Fungi Meaning in Hindi Definition & Useful Information

Fungi Meaning in Hindi | Definition & Useful Information

Meaning in Hindi

Fungi Meaning in Hindi इस पोस्ट में हम आपको देंगे fungi से जुड़ी सारी जानकारी जैसे कि  fungi ka hindi meaning और Fungi की 9 विशेषताएं और अन्य जानकारी और हम आपको  देंगे चाय की खोज के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे।

Fungi Meaning in Hindi

फफूंद या कवक एक प्रकार के जीव हैं जो अपना भोजन सड़े गले म्रृत कार्बनिक पदार्थों से प्राप्त करते हैं। ये संसार के प्रारंभ से ही जगत में उपस्थित हैं। इनका सबसे बड़ा लाभ इनका संसार में अपमार्जक के रूप में कार्य करना है। इनके द्वारा जगत में से कचरा हटा दिया जाता है।

यह जीवो का एक विशाल समुदाय है जिसे साधारणतः वनस्पतियों के सामान समझा जाता है। इसके अध्ययन के विज्ञान को कवक विज्ञान(mycology) कहा जाता है। यह समान्यतः ऐसे स्थान पर पाए जाते हैं जहां बहुत ही अधिक नमी एवं प्रकाश की मात्रा बहुत ही कम होती है।

Fungi की 9 विशेषताएं In Hindi

  •   कवक में पर्णहरित का अभाव होता है , अत: ये प्रकाश संश्लेषण बिल्कुल भी नहीं कर पाते हैं।
  • इनकी कोशिका भित्ति सेलुलोस एवं काइटिन की बनी होती है।
  • दरअसल इनका शरीर एक महीन धागे के समान संरचनाओं से मिलकर बना होता है जिन्हें कवक तन्तु भी कहते हैं।
  • कवक तन्तु आपस में मिलकर एक कवक जाल का निर्माण भी करते हैं।
  • यह कवक गर्म, नम, छायदार अथवा कम प्रकाश वाले स्थानों पर ही पाये जाते है।
  • पोषण के आधार पर कवक परजीवी या मृतोपजीवी ही होते हैं।
  • कभी कभी ये कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन तथा ग्लाइकोजन में भी पाया जाता है।
  • कवक में कायिक जनक खंडन, विखंडन या फिर मुलुकन के द्वारा ही होता है।
  • अलैंगिक जनन बीजाणु (कोनेडिया) के द्वारा होता है।

Fungi In Hindi – कवक हिन्दी में

कवक के मुख्य लक्षण-

दरअसल ये सभी कवक पर्णहरित-विहीन होते हैं। अत: ये अपना भोजन स्वयं नहीं बनाते अपितु विविधपोषी होते हैं। ये केवल संवहन ऊतक रहित होते हैं। इनमें संचित भोजन ग्लाइकोजन (glycogen) के रूप में ही रहता है। इनकी कोशिका-भित्ति (Cell-wall) काइटिन (Chitin) की ही बनी होती है।

कवको से पशुओं में होने वाले रोग-

कवको की अनेक प्रजातियां पशुओं पर परजीवी के रूप में बनी रहती हैं और उन पर अनेक प्रकार के रोग उत्पन्न करते रहते हैं। जैसे-

  • एपलटे फुट रोग -तीनिया रुब्रम कवको से,
  • एस्परजिलोसिस रोग -एस्परजिलस की जातियों से।
  • म्यूकरों माइकोसिस रोग -म्यूकर वा राइजोपस के द्वारा।

कवकों में पोषण-

 कवकों में हरितलवक अनुपस्थित होते हैं मतलब ये विषमपोषी होते हैं। कवकों में संचित भोजन जंतुओं की भांति ग्लाइकोजन होता है। 

भोजन के स्रोत के आधार पर कवक मुखतः दो प्रकार के होते हैं –

1. मृतोपजीवी कवक – दरअसल ये कवक अपना भोजन मृत कार्बनिक पदार्थों जैसे ब्रेड, सड़े हुए फल एवं सब्जियों , गोबर आदि से प्राप्त करते हैं। इनमें पोषण अवशोषणी या फिर परासरणीय विधि से ही होता है।

2. परजीवी कवक – ये अपना भोजन जीवित जीवों जैसे पादप, जंतु तथा मनुष्यों से ही प्राप्त करते हैं। ये कवक रोग उत्पन्न भी करते हैं। परजीवी कवक अपना पोषण चूसकांगों के द्वारा ही प्राप्त करते हैं ।

कवकों का आकार

कवक के शरीर को माइसिलियम (कवक जाल) कहते हैं। यह माइसिलियम एक जालनुमा संरचना है जो कई सारे कवक तंतुओं के मिलने से बनती है। कवक तंतु को कवक की संरचनात्मक तथा क्रियात्मक इकाई भी कहते हैं।

Fungi Reproduction In Hindi

कवक तंतु के चारों ओर एक कोशिका भित्ति पाई जाती है जो काइटिन की बनी होती है। काइटिन के साथ कुछ मात्रा में सेल्युलोज, प्रोटीन तथा लिपिड पाए जाते हैं। जब यह बीजाणु किसी ऐसी चीज़ पर बैठ जाता है जो उसके खाने लायक होती है, साथ में तापमान, नमी वगैरह भी सही होती है, तो यह वहीं पर पनपना शुरू कर देता और रोएँदार कोशिकाओं में बदलने लगता है जिन्हें कवक-तंतु कहते हैं।

ज्यादातर कवक विषम जालिक होते हैं। कवक तंतु सतत् नलिकाकार होते हैं जिनमें बहुकेन्द्रकीय कोशिकाद्रव्य भरा होता है जिन्हें सिनोसाइटिक कवक तंतु भी कहते हैं।