Panchtantra Stories in Hindi पंचतंत्र मजेदार कहानियां- Hindi Text

Panchtantra Stories in Hindi पंचतंत्र मजेदार कहानियां- Hindi Text

Panchtantra Stories

ये तो सर्वविदित है कि पंचतंत्र की कहानियां हमें कुछ न कुछ शिक्षाएं जरूर देती हैं. इसीलिए हम panchatantra story in hindi with moral प्रस्तुत कर रहे हैं. मतलब किस कहानी से हमें क्या शिक्षा मिलती है ये हमने साथ में ही लिखा हुआ है. panchatantra story in hindi pdf  moral

एकता में बल है

एक बार एक बूढ़ा किसान रहता था. उसके चार पुत्र थे. वे एक-दूसरे से हमेशा लड़ते – झगड़ते थे. उस बूढ़े किसान ने लड़ने – झगडने की सलाह बिल्कुल नही दी, एक दिन वह बूढ़ा किसान बहुत अधिक बीमार हो गया. उसने अपने चारों पुत्रों को अपने पास बुलाया. उसने उन्हें लकड़ियों का एक बंडल दिया. और उसने उनसे तोड़ने को कहा . कोई भी उसको नहीं तोड़ सका फिर उसने इस बंडल को खोलने को कहा.

फिर किसान ने अपने लड़कों को एक – एक लकड़ी दी और उस बूढ़े किसान वो लकड़ी तोड़ने को कहा. उन्होंने तुरंत एक-एक करके बड़ी आसानी से वो लकड़ियाँ तोड़ दीं. अब किसान ने अपने चारो बेटों से कहा-“यदि तुम लकड़ियों के बंडल की तरह इकट्ठे (संगठित) रहोगे, तो कोई भी तुम्हें नुकसान व हानि नहीं पहुँचा सकता है .

अगर तुम आपस में झगड़ोगे, तो हर कोई भी तुम्हें नुकसान व कष्ट पहुंचा सकता है.” फिर उसके बेटों ने एक शिक्षा ली. वे फिर कभी भी नहीं झगड़े. और किसान बहुत ही खुश हुआ.

 शिक्षा : इससे हमें यह शिक्षा मिलती है कि एकता में बल है.

हिम्मत नही हारनी चाहिए

एक बार एक टोपी विक्रेता था. वह हर गाँव-गाँव अपनी टोपियाँ बेचने को जाता था. एक बार जब वह एक गाँव में पहुंचा तो वह बहुत अधिक थक गया था . उसने अपनी टोकरी नीचे रखी तथा पेड़ के नीचे आराम करने लग गया. इसी दौरान उसको नींद आ गई.

उसी पेड़ पर कुछ बंदर रहते थे. बंदर नीचे को उतरे तथा उसकी टोपियाँ चुरा ले गये . कुछ देर के बाद टोपी वाला अपनी नींद से जाग गया. उसे अपनी टोपियाँ नहीं मिलीं. तभी उसने ऊपर की ओर देखा .

कि बंदर उसकी टोपी लिए हुए थे . फिर उसने एक योजना सोची. उसने अपनी टोपी पहनी. तभी बंदरों ने भी ऐसा ही किया. तभी उसने अपनी टोपी जमीन पर फेंक दी. फिर क्या था बंदरों ने भी अपनी टोपी नीचे को गिरा दी . फिर उसने अपनी सारी टोपियाँ इकट्ठी की और अपने वह अपने गाँव को चला गया. वह अपनी सारी टोपियाँ पाकर बहुत ही खुश था.

शिक्षा : इससे यह शिक्षा मिलती है कि हमें कभी भी हिम्मत नही हारनी चाहिए.

दोस्तों प्रस्तुत हैं पंचतंत्र की लिकप्रिय कहानियां panchtantra ki lokpriya kahaniyan. हमे उम्मीद है की आप इन कहानियों को पढ़कर अपनी और अपनों की जिंदगी में कुछ न कुछ वैल्यू जरूर add करेंगे. आप में से ज़्यादातर लोग panchtantra ki do kahaniyan सर्च करते हैं लेकिन हम यहाँ पर आपको भरपूर सामग्री प्रदान कर रहे हैं.

सच्चाई

किसी जंगल में एक सियार रहता था. वह अपनी चालाकी की वजह से बिल्कुल अकेला रहता था. एक रात अपने भोजन की खोज में इधर – उधर घूमता-घूमता जंगल से बाहर को निकल गया. रात के उजाले में उसे नील से भरी एक बड़ी टंकी दिखाई पड़ी.

