Bhukamp Kise Kahate Hain भूकंप किसे कहते हैं

Bhukamp Kise Kahate Hain | भूकंप किसे कहते हैं

Meaning in Hindi

Bhukamp Kise Kahate Hain भूकंप एक ऐसा संकट है जो एकदम अचानक प्रभावित करता है. Bhukamp से जुड़ी सारी जानकारी आपको मिलेगी हमारी वेबसाइट hellozindgi.com पर. साथ ही जानें Meaning of Legend with Examples.

Bhukamp Kise Kahate Hain

भूकंप एक ऐसा संकट है जो एकदम अचानक प्रभावित करता है। भूकंप किसी भी समय, अचानक बिना किसी चेतावनी के आ जाता है। भूकंप वह घटना है जिसके द्वारा भूपटल मे हलचल पैदा होती है तथा कम्पन भी अधिक होती है। यह कंपन तरंग के रूप मे होती है। जैसे-जैसे ये तरंगे केन्द्र से दूर जाती हैं तब उनकी शक्ति एवं तीव्रता का ह्रास होता है। 

भूकंप का प्रभाव दो रूपों मे होता है

  • प्रथम प्रभाव उत्पत्ति केन्द्र के चारों तरफ तरंगों के द्वारा प्रसारित हो जाता है यह क्षैतिज प्रभाव होता है। 
  • दूसरा प्रभाव धरातलीय भागों मे ऊपर एवं नीचे की तरफ लम्बवत रूप से होता है। भूकंप का यह स्वरूप बहुत ही अत्यंत विनाशकारी होता है।

भूकंप कैसे आता है

जहाँ से भूकंप की शुरुआत होती है ठीक उस स्थान को भूकंप का केंद्र कहते हैं। प्रथ्वी पर सर्वप्रथम भूकंप लहरों एवं हलचलों का अनुभव यही होता है। भूकंप की तीव्रता एवं परिणाम का मापन रिक्टर पैमाने पर किया जाता है। भूकंप उत्पत्ति के बहुत से कारण हैं।

पृथ्वी की सतह बड़ी-बड़ी प्लेटों से बनी हुई है। ये प्लेटें पृथ्वी की आंतरिक गर्मी के कारण एक-दूसरे की तरफ खिसकती रहती है। इनके खिसकने अथवा फैलने से भूकंप आता है। जहाँ दो प्लेटें मिलती है वहाँ पर्वत बन जाते हैं और जहाँ से बाहर खिसकती है वहां नई सतह का निर्माण हो जाता है, ज्वालामुखी उद्गार इन्हीं से संबंधित है।

भूकंप का कारण क्या है?

भूकंप आने की अनेक वजह होती है, परन्तु अधिकतर बड़े भूकंप धरातलीय कंपन के कारण ही आते हैं। जब किन्ही कारणों से पृथ्वी मे दरार आ जाती है या भूसंतुलन बिगड़ जाता है तो परिणामस्वरूप भूकंप उत्पन्न होते हैं। इसके अतिरिक्त भूकंप के कुछ मुख्य अतिरिक्त कारण निम्न प्रकार से हैं– 

1. भू-पटल मे भ्रंश –

भूगर्भीय बलों के कारण से उत्पन्न दबाव  के कारण धरातलीय चट्टानों मे दरारें बहुत अधिक पड़ जाती हैं। इससे भ्रंशघाटी एवं अवरोधी पर्वतों का निर्माण हो जाता है। इस निर्माण काल मे चट्टानें ऊपर – नीचे एवं इधर-उधर खिसकती रहती हैं। अतः इनके अचानक खिसकने से भूकंप उत्पन्न हो जाते हैं।

2. भूपटल मे सिकुड़न –

पृथ्वी से ऊष्मा के विकिकरण के कारण पृथ्वी का ताप बहुत ही कम हो जाता है, जिससे पृथ्वी की ऊपरी परत एकदम से ठण्डी हो जाती है, और सिकुड़ना आरंभ हो जाता है और जब यह सिकुड़न बहुत ही तीव्र हो जाती है, तो भूकंप उत्पन्न हो जाते हैं।

3. ज्वालामुखी क्रिया –

भूकंपग्रस्त क्षेत्रों का अध्ययन करने से यह ज्ञात हुआ है कि भूकंप प्रायः भूमि के उस निर्बल भाग मे आते हैं, जहां ज्वालामुखियों का उद्गार होता रहता है। ज्वालामुखियों का उद्गार भूगर्भीय, अतिशक्तिशाली एवं तीव्र गैसों तथा जलवाष्प के कमजोर भूपटल को तोड़कर ऊपर निकलने के कारण होता है। ये गैंसे तथा जलवाष्प भूपटल के नीचे भयंकर धक्के मारते है और परिणामस्वरूप भूकंप उत्पन्न हो ही जाते हैं।

