garun puran ke anusar maans khana paap meating non veg right wrong

मांस खाना | सही या गलत | क्या कहता है गरुण पुराण

Secrets Story

हिन्दू धर्म में मांसाहार

आज हम आपको भोजन के खाने के बारे में कुछ महत्त्वपूर्ण जानकारी देंगे और बतायेंगे कि गरुण पुराण (Garun Puran ) इसके वारे में क्या कहता है, वैसे तो भोजन में क्या खाएं और क्या न खाएं यह लोगो का निजी या व्यक्तिगत फैसला होता है , लेकिन यहाँ हिन्दू धर्म में कुछ लोग मांसाहार (मांस खाना )को निषेध मानते हैं.

शाकाहार या मांसाहार

वहीं कुछ लोग मांसाहार को मान्यता देते दिखाई पड़ते हैं , आज भी हमें कई जगह देखनें को मिलता है कि एक ओर मांसाहार ग्रहण करने वाले शाकाहारियों को घास – फूस वाला खाना बताते हैं , तो वहीं दूसरी ओर शाकाहारी लोग मांसाहार खाने वालों को जानवरों पर अत्याचार करने वाला मानते हैं

Also Read:-

Somvar Vrat Katha in Hindi – Benefits & Lyrics

मांस खाना पाप है या पुण्य

लेकिन मित्रों किसी भी बात को आँखें बंद करके मान लेना बुद्धिमान लोगों के लक्षण बिल्कुल नहीं हैं , इसीलिये आइए जानते हैं कि हिन्दू धर्म ग्रन्थों में मांसाहार और शाकाहार में से कौन सा भोजन उत्तम माना गया है. हिन्दू धर्म में मांस खाना बिल्कुल मना है या नही , इस संबंध में कई लोगों के मन में भ्रम है और इसका कारण कुछ लोगों के मन में वेदों के विषय में बैठी शंका है जिनकी वजह से वह सब समझते हैं कि वेदों में पशु वलि मांसाहार में आदि का विधान है , लेकिन मित्रों ये अर्ध सत्य से ज्यादा कुछ भी नही है.

वेदों में पाप मानी गई है पशु हत्या

वेद और पुराण हिन्दू धर्म के मुख्य ग्रन्थ हैं वेदों का सार उपनिषद और उपनिषदों का सार भगवत गीता है वेदों में पशु हत्या पाप मानी गई है और मांस खाने के संबंध में स्पष्ट मना किया गया है , इतना ही नही वेदों में तो कुछ पशुओं के मांस के संबंध में सख्त हिदायतें दी गई हैं.

Also Read:-

Solah Somvar Vrat Katha in Hindi (सोलह सोमवार व्रत नियम, व्रत विधि)- Benefits & Lyrics

क्या कहता है यजुर्वेद

यजुर्वेद में कहा गया है कि मनुष्यों को परमात्मा की सभी रचनाओं को अपनी आत्मा के तुल्य मानना चाहिए अर्थात वो जैसे अपना हित चाहते हैं वैसे ही दूसरों का भी हित करें , वहीं अथर्ववेद में कहा गया है कि हे मनुष्यों तुम चावल , दाल , गेहूं आदि खाद्य पदार्थ आहार के रूप में ग्रहण करों यह तुम्हारे लिए सबसे उत्तम है और यह रमणीय भोजन पर्याप्त है तुम कभी भी किसी भी नर या मादा से हिंसा मत करो वहीं ऋग्वेद में  बताया गया है कि गाय जगत की माता है और उनकी रक्षा में ही समाज की उन्नति है मनुष्यों को उनके समान सभी चार पैर वाले पशुओं की रक्षा करनी चाहिए.

मांस खाने वालों के वारे में क्या कहती है गीता

गीता में मांस खाने (mans khana) या नही खाने के उल्लेख की बजाय अन्न को तीन श्रेणी में विभाजित किया गया है सत्य , रज और तम. गीता के अनुसार अन्न से मन और विचार बनते हैं जो मनुष्य सात्विक भोजन ग्रहण करता उसकी सोच भी सात्विक रहती है , मांस और मदिरा जैसी चीजे तामसिक भोजन कहलाता है , इस तरह का भोजन करने वाले लोग अक्सर कुकर्म , रोगी , दुखी और आलसी होते हैं.

Also Read:-

Ek Shloki Ramayan Lyrics | Hindi | English | Benefits

सात्विक आहार आयु को बढ़ाने वाला और मन को शुद्ध करने वाला होता है

गीता के अनुसार सात्विक आहार आयु को बढ़ाने वाला , मन को शुद्ध करने वाला और बल बुद्धि और स्वास्थिक हो तृप्ति प्रदान करने वाला होता है जब यही शाकाहार अन्न अत्यधिक खट्टा या फिर नमकीन मसालों के साथ  पकाए जाते हैं तो वह राजश्री आहार बन जाता है और यह राजश्री आहार दुःख एवं रोग उत्पन्न करता है.