उसने अपने मन में सोचा कि उसमें अवश्य खाने की कोई चीज होगी. वह टंकी पर कूद कर उस पर चढ़ गया. उसने नील की टंकी में मुँह डालकर देखा कि उसमें क्या है? टंकी थोड़ी खाली थी. इसलिए उसने जैसे ही मुँह नीचे की ओर बढ़ाने की कोशिश की वैसे ही वह तुरंत टंकी में जा गिरा. उसने टंकी से निकलने की बहुत प्रयत्न किया परन्तु वह उस टंकी से बाहर नहीं निकल सका . अन्त में वह किसी प्रकार बाहर को निकला. जब उसने पानी में अपना शरीर देखा, तो वह पूरा नीला हो गया था.

यह सोचते-सोचते सियार जंगल में पहुँचा. उसने अपने अन्य सियारों से कहा कि उसे कल रात वनदेवी मिली थी. जो उन्होंने मुझे यह रूप दिया है तथा जंगल का राजा भी बना दिया है. सभी जानवर उसकी बातों में आ गये. सियार जंगल का राजा भी बन गया . एक बूढ़े सियार को उसकी बातों पर थोड़ा शक हुआ. उसने कुछ सियारों के कान में कहा तथा उन सभी ने मिलकर ‘हुआ- हुआ’ करना आरंभ कर दिया. उस रंगे हुए नीले सियार से भी बिल्कुल रहा न गया. वह भी जोर – जोर से ‘हुआ-हुआ’ करने लगा . इस प्रकार उसका भेद खुल गया तथा जंगल के असली राजा शेर द्वारा रंगा सियार को मार डाला गया.

शिक्षा – इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें अपनी सच्चाई को  कभी नहीं छुपाना चाहिए और न ही किसी से छल करना चाहिए.

बुद्धि का उपयोग

बरसात का दिन था. चारों ओर पानी बड़ी जोर से बरस रहा था . जंगल में बुढ़िया का घर भी भीग रहा था . जल्दी ही उस बुढ़िया का घर वर्षा से टपकने लगा . बुढ़िया बड़ी व्याकुल हो उठी . परन्तु वह बेचारी करती भी क्या ? इस छप्पर को दुबारा छाए कौन ?

थोड़ी देर में कुछ हल्के ओले भी पड़ने लगे . उधर एक बाघ ओलों की मार से दुखी हो उठा . कूदते-फाँदते वह बुढ़िया के घर के जा घुसा. बुढ़िया अन्दर चावल पका रही थी . पर उसके चूल्हे पर बारिस का पानी टपक रहा था, टप-टप. वह झुंझलाकर बोली – “कि मुझे इस टपका से इतना डर लगता है जितना मुझे बाघ से भी नहीं लगता .”

अब उस बाघ ने सोचा यह बुढ़िया तो मुझसे बिल्कुल भी नहीं डरती मगर टपका से क्यों डरती है. अवश्य टपका मुझसे भी विशाल जानवर होगा. बस इतना सोचते ही बाघ बहुत ही डर गया तथा सिर पर पैर रखकर बहुत तेजी से भाग खड़ा हुआ.

शिक्षा – इससे हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें परेशानी के समय सदैव अपनी बुद्धि से ही काम करना चाहिए.

इस पेज में हम panchatantra stories in hindi in short प्रस्तुत कर रहे हैं उम्मीद करते हैं ये आपको ज़ुरूर पसंद आएँगी. तो अगर आपको panchatantra stories in hindi small पढ़कर अपना समय पास करने के साथ साथ कुछ नैतिक ज्ञान भी अवश्य प्राप्त करेंगे.

सच्चे मित्र

किसी गाँव में दो मित्र रहते थे. एक बार उन्होंने किसी दूसरी जगह जाकर धन को अधिक से अधिक कमाने की सोची. दोनों अपनी यात्रा पर निकल पड़े. रास्ते में बहुत बड़ा जंगल पड़ता था. जब वे जंगल से जा रहे थे, तभी उन्हें एक भालू अपनी ओर आता दिखाई दिया. दोनों दोस्त बहुत ही घबरा गए. उनमें से एक को पेड़ पर चढ़ना आता था. वह उस भालू से अपने प्राण बचाने के लिए पेड़ पर चढ़ गया, पर दूसरा नीचे रह गया. जब उसे भालू से बचने का कोई उपाय न सूझा तो वह अपनी साँस बंद करके जमीन पर लेट गया. उसने अपनी साँस को इस तरह रोक लिया मानो वह मर गया हो.