4. गैसों का फैलाव

जब किन्ही कारणों से जल भूमि के अंदर पहुँच जाता है, तो यह अधिक तापमान के कारण जल वाष्ण मे परिवर्तित होने लगते है तथा जब भूमि में इस गैस की मात्रा बहुत ही अधिक बढ़ जाती है, तो यह भूगर्भ से बाहर आने हेतु भूमि की निचली चट्टानों पर धक्के मारते है, जिससे भूमि मे कम्पन तेजी से होने लगता है और फलस्वरूप भूकंप उत्पन्न हो जाते हैं।

5. जलीय भार –

 मावन निर्मित विशाल जलाशयों मे तली की चट्टानों मे जलीय भार के कारण भूसंतुलन प्रक्रिया आरंभ हो जाती है, जिससे चट्टानें इधर-उधर खिसकने लगती है और इस परिवर्तन के फलस्वरूप भूकंप उत्पन्न हो ही जाते हैं।

भूकंप के 5 दुष्प्रभाव

भूकंप के विनाशकारी प्रभाव निम्न प्रकार से हैं–

  • भूकंप आने से भूमि मे दरारे बहुत ही अधिक पड़ जाती हैं तथा उपजाऊ भूमि नष्ट भी हो जाती है जिसके फलस्वरूप दलदली भूमि का निर्माण होने लगता है। 
  • दरअसल भूकंपों के झटको से सड़के, भवन एवं रेलमार्ग पलभर मे क्षतिग्रस्त हो जाते हैं।
  • भूकंपो के कारण नदियों के मार्ग पूरी तरह से अवरुद्ध हो जाते हैं, जिससे भयंकर बाढ़ आने का खतरा भी कुछ अधिक बढ़ जाता है।
  • भूकंपो के कारण विशाल शिलाखण्ड पिघलकर घाटियों मे तुरंत परिवर्तित हो जाते हैं, जिससे जनधन की बहुत अधिक हानि भी होती है।
  • भूकंपो के कारण कभी-कभी संपूर्ण नगर ही पूरी तरह से नष्ट हो जाते हैं।

भूकम्प से क्या लाभ होता है?

भूकंप के लाभकारी प्रभाव निम्न प्रकार से हैं–

  • भूकंपो की वजह से कभी-कभी खनिज पदार्थ धरातल के ऊपर आ जाते हैं।
  • बेकार एवं क्षतिग्रस्त भूमि के स्थान पर उपजाऊ भूमि भी प्रकट हो जाती है।
  • भूकंप की वजह से सागर के निम्न तट ऊपर उठ जाते हैं, जिससे महाद्वीप का निर्माण भी होता है।
  • भूकंप की वजह से भूमि मे दरारे पड़ने से नदियों एवं झीलों का निर्माण होता है। इन जलस्रोतों से जल की प्राप्ति भी बहुत अधिक होने लगती है।
  • भूकंप से नये भू बनते हैं, जिससे मानव-जीवन बहुत ही प्रभावित होता है।

भूकंप आपदा प्रबंधन/भूकंप से बचाव के उपाय/सुझाव –

 भूकंप के आने को तो नही रोका जा सकता है, परन्तु भूकंप से होने वाली हानियों को कम ज़रूर किया जा सकता है। भूकंप आपदा प्रबंधन के लिए कई सारे उपाय अथवा सुझाव निम्न प्रकार से हैं–

  • भूकंप की दृष्टि से अतिसंवेदनशील एवं मध्यम संवेदनशील क्षेत्रों मे भवन निर्माण करते समय ऐसी तकनीक के इस्तेमाल को आवश्यक कर दिया जाये जिससे निर्मित भवनों पर भूकंप का कम से कम प्रभाव पड़े। 
  • भूकंपीय दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्रों मे आवश्यक स्थलो पर भूकंप चेतावनी यंत्र ज़रूर स्थापित कर दिये जायें एवं भूकंप आने के संकेत मिलते ही चेतावनी साइरन बजाने की व्यवस्था भी की जाये। ताकि भूकंप से होने वाली जन-धन की हानि को बहुत ही कम किया जा सकें। 
  • भूकंपीय दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्रों मे आम जनता को भूकंप से बचने के उपायों की समुचित जानकारी अवश्य प्रदान की जाये। उदाहरण के लिये भूकंप आने पर अतिशीघ्रता से अपने आवास को छोड़कर एकदम से खुले भू-भागों मे आ जाना चाहिए।
  • भूकंप की वजह से विस्थापित हुए लोगो को पुनर्वास एवं आर्थिक मदद हेतु समुचित प्रबंध भी किये जाने चाहिए।
  • भूकंप प्रभावित क्षेत्रों मे मलबे की बहुत ही जल्दी सफाई करा देनी चाहिए।
  • खाद्य सामग्री एवं शुद्ध पेयजल आपूर्ति के पर्याप्त प्रबंध सुनिश्चित अवश्य किये जाये।
  • वर्तमान मौजूदा भवनों जैसे कि अस्पताल, स्कूल, दमकल, केन्द्र निर्माण मे भूकंप संबंधी सुरक्षा उपाय न अपनाए गये हो तो उनमे समयानुकुल नई तकनीक का अनुप्रयोग किया जाना बहुत ही अनिवार्य है।