गरुण पुराण से जुडी मांसाहार की कहानी (Garun Puran Story of Lord Krishna)

गरुण पुराण में श्री कृष्ण से जुड़ी एक कथा का वर्णन मिलता है बचपन में एक दिन श्री कृष्ण युमना किनारे एक पेड़ के नीचे बैठकर बांसुरी बजा रहे थे कि उसी समय एक हिरन दौड़ता हुआ वहाँ आया और उनके पीछे जाकर छिप गया.

हिरन बहुत ही डरा हुआ था तब श्री कृष्ण ने उसके सिर को सहलाते हुए हिरन से पुछा , क्या बात है तुम इतने क्यों डरे हुए हो तभी एक शिकारी भी वहाँ आ पहुँचा और बोला , यह मेरा शिकार है कृपया करके मुझे इसे दे दें तब भगवान श्री कृष्ण ने कहा हर जीवित प्राणी पर सबसे पहले उसका खुद का अधिकार होता है न कि किसी और का , यह सुनकर शिकारी को क्रोध आ गया.

Also Read:-

Sai Chalisa in hindi – Lyrics

उसने गरजते हुए कहा यह मेरा शिकार है इसे मैं पकाकर खाउंगा , तुम मुझे ज्ञान मत दो , इस पर भगवान श्री कृष्ण पुनः बोले किसी जीव को मारकर खाना पाप है.

क्या तुम पाप के भागीदार बनना चाहोगे , मांसाहार पुण्य है या पाप क्या तुम नही जानते , तब वह शिकारी बोला , मैं आपके जैसा ज्ञानी नहीं हूँ मैं क्या जानूं मांसाहार पुण्य है या पाप मैं तो वस इतना जानता हूँ कि अगर मैंने शिकार नही किया तो मुझे खाना नही मिलेगा.

मैं इस हिरन को जीव बंधन से मुक्त कर पुण्य ही तो कमा रहा हूँ फिर क्यों आप मुझे इस पुण्य को कमाने से मना कर रहे हैं , जहाँ तक मैंने सुना है जीव हत्या तो शास्त्र में भी उचित बताई गई है.

राजा भी तो शिकार किया करते हैं फिर क्या यह पाप सिर्फ मुझ निर्धन के लिए ही है ऐसे तमाम तर्क देते हुए शिकारी ने फिर श्री कृष्ण से पूछा अब आप ही बताइए मांसाहार पुण्य है या पाप , शिकारी के मुख से बहुत सी बातें सुनकर भगवान श्री कृष्ण समझ गये कि इसकी बुद्धि मांस खाने के कारण तामसिक हो गई है और उसमे सोचने और समझने की बुद्धि भी खो दी है.

Story By Lord Krishna- Mans Khane se Kya Hota Hai

फिर भगवान श्री कृष्ण बोले , मैं एक कथा सुनाता हूँ जिसे सुनने के बाद तुम्हीं बताना कि मांसाहार पुण्य है या पाप वह शिकारी सोचने लगा कि इस कथा को तो हम सुन ही लेता हूँ मेरा मनोरंजन भी हो जाएगा और बाद में मुझे इस हिरन का मांस भी मिल जाएगा.

फिर श्री कृष्ण ने अपनी कथा आरंभ की , एक बार मगध में अकाल की वजह से अन्न का उत्पादन कम हो गया. राजा को चिंता सताने लगी कि यदि इस समस्या का समाधान शीघ्र ही नहीं किया गया तो जल्द ही अनाज खत्म हो जाएगा , इसके बाद संकट और भी गहरा हो जाएगा.

इस समस्या से निपटने के लिए मगध के राजा ने तुरंत ही राज्य सभा में अपने सभी मंत्रियों और कामगारों को बुलाया और सभी से पूछा कि राज्य की इस खास समस्या को सुलझाने के लिए सबसे सस्ती वस्तु क्या है , यह सुन सभी मंत्री गण सोचने लगे चावल , गेहूं , आलू आदि पदार्थों को उगाने के लिए बहुत श्रम करना पड़ता है और उसमें समय भी काफी लगता है. ऐसे में तो कुछ भी सस्ता नही हो सकता. तभी शिकार का शौक रखने वाले एक मंत्री ने खड़े होकर महाराज से कहा , महाराज मेरे मुताबिक सबसे सस्ता खाद्य पदार्थ मांस है इस के लिए धन भी खर्च नही करना पड़ता और पौष्टिक खाना भी मिल जाता है यह सुनकर सभी सामंतों ने इस बात का समर्थन कर दिया लेकिन मगध के प्रधानमंत्री अभी भी चुप थे यह देख राजा ने प्रधानमंत्री से पूछा , ‘आप क्यों चुप हैं कुछ कहते क्यों नहीं आपका क्या मत है’ , इसके बाद प्रधानमंत्री ने कहा मैं यह नहीं मानता कि मांस सबसे सस्ता पदार्थ है फिर भी इस विषय पर मैं अपने विचार आपके सामने कल रखूंगा.

