पंचतंत्र सबसे रोचक मजेदार कहानियां | With Moral | Hindi Text | PDF DOWNLOAD

Panchtantra ki kahaniyan | With Moral | Hindi | PDF DOWNLOAD

Panchtantra Stories

दोस्तों आप सभी को मालूम ही होगा कि panchtantra ki kahaniyan ना केवल  हमारा मनोरंजन करती हैं बल्कि हमें शिक्षा भी देती हैं. यही कारण है कि हम इन्हें पंचतंत्र की रोचक कहानियां बोलते हैं. Panchtantra Ki Rochak Kahaniya. आइये कुछ मनोरंजक कहानिया प्रस्तुत करते हैं.

तीनों मित्रों की सूझबूझ

ऐसा कहा जाता है कि पंचतंत्र एक संस्कृत साहित्य के उन महान अनमोल ग्रंथो में से एक है जिन्हें शाश्वत रूप से अमर कहा जाता है पंचतंत्र की कहानियाँ विश्व की 50 से अधिक भाषाओ में इसके 200 से अधिक संस्करण प्राप्त होते हैं जो अपने आप में एक अद्भुत रिकॉर्ड माना जाता है पंचतंत्र की कहानियो के माध्यम से धर्म,  एवं राजनीति के उपदेश दिए गये है.

पंचतंत्र की कहानी के पीछे कोई ना कोई शिक्षा या मूल अवश्य ही छिपा होता है जो हमें अच्छी शिक्षा देता है. पंचतन्त्र की कहानी को बच्चे बड़ी ही चाव से पढ़ते हैं एवं अच्छी शिक्षा प्राप्त करते हैं.

पंचतन्त्र की कहानियाँ अत्यधिक जीवन्त हैं. इनमे लोकव्यवहार को बहुत सरल तरीके से समझाया गया है. बहुत से लोग इस पुस्तक को नेतृत्व क्षमता विकसित करने का एक सशक्त माध्यम मानते हैं. जो इस पुस्तक की महत्ता इसी से प्रतिपादित होती है कि इसका अनुवाद सारे संसार की लगभग हर प्रकार की भाषा में हो चुका है.

पंचतंत्र को संस्कृत भाषा में ‘पांच निबंध’ या ‘अध्याय’ भी कहा जाता है. उपदेशप्रद भारतीय पशुकथाओं का संग्रह, जो अपने मूल देश एवं पूर्ण संसार में व्यापक रूप से प्रसारित हुआ है.

पंचतंत्र के लेखक श्री आचार्य विष्णु शर्मा जी हैं जिनका मुख्य उद्देश्य इन कहानियों के माध्यम से लोगो को नैतिक ज्ञान व अच्छी शिक्षा प्रदान करना होता है.

एक जंगल में एक कबूतर , एक चूहा एवं एक हिरण तीनों बहुत ही घनिष्ठ मित्र रहा करते थे. जंगल में बने सरोवर में पानी पीते एवं फल भी खाते और वही सरोवर के आसपास इधर – उधर भ्रमण भी किया करते थे.

एक समय की बात है जंगल में एक शिकारी , शिकार करने आया उसने हिरण को पकड़ने के लिए एक बहुत बड़ा जाल बिछाया.

बहुत देर तक प्रयत्न एवं परिश्रम से शिकारी ने जाल को छिपाकर और हिरन को पकड़ने में सफलता पा ली. शिकारी के जाल में हिरण बहुत ही सरलता से उसमे फंस गया. इस पर कबूतर ने कहा घबराओ मत दोस्त , मैं देखता हूं कि शिकारी कहां पर है एवं हम उससे कितनी दूर है . मैं उसको जाकर रोकता हूं जब तक हमारा दोस्त चूहा आकर तुम्हारे जाल को जल्दी से कुतर देगा और तुम जल्दी से बाहर को निकल जाओगे.

फिर यही हुआ कबूतर ने शिकारी को ढूंढना प्रारंभ कर किया.

