Basant Ritu Short Essay In Hindi बसंत ऋतु का निबंध 

Basant Ritu Short Essay In Hindi | बसंत ऋतु का निबंध 

NIBANDH IN HINDI

मित्रों बसंत ऋतु पर हिंदी में निबंध प्रस्तुत है. यदि वर्तमान परिवेश में देखा जाये तो बसंत ऋतु Essay in Hindi , निबंध लेखन का एक महत्वपूर्ण विषय है. आप बसंत ऋतु पर हिंदी निबंध पढ़ें एवं अपने ज्ञान का वर्धन करें. हमें उम्मीद है कि बसंत ऋतु निबंध आपको अवश्य पसंद आएगा. साथ ही हमारी Website आपको देगी Ritu Ke Naam Hindi Mein और कुछ जानकारी.

भूमिका

 आपको बता दें कि भारत को अनेक ऋतुओं का देश माना जाता है। भारत में सर्दी-गर्मी, बरसात-पतझड़, वसंत-ग्रीष्म आदि छ: ऋतुएँ आती जाती रहती हैं। वर्ष में आने वाली बसंत ऋतु सबकी प्रिय होती है। बसंत ऋतु के आने पर पूरा प्राणी जगत हर्ष एवं उल्लास से झूम उठता है। बसंत ऋतुओं का राजा होती है इसी कारण से इसे ऋतुराज बसंत के नाम से भी जाना जाता है।

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ऋतुओं का राजा

 भारत की प्रसिद्धि का कारण उसकी प्राकृतिक शोभा होती है। लोग अपने आप को धन्य मानते हैं जो इस पृथ्वी पर रहते हैं। ये ऋतुएँ एक-एक करके आती हैं एवं भारत माता का श्रृंगार भी करती हैं और चली जाती है। सभी ऋतुओं की अपनी-अपनी शोभा होती है। परन्तु बसंत ऋतु की शोभा सबसे अधिक निराली होती है। बसंत ऋतु का ऋतुओं में सर्वश्रेष्ठ स्थान भी होता है इसी कारण से यह ऋतुओं की राजा भी मानी जाती है।

बसंत ऋतु की विशेषता

 ध्यान रहे कि बसंत के समय में ऋतु बहुत सुहावनी होती है। सर्दी खत्म और गर्मी प्रारंभ होने वाली होती हैं। इस समय में न ही तो अधिक सर्दी होती है और न ही अधिक गर्मी होती है। प्रत्येक मनुष्य बाहर घूमने का इच्छुक होता है। यह इस मीठी ऋतु की विशेषता होती है। सब जीव-जंतुओं और पेड़-पौधों में नव जीवन का संचार हो जाता है।वृक्षों के नए-नए पत्ते लद जाते हैं। फूलों का सौंदर्य एवं हरियाली की छटा मन को भा जाती है। आमों के पेड़ों पर बौर आने लगता है एवं कोयल भी मीठी आवाज में कुहू-कुहू करने लगती है। इस सुगंधित वातावरण में सैर करने से बहुत सी बीमारियाँ दूर हो जाती है। ठंडी-ठंडी हवा भी चलती रहती है जिससे मनुष्य की उम्र एवं बल में बहुत ही वृद्धि होती है। बसंत ऋतु पतझड़ एवं शिशिर के पश्चात ही आती है।

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बसंत ऋतु का स्वागत

 बसंत के आगमन पर नई फसलें एकदम से पकने लगती हैं। सरसों के पीले-पीले फूल खिल-खिला कर खुशी व्यक्त करते हैं। सिट्टे भी ऐसे लगते हैं जैसे सिर उठाकर ऋतुराज का स्वागत कर रहे हों।सरोवरों में कमल के फूल खिल कर इस तरह पानी को पूरी तरह से छिपा लेते हैं जैसे मनुष्यों को संकेत देते हैं कि अपने मन को खोल कर हंसों एवं सारे दुखों को मन में समेट लो। आसमान में पक्षी किलकारियां मारकर बसंत का स्वागत करते हैं।

वसंत पंचमी इसका उदघाट्न है तो होली इसका समापन। वसंत पंचमी को ज्ञान की देवी सरस्वती का जन्मोत्सव भी मनाया जाता है। रंगों का पर्व होली भी वसंत ऋतु का मस्ती से भरा पर्व होता है। इस दिन सभी संप्रदाय के लोग भेद-भावना भुलाकर परस्पर होली खेलते हैं एवं मानवीय एकता एवं निकटता का परिचय देते हैं। वसंत ऋतु में न अधिक सर्दी होती है और न अधिक गर्मी। इसीलिए वसंत ऋतु को भ्रमण, विवाह-समारोह आदि के लिये उपयुक्त समय माना जाता है।

