आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहे है Story of Rani Pari. ताकि आप Rani Pari ki kahani के बारे में पूरी जानकारी हासिल कर सकें। हमारा मकसद है कि हम आपको सबसे बढ़िया Story of Rani Pari In Hindi के बारे में ज्ञान प्राप्त करने में मदद करें।
Rani Pari ki kahani
एक बार की बात है। एक महल में एक बहुत ही शरारती परी रहा करती थी। वह हर किसी के साथ शरारत करने में बिल्कुल हिचकिचाती नहीं थी। उसका शरारत करना उसकी एक आदत सी बन चुकी थी। एक दिन उसके घर एक बाबा आते हैं, उसको पढ़ाने परंतु परी का मन पढ़ाई में बिल्कुल नहीं लगता। बाबा पढ़ाई आरंभ करते हैं अब परी यह सोचती है कि किस तरह बाबा को यहां से भगाया जाए। तभी परी को एक शरारत सूझती है। वह अपने जादू से सारी किताबें हवा में उड़ाने लगती हैं, बाबा उसे समझाते हैं कि अगर तुम इसी तरह की शरारतें करोगी तो कुछ भी सीख नहीं सकती एवं आगे चलकर तुम्हें अनेक प्रकार की कठिनाइयाँ होंगी।
इन सब बातों से दुखी होकर एक दिन परी पार्क में चली जाती है और वहां बैठकर सोचती है कि क्या सब लोग सही कहते हैं? क्या मैं बहुत अधिक शरारत करती हूं? यदि मैं सदैव शरारत करती रही तो मैं कुछ सीख नहीं पाऊंगी। मेरा मन सदैव मस्ती मे लगा रहता है, परन्तु कोई मुझे खेलने कूदने क्यों नहीं देता, हर समय रोक टोक करते रहते हैं। परी यह सब सोच ही रही थी तभी वहां एक जादूगर आ जाता है, और छोटी परी को पकड़ लेता है। वह परी को अपने महल में रखता है। अब जादूगर राजा के पास जाता है और राजा से परी की रिहाई की कीमत आधा राज्य मांगता है साथ ही वह राजा को कम से कम 2 दिन का समय देता है।
जादूगर परी की शरारतों से बिल्कुल भी वाकिफ नहीं है। परी ने जादूगर के महल को पूरी तरह से फैला दिया एवं वस्तुएं इधर-उधर करके अपना रास्ता साफ कर वहां से चली जाती है। जब जादूगर लौटकर आता है तो वह वस्तुएं फैली हुई पाता है, और परी को ढूंढता है पर वह उसको नहीं मिलती है। जादूगर थक कर हार जाता है और सोचता है कि 2 दिन के पश्चात मैं क्या करूंगा? राजा को क्या मुंह दिखाऊंगा? और दूसरी तरफ राजा रानी बहुत दुखी थे कि क्या निर्णय ले वह सोच ही रहे थे कि अचानक से वह परी को उड़ के आते हुए देखते हैं। वह परी को वापस पाकर बहुत ही प्रसन्न होते हैं एवं उसे अपनी गोद में ले लेते हैं। सभी लोग हैरान हैं कि जादूगर जो बहुत शक्तिशाली है जिससे बचना नामुमकिन था। छोटी परी अकेले ही उसके कब्जे से बचके कैसे चली आई।
राजा परी से पूछते हैं कि तुम उस जादूगर के कब्जे से बचकर कैसे आई तो छोटी परी बताती है कि आप मेरी जिस शरारत से बहुत ही दुखी हुआ करते थे। ठीक आज उसी शरारत के कारण मैंने उसके महल को उत्तल पुथल कर अपना रास्ता बनाया और वहां से बच निकली। वह कहती है कि शरारत करना बुरी बात तो है, लेकिन कभी-कभी उसी शरारत के कारण हमें लाभ भी हो सकता है।
राजा परी के साहस को देखकर बहुत गर्व महसूस करता है एवं परी की बात पर अपनी सहमति जाहिर करता है। परी के वापस आने और उसकी बहादुरी देखकर वह बहुत खुश होता है और एक जशन का ऐलान करता है। परी की बहादुरी के चर्चे पूरे राज्य में होने लगते हैं और सभी उसकी प्रशंसा करने लगते हैं। अब परी को शरारत करने पर कोई नहीं डाँटता ना ही उसे खेलने कूदने पर कोई रोकता है, लेकिन परी अब अपने बड़ों की बातें मानने लगी है। अब उसे भी समझ आ गया है कि उसे अपने जीवन में कुछ बनना है। परी अब समय से पढ़ाई करती हैं और अपने भविष्य के प्रति अपने सभी काम भी करती है।