Shiv Parvati Love Story in Hindi

Shiv Parvati Love Story in Hindi | शिव पार्वती विवाह कथा

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शिव चालीसा और पार्वती चालीसा तो अपने हमारी वेबसाइट पढ़ी है आज हम आपको बतायेंगे Shiv Parvati Love Story in Hindi पढ़ें कुछ रोचक किस्से उनके विवाह से जुड़े.

Shiv Parvati Love Story in Hindi

पार्वती माता का जन्म

  राजा दक्ष के बाद सती ने हिमालय के राजा हिमवान और रानी मैनावती के यहां जन्म लिया। मैनावती और हिमवान को कोई कन्या नहीं थी तो उन्होंने आदिशक्ति की प्रार्थना की। आदिशक्ति माता सती ने उनके यहां कन्या रूप में जन्म लेने का वरदान दिया। उन्होंने  कन्या का नाम पार्वती रखा। इन्ही  को  शैलपुत्री और पहाड़ों वाली रानी कहा जाता है। 

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शिव और माता पार्वती का पुत्र करेगा ताड़का का वध

 जब सती के आत्मदाह के उपरांत विश्व शक्तिहीन हो गया। तब ब्रह्मा द्वारा दी  शक्ति का दुरूपयोग करके तारक नामक दैत्य ने  सबको परास्त कर त्रैलोक्य पर एकाधिकार जमा लिया था। शिव को शक्तिहीन और पत्नीहीन देखकर तारक आदि दैत्य प्रसन्न थे। उस भयावह स्थिति से त्रस्त महात्माओं ने आदिशक्तिदेवी की आराधना की और  देवतागण देवी की शरण में गए। तब ब्रह्मा जी ने कहा था कि शिव के औरस पुत्र के हाथोंतारक नामक  दैत्य मारा जाएगा। इस पर  देवी ने हिमवान की एकांत साधना से प्रसन्न होकर देवताओं से कहा- मैं शक्ति गौरी के रूप में‘हिमवान के घर जन्म लूगी। भगवान शिव से  विवाह करके एक पुत्र का जन्म होगा, जो तारक वध करेगा।’ 

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भगवान शिव की शादी कब हुई थी?

भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए उन्होंने देवर्षि के कहने पर मां पार्वती वन में तपस्या करने चली गईं। भगवान शंकर ने पार्वती के प्रेम की परीक्षा लेने के लिए सप्तऋषियों को पार्वती के पास भेजा। सप्तऋषियों ने पार्वती के पास जाकर उन्हें हर तरह से समझाने का प्रयास किया कि शिव औघड़, अमंगल वेषभूषाधारी और जटाधारी है। तुम तो राजा की पुत्री हो तुम्हारे लिए वह योग्य वर नहीं है। उनके साथ विवाह करके तुम्हें कभी सुख की प्राप्ति नहीं होगी। तुम उनका ध्यान छोड़ दो। इस के पश्चात भी पार्वती अपने विचारों में दृढ़ रही। उनकी दृढ़ता को देखकर सप्तऋषि अत्यन्त प्रसन्न हुए और वे पुन: शिवजी के पास वापस आ गए। सप्तऋषियों से पार्वती के अपने प्रति दृढ़ प्रेम का वृत्तान्त सुनकर भगवान शिव  प्रसन्न हुए और समझ गए कि पार्वती को अपने सती रूप का स्मरण है। सप्तऋषियों ने शिवजी और पार्वती के विवाह का लग्न मुहूर्त निश्चित किया।

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Shiv and Sati Story in Hindi

भगवान शिव और माता पार्वती निकले दुनिया का खेल देखने

एक बार शिव भगवान ने पार्वती जी से कहा कि मैं दुनिया का खेल देखने जा रहा हूं, तो पार्वती ने कहा कि मैं भी साथ में चलूंगी, तो शिव भगवान ने पार्वती से कहा कि रास्ते में भूख प्यास भी लगेगी इसलिए आप मेरे साथ मत जाइए। लेकिन पार्वती ने ज़िद कर ली, फिर दोनों बैल पर चढ़कर बाजार में निकल गए। बाजार में शिव और पार्वती को बैल पर बैठा देखकर कई लोग हंसने लगे और कहने कि देखो जोगीबना हुआ है और  बैल पर बजन  दिया है  साथ में अपनी पत्नी को भी बैठा लिया, लोगों की  बात सुनकर शिव जी थोड़ी दूर चलकर बैल से नीचे उतर गए और पैदल  चलने लगे और आगे चलने पर लोग फिर से हंसने लगे और कहने लगे कि देखो बना फिरता है जोगी स्वयं तो पैदल चल रहा है और अपनी पत्नी को बैल पर बैठा रखा है, थोड़ी दूर चलने पर शिवजी फिर से बैल पर बैठ गए और अपनी पत्नी को नीचे उतार दिया।

माता पार्वती फिर पैदल चलने लगी,  तो फिर से  लोगों ने कहा कि देखो स्वयं तो बैल पर बैठा है और अपनी पत्नी को  पैदल चला रहा है, थोड़ी दूर  चलने पर शिवजी तकिया लगा कर सो गए तभी वहीं से गुजरती कुछ महिलाओं ने कहा की राम-राम देखो कैसा जोगी  है जो  तकिया लगा कर सो रहा है महिलाओं की बात सुन  शिवजी ने तकिया हटा दिया। थोड़ी देर बाद बही  महिलाएं वापस आते समय कहने लगी की हे राम देखो जोगी होते हुए भी कितना गुस्सा है। हमने तकिया हटा ने को कहा और इसने तकिया हटा दिया। यह कहकर  महिलाएं आगे चली गई, फिर शिवजी ने पार्वती जी से कहा कि देखा इस दुनिया का खेल संसार के लोगों को कहीं पर भी संतुष्टि नहीं है।

