मित्रों Guru Purnima पर हिंदी में निबंध प्रस्तुत है. यदि वर्तमान परिवेश में देखा जाये तो Guru Purnima Essay in Hindi , निबंध लेखन का एक महत्वपूर्ण विषय है. आप Guru Purnima पर हिंदी निबंध पढ़ें एवं अपने ज्ञान का वर्धन करें. हमें उम्मीद है कि Guru Purnima निबंध आपको अवश्य पसंद आएगा.
प्रस्तावना
आपको बता दें कि गुरु पूर्णिमा हिंदुओं, जैनियों और बौद्धों का एक अनुष्ठान या त्योहार होता है जिसे समर्पण के रूप में मनाया जाता है, जो आध्यात्मिक, शैक्षणिक या सांस्कृतिक गुरु हो सकते हैं, शिक्षकों / गुरुओं के प्रति सम्मान और कृतज्ञता दिखाते हैं।
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कहा गया है कि जैन, बौद्ध और विशेष रूप से हिंदुओं जैसे विभिन्न धर्मों के दिलों में गुरुओं या शिक्षकों का एक विशेष स्थान है। शिक्षकों की तुलना भगवान से की जाती है और उन्हें भगवान की तरह पूजा जाता है।
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आषाढ़ मास की पूर्णिमा
ध्यान रहे कि आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा कहा जाता है। इस दिन गुरु पूजा का विधान है। मास्टर पूर्णिमा धुंधले मौसम की आरंभ की ओर आती है।
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इस दिन से चार महीने तक साधु-संत एक ही स्थान पर रहते हैं एवं ज्ञान की गंगा भी बहाते हैं। मौसम के लिहाज से भी ये चार महीने बहुत ही बढ़िया होते हैं। न तो अधिकता गर्मी और न ही अत्यधिक ठंड। इस तरह से इसे अध्ययन के लिए बहुत ही उचित माना जाता है।
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उसी प्रकार जैसे वर्षा ने सूर्य की गरमी से तपती हुई भूमि और फसलों को पहुँचाने की क्षमता को सम्हाल लिया, वैसे ही गुरु चरणों में उपस्थित खोजकर्ता सूचना, समरसता, समर्पण और योग शक्ति को प्राप्त कर सकते हैं।
जब गुरु पूर्णिमा मनाई जाती है
गुरु पूर्णिमा अधिकतर आध्यात्मिक गुरुओं के लिए मनाई जाती है परन्तु अन्य क्षेत्रों के गुरुओं की उपेक्षा नहीं की जाती है। कई बार, आध्यात्मिक गुरुओं को व्यक्ति एवं प्रभु के मध्य एक कड़ी के रूप में माना जाता है। आषाढ़ के हिंदू महीने में पूर्णिमा के दिन को गुरु पूर्णिमा के रूप में अवश्य मनाया जाता है।
क्यों मनाई जाती है गुरु पूर्णिमा?