वह शिकारी बहुत ही दूर था कबूतर ने अपने प्राणों को जोखिम में डालकर शिकारी के ऊपर वार करना आरंभ कर दिया. कबूतर के प्रहार से शिकारी को कुछ समझ में नहीं आया तथा वह दुखी होकर अपनी रक्षा करने लगा मगर कबूतर शिकारी को अधिक देर तक रोक नहीं पाया.

शिकारी ने जल्दी ही कबूतर पर काबू पा लिया तथा वह अपने जाल की ओर आया.

यहां उसने आकर देखा कि चूहे ने उसके जाल को लगभग काट ही दिया था अब हिरण बिल्कुल स्वतंत्र होने वाला ही था , तभी शिकारी वहां पहुंच गया इतने में कबूतर का एक झुंड वहाँ आकर उस शिकारी के ऊपर ताबड़तोड़ आक्रमण करना शुरू दिया.

इस आक्रमण से शिकारी बहुत ही बुरी तरह डर गया.

थोड़ा सा समय उस शिकारी को उन कबूतर पर नियंत्रण करने में लगा. इतने मे चूहे ने बिल्कुल निडर भाव से जाल को कुतर दिया जिससे हिरण बिल्कुल स्वतंत्र हो गया. अब क्या था हिरण एवं चूहा अपने – अपने रास्ते भाग निकले. कुछ दूर तक ही दौड़ पाए कि उन्होंने पीछे मुड़कर देखा तो उनका मएक दोस्त कबूतर शिकारी के चंगुल में फंस गया था.

फिर हिरण ने अपने मन में सोचा कि उसने मेरी जान बचाने के लिए अपनी जान खतरे में डाल दी.

इस पर हिरण धीरे – धीरे लंगड़ाकर चलने लगा शिकारी को ऐसा महसूस हुआ कि हिरण बुरी तरह घायल हो गया है उसके पैर में बहुत ही चोट लगी है इसलिए वह धीरे – धीरे चल रहा है , वह अब बिल्कुल भी दौड़ नहीं सकता.

शिकारी ने तुरंत उस कबूतर को स्वतंत्र कर दिया एवं उस हिरण के पीछे भागा.

शिकारी को भागता देख कबूतर आकाश में उड़ गया तथा हिरण जो लंगड़ाने की नकल कर रहा था वह भी अब बहुत तेज दौड़ कर भाग गया तथा चूहा जल्दी से अपने बिल में घुस गया.

इस प्रकार तीनों मित्रों की सूझबूझ ने एक दूसरे की रक्षा की.

शिक्षा – इससे हमें यह शिक्षा मिलती है कि आपसी सूझबुझ एवं समझदारी हो तो किसी भी कठिनाई का सामना सरलता से किया जा सकता है.

शरारती बंदर

एक बार की बात है , एक जंगल में एक शरारती बंदर रहा करता था. वह बन्दर सभी को पेड़ों से फल फेंक – फेंक करके मारा करता था. गर्मी का मौसम था पेड़ों पर बहुत सारे आम लगे हुए थे.

बंदर सभी पेड़ों पर घूम-घूमकर आमो के रस को चूसता एवं बड़े मजे करता.

नीचे आने – जाने वाले जानवरों पर वह ऊपर से बैठे-बैठे आमों को फेंक कर मारता एवं उन पर खूब मुस्कुराता.

एक बार हाथी उधर से जा रहा था.

बंदर उसी पेड़ पर बैठकर आम खा रहा था , वह अपने शरारती दिमाग से बहुत अधिक लाचार था.

बन्दर ने हाथी पर कई आम तोड़कर फेंके, तभी एक आम हाथी के कान पर लगा एवं एक आम उसके आंख पर लगा. इससे हाथी को बहुत ही क्रोध आया. उसने अपनी सूंढ़ को ऊपर उठाकर बंदर को अपने क्रोध से लपेट लिया और कहा कि मैं आज तुझे जान से मार डालूंगा तू सब को बहुत दुखी करता है. इस पर बंदर ने अपने कान पकड़ लिए तथा हाथी से क्षमा मांगी.