भालू उसके बहुत ही करीब आ गया. उसने जमीन पर लेटे हुए उसके दोस्त को सूँघा तथा उसे मरा हुआ जानकर उसे छोड़ कर चल दिया. क्योंकि भालू मरे हुए जीव को बिल्कुल भी नहीं खाता जब भालू उसकी आँखों से दूर हो गया तो वह तुरंत उठ कर बैठ गया एवं तब पेड़ पर बैठा उसका दोस्त नीचे को उतर आया. उसने पूछा, “दोस्त! कि मुझे बहुत ही प्रसन्नता हुई कि तुम्हारी जान बच गई. पर एक बात तो बता, उस भालू ने तेरे कान में ऐसा क्या कहा?”

उस दोस्त ने कहा, “दोस्त उस भालू ने मुझे एक बहुत ही काम की बात कही है. उसने कहा है कि ऐसे दोस्त का साथ छोड़ दो, जो कठिनाई के समय तुम्हारा साथ न दे एवं तुम्हें बिल्कुल अकेला छोड़ जाए.” अपने दोस्त की बात सुनकर उसका दोस्त बहुत ही लज्जित हुआ.

शिक्षा-इससे यह शिक्षा मिलती है कि हमको सच्चे मित्र की पहचान केवल अपनी विपत्ति में ही होती है.

घमंड नहीं करना चाहिए

एक बार की बात है.  एक गांव में बहुत सारे मुर्गा एवं मुर्गी रहते थे. एक  मुर्गा को एक मुर्गी से बेपनाह मोहब्बत हो गई. मुर्गा ने मुर्गी को पटाने के लिए बहुत अधिक परिश्रम किया परन्तु उस मुर्गी ने उसकी एक न सुनी. उसके प्यार का जलवा जारी था

कुछ दिन पश्चात मुर्गा ने सोचा और उससे कहा तुम से एक जरुरी बात करनी है. तब मुर्गी ने कहा क्या मुर्गा तुझे बोलने की आवाज पर बहुत ही घमंड है. उसने कहा कि मैं बहुत ही सुन्दर गाना गाता हूँ. और मेरे इस गाने को सुन कर लोग सुबह को जल्दी उठ जाते हैं.

लोग अपने – अपने काम धाम करने लगते हैं. फिर मुर्गी उससे कहती है कि ठीक है. 

मुर्गी के दिल को जीतने के लिए उसने बहुत कुछ कह दिया था, रात हुई तथा सुबह होने वाली थी तब मुर्गी ने कहा तुम आज अपनी कुकड़ू कूँ की आवाज मत करना, और उस मुर्गा ने आवाज नहीं की परन्तु उसने अपने मन में सोचा  अगर सुबह मैं आवाज नहीं करूंगा तो सब लोग सोते ही रहेंगे तब मेरी अहमियत सबको समझ में आएगी. और मुझे कोई भी परेशान नहीं करेगा तथा उस मुर्गी का प्यार भी मिल जाएगा.  मुर्गा सुबह को कुछ भी नहीं बोला.

लोग समय पर उठ कर अपने-अपने काम – काज में लग गए इस पर मुर्गे को समझ में आ गया कि कना कोई काम नहीं रुकता. सबका काम चलता रहता है. वह मुर्गी के नजर में नीचा साबित हो गया ?

शिक्षा : इस कहानी से हमे यह शिक्षा मिलती है कि हमें अपने कार्य या अपने अहमियत पर बिल्कुल भी घमंड नहीं करना चाहिए.

इस वेब पेज में panchatantra stories in hindi matter काफी मात्रा में प्रस्तुत है जिसे आप अपने मनोरंजन के साथ काफी कुछ सीखने के लिए भी प्रयोग करेंगे. आपकी रूचि हमारे वेब पेज में बनी रहे इसलिए हम यहाँ पर पंचतंत्र की कहानियां कुछ images के साथ प्रस्तुत कर रहे हैं.  panchatantra story in hindi with pictures.

