देखा, वह उसे देखते ही समझ गयी, कि यह तो परीलोक की रीमा परी है। उसने अपने जादू से रीमा के सारे दुख दूर कर दिए।

एवं रीमा को परी बनाकर वापस परीलोक भेज दिया।