प्रधानमंत्री उसी रात सामंत के घर पहुँचे जिसे यह प्रस्ताव रखा था सामंत ने इतनी देर रात प्रधानमंत्री को अपने घर आया देखा तो वह घवरा गया किसी अनिष्ट की आशंका से वह काँप गया , प्रधानमंत्री ने कहा संध्या को महाराज बीमार हो गये.

उनकी हालत बहुत ही खराब हो गई है , राजवैध ने कहा है कि किसी शक्तिशाली देह का दो तोला मांस मिल जाए तो राजा के प्राण बचाए जा सकते हैं , आप महाराज के सबसे निकट हैं इसके लिए आप जो भी मूल्य लेना चाहे वो ले सकते हैं.

आप कहें तो इसके लिए मैं आपको एक लाख स्वर्ण मुद्राएँ भी दे सकता हूँ इसके अलावा एक बड़ी जागीर भी आके नाम कर दी जायेगी आप केवल हाँ कह दें , मै कटार से आपके ह्रदय को चीरकर वस दो तोला मांस निकाल लूँगा .

यह सुनकर उस सामंत के चेहरे का रंग फीका पड़ गया , वह सोचने लगा कि जब जीवन ही नही रहेगा तो लाखो स्वर्ण मुद्राओं का मैं क्या करूँगा और बड़ी जागीर भी किस काम आयेगी , वह झटपट अंदर भागा और अपनी तिजोरी से एक लाख स्वर्ण मुद्राएँ लेकर आ गया मुद्राएँ देकर उसने प्रधानमंत्री के पैर पकड़ लिए और गिडगिडाते हुए कहा.

महाशय , मैं आपकी एक लाख स्वर्ण मुद्राओं में अपनी एक लाख मुद्राएँ और मिला देता हूँ इस पैसे से आप किसी और के ह्रदय का मांस खरीद ले किन्तु मुझे जाने दें , मेरी आपसे विनती है कि ये बात किसी को पता न चले उसके बाद प्रधानमंत्री ने आगे कहा , सामंत जी आप शरीर से बलिष्ट हैं आपकी कद काठी भी महाराज से मिलती है इसीलिये राजवैध ने खासतौर पर आप ही का नाम लिया है.

आपके दान से हमारे अच्छे राजा की जिन्दगी बच सकती है , यदि आप मान लें , तो मैं आपको प्रधानमंत्री का पद देने को भी तैयार हूँ और खुद आपका कर्मचारी बनके रहूँगा , खुद को फंसता हुआ देखकर सामंत ने वस्त्र और जूते पहन लिए फिर उसने प्रधानमंत्री से याचना की कि मैं इसके योग्य नही हूँ.

जब प्राण ही नहीं रहेंगे तो मैं प्रधानमंत्री पद का या फिर राजा का सिंहासन भी मिल जाए तो मैं उसका क्या करूँगा , आप चाहे तो मेरा सब कुछ ले लें परन्तु मुझे छोड़ दें.

इतना कहकर वह अपने घोड़े की ओर भागा और घोड़े पर छलांग लगा कर बैठ गया वह अभी चलने को ही था कि प्रधानमंत्री ने घोड़े की रस्सी पकड़ ली और सामंत से बोला भागने की जरूरत नही है आप आराम से घर पर ही रहो मैं कहीं और जाकर प्रयास करता हूँ.

यह कहकर प्रधानमंत्री वहाँ से चले गये उसके बाद मुद्राएँ लेकर प्रधानमंत्री बारी – बारी से सभी सामंतों के घर पहुँचे और सभी से राजा के ह्रदय के लिए दो तोला मांस माँगा , परन्तु कोई भी राजी न हुआ सबने अपने बचाव के लिए प्रधानमंत्री को एक लाख से पांच लाख तक मुद्राएँ तक दी , और इस प्रकार प्रधानमंत्री ने एक ही रात में एक करोड़ स्वर्ण मुद्राएँ जमा कर ली और सुबह होने से पहले ही अपने महल में पहुँच गया.

