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Meri Pathshala Par Nibandh In Hindi | Short Essay 

NIBANDH IN HINDI

दोस्तों इस पोस्ट में हम Meri Pathshala  पर हिंदी में निबंध प्रस्तुत करने जा रहे हैं. उम्मीद है कि  Meri Pathshala Essay in Hindi आपका ज्ञान वर्धन अवश्य करेगा. हिंदी निबंध का हिंदी भाषा के अध्ययन में अपना ही एक महत्वपूर्ण स्थान है. तो आइये अब पढ़ते हैं Meri Pathshala पर हिंदी में निबंध. 

प्रस्तावना –

आपको बता दें कि (Meri Pathshala) व्यक्ति अपने जीवन में कुछ-न-कुछ अवश्य सीखता है। कोई भी इंसान जन्म से ही ज्ञानी बिल्कुल नहीं होता है अपितु इस धरती पर आकर ही किसी भी विषय पर ज्ञान प्राप्त अवश्य करता है। मानव जीवन को सभ्य बनाने में सबसे बड़ा योगदान (Meri Pathshala) पाठशाला का ही होता है। पाठशाला का अर्थ होता है जिस स्थान पर ज्ञान का वास हो। मैं भी शिक्षा ग्रहण करने के लिए सेंचुरी पाठशाला में अवश्य जाता हूँ। मेरे पाठशाला में सभी जाति, धर्म एवं वर्ग के बच्चे पढने आते हैं। पाठशाला शासकीय तथा अशासकीय दोनों प्रकार के होते हैं। हमारा पाठशाला एक मंदिर के समान ही है जहाँ हम रोज पढने आते हैं ताकि अपने जीवन में उज्ज्वल भविष्य प्राप्त कर सके। हमारी पाठशाला में सभी को एक समान दर्जा दिया जाता है। हमें प्रतिदिन पाठशाला जाना बहुत ही बढ़िया लगता है क्योंकि पाठशाला एक ऐसा स्थान होता है जहाँ पर हमें प्रतिदिन कुछ-न-कुछ नया सीखने को अवश्य मिलता है। एकदम से सही शिक्षा से ही किसी भी बच्चे का भविष्य निश्चित अवश्य होता है और सही शिक्षा की शुरुआत पाठशाला से ही होती है।

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पाठशाला का पुस्तकालय –

हमारे पाठशाला में एक बहुत ही बड़ा पुस्तकालय है। इसमें नर्सरी से लेकर दसवीं कक्षा तक की विभिन्न विषयों की पुस्तकें भी हैं। इस पुस्तकालय में हिंदी के दैनिक समाचार पत्र एवं कई महत्वपूर्ण मासिक अर्धवार्षिक तथा वार्षिक पत्रिकाएँ भी आती है। पुस्तकालयाध्यक्ष बहुत ही मेहनती एवं बढ़िया इंसान भी हैं। हमें पुस्तकालय से हमारी आवश्यकता की प्रत्येक पुस्तक मिल जाती है जिसे घर भी ले जाया जा सकता है। पुस्तकालय से पुस्तक को केवल कुछ निश्चित समय के लिए ही घर पर ले जाने की अनुमति अवश्य मिलती है।

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पाठशाला के शिक्षक –

हमारे पाठशाला के अध्यापक बहुत ही मेहनती विद्वान् एवं छात्रों के हित का ध्यान रखने वाले अध्यापक होते हैं। हमारे पाठशाला के अध्यापक बहुत ही मेहनत एवं लगन से सिलेबस के अनुसार पढ़ाते भी हैं एवं साथ ही लिखित कार्य का भी अभ्यास कराते हैं। सभी टीचर हमारे लिखित कार्य को बहुत ही सावधानीपूर्वक अवश्य देखते हैं एवं हमारी अशुद्धियों की ओर हमारा ध्यान भी दिलाते हैं। इससे हमें शुद्ध भाषा सीखने एवं उसका शुद्ध इस्तेमाल करने में मदद भी मिलती है। हमारे पाठशाला के अध्यापक बहुत ही दयालु हैं जो हमें अनुशासन का अनुसरण करना अवश्य सिखाते हैं। हमारे शिक्षक सदैव हमें खेल क्रियाओं, प्रश्न उत्तर प्रतियोगिता, मौखिक-लिखित परीक्षा, वाद-विवाद, समूह चर्चा, आदि दूसरी क्रियाओं में भाग लेने के लिए भी प्रेरित भी अवश्य करते हैं। हमारे पाठशाला के अध्यापक हमें पाठशाला में अनुशासन को बनाए रखने एवं पाठशाला परिसर को साफ एवं स्वच्छ बनाए रखने के लिए प्रेरित भी किया करते हैं। सचमुच हमारे पाठशाला के शिक्षक बहुत ही बढ़िया हैं।

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वातावरण

बता दें कि मेरा विद्यालय छात्र के लिए सहायक वातावरण, आरामदायक भावना जैसे गुणों का प्रतीक माना गया है। कक्षाओं को छात्रों को प्रसन्न करने के लिए रंगों से भरपूर सजाया गया है। खेल के मैदान को छात्रों के मूड को आराम देने के लिए डिज़ाइन भी किया गया है।

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दिनचर्या

मेरा स्कूल का दिन प्रार्थना से आरंभ होता है तथा हम प्रतिज्ञा के साथ समाप्त भी करते  हैं। उस प्रार्थना के पश्चात हमारे लिए नियमित कक्षाएं होती हैं। दोपहर 1 बजे हम लंच ब्रेक लेते हैं और फिर से दोपहर 2 बजे से 3:30 बजे तक कक्षाएं जारी होती हैं।  अंतिम घंटे सह पाठयक्रम गतिविधियों, सामान्य मामलों आदि के लिए बने हुए हैं।

अनुशासन

ध्यान रहे कि अनुशासन एवं स्वच्छता मेरे विद्यालय की संस्कृति का बहुत बड़ा हिस्सा बना हुआ है जूतों से लेकर नाखूनों तक, हर तरह की साफ-सुथरी ड्रेस की जाँच भी होती है। सभी छात्रों को अंग्रेजी में एक दूसरे से बात भी करनी होती है। हालांकि यह गंभीर लगता है, परन्तु यह बोली जाने वाली अंग्रेजी में सुधार भी करता है।

सुविधाएं

स्कूल ब्लॉक छात्रों के लिए हवादार एवं आरामदायक होता है। हेड ऑर्टोरी सदैव छात्रों की सुविधाओं की निगरानी भी निष्ठापूर्वक करते हैं। वे स्कूल चलाने के लिए नई तकनीकों का इस्तेमाल भी अवश्य करते हैं।

मेरे स्कूल में योग्य शिक्षक, पीटी, गैर-शिक्षण कर्मचारी भी हैं। मेरे विद्यालय के शिक्षक विषयों को कुशलतापूर्वक पढ़ाने में काफी सक्षम हैं।

निष्कर्ष

दरअसल मैं आपको बता दूँ कि मेरे विद्यालय के बारे में सभी अच्छी बातें एक निबंध में पूरी तरह से संलग्न नहीं की जा सकतीं। आखिरकार मैं यह भी कह सकता हूँ कि मैं आज जो कुछ भी हूं, केवल अपने स्कूल के कारण से हूँ।