अब से मैं किसी को भी दुखी नहीं करूंगा तथा किसी को शिकायत का मौका भी नहीं दूंगा.

बंदर के बार – बार क्षमा मांगने तथा रोने पर हाथी को बहुत दया आ गई तभी उसने बंदर को छोड़ दिया.

कुछ समय पश्चात दोनों बहुत घनिष्ट दोस्त हो गए.

बंदर अब अपने दोस्त को फल तोड़ – तोड़ कर खिलाता तथा दोनों दोस्त पूरे जंगल में इधर – उधर भ्रमण किया करते थे.

शिक्षा – इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि किसी को दुखी नहीं करना चाहिए जिससे उसका परिणाम बहुत ही बुरा ही होता है.

दोस्तों इतना ही नहीं अगर आपको बार बार ऑनलाइन कहानियां ढूंढना अच्छा नहीं लगता तो आप panchtantra ki kahaniyan in hindi pdf भी डाउनलोड कर सकते हैं. हम आपकी सुविधा के लिए panchtantra ki kahaniyan pdf में भी प्रस्तुत कर रहे हैं जिनको आप इस पेज के अंत में दिए हुए लिंक से डाउनलोड कर सकते हैं.

धैर्य का फल मीठा होता है

सुंदरवन नामक एक बहुत ही खूबसूरत जंगल था. वहां बहुत सारे जानवर , पशु – पक्षी रहा करते थे. धीरे – धीरे सुंदरवन की सुंदरता बिल्कुल कम होती जा रही थी.

पशु-पक्षी भी वहां से कहीं दूसरे जंगल की ओर जाने लगे थे.

वजह यह थी कि वहां पर कुछ सालों से बिल्कुल वर्षा नहीं हो रही थी.

जिसकी वजह से जंगल में पानी की कमी निरंतर बढ़ती जा रही थी. पेड़ – पौधों  की हरियाली भी बिल्कुल नष्ट हो रही थी , एवं पशु – पक्षियों का मन भी वहां नहीं लग रहा था.

सभी वन को छोड़कर दूसरे वन की ओर जा रहे थे कि सभी गिद्धों ने ऊपर उड़ कर देखा तो उन्हें काले घने बादल जंगल की ओर आते दिखाई पड़े.

उन्होंने आकर सभी को बताया कि जंगल की तरफ काले घने बादल आ रहे हैं , अब यहाँ भी वर्षा अवश्य होगी.

इस पर सभी पशु-पक्षी वापस अपने सुंदरबन में आ गए.

देखते ही देखते कुछ देर में बहुत जोर – जोर की वर्षा होने लगी.

बारिश इतनी हुई कि वह दो-तीन दिन तक होती ही रही.

सभी पशु – पक्षी जब वर्षा रुकने पर बाहर निकले तब उन्होंने देखा उनके तालाब एवं झील में बहुत सारा पानी भर गया था. सारे पेड़ – पौधों पर नए-नए पत्ते भी निकल आए थे.

इस पर सभी बहुत प्रसन्न हुए तथा सभी ने उत्सव मनाया.

सभी का मन प्रसन्नता से भर गया था तथा बत्तख तालाबों में तैर रहे थे हिरण दौड़-दौड़कर खुशियां मना रहे थे तथा बहुत सारे पपीहे – दादुर मिलकर एक नए राग का अविष्कार कर रहे थे.

इस प्रकार सभी जानवर , पशु – पक्षी बहुत ही प्रसन्न थे अब उन्होंने दूसरे वन जाने का इरादा बिल्कुल त्याग दिया था एवं अपने घर में खुशी – खुशी रहने लगे.

शिक्षा – इससे हमें यह शिक्षा मिलती है कि धैर्य का फल मीठा होता है.

मित्रता

चिंटू एक बहुत ही छोटा सा बच्चा था. उसके पास एक भोलू नाम का एक सफेद रंग का कुत्ता भी था. चिंटू एवं भोलू दोनों बहुत ही अच्छे मित्र थे. भोलू , चिंटू के घर में रहता था. वह चिंटू की बहुत सहायता करता था. चिंटू स्कूल जाने के लिए तैयार होता था तो भोलू उसकी सहायता भी करता था. उसके जूते एवं बोतल आदि तुरंत चिंटू को दे देता था . भोलू घर में किसी दूसरे व्यक्ति को बिल्कुल भी आने नहीं देता था.