वसंत ऋतु हमारे जीवन में नई प्रेरणा भी देती है। मनुष्य को भी वसंत ऋतु से प्रेरणा लेकर अपने जीवन में आनंद भरना चाहिए एवं अपने जीवन को सुखमय बनाने के लिए प्रयत्नशील हो जाना चाहिए। इसी में वसंत ऋतु की सच्ची सार्थकता बनी हुई है।

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प्राणी जगत में उल्लास

 प्राणी जगत में इस ऋतु के आने से उल्लास एवं उमंग का संचार होता है। पशु-पक्षी जोश, उत्साह और उल्लास से भर जाते हैं। कोयल अपने मधुर स्वर से गीत गाती है जो पूरी अमराईयों में गूंजता है। मनुष्य जाती उमग से भरकर नाचने लगती है। किसान का मन अपनी फसल को देखकर खुशी से भर जाता है।

कवि एवं कलाकार इस ऋतु से प्रभावित होकर नई कविताएँ भी बनाते हैं। इस ऋतु का सबसे अच्छा प्रभाव मनुष्य के स्वास्थ्य पर पड़ता है। शरीर में नए रक्त का संचार होता है और स्वास्थ्य में उन्नति भी होती है। बसंत ऋतु के आने से दिशाएं पूर्ण रूप से साफ व स्वच्छ हो जाती हैं एवं आसमान बहुत ही निर्मल हो जाता है।

चारों ओर प्रसन्नता से जड़ में भी चेतना आ जाती है। सूर्य भी अधिक तीव्र नहीं होता हैं। दिन रात एक जैसे होते हैं। बसंत ऋतु में हवा दक्षिण से उत्तर की तरफ बहती है। दक्षिण से आने वाली हवा शीतल, मंद एवं मतवाली होती है।

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बसंत पंचमी

 बसंत पंचमी को ऋतुराज के आगमन में उत्सव के रूप में मनाया जाता है। बसंत पंचमी के दिन लोग खेलते हैं झूला झूलते हैं और अपनी प्रसन्नता को खूब बढ़िया तरीके से व्यक्त भी करते हैं। हर घर में वसंती हलवा, केसरिया खीर बनते हैं। इस दिन लोग पीले रंग के वस्त्र भी पहनते हैं और बच्चे पीले रंग के पतंग भी उड़ाते हैं।

कहा जाता है कि फाल्गुन की पंचमी को बसंत पंचमी का मेला लगता है। इस दिन लोग सुबह से लेकर शाम तक पतंगें उड़ाते रहते हैं। होली को भी बसंत ऋतु का ही त्यौहार माना जाता है। इस दिन सारा वातावरण पूर्ण रूप से रंगीन हो जाता है और सभी आनंद से मगन होते हैं।

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बसंत ऋतु की ऐतिहासिकता

 बसंत पंचमी के दिन ज्ञान की अधिष्ठात्री देवी सरस्वती का जन्म भी हुआ था। इस दिन सरस्वती पूजन भी भलीभांति किया जाता है। इसी दिन वीर हकीकत राय की भी मृत्यु हुई थी। वीर हकीकत राय के कारण इस दिन का महत्व और भी अधिक बढ़ गया है।

वीर हकीकत राय जी का बलिदान हमें अपने धर्म पर अडिग रहने का संदेश देता है। हमें सभी धर्मों से प्रेरणा अवश्य लेनी चाहिए एवं किसी भी धर्म के प्रति नफरत बिल्कुल भी नहीं रखनी चाहिए। वीर हकीकत राय जी की याद में हर साल मेला लगता है। इस दिन वीर हकीकत राय जी को श्रद्धांजली भी अवश्य दी जाती है।

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उपसंहार

 हमें इस ऋतु में अपना स्वास्थ्य अवश्य बनाना चाहिए। सुबह-सुबह उठकर घूमने जाना चाहिए एवं प्रकृति के सौंदर्य का भरपूर आनंद लेना चाहिए। वसंत ऋतु भगवान का एक वरदान भी माना गया है एवं हमे इस अवसर का भरपूर लाभ उठाना चाहिए।