मेरा परिवार पर निबंध हिन्दी में Mera Parivar Short Essay

मेरा परिवार पर निबंध हिन्दी में | Mera Parivar Short Essay

NIBANDH IN HINDI

दोस्तों इस पोस्ट में हम मेरा परिवार  पर हिंदी में निबंध प्रस्तुत करने जा रहे हैं. उम्मीद है कि मेरा परिवार Essay in Hindi आपका ज्ञान वर्धन अवश्य करेगा. हिंदी निबंध का हिंदी भाषा के अध्ययन में अपना ही एक महत्वपूर्ण स्थान है. तो आइये अब पढ़ते हैं  मेरा परिवार  पर हिंदी में निबंध. 

प्रस्तावना

आपको बता दें कि परिवार के बैगर हमारी ज़िन्दगी पूरी तरह से अधूरी होती है। हर किसी इंसान को अपने परिवार की बहुत ही आवश्यकता होती है। मनुष्य को जब भी कठिनाइयाँ होती है, तो परिवार सदैव उनके लिए खड़ा होता है। अधिकतर हर परिवार में माता, पिता, भाई, बहन एवं दादा, दादी होते हैं।

Also Read:-

Mela Par Nibandh In Hindi | Mela Short Essay 

परिवार दुःख एवं सुख में सदैव एक साथ अवश्य खड़ा रहता है। कुछ लोग संयुक्त परिवार में रहते हैं और कुछ छोटे परिवारों में रहते हैं। आजकल जिस प्रकार जनसंख्या बढ़ रही है, उतनी ही हर वस्तुओं की कीमतों में इज़ाफ़ा भी बहुत तेजी के साथ हो रहा है, इसलिए अधिकतर लोग छोटे परिवारों में रहना अधिक पसंद करते हैं।

Also Read:-

Mera Desh Badal Raha Hai Hindi Nibandh | Mera Desh Badal Raha Hai Short Essay

आजकल परिवार इतने छोटे हो गए हैं कि बच्चे इसका महत्व बिल्कुल भी समझ नहीं पा रहे हैं। जीवन के मुश्किल समय में यदि कोई साथ निभाता है, तो वह सिर्फ इनका परिवार ही होता है। बच्चा शिष्टाचार एवं अच्छे संस्कार अपने परिवार से सीखता है। अतः मेरा अस्तित्व परिवार के बिना कुछ भी नहीं है।

Also Read:-

Mera Desh Par Nibandh In Hindi | Mera Desh Short Essay

मैं अपने परिवार से बहुत ही प्यार करता हूँ। जिन्दगी में कोई साथ दे या ना दे, मगर परिवार सदैव हमारे साथ खड़ा होता है। गर्मियों की छुट्टियों में जब मैं अपने परिवार के साथ गाँव जाता हूँ, तो अलग ही आनंद एवं बहुत ही अधिक सुकून मिलता है।

Also Read:-

Mera Gaon Par Nibandh In Hindi | Mera Gaon Short Essay

यदि मनुष्य अच्छा कार्य करता है तो परिवार का नाम रोशन भी करता है। परिवार के कारण ही मनुष्य अपने सारी कठिनाइयों को भूल जाता है। परिवार ही हमे मुश्किल कठिनाइयों से बाहर अवश्य निकालता है।

Also Read:-

Mera Ghar Par Nibandh In Hindi | Mera Ghar Short Essay

परिवार के स्नेह का अधिक महत्व

यह बहुत ही अनिवार्य है कि, परिवार के बीच बड़े हो रहे बच्चों को स्नेह दिया जाए तथा एकदम सही तरह से उनकी देख-भाल भी की जाए, समाज में हो रहे अपराधों में अधिकतर ऐसे अपराधी हैं जो कम उम्र के हैं तथा उन्होंने पहली बार यह अपराध किया होता है। मनुष्य के साथ परिवार का सही व्यवहार न होने के कारण से मनुष्य का बौद्धिक विकास नहीं हो पाता तथा वह मानसिक रूप से कई यातनाओं को बर्दाश्त कर रहा होता है। हम अपने भावनाओं को परिवार के साथ बांटते है पर जब परिवार ही हमारे साथ सही व्यवहार न करें तो हमारे व्यक्तित्व में अनेक प्रकार के विकार उत्पन्न हो जाता है तथा यह मनुष्य तो अपराध की ओर अग्रसर करते हैं।

