Bhrashtachar Nibandh In Hindi | Bhrashtachar Short Essay PDF

NIBANDH IN HINDI

मित्रों Bhrashtachar पर हिंदी में निबंध प्रस्तुत है. यदि वर्तमान परिवेश में देखा जाये तो Bhrashtachar Essay in Hindi , निबंध लेखन का एक महत्वपूर्ण विषय है. आप Bhrashtachar पर हिंदी निबंध पढ़ें एवं अपने ज्ञान का वर्धन करें. हमें उम्मीद है कि Bhrashtachar निबंध आपको अवश्य पसंद आएगा.   

भ्रष्टाचार का अर्थ

भ्रष्टाचार का मतलब इसके नाम में ही छुपा है भ्रष्टाचार अर्थात भ्रष्ट + आचार। भ्रष्ट अर्थात बुरा या बिगड़ा हुआ तथा आचार का मतलब है आचरण। अर्थात भ्रष्टाचार का शाब्दिक अर्थ है वह आचरण जो किसी भी प्रकार से अनैतिक और अनुचित हो।

भ्रष्टाचार में मुख्य घूस यानी रिश्वत, चुनाव में धांधली, ब्लैकमेल करना, टैक्स चोरी, झूठी गवाही, झूठा मुकदमा, परीक्षा में नकल, परीक्षार्थी का गलत मूल्यांकन, हफ्ता वसूली, जबरन चंदा लेना, न्यायाधीशों द्वारा पक्षपातपूर्ण निर्णय, पैसे लेकर वोट देना, वोट के लिए पैसा एवं शराब आदि बांटना, पैसे लेकर रिपोर्ट छापना, अपने कार्यों को करवाने के लिए नकद राशि देना यह सब भ्रष्टाचार ही होता है। अंतरराष्ट्रीय गैर सरकारी संगठन ट्रांसपैरंसी इंटरनैशनल की 2017 की रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में भारत का भ्रष्टाचार में 81 वां स्थान है।

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भ्रष्टाचार का परिचय

राज्य में भ्रष्टाचार एक राज्य के सिद्धांतों के लिए सबसे बड़ा खतरा माना गया है। कहते हैं कि संप्रभुता, बंधुत्व, समाजवादी एवं गणतंत्र के सिद्धांत – कि भारतीय संविधान और समाज का निर्माण किया गया था, अगर भारत में व्यवस्थाएं भ्रष्ट हो जाती हैं, तो वह अस्पष्ट हो जाएगी। ऐसी चीजें हैं जिन्हें हम एक मनुष्य के रूप में बिल्कुल भी नहीं बदल सकते हैं, हालांकि हम इसके माध्यम से देख सकते हैं। सरकार एवं प्रणालियों के चरित्र में भ्रष्टाचार के विभिन्न कारण तथा प्रभाव भी हैं।

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भ्रष्टाचार विरोधी दिवस

आपको बता दें कि दुनियाभर में भ्रष्टाचार के खिलाफ लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए तथा पूरी दुनिया को भ्रष्टाचार से मुक्त करने के लिए 9 दिसंबर को ‘अंतरराष्ट्रीय भ्रष्टाचार विरोधी दिवस’ मनाया जाता है। इस दिवस को मनाते हुए सभी सरकारी, प्राइवेट, गैरसरकारी सस्थाएं एवं नागरिक संगठन भ्रष्टाचार के खिलाफ एकजुटता से लड़ाई लड़ने का संकल्प लेते हैं।

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 31 अक्टूबर सन 2003 को एक प्रस्ताव पारित कर ‘अंतरराष्ट्रीय भ्रष्टाचार विरोधी दिवस’ मनाए जाने की घोषणा की। यूएनजीए द्वारा यह दिवस प्रत्येक वर्ष 9 दिसंबर को मनाये जाने की घोषणा की गयी। भ्रष्टाचार के खिलाफ संपूर्ण राष्ट्र एवं दुनिया का इस जंग में शामिल होना एक शुभ घटना कही जा सकती है, क्योंकि भ्रष्टाचार आज किसी एक देश की नहीं, अपितु संपूर्ण विश्व की बहुत बड़ी समस्या मानी गई है।