यह एक ऐसा त्योहार होता है जो महान ऋषि महर्षि वेद व्यास की स्मृति में मनाया जाता है। इस महान संत ने चारों वेदों का संपादन भी किया गया । उन्होंने अठारह पुराण, महाभारत एवं श्रीमद्भागवत गीता भी लिखी। हिंदू पौराणिक कथाओं के दत्तात्रेय (दत्त गुरु), जिन्हें गुरुओं का गुरु भी माना जाता है, महर्षि वेद व्यास के शिष्य (छात्र) के लिए जाने जाते हैं। इस शुभ दिन पर, आध्यात्मिक भक्त और आकांक्षी महर्षि व्यास की पूजा करते हैं और शिष्य अपने संबंधित आध्यात्मिक पूजा करते हैं। गुरुदेव।
गुरु पूर्णिमा का महत्व
मानना है कि इस दिन को लोगों द्वारा विशेष रूप से किसानों के लिए एक अच्छा दिन माना जाता है क्योंकि वे अपनी फसलों के बढ़ने के लिए भारी बारिश की प्रतीक्षा करते हैं। इस दिन से चार महीने की अवधि (चातुर्मास) आरंभ होती है तथा आध्यात्मिक साधक इस दिन अपनी साधना (अभ्यास) को तीव्र करना आरंभ भी करते हैं।
इतिहास में यह देखा गया है कि आध्यात्मिक गुरु अपने शिष्यों के साथ एक पेड़ के नीचे बैठकर व्यास द्वारा रचित ब्रह्म सूत्रों का पूर्ण रूप से अध्ययन भी करते थे।
गुरु पूर्णिमा पर भाषण
आपको यह बता दें कि भारत ही एक ऐसी जगह है जहाँ गुरुओं को बहुत ही महत्व दिया गया है और जहाँ बहुत से अनुयायी और शिष्य हैं। गुरु प्राचीन काल से मौजूद हैं तथा अभी भी हमारे जीवन का एक हिस्सा हैं। गुरु हमें जीवन के महत्व और चक्र के बारे में सिखाते हैं और यह गुरुओं के कारण है कि हम अमर और दुनिया के बाहर के अस्तित्व में भरोसा भी करते हैं। गुरु न केवल एक भौतिक रूप है, अपितु ऊर्जा का एक रूप भी है जिसके द्वारा ज्ञान मनुष्यों तक पहुँचाया जाता है। एक आभा है जिसे केवल गुरु की उपस्थिति में महसूस किया जा सकता है। गुरु हमारे माता-पिता हो सकते हैं, हमारे जीवन के मार्गदर्शक हो सकते हैं और हमारे मन में शांति का केंद्र बन सकते हैं। इसलिए, हम गुरु पूर्णिमा अवश्य मनाते हैं और इसके अस्तित्व का सम्मान व आदर भी करते हैं।
गुरु पूर्णिमा को गुरु के प्रति सम्मान एवं कृतज्ञता प्रदान करने के लिए मान्यता प्राप्त है। आषाढ़ मास की पूर्णिमा को ऐस पूर्णिमा की बधाई दी जाती है, जो अपने स्वामी के प्रति कर्तव्य और भक्ति को दर्शाती भी है। इस पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के निकट आषाढ़ पूर्णिमा भी कहा जाता है।
गुरु पूर्णिमा पर गुरु की पूजा भी अवश्य की जाती है, और इस उत्सव की स्तुति आशन मास के शुक्ल पक्ष को ही की जाती है। यह स्वीकार किया जाता है कि गुरु का प्रकाशमय प्रकाश जीवन के आलस्य को एकदम से दूर करता है, और उसके पश्चात , मनुष्य को ईश्वर से मुलाकात की जा सकती है।
इस उत्सव का विशेष महत्व है। इस दिन गुरु के प्रति विश्वास का संचार किया जाता है। इस दिन व्यवस्थित रूप से गुरु की पूजा अवश्य की जाती है। इसे व्यास पूर्णिमा भी कहते हैं।
गुरु पूर्णिमा पर्व का उत्सव
यह गुरु को सम्मान एवं धन्यवाद देने के लिए अवश्य मनाया जाता है। आषाढ़ मास की पूर्णिमा पर गुरु पूर्णिमा की प्रशंसा भी की जाती है, जो अपने गुरु के प्रति प्रतिबद्धता एवं समर्पण को पूर्ण रूप से दर्शाता भी है। इस पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के साथ आषाढ़ पूर्णिमा भी कहा जाता है।
निष्कर्ष
अंततः हम यह आपसे कहना चाहते हैं कि गुरु पूर्णिमा को मनाने के लिए बहुत सारे महत्व एवं कारण भी उपलब्ध हैं। हम सभी को गुरु पूर्णिमा का उद्देश्य पूर्ण रूप से समझना चाहिए और अपने गुरु का ध्यान भी अवश्य रखना चाहिए। आशा करता हूँ कि आप सभी को गुरु पूर्णिमा पर यह जानकारीपूर्ण निबंध पसंद अवश्य आया होगा।