परिवार के सदस्य

परिवार के प्रत्येक सदस्य का अपना महत्व होता है। मैं अपने आपको बहुत ही खुशनसीब समझता हूँ कि मुझे ऐसा प्रेम भरा परिवार मिला। इस परिवार में दादी, माता-पिता, मैं और मेरी बहन भी रहते हैं।

परिवार का हर सदस्य, परिवार के संतुलन को अवश्य बनाये रखता है। एक अच्छे परिवार में जन्म लेना बड़े ही सौभाग्य की बात होती है। मैं अपने आपको भाग्यशाली समझता हूँ। आज मैं अपने माता-पिता के आशीर्वाद से पूरी तरह से सुरक्षित हूँ तथा अपने जीवन में किसी भी वस्तु की कोई कमी बिल्कुल भी नहीं है।

जीवन के लक्ष्य में परिवार का साथ

मैं हाल ही में पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई कर रहा हूँ। मुझे आगे चलकर पीएचडी अवश्य करना है और मेरे माता -पिता मेरे इस निर्णय में मेरे साथ हैं। मैं हफ्ते में चार दिन बच्चो को पढ़ाता हूँ। मेरे परिवार के सभी लोग मुझे समझते भी हैं।

मेरे माता-पिता सदैव मेरी कठिनाइयों को भलीभांति समझते हैं और उन्हें सुलझाते भी हैं। जब भी मैं ज़िन्दगी में किसी उलझन में पड़ जाता हूँ, तो मेरे माता-पिता मुझे सही मार्ग दिखाते हैं। इंसान को जब चोट लगती है या वह किसी कठिनाई में रहता है, तो परिवार उसका सदैव साथ देता है। मेरा परिवार भी बिल्कुल वैसा ही है। जिंदगी में हमे कठिनाइयों से बाहर परिवार ही निकालता है।

खाली समय में परिवार के साथ

हफ्ते में एक दिन सभी की यह कोशिश रहती है कि हम कुछ समय साथ में अवश्य बिताएं। वैसे रोज़ खाने के टेबल पर हम सब आपस में बात – चीत भी करते हैं और एक दूसरे के विषयो पर चर्चा भी करते हैं। रविवार को हम सब बाहर थोड़ी देर के लिए घूमने अवश्य जाते हैं।

परिवार में सभी सदस्यों को एक दूसरे के लिए समय अवश्य निकालना चाहिए। परिवार को समय देना बहुत ही अनिवार्य होता है। इससे रिश्तों में बहुत ही मिठास बढ़ता है।

निष्कर्ष

आपको बता दें कि अपना परिवार मनुष्य के लिए अपना संसार होता है, उससे वह संस्कार, अनुशासन, स्वच्छता, संस्कृति तथा परंपरा व इसी प्रकार के अनेक आचरण सीखता है। अपने जीवनकाल में मनुष्य क्या प्राप्त करता है यह उसके परिवार पर बहुत ही हद तक निर्भर करता है। तथा इसी प्रकार से देश के निर्माण में भी परिवार एक आधारभूत भूमिका भी भलीभांति निभाता है।

बता दें कि आज इस भाग दौर वाली इस जिन्दगी में संयुक्त परिवार बदलकर मूल परिवार बन गए हैं । मूल परिवार मतलब छोटे परिवार। मनुष्य का सर्वांगिण विकास परिवार में रहकर ही होता है। जीवन के कठिन मुश्किलों में अपने अर्थात परिवार हमेशा आपके पास खड़े होते हैं।

रिश्तें एवं परिवार, प्यार तथा भरोसे से बनते हैं। परिवार का स्नेह एवं लगाव हमे कभी भी दूर नहीं जाने देता है। परिवार से अच्छे एवं उत्तम आचरण बच्चे ही सीखते हैं। देश के गठन में परिवार बहुत ही अहम भूमिका निभाता है।