Sardar Vallabhai Patel Par Nibandh In Hindi | Sardar Vallabhai Patel Short Essay

Sardar Vallabhai Patel Par Nibandh In Hindi | Sardar Vallabhai Patel Short Essay

NIBANDH IN HINDI

दोस्तों इस पोस्ट में हम Sardar Vallabhbhai पर हिंदी में निबंध प्रस्तुत करने जा रहे हैं. उम्मीद है कि Sardar Vallabhbhai Essay in Hindi आपका ज्ञान वर्धन अवश्य करेगा. हिंदी निबंध का हिंदी भाषा के अध्ययन में अपना ही एक महत्वपूर्ण स्थान है. तो आइये अब पढ़ते हैं  Sardar Vallabhbhai पर हिंदी में निबंध. 

परिचय

आपको बता दें कि सरदार वल्लभ भाई पटेल को भारत के लौह पुरुष के रूप में भी पुकारा जाता है। उन्हें भारत के एक बहुत ही तन्दुरुस्त एवं गतिशील स्वतंत्रता सेनानी के रूप में याद भी किया जाता है। उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय योगदान दिया था। सरदार पटेल भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सबसे प्रतिष्ठित तथा प्रमुख नेताओं में से एक थे। हमारे देश को आजादी दिलाने में उनका बहुत बड़ा योगदान है।

सरदार वल्लभभाई पटेल विभिन्न दृष्टिकोणों से देश के लोगों को प्रेरित करते हैं। वह एक स्वतंत्र मनुष्य थे क्योंकि वह किसी भी क्षमता में किसी पर विश्वास बिल्कुल भी नहीं करते थे। जनता से जुड़ने के पश्चात से पटेल देश के सबसे प्रिय नेताओं में से एक थे। उन्होंने देश के लोगों को एक साथ लाया।

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स्वतंत्रता के पश्चात , भारतीय राजनीतिक मोर्चे में उनकी भूमिका का विस्तार हुआ। उन्हें भारत के गृह मंत्री के रूप में चुना गया था, और बाद में, उन्हें भारत के उप प्रधान मंत्री के रूप में चुना गया था।

वह दो पदों के लिए चुने जाने वाले पहले मनुष्य बन गए। उन्होंने राष्ट्र को एकजुट करने में एक बड़ी भूमिका निभाई। सरदार वल्लभभाई पटेल भारत की परिस्थितियों का समन्वय करने वाली मौलिक शक्ति थे।

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प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

सरदार वल्लभ भाई पटेल का जन्म 31 अक्टूबर सन 1875 को गुजरात के नडियाद गांव में लेउवा पटेल पाटीदार समुदाय में हुआ था। उनका पूरा नाम वल्लभभाई झावेरभाई पटेल है और सरदार पटेल के नाम से लोकप्रिय भी हैं। सरदार पटेल के पिता, झवेरभाई पटेल, झांसी की रानी की सेना में कार्यरत थे एवं माता, लाडबाई का झुकाव आध्यात्मिकता की ओर था। पटेल बचपन से ही बहुत साहसी चरित्र के थे।

एक उदाहरण था जब उन्होंने गर्म लोहे की छड़ का इस्तेमाल करके बिना किसी झिझक के एक दर्दनाक फोड़े का इलाज किया। कम से कम 22 साल की उम्र में जब सभी ने ग्रेजुएशन पूर्ण किया तो सरदार पटेल ने मैट्रिक की पढ़ाई पूरी की और इस कारण से सभी ने सोचा कि वह साधारण नौकरी करेगा।

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मैट्रिक की पढ़ाई पूर्ण करने के बाद सरदार पटेल ने अपनी पढ़ाई जारी रखी और लॉ ग्रेजुएट बन गए और बाद में बैरिस्टर बनने के लिए इंग्लैंड चले गए। भारत लौटने के पश्चात उन्होंने अहमदाबाद, गुजरात में वकालत करना जारी अवश्य रखा।

सरदार पटेल भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सबसे प्रमुख एवं उत्कृष्ट नेताओं में से एक थे। हमारी भारत माता को स्वतंत्रता दिलाने में उनका बहुत बड़ा योगदान था। भारत की स्वतंत्रता के समय, सरदार वल्लभ भाई पटेल एक महान बैरिस्टर होने के साथ-साथ एक महान भारतीय भी थे जिन्होंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय भाग लिया। महात्मा गांधी एवं अन्य महान भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों के साथ, एक संघ में काम करते हुए, उन्होंने अंग्रेजों के शासन को समाप्त करने का लक्ष्य रखा तथा अंग्रेजों को हमारे देश से बाहर निकालना भी चाहते थे।

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भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान

अक्टूबर सन 1917 में एम के गांधी के साथ एक मुलाकात ने उन्हें भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के करीब ला दिया। वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो गए और उनके शुरुआती आंदोलन ब्रिटिश अत्याचारों के खिलाफ गुजरात में सत्याग्रह के साथ आरंभ भी हुए। बाद में उन्होंने सन 1942 में गांधीजी के साथ मिलकर काम करते हुए सक्रिय रूप से भाग लिया एवं सन 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में अपनी स्वेच्छा से भाग लिया।

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भारत की आजादी के पश्चात का जीवन

स्वतंत्रता के पश्चात, उन्होंने भारत के एकीकरण में एक प्रमुख भूमिका निभाई। उन्होंने दूर-दराज के इलाकों और सीमावर्ती इलाकों की यात्रा करके देशी रियासतों के शासकों को एकजुट होने एवं एक भारत-एक राष्ट्र का हिस्सा बनने के लिए राजी भी किया। प्रारंभ में, स्वतंत्रता के पश्चात, उन्हें भारत के पहले गृह मंत्री और साथ ही साथ भारतीय सशस्त्र बलों के कमांडर इन चीफ के रूप में नियुक्त भी अवश्य किया गया था।

बाद में वे भारत के पहले उप प्रधान मंत्री भी बने। वह उन तीन नेताओं में से एक हैं जिन्होंने सन 1947 से सन 1950 तक भारत का खूब बढ़िया तरीके से नेतृत्व भी किया। सरदार पटेल ने सन 1950 की गर्मियों के पश्चात से तीव्रता के साथ अस्वस्थ होना आरंभ कर दिया और पटेल की मृत्यु 15 दिसंबर सन 1950 को बॉम्बे में बिड़ला हाउस, अब महाराष्ट्र में मुंबई में बड़े पैमाने पर दिल का दौरा पड़ने के बाद हुई। .

निष्कर्ष

दरअसल आपको यह बता दें कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में सरदार पटेल का योगदान उल्लेखनीय एवं अतुलनीय रहा है। वह न केवल स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान अपितु वर्तमान समय में भी राष्ट्र के युवाओं के लिए प्रेरणा का एक बहुत बड़ा स्रोत भी थे। सही मायने में उन्हें सेल्फ मेड मैन भी कहा जा रहा है। उनकी एकता की विचारधारा ने एकता की नींव रखी है। उन्हें सन 1991 में मरणोपरांत भारत रत्न पुरस्कार से सम्मानित भी किया गया था।