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STOTRA

Adhya Meaning in Hindi

पौराणिक ग्रंथों के अनुसार Adhya Stotram आद्या शक्ति माँ (Adhya Meaning in Hindi), भगवान् विष्णु के मूलभूत (अन्तकरण) की शक्ति हैं, योगमाया की ताक़त हैं, व् प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से पूरे ब्रह्माण्ड के उत्पत्ति की कारण  हैं.

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आद्या माँ स्रोतम संस्कृत में

Adhya Maa Stotram Lyrics in Sanskrit 

ॐ नम आद्यायै ।

शृणु वत्स प्रवक्ष्यामि आद्या स्तोत्रं महाफलम् ।

यः पठेत् सततं भक्त्या स एव विष्णुवल्लभः ॥ १॥

 

मृत्युर्व्याधिभयं तस्य नास्ति किञ्चित् कलौ युगे ।

अपुत्रा लभते पुत्रं त्रिपक्षं श्रवणं यदि ॥ २॥

                         

द्वौ मासौ बन्धनान्मुक्ति विप्रवक्त्रात् श्रुतं यदि ।

मृतवत्सा जीववत्सा षण्मासं श्रवणं यदि ॥ ३॥

 

नौकायां सङ्कटे युद्धे पठनाज्जयमाप्नुयात् ।

लिखित्वा स्थापयेद्गेहे नाग्निचौरभयं क्वचित् ॥ ४॥

 

राजस्थाने जयी नित्यं प्रसन्नाः सर्वदेवता ।

ॐ ह्रीं ब्रह्माणी ब्रह्मलोके च वैकुण्ठे सर्वमङ्गला ॥ ५॥

 

इन्द्राणी अमरावत्यामविका वरुणालये।

यमालये कालरूपा कुबेरभवने शुभा ॥ ६॥

 

महानन्दाग्निकोने च वायव्यां मृगवाहिनी ।

नैरृत्यां रक्तदन्ता च ऐशाण्यां शूलधारिणी ॥ ७॥

 

पाताले वैष्णवीरूपा सिंहले देवमोहिनी ।

सुरसा च मणीद्विपे लङ्कायां भद्रकालिका ॥ ८॥

 

रामेश्वरी सेतुबन्धे विमला पुरुषोत्तमे ।

विरजा औड्रदेशे च कामाक्ष्या नीलपर्वते ॥ ९॥

 

कालिका वङ्गदेशे च अयोध्यायां महेश्वरी ।

वाराणस्यामन्नपूर्णा गयाक्षेत्रे गयेश्वरी ॥ १०॥

 

कुरुक्षेत्रे भद्रकाली व्रजे कात्यायनी परा ।

द्वारकायां महामाया मथुरायां माहेश्वरी ॥ ११॥

 

क्षुधा त्वं सर्वभूतानां वेला त्वं सागरस्य च ।

नवमी शुक्लपक्षस्य कृष्णसैकादशी परा ॥ १२॥

 

दक्षसा दुहिता देवी दक्षयज्ञ विनाशिनी ।

रामस्य जानकी त्वं हि रावणध्वंसकारिणी ॥ १३॥

 

चण्डमुण्डवधे देवी रक्तबीजविनाशिनी ।

निशुम्भशुम्भमथिनी मधुकैटभघातिनी ॥ १४॥

 

विष्णुभक्तिप्रदा दुर्गा सुखदा मोक्षदा सदा ।

आद्यास्तवमिमं पुण्यं यः पठेत् सततं नरः ॥ १५॥

 

सर्वज्वरभयं न स्यात् सर्वव्याधिविनाशनम् ।

कोटितीर्थफलं तस्य लभते नात्र संशयः ॥ १६॥

 

जया मे चाग्रतः पातु विजया पातु पृष्ठतः ।

नारायणी शीर्षदेशे सर्वाङ्गे सिंहवाहिनी ॥ १७॥

 

शिवदूती उग्रचण्डा प्रत्यङ्गे परमेश्वरी ।

विशालाक्षी महामाया कौमारी सङ्खिनी शिवा ॥ १८॥

 