भगवान शिव और माता पार्वती कैलाश पर्वत के लिए प्रस्थान करने लगे

 तो हम कैलाश पर्वत चलते हैं वहीं पर ही खाना खाएंगे। थोड़ी दूर चलने पर पार्वती जी शिवजी से कहने लगी कि मुझे तो प्यास लगी है शिव जी ने कहा कि मैंने  कहा था कि मेरे साथ मत आओ  तुमसे नहीं चला जाएगा, लेकिन तुम नही मानी तुम्हें तो अपनी जिद्द पर रहना था। पार्वती जी वही पर बैठ गई और कहने लगी कि मुझे पहले पानी पिलाना ही होगा। तब शिवजी ने अपनी जटा खोलकर गंगा बहा दी और फिर  पार्वती जी और नंदी जी ने वहीं पर ही जल पिया और  वहां से आगे चले गए। 

एक बुढ़िया ने भगवान शिव और माता पार्वती को खाना खिलाने से मना कर दिया

थोड़ी दूर ही चले होंगे तभी पार्वती जी फिर से कहने लगी कि मुझे तो भूख लगी है, तब शिवजी ने कहा कि मैंने तो तुमसे पहले ही कहा था कि तुमसे इस दुनिया में नहीं जाया जाएगा। लेकिन पार्वती जी ने जिद पकड़ ली और कहने लगी मुझे भूख लगी है पहले मुझे कुछ खिलाओ। तब शिवजी और पार्वती जी एक बुढिया के घर पर गए और बुढ़िया से कहा कि हमें भूख लगी है हमे कुछ खिलाओ, तो बुढ़िया  बोली कि तुम्हें खाने में क्या दूँ  तो शिवजी ने कहा खीर, पूरी और पकवान  का भोजन। तो बुढ़िया बोली कि मेरे घर पर ही खाने वाले बहुत लोग हैं मैं तुम्हें नहीं खिला सकती। 

शिवजी और पार्वती जी एक दूसरी बुढ़िया के घर पर खाना खाने ठहरें

ऐसा कहने पर शिवजी और पार्वती जी आगे एक और बुढ़िया के घर पर गए और कहां माई हमें भूख लगी हमें कुछ खिलाओ। तो बुढ़िया ने कहा कि बताओ आपको क्या खाना है तो शिव जी ने कहा खीर और पूरी पकवान का भोजन ऐसा कहने पर बुढ़िया बोली कि अंदर चलो मैं आपको भोजन कराती हूं। ऐसा कहकर बुढ़िया बाहर सामग्री लेने जा रही थी तभी शिव जी ने कहा कि हे माई कहां पर जा रही हो सामग्री लेने। तब शिवजी ने कहा कि पहले तुम अपने घर में तो देखो बुढ़िया ने जब अपने घर में देखा तो सारी सामग्री के भंडार लगे हुए थे।

फिर बुढ़िया ने भोजन बनाया और शिव जी पार्वती जी को भोजन का थाल परोसा और एक थाल नंदी जी को भी परोसा। यह भोजन खाने के बाद शिव जी ने कहा कि हे माई तीन थाल ओर परोसो तब बुढ़िया बोली कि तीन थाल और किसके लिए। तब शिवजी ने कहा कि एक तो तुम्हारे बेटे का और एक तुम्हारी बहू का और एक तुम्हारा तब बुढ़िया ने कहा कि महाराज मेरे बेटा बहू नहीं है फिर शिव जी ने कहा कि माई थोड़ा पीछे घूम कर देखो और बुढ़िया ने पीछे देखा तो एक 16 साल का बेटा और बहू खड़े थे। 

भगवान शिव और माता पार्वती अपने घर को चले गए

सभी ने खाना खा लिया और शिव जी और पार्वती जी अपने घर को चले गए। फिर बुढ़िया माई पूरे गांव में प्रसाद को बांटने लगी और वह उस बुढ़िया माई के पास भी गई जिसके पास शिवजी और पार्वती जी पहले गए। थेपहले वाली बुढ़िया ने पूछा कि आज तुम्हारे घर पर क्या था तुम क्यों प्रसाद बांट रही हो तब बुढ़िया ने उसे पूरी कहानी बताई, तब पहली वाली बुढ़िया बोली कि वह तो मेरे घर पर भी आए थे और वह यह बात जानने के बाद शिवजी और पार्वती जी के पीछे भागी।

शिवजी से बुढ़िया ने कहा कि यह महाराज आपने मेरा धन तो ले लिया और उसको दे दिया शिव जी ने कहा कि तुमने जैसा किया वैसा तुम्हें फल मिल गया। तब बुढ़िया रोने लगी और कहने लगी कि महाराज आप मेरे घर पर कुछ नहीं है तब शिवजी ने कहा कि तुम्हारे धन में से आधा धन उसे दे दो। फिर बुढ़िया ने कहा कि मैं उसे दे दूंगी, फिर उसने उसे आधा धन दे दिया। जिस बुढ़िया ने शिवजी और पार्वती जी को खाना खिलाया उसने कहने वाले को सुनने वाले को और अपने परिवार वालों को सभी को धन दिया।