पहले भों -भों करके पूरे घर को बता देता था कि कोई आदमी आया है.

गोलू अपने भोलू को बहुत प्यार से खाना खिलाता था तथा उसके साथ खेलता भी था.

चिंटू जब पार्क में खेलता था तो भोलू उसकी गेंद को लाकर चिंटू को देता था.

भोलू अपने घर में सभी का मन बहलाता था.

वह कभी चौकीदार का काम भी करता था, तो कभी घर के नौकर का भी काम सँभालता था.

चिंटू की मम्मी जब छत पर पापड़ एवं गेहूं सुखाती थी , तो भोलू वहां इधर – उधर घूमकर निगरानी भी करता था. वह किसी चिड़िया एवं कौवे को बिकुल भी बैठने नहीं देता तथा अपने समान को बिल्कुल तितर – बितर करने नहीं देता. चिंटू जब बाजार जाता तो भोलू भी उसके पीछे – पीछे चल देता तथा दूसरे आवारा कुत्तों से चिंटू को बचाता.

शिक्षा – इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि मित्रता किसी से भी करें उसको अवश्य निभाए चाहिए. क्योंकि दोस्त ही आपकी सहायता करता है.

दोस्तों शायद आपको मालुम न हो कि panchtantra ki kahaniyan bacchon ke liye बनायीं गयी थीं. इन को सुना कर आप अपने बच्चों का ज्ञान वर्धन कर सकते हैं. आपकी सुविधा के लिए panchtantra ki kahaniyan in hindi free download के लिए इस  पेज के अंत में उपलब्ध हैं. अगर आप चाहें तो सीधे इस पेज के अंत में जा कर उनको डाउनलोड कर सकते हैं.

चिड़ियाघर

अमन अपने माता-पिता के साथ चिड़ियाघर घूमने गया था. क्योंकि अमन बच्चा था तथा वह अपनी मम्मी के गोदी में चलता था , इसलिए चिड़ियाघर में उसके लिए टिकट बिल्कुल भी नहीं लगता था. मम्मी – पापा ने अपना टिकट लिया तथा तीनों मिलकर चिड़ियाघर के अंदर चले गये . अमन ने चिड़ियाघर के अंदर एक तालाब देखा जो उसमें बहुत सारी बत्तख एवं बगुला तैर रहे थे.  उसे बहुत ही बढ़िया लगा फिर उसने देखा एक बंदर है और वह छोटे-छोटे बंदरों को कुछ खिला रहा है , तथा उसके पीछे छोटे – छोटे बंदर दौड़ कर आ रहे हैं. अवश्य ही उसके पापा होंगे. अमन ने फिर आगे जाकर एक भालू को देखा , एक जिराफ को देखा एवं बहुत सारे शेर को भी देखा और वह बहुत तेज-तेज चिल्ला रहे थे, छोटे-छोटे बच्चे उनसे घबरा कर इधर – उधर दौड़ रहे थे.

फिर चिंटू ने देखा कि एक हाथी का झुंड वहां पर खड़ा था तथा उसके छोटे – छोटे बच्चे भी वहां पर थे. वे सब आपस में खेल रहे थे तथा इस तमाशे को वहां खड़े बहुत सारे बच्चे देख रहे थे. अमन भी वहाँ खड़ा हुआ था एवं वो भी हाथी के झुंड को देखने लगा जब वहां से चला तो अमन अपनी मम्मी के साथ  में नहीं चल रहा था.

अमन ने देखा कि वहां छोटे-छोटे बच्चे आए हैं.

वह अपने – आप ही चल रहे थे कोई भी अपने मम्मी – पापा के गोदी में नहीं बैठा हुआ था.