अगली सुबह सभा में सभी सामंत समय से पहले ही पहुँच गये सभी यह जानने  को बेचैन थे कि राजा का स्वस्थ्य कैसा है लेकिन कोई भी किसी को राजा की बात नहीं बता रहा था थोड़ी देर बाद राजा सभा में अपने चित्र विचित्र अंदाज में आये और सिंहासन पर आकर बैठ गये सभी सामंतों ने देखा कि राजा तो कहीं से भी अस्वस्थ्य नही लग रहे हैं उन्हें तो कुछ हुआ ही नही था प्रधानमंत्री ने उनसे झूठ बोला हर सामंत के मन में यही विचार चल रहा था तभी प्रधानमंत्री ने राजा के समक्ष एक ओर स्वर्ण मुद्राएँ रख दी , राजा ने पूछा यह स्वर्ण मुद्राएँ किस के लिए हैं और कहाँ से आई तब प्रधानमंत्री ने जबाव दिया , हे महाराज , दो तोले मांस के लिए इतनी धन राशी जुटाई है लेकिन मांस न मिला.

अपनी जान बचाने के लिए सामंतों ने ये मुद्राएँ दी हैं अब आप ही बताइए कि मांस सस्ता है या महंगा. राजा को बात समझ आ गई उन्होंने प्रजा से अतिरिक्त परिश्रम करने का निवेदन किया और राजकीय अनाज भंडार में से अनाज निकालकर श्रमिकों को दिया.

राजा ने तुरंत ही पौष्टिक सब्जियों की खेती का आदेश दिया , सिंचाई की व्यवस्था को भी दुरस्त करवाया गया वो एक करोड़ स्वर्ण मुद्राएँ इसी काम को और श्रमिको के कल्याण के लिए ही खर्च की गई , साग , सब्जी इतनी तेजी से उगी जिससे प्रजा का कल्याण भी हुआ और पौष्टिकता भी मिली.

कुछ समय बाद मौसम भी अनुकूल हुआ और खेत लहलहाने लग गये और इस तरह राज्य का खाध्य संकट दूर हुआ स्वयं परमात्मा से यह ज्ञान पाकर शिकारी परिपूर्ण हो गया और उसे ज्ञान की प्राप्ति हुई.

वह जान गया था कि महानता जीवन लेने में नही बल्कि जीवन देने में है , शिकारी ने भगवान के आगे हाथ जोड़े और वहाँ से चला गया , उसने कसम खाई कि वह अपने संपूर्ण जीवन में किसी को भी कभी चोट नही पहुँचायेगा.

तो मित्रों जीवन का यही मूल्य भगवान श्री कृष्ण हमें इस कथा के जरिय समझाना चाहते है कि हम यह न भूलें , जिस तरह हमें अपनी जान प्यारी है उसी तरह सभी जीवो को भी अपनी जान प्रिय होती है.

तो मित्रों इस कथा के जानने के बाद अब यह आप पर निर्भर करता है कि आप कौन सा आहार ग्रहण करना चाहते हैं परन्तु विज्ञान भी इस बात को प्रमाणित कर चुका है कि हमारे शरीर के लिए मांसाहार की अपेक्षा शाकाहार भोजन ज्यादा फायदेमंद है.

Also Read:-

A नाम वाले लोग – LOVE, SUCCESS, HEALTH, CAREER, NATURE

रोग प्रतिरोधी क्षमता बढाता है शाकाहार

वैज्ञानिकों की माने तो जहाँ एक ओर शाकाहार हमारे शरीर में रोग प्रतिरोधी क्षमता को बढ़ाने का काम करता है तो वहीं दूसरी ओर शाकाहार से हमारी आयु भी बढ़ती है , लेकिन कुछ लोगों के मुताबिक कुछ धर्म ग्रन्थों में मांसाहार को सही बताया गया है परन्तु यह सारे भ्रम उन ग्रन्थों में वर्णित मन्त्रों और श्लोकों के गलत अर्थ के प्रचार – प्रसार और हिन्दुओं में होने वाले पशुबलि के कारण फैले हुए हैं.

क्या है बर्बरता

जिन जीवों को मारकर आप खा रहे हैं उन्हें तो प्राण बचाने का अवसर भी नही मिलता बर्बरता सिर्फ वह नहीं है जहाँ इंसान का रक्त बहता है बर्बरता उसे भी कहा जाता है जहाँ स्वार्थ के लिए किसी जीव की हत्या कर दी जाय. अंत समय आते – आते हम जिन्दगी भर के पापों के लिए सुकर्म करने की कोशिश करते हैं. परन्तु हम यह भूल जाते हैं कि जब वे जीव हमारे लिए काटा गया और हमारे लिए तड़पा तो उसका श्राप हमें इस जीवन में ही नहीं बल्कि अगले जीवन तक नहीं छोड़ता.

तो साथियों उम्मीद करता हूँ कि आपके कई भ्रम इस पोस्ट को पढने के बाद टूटे होंगे.