चक्रिणी जयधात्री च रणमत्ता रणप्रिया ।

दुर्गा जयन्ती काली च भद्रकाली महोदरी ॥ १९॥

 

नारसिंही च वाराही सिद्धिदात्री सुखप्रदा ।

भयङ्करी महारौद्री महाभयविनाशिनी ॥ २०॥

 

इति ब्रह्मयामले ब्रह्मनारदसंवादे आद्या स्तोत्रं समाप्तम् ॥

॥ ॐ नम आद्यायै ॐ नम आद्यायै ॐ नम आद्यायै ॥

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Adhya stotram Lyrics in English

 Om Namah Aadyaayai |

Shrnnu Vatsa Pravakssyaami Aadyaa Stotram Mahaa-Phalam |

Yah Patthet Satatam Bhaktyaa Sa Sva Vissnnu-Vallabhah ||1||

 

Mrtyur-Vyaadhi-Bhayam Tasya Naasti Kin.cita Kalau Yuge |

Aputraa Labhate Putram Tri-Pakssam Shravannam Yadi ||2||

 

Dvau Maasau Bandhanaan-Mukti Vipra-Vaktaat Shrutam Yadi |

Mrtavatsaa Jiivavatsaa Ssann-Maasam Shravannam Yadi ||3||

 

Naukaayaam Sangkatte Yuddhe Patthanaaj-Jayam-Aapnuyaat |

Likhitvaa Sthaapayed-Gehe Na-Agni-Caura-Bhayam Kkacit ||4||

 

Raaja-Sthaane Jayii Nityam Prasannaah Sarva-Devataa |

Om Hriim Brahmaannii Brahmaloke Ca Vaikunntthe Sarvamanggalaa ||5||

 

Indraannii Amaraavatyaamambikaa Varunnaalaye |

Yamaalaye Kaalaruupaa Kuberabhavane Shubhaa ||6||

 

Mahaanandaa-[A]gnikone Ca Vaayavyaam Mrgavaahinii |

Nairtyaam Raktadantaa Ca Aishaannyaam Shuuladhaarinnii ||7||

 

Paataale Vaissnnaviiruupaa Singhale Devamohinii |

Surasaa Ca Manniidvipe Langkaayaam Bhadrakaalikaa ||8||

 

Raameshvarii Setubandhe Vimalaa Purussottame |

Virajaa Auddradeshe Ca Kaamaakssyaa Niilaparvate ||9||

 

Kaalikaa Vanggadeshe Ca Ayodhyaayaam Maheshvarii |

Vaaraannasyaam-Annapuurnnaa Gayaakssetre Gayeshvarii ||10||

 

Kurukssetre Bhadrakaalii Vraje Kaatyaayanii Paraa |

Dvaarakaayaam Mahaamaayaa Mathuraayaam Maaheshvarii ||11||

 

Kssudhaa Tvam Sarva-Bhuutaanaam Velaa Tvam Saagarasya Ca |

Navamii Shukla-Pakssasya Krssnnasyai[a-E]kaadashii Paraa ||12||

 

Dakssasaa Duhitaa Devii Dakssa-Yajnya Vinaashinii |

Raamasya Jaanakii Tvam Hi Raavanna-Dhvamsa-Kaarinnii ||13||

 

Canndda-Munndda-Vadhe Devii Raktabiija-Vinaashinii |

Nishumbha-Shumbha-Mathinii Madhu-Kaittabha-Ghaatinii ||14||

 

Vissnnu-Bhakti-Pradaa Durgaa Sukha-Daa Mokssa-Daa Sadaa |

Aadyaa-Stavam-Imam Punnyam Yah Patthet Satatam Narah ||15||

 

Sarva-Jvara-Bhayam Na Syaat Sarva-Vyaadhi-Vinaashanam |

Kotti-Tiirtha-Phalam Tasya Labhate Na-Atra Samshaya ||16||

 

Jayaa Me Ca-Agratah Paatu Vijayaa Paatu Prsstthatah |

Naaraayannii Shiirssa-Deshe Sarva-Angge Simhavaahinii ||17||

 

Shivaduutii Ugracannddaa Pratyangge Parame[a-Ii]shvarii |

Vishaalaakssii Mahaamaayaa Kaumaarii Sangkhinii Shivaa ||18||

 