इस पर अमन भी अपने छोटे-छोटे पैरों से चलने लगा इस पर अमन के मम्मी – पापा को बहुत अधिक प्रसन्नता हुई कि अब उसका बेटा भी अपने पैरों से चलना सीख रहा है.

अमन ने चिड़ियाघर में रेलगाड़ी से भी इधर – उधर भ्रमण किया तथा ऊंट की सवारी भी की.

शिक्षा – इससे हमें यह शिक्षा मिलती है कि बच्चों के मन के विकास के लिए उन्हें दुनिया का रूप अवश्य ही दिखाना चाहिए.

प्यारे बच्चों एवं अभिभावकों यहाँ पर हम कुछ नयी पंचतंत्र की कहानियां प्रस्तुत कर रहे हैं. Panchtantra Ki Kahaniyan New. उम्मीद करते हैं की ये panchtantra ki kahani in hindi text आपको जरूर पसंद आयेंगीं.

संवेदना

एक जंगल में एक हिरण का परिवार रहता था. उस हिरण का एक प्यारा सा सुंदर सा बच्चा भी था. एक दिन खरगोश से उसकी दौड़ हुई , हिरण का बच्चा खरगोश से आगे को दौड़ने लगा. वह जंगल पार कर चुका था , खेत पार कर गया , नदी भी पार कर गया , परन्तु पहाड़ बिल्कुल भी पार नहीं कर पाया.

वह चट्टान से टकराकर नीचे को गिर गया तथा बहुत जोर – जोर से रोने लगा.

बंदर ने उसकी टांग को सहलाया लेकिन बिल्कुल भी चुप नहीं हुआ.फिर भालू  दादा ने उसे अपने गोद में उठा कर उसको कुछ खिलाया उससे भी वह चुप नहीं हुआ तथा सियार ने बहुत अच्छा नृत्य किया उससे भी वह बिल्कुल चुप नहीं हुआ , फिर हिरण की मां उसके पास आई उसने उसे बहुत प्यार किया एवं उससे कहा चलो उस पत्थर की चलकर खूब पिटाई करते हैं. हिरण का बच्चा बोला नहीं ! वह भी रोने लगेगा.

उसके बाद मां मुस्कुराने लगी बेटा भी मुस्कुराने लगा और इसी प्रकार सभी लोग मुस्कुराने लगे.

शिक्षा – इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि बालकों में भी संवेदना बड़ों से बहुत अधिक होती है.

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तीन कछुए

एक तालाब में तीन कछुए रहते थे. दो कछुए आपस में बहुत अधिक लड़ाई भी किया करते थे. तीसरा कछुआ कुछ अक्लमंद भी था , वह इन दोनों की लड़ाई – झगड़े में बिल्कुल भी नहीं पड़ता था. एक दिन की बात है कि लड़ाई करने वाले कछुए में से एक पत्थर से टकराकर वह उल्टा हो गया था. कछुए का पैर आसमान की ओर था एवं उसकी पीठ जमीन से सटी हुई थी. उस कछुए ने बहुत कोशिश की परन्तु वह बिल्कुल सीधा नहीं हो पाया. आज उसे पछतावा हो रहा था उसने जीवन में लड़ाई – झगड़े के अलावा कुछ और किया ही क्या था. उल्टा हुए उसे बहुत समय बीत चुका था परन्तु कोई भी उसके पास आकर नहीं झांका.

तालाब में दोनों कछुए बेसब्री से इंतजार कर रहे थे.

बहुत समय बीत जाने के पश्चात भी जब वह तालाब में नहीं आया. तो दोनों कछुओं को संदेह हुआ तथा दोनों कछुए ने ढूंढने का मन बनाया तथा उस तालाब से बाहर निकलकर उस की खोज करने को निकल पड़े . तालाब से कुछ दूर एक पत्थर पड़ा हुआ था और उसके ऊपर वह कछुआ बिल्कुल उल्टा गिरा हुआ था. दोनों कछुए भागते हुए गए एवं उसे सीधा करके उसका हालचाल पूछने लगे. वह कछुआ अपने किए पर बहुत ही शर्मिंदा था. अतः वह जोर – जोर से रोने लगा तथा दोनों से फिर कभी लड़ाई – झगड़े न करने की बात कहकर उनसे क्षमा – याचना करने लगा. और तभी से तीनों कछुए तालाब में एक – दूसरे के मित्र बनकर रहने लगे.