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भ्रष्टाचार के पीछे के कारण

प्रलोभन सबसे बड़ी बुराई है जब सत्ता में बैठे लोग आवश्यकता से अधिक अपने हितों की तलाश करने लगते हैं, तो उनके भ्रष्ट गतिविधियों में शामिल होने की संभावना होती है। इसी तरह, महात्मा गांधी भी कहेंगे, कि इस दुनिया में मनुष्य की आवश्यकता के लिए पर्याप्त है परन्तु लालच बिल्कुल भी नहीं। खैर, परिस्थितिजन्य कारक भी हो सकते हैं, क्यों कोई रिश्वतखोरी या भ्रष्टाचार में लिप्त हो रहा है, उच्च पदानुक्रम या यहां तक ​​कि व्यक्तिगत वित्तीय अत्याचारों का दबाव हो सकता है जिससे किसी को निपटना पड़ता है।

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एक सामाजिक/आर्थिक/राजनीतिक बुराई-भ्रष्टाचार

यह निर्विवाद है, भ्रष्टाचार आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक व्यवस्था को पंगु बना देता है। यह लोगों को कानूनों और उनके क्रियान्वयन पर अविश्वास पैदा कर रहा है। कई बार ऐसा भी होता है कि कानून होने के बजाय, लोग सुनने के लिए अधिक परिश्रम कर रहे हैं क्योंकि अंततः शक्तिशाली व्यक्ति को दबा देता है, जो बहुत ही शक्तिहीन होता है। गरीबी, अन्याय एवं अपराध भी भ्रष्टाचार की एक ही बहुत बड़ी समस्या से निकलते हैं।

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निबंध का निष्कर्ष

यद्यपि ऐसे कानून और मीडिया हैं जो स्वयं को लोकतंत्र का प्रहरी कहते हैं, फिर भी चीजें निष्पादित करने में विफल रहती हैं, नागरिकों को अधिक सतर्क रहने एवं अपने नैतिक समाज के बारे में समझने की बहुत ही ज़रूरत होती है। केवल समाज में भ्रष्टाचार के खिलाफ कानून एवं संवाद बनाने से कुछ नहीं होगा। देश के लोगों में नैतिक ज्ञान की ज़रूरत होती है।

आज भ्रष्टाचार हमारे देश भारत में पूरी तरह से फ़ैल चूका है। भारत में आज लगभग सभी प्रकार के आईटी कंपनियाँ,  बड़े कार्यालय, अच्छी अर्थव्यवस्था होने के बावजूद भी, भारत पूरी तरीके से विकसित होने की दौड़ में बहुत ही पीछे है। इसका सबसे बड़ा कारण भ्रष्टाचार ही तो है। चाहे वह समाज का कोई भी मनुष्य क्यों न हो, सरकारी कर्मचारी हो या फिर कोई राजनीतिक नेता, शिक्षा का कार्य क्षेत्र हो – हर स्थान पर भ्रष्टाचार ने अपना घर बना लिया है। आज भ्रष्टाचार कुछ इस प्रकार से भारत में बढ़ चुका है कि कहीं-कहीं तो भ्रष्टाचार के बिना काम ही नहीं होता है।

भारत जैसे विकासशील एवं लोकतांत्रिक देश में भ्रष्टाचार का होना एक बहुत ही बड़ी विडंबना बनी हुई है। हमारा राष्ट्रीय चरित्र धूमिल होता नजर आ रहा है, जो कि हमारे देश पर कीचड़ उछालने से कम नहीं है। हमारा नैतिक स्तर इतना गिर गया है कि हम अन्य लोगों के बारे में जरा भी नहीं सोचते हैं।

हमारा देश सत्य, अहिंसा, कर्मठ, शीलता, एवं सांस्कृतिक मूल्यों के लिए जाना जाता था, परन्तु आज 21वीं सदी के भारत में यह सब चीजें देखने को बिल्कुल भी नहीं मिलती है। जिसके कारण हमारा देश कहीं ना कहीं अपनी मूल छवि को खोता जा रहा है। भ्रष्टाचार का कैंसर हमारे देश के स्वास्थ्य को नष्ट कर रहा है। यह आतंकवाद से भी बहुत ही बड़ा खतरा बना हुआ है। यदि हमें भ्रष्टाचार को जड़ से पूरी तरह से नष्ट करना है तो राजनेताओं, सरकारी तंत्र एवं जनता को साथ मिलकर इसके खिलाफ अवश्य लड़ना होगा तभी इस भ्रष्टाचार रूपी दानव से हम अपने देश को एकदम से बचा सकते हैं.