Cakrinnii Jaya-Dhaatrii Ca Ranna-Mattaa Ranna-Priyaa |

Durgaa Jayantii Kaalii Ca Bhadrakaalii Maho[a-U]darii ||19||

 

Naarasimhii Ca Vaaraahii Siddhi-Daatrii Sukha-Pradaa |

Bhayangkarii Mahaaraudrii Mahaa-Bhaya-Vinaashinii ||20||

 

Iti Brahmayaamale Brahmaa-Naarada-Samvaade Aadyaa Stotram Samaaptam ||

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आद्या माँ के अनुसार हुई भगवान ब्रह्मा और शिव, की उत्पत्ति

आद्या माँ (Adhya Maa) के अनुसार ही भगवान ब्रह्मा और शिव, की उत्पत्ति हुई है. सृष्टि को चलाने के लिये  भगवान विष्णु, संसार की उत्पत्ति के लिए ब्रह्मा और शंकर को संहार का कार्य सौंपा.  और सत्वो,रजो और तमो गुण का निर्माण किया. यही तीनों गुण पूरे ब्रह्माण्ड का संचालन करते हैं, लेकिन यह सब कार्य माँ आद्या की इच्छा शक्ति से होते हैं. इसलिए इनकी अराधना मनोकामना को पूर्ण करने वाली होती है.        

 ब्रह्मा, विष्णु और महेश की जीवन संगिनी भी अपने पतियों का सहयोग करती हैं. भगवान् विष्णु की पत्नी महालक्ष्मी, ब्रह्मा जी की पत्नी महासरस्वती तथा शंकर की पत्नी महाकाली हैं. महालक्ष्मी सात्विक शक्ति हैं, महासरस्वती राजसिक शक्ति हैं, तथा महाकाली तामसी शक्ति हैं.

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आद्या माँ

महासंहार करने वाली शक्ति माँ

काली अक्सर  घोर डरावनी तथा उग्र स्वाभाव की हैं . इनके वस्त्र काले रंग के होते हैं, प्रलय काल में महाकाली खुद  महाकाल का भी भक्षण करने की ताक़त रखती हैं. श्मशान के डरावने माहौल में, शंकर जी की छाती पर पैर रखने वाली घोर -रूपा शक्ति “महाकाली” कहलाती हैं. प्राचीन काल में, जब कुछ भी नहीं था, चारों ओर अंधकार ही अंधकार होता था, अँधेरे से एक शक्ति उत्पन्न हुई, जिस का नाम काली पड़ा. अंधकार में जन्म होने के कारण  महाकाली तमोगुणी तथा काले वर्ण वाली हैं. महाकाली दिव्य स्वरूप वाली, हजारों चंद्रमाओं से प्रतिबिंबित कांति वाली प्रतीत होती हैं. महाकाली की इच्छा ने संपूर्ण चराचर जगत को उत्पन्न किया है तथा सभी को उनके कर्मों का फल प्रदान करती हैं.

भगवान विष्णु के योगमग्न रहते हुए, उदित होने वाली तामसी शक्ति, खुद आद्या शक्ति हैं जो संहारक हैं आद्या माँ (ADHYA MAA) ही महा माया काली के नाम से प्रसिद्ध हैं.

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आद्या माँ स्तोत्रं के लाभ (Adhya Stotram Benefits)

  1. आद्या स्रोतम का पाठ करने से दुश्मनों का नाश होता है .
  2. अगर आप शारीरिक व्याधियां दूर करना चाहते हो तो आद्या स्रोतम का पाठ करना चाहिए .
  3. आप भाग्य चमकाना चाहते हो तो आद्या स्रोतम का पाठ करना चाहिए .
  4. आपको सभी तरह के सुख चाहिए तो नियमित आद्या स्रोतम का पाठ करें.
  5. आद्या स्रोतम का पाठ और ध्यान भय को हरने वाला है .
  6. कलयुग में आद्या स्रोत का पाठ मृत्यु और रोग के भय को खत्म करने वाला है .
  7. आद्या स्रोत्र का पाठ करने से सभी तरह का कल्याण होता है .

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