एक दूसरे के साथ फिर कभी भी मारपीट व लड़ाई – झगड़े नहीं किया करते थे. क्योंकि उन्हें यह अहसास हो गया था कि एक – दूसरे की सहायता के बिना उनका जीना बहुत ही दुर्लभ हो जाता है.

शिक्षा – इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि अपने आसपास के लोगों से कभी भी किसी प्रकार का मन – मुटाव नहीं करना चाहिए , क्योंकि समय आने पर वही हमारे काम आते हैं.

एक विशाल पेड़

जंगल के एक विशाल पेड़ की खोल में बहुत सारी छोटी-छोटी चिड़िया रहती थी. उसी पेड़ की जड़ में एक बड़ा सर्प भी रहता था. वह चिड़ियों के छोटे-छोटे बच्चों को मारकर खा जाता था.

एक बार चिड़िया उस सर्प द्वार बार-बार बच्चों के खाये जाने पर बहुत ही चिंतित व विरक्त सी होकर नदी के किनारे आकर बात गईं. उनकी आँखों में आँसू भरे हुए थे | उसे इस प्रकार बहुत ही चिंतित देखकर नदी किनारे रहते एक मेंढक ने पूछा, “क्‍या बात है भई , आज इतना विलाप क्‍यों कर रही हो?”

तब चिड़िया ने और जोर से रोते हुए कहा, “बात यह है कि मेरे बच्चों को सर्प बार-बार मारकर खा जाता है. कुछ उपाय भी नहीं सूझता, कि किस प्रकार उस सर्प का नाश किया जाय. यदि आपके पास कोई इसका उपाय है तो कृपया मुझे अवश्य बताएं.”

मेंढक ने चिड़िया को एक अच्छे मित्र के नाते उसे एक बढ़िया – सी योजना दी एवं उन चिड़ियों से कहा, “कि तुम एक काम करो, मांस के कुछ टुकड़े लेकर नेवले के बिल के सामने डाल दो. इसके पश्चात बहुत से टुकड़े उस बिल से आरंभ करके उस सर्प के बिल तक बखेर दो. नेवला उन टुकड़ों को खाता-खाता उस सर्प के बिल तक पहुँच जायगा तथा वहाँ सर्प को भी देखकर उसे मार कर खा जाएगा.”

फिर उस चिड़िया ने बिल्कुल ऐसा ही किया. नेवले ने उस सर्प को तो खा लिया, परन्तु उस सर्प के पश्चात उस वृक्ष पर रहने वाले चिड़ियों को भी खा डाला. चिड़िया ने उपाय तो सोचा, परन्तु उसके अन्य दुष्परिणाम नहीं सोचे. अपनी मूर्खता का फल उसे अवश्य मिल ही गया.

शिक्षा – इससे हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें कोई भी उपाय को सोच – विचारकर लेना चाहिए.

आइये दोस्तों Panchtantra Ki kahani pdf में डाउनलोड कर के उस को ऑफलाइन पढ़ें और उनका आनंद उठाएं. इस पोस्ट में हमने panchtantra ki kahani likhi hui प्रस्तुत की है. इसका मुख्य कारण ये है कि कुछ लोगों को कहानियां देखने से ज्यादा पढने में आनंद आता है. हम चाहते हैं की आप ये आनंद लेते रहें.

सबसे ऊंची चोटी

एक पहाड़ की सबसे ऊंची चोटी पर एक बाज रहा करता था, वह पेड़ के आसपास रहते हुए खरगोश को बड़ी सरलता से पकड़ कर उसे खा जाता था. पहाड़ की तराई में बरगद के पेड़ पर एक कौआ भी अपना घोंसला बनाकर रहता था. वह बाज को खरगोश की शिकार करते हुए देखा करता था.