बच्चे दिल के अच्छे

चिंकी एक बहुत ही प्यारी –सी लड़की थी. वह सुशील एवं नेक बच्ची थी वह  दूसरी कक्षा में पढ़ती थी. एक दिन उसने अपनी किताब में एक रेलगाड़ी देखी.  उसे अपनी रेल – यात्रा याद आ गई , जो कुछ दिन पहले पापा – मम्मी के साथ की थी.

चिंकी ने तभी अपनी पेन्सिल उठाई और फिर क्या था , वह कक्षा की दीवार पर रेलगाड़ी का इंजन बनाने लगी . उसमें पहला डब्बा बनाया फिर दूसरा डब्बा बनाया, इसी प्रकार उसने डब्बा के ऊपर डब्बा बनाकर एक रेलगाड़ी बना डाली.  

जब पेन्सिल उसकी बिल्कुल खत्म हो गई तब चिंकी उठी तब उसने देखा कि कक्षा की आधी दीवार पर रेलगाड़ी बन चुकी थी.

फिर क्या हुआ, रेलगाड़ी महाराष्ट्र को गई, हरियाणा भी गई, एवं दादी जी के घर भी गई.

शिक्षा – इससे यह शिक्षा मिलती है कि बच्चे तो आखिर बच्चे होते है , पर दिल के बहुत ही अच्छे होते है.

कठिनाइयों में सदैव शान्ति

एक गांव में मनोहर एवं धर्मचंद नामक दो मित्र रहते थे. वे परदेस से बहुत सारा धन कमाकर लाये तो उन्होंने सोचा कि धन घर में न रखकर कहीं और जगह पर रख दें, क्योंकि घर में धन रखना किसी खतरे से खाली नहीं है. इसलिए उन्होंने धन एक बड़े नींम के पेड़ की एक बड़ा – सा गड्ढा खोदकर अपने सारे धन को दबा दिया.

दोनों में यह भी समझौता हुआ कि जब भी धन निकालना होगा तो साथ-साथ आकर निकाल लेंगे. मनोहर बहुत ही भोला,  ईमानदार एवं नेक दिल व्यक्ति था जबकि धर्मचंद बहुत ही बेईमान था. वह दूसरे दिन चुपके से आकर धन को निकालकर ले गया, उसके पश्चात वह अपने मित्र मनोहर के पास आया तथा उससे बोला – कि चलो कुछ थोड़ा धन निकाल लाये. दोनों दोस्त उस पेड़ के पास पहुँचे तो उन्होंने वहाँ जाकर क्या देखा कि उनका सारा धन गायब हो गया है.

धर्मचंद ने आव देखा न ताव उसने तुरंत अपने दोस्त मनोहर पर इल्जाम लगा दिया कि लालच में आकर तुमने सारा धन चुराया है. दोनों मे बहुत झगड़ा होने लगा. फिर यह बात उनके राजा तक पहूंची तो राजा ने कहा – कल नींम की गवाही के पश्चात ही कोई निर्णय लिया जायेगा. ईमानदार मनोहर ने सोचा कि ठीक है नीम भला झूठ क्यों बोलेगा ?

धर्मचंद भी बहुत प्रसन्न हो गया. दूसरे दिन राजा उन दोनों के साथ जंगल में गया. उनके साथ बहुत सारे लोग भी थे.  सभी सच को जानना चाहते थे. राजा ने उस नीम के पेड़ से पूछा –  कि हे नीमदेव बताओं इन दोनों का सारा धन किसने लिया है ?  तभी उस नीम के पेड़ के पास उस गढ्ढे से आवाज आई. कि सारा धन मनोहर ने लिया है.

यह सुनते ही मनोहर विलाप करने लगा एवं अपने राजा से बोला – महाराज! पेड़ कभी भी झूठ नहीं बोल सकता इसमें अवश्य ही कुछ धोखा है. तब राजा ने कहा कि कैसा धोखा ?

फिर मनोहर ने कहा मैं अभी इसको सिद्ध कर देता हूं महाराज. यह कहकर मनोहर ने कुछ लकड़ियाँ इकट्ठी करके उस पेड़ के गढ्ढे के पास रखी तथा फिर उनमें आग लगा दी.

तभी पेड़ से बचाओ बचाओ की आवाज़ आने लगी.  राजा ने तुरंत सिपाहियों को आदेश दिया कि जो भी हो उसे तुरंत बाहर निकालो. सिपाहियों ने तुरंत उस पेड़ के नीचे गढ्ढे में बैठे आदमी को बाहर को निकाल लिया. उसे देखते ही सब आश्चर्य चकित हो गये. वह धर्मचंद का पिता था. अब राजा सारा माजरा समझ गया.