उसकी कोशिश हमेशा यही रहती थी कि बिना परिश्रम किए खाने को मिल जाए. जब भी खरगोश बाहर आते तो बाज ऊंची उड़ान भरते एवं एक – दो खरगोश को उठाकर ले जाते, इस पर कौआ बहुत मजबूर हो जाता.

एक दिन कौए ने सोचा, “वैसे तो ये चालाक खरगोश मेरे हाथ आएंगे नहीं, अगर इनका नर्म मांस खाना है तो मुझे भी बाज की तरह ही करना होगा और एकदम झपट्टा मारकर खरगोश को पकड़ लुँगा.”

दूसरे दिन कौए ने भी एक खरगोश को दबोचने की बात सोचकर उसने भी बहुत ऊंची उड़ान भरी. फिर उसने खरगोश को पकड़ने के लिए बाज की तरह जोर से झपट्टा मारा. अब भला यह कौआ बाज का क्या मुकाबला करता. खरगोश ने उसे जैसे ही देखा वह तुरंत वहां से दौड़कर चट्टान के पीछे जा छिपा.

कौआ अपनी हीं झोंक में उस चट्टान से जा टकराया. नतीजा, उसकी चोंच एवं उसकी गर्दन टूट गईं तथा वह गंभीर रूप से घायल हो गया. अब कौए ने अपना सबक सिख लिया था.

शिक्षा – इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें किसी की नकल नहीं करनी चाहिए.

चिड़िया का परिवार

किसी घने जंगल में एक बहुत ही विशाल पेड़ था जिसकी ऊँची टहनियों पर एक चिड़िया का परिवार घोसला बनाकर रहता था उस चिड़िया का परिवार बड़े मजे से जीवन का आनन्द ले रहे थे, फिर कुछ दिनों के पश्चात वर्षा ऋतू शुरू हो गयी तब चिड़िया अपने बच्चो एवं अण्डों के साथ घोसले में जाकर छिप गयी इतने में उस पेड़ पर बहुत सारे बन्दर भी उस बरसात से बचने के लिए जो की पूरी तरह भीग चुके थे तथा वे ठंड के मारे कांप भी रहे थे.

बंदरो की ऐसी स्थिति को देखकर चिड़िया को बहुत दया आ गयी तथा उन बंदरो से बोली “आप लोग तो इतने बड़े हो और आपके हाथ – पैर भी है फिर आप लोग इस बरसात से बचने के लिए अपना घर क्यों नही बना लेते हो”.

चिड़िया की यह बात सुनकर भीगे बंदरो को बहुत क्रोध आया तथा उनमे से एक बन्दर बोला “तुम कुछ अधिक नही बोल रही हो,  अधिक ज्ञान हमे बिल्कुल भी मत दो तथा तुम मुझे यह मत समझाओ कि हमें क्या करना है” यह बात सुनकर चिड़िया को बहुत ही कष्ट हुआ और उनसे बोली कि “हमने तो आपको भला जानकर यह बात कही परन्तु आप लोग समझते ही नही तो भला मैं इसमें क्या कर सकती हूँ”.

यह बात सुनकर एक दुष्ट बन्दर बोला रुक जाओ पहले इसका घर ही तोड़ डालते हैं. फिर इसको समझ में आएगा कि हम लोगों का दुःख क्या होता है, इसके पश्चात उस बन्दर ने पेड़ की टहनियों से चिड़िया का घोसला नीचे को गिरा दिया जिसमे चिड़िया के अंडे एवं बच्चे जमीन पर गिरते ही मर गये तथा  चिड़िया का घर भी बिल्कुल नष्ट हो गया फिर चिड़िया बहुत ही चीखती – चिल्लाती रही परन्तु वह बंदरो का कुछ भी नही कर सकती थी.

शिक्षा – इसलिए इस कहानी से हमे यही शिक्षा मिलता है कि दुष्ट प्रवित्ति के लोगो को सलाह देना अपने ऊपर कठिनाई को मोल लेना है इससे अच्छा है कि दुष्ट लोगो से जितना दूर रहा जाय उतना ही बढ़िया है.