उसने पिता-पुत्र को जेल में डलवा दिया तथा उसके घर से सारा धन को जब्त करके मनोहर को दे दिया. साथ ही उसकी ईमानदारी सिद्ध होने पर और भी बहुत सा धन दे दिया.

शिक्षा – इससे यह शिक्षा मिलती है कि विपरीत कठिनाइयों में सदैव शान्ति एवं सोच – विचारकर अपना काम करना चाहिए. 

कई बार आप बड़ी बड़ी कहानियां नहीं पढना चाहते तो आपके लिए प्रस्तुत हैं small panchatantra stories in hindi with pictures. दोस्तों इनको पढ़कर आप कम समय में ही अपना मनोरंजन कर सकते हैं और बहुत कुछ सीख भी सकते हैं. इतना ही नहीं अगर आप इनको डाउनलोड भी करना चाहें तो panchatantra stories in hindi with pictures pdf फॉर्मेट में भी उपलब्ध हैं.

झूठी प्रशंसा

एक लोमड़ी बहुत भूखी थी. वह अपनी भूख मिटने के लिए भोजन की तलाश में इधर – उधर जंगल में भ्रमण करने लगी. जब उसे सारे जंगल में इधर – उधर भटकने के पश्चात भी उसे कुछ भी खाने को न मिला तो वह गर्मी एवं भूख से व्याकुल होकर एक पेड़ के नीचे जाकर बैठ गई.

अचानक उसकी नजर ऊपर गई. उस पेड़ पर एक कौआ बैठा हुआ था. उसके मुंह में एक रोटी का एक टुकड़ा था. कौवे को देखकर लोमड़ी के मुँह में पानी आ गया. वह कौवे से रोटी छीनने का कोई बढ़िया – सा उपाय अपने मन में सोचने लगी.

तभी उसने कौवे को कहा, ” क्यों भई कौआ भैया ! सुना है तुम गाना बहुत ही मीठा गाते हो. क्या मुझे एक मीठा गीत नहीं सुनाओगे ? कौआ अपनी प्रशंसा को सुनकर बहुत अधिक प्रसन्न हुआ.

वह लोमड़ी की बातो में आ गया. और जैसे ही उसने गाना गाने के लिए ही अपना मुँह खोला, तभी रोटी का टुकड़ा तुरंत नीचे गिर गया. लोमड़ी ने तुरंत वह रोटी का टुकड़ा उठाया तथा वहां से भाग खड़ी हुई. अब कौआ बेचारा अपनी मूर्खता पर पछताने लगा.

शिक्षा – इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि कभी भी हो अपनी झूठी प्रशंसा से हमें बचना चाहिए.

तराजू

एक नगर में दो बिल्लियाँ रहा करती थीं. एक दिन उन्हें कहीं से रोटी का एक टुकड़ा मिला. वे दोनों आपस में लड़ने – झगड़ने लगी. वे उस रोटी के टुकड़े को दो समान भागों में बाँटना चाहती थीं परन्तु उन्हें कोई उपाय नहीं सूझा.

उसी समय एक बन्दर वहाँ से जा रहा था. वह बड़ा ही चतुर था. उसने बिल्लियों से लड़ने की वजह पूछी. तब बिल्लियों ने उसे अपनी सारी बात बताई. तब वह बन्दर एक तराजू लेकर आया एवं उनसे बोला, ” लाओ, मैं तुम्हारी रोटी को बराबर – बराबर भागों में बाँट दूँ. फिर उसने उस रोटी के दो टुकड़े लेकर एक – एक पलड़े में रख दिए.

वह बन्दर तराजू में जब रोटी को तोलता तो जिस पलड़े में रोटी सबसे अधिक होती, तो वह उसे तोड़ कर खा लिया करता.

इस प्रकार थोड़ी – सी रोटी बची. जब बिल्लियों ने अपनी वह रोटी बन्दर से वापस मांगी. तब उस बन्दर ने वो बची हुई रोटी भी खा ली फिर क्या था. दोनों बिल्लियाँ उसका मुँह देखती ही रह गई.

शिक्षा – इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें कभी भी किसी भी चीज के पीछे नही लड़ना – झगड़ना चाहिए.