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Ashta Laxmi Stotram Lyrics | Names | Mantra | Download pdf

STOTRA

Shree Ashta Laxmi

हिंदू धर्म में, देवी लक्ष्मी की पूजा कई रूपों में की जाती है. माँ लक्ष्मी के समस्त रूपों को प्रसन्न करने के लिए अष्ट लक्ष्मी स्तोत्र अत्यंत प्रभावशाली साधन है. इस लेख में हम आपको Ashta Laxmi Stotram Lyrics दे रहे हैं . देवी लक्ष्मी के सबसे लोकप्रिय रूप आठ हैं जिन्हें सामूहिक रूप से अष्ट लक्ष्मी के रूप में जाना जाता है। अष्ट लक्ष्मी (ashta lakshmi names) में देवी लक्ष्मी की अभिव्यक्तियों पर अलग-अलग मत हैं. हालाँकि, देवी लक्ष्मी की निम्न अभिव्यक्तियों का उल्लेख अष्ट लक्ष्मी की प्रतिमा का वर्णन करते समय किया गया है. Ashta Laxmi Stotram Names

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8 forms of Lakshmi

  • आदि लक्ष्मी – प्राणमयी देवी माँ
  • धन लक्ष्मी – भौतिक धन की देवी
  • धान्य लक्ष्मी – अच्छी फसल और अनाज की देवी
  • गज लक्ष्मी – शक्ति और शक्ति की देवी
  • संतान लक्ष्मी – ऑफ-स्प्रिंग्स और संतान की देवी
  • वीर लक्ष्मी – साहस और शक्ति की देवी
  • विजय लक्ष्मी – विजय की देवी
  • ऐश्वर्य लक्ष्मी – आराम और विलासिता की देवी

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Ashtalakshmi Names in Order

1970 के दशक में श्री श्रीनिवासराचार्यचर द्वारा रचित अष्ट लक्ष्मी स्तोत्रम में, वीर लक्ष्मी की जगह धैर्य लक्ष्मी और ऐश्वर्या  लक्ष्मी की जगह विद्या लक्ष्मी को शामिल किया गया है. स्तोत्रम के अनुसार अष्ट लक्ष्मी Above are the 8 forms of Lakshmi की सूची इस प्रकार है. वर्तमान समय में माता के येही नाम प्रचलित हैं एवं इन्हीं रूपों की पूजा की जाती है.

  • आदि लक्ष्मी – प्राणमयी देवी माँ
  • धन लक्ष्मी – भौतिक धन की देवी
  • धान्य लक्ष्मी – अच्छी फसल और अनाज की देवी
  • गज लक्ष्मी – शक्ति और शक्ति की देवी
  • संतान लक्ष्मी – ऑफ-स्प्रिंग्स और संतान की देवी
  • वीर / धैर्य लक्ष्मी – साहस और शक्ति की देवी
  • विजय लक्ष्मी – विजय की देवी
  • ऐश्वर्य / विद्या लक्ष्मी – बुद्धि और ज्ञान की देवी

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आज आपको इसी स्तोत्र के बारे में जानकारी प्रदान करेंगे और Ashta Laxmi Stotram Lyrics भी देंगे. ये ऐसा स्तोत्र है जो शीघ्र ही व्यापार में लाभ प्रदान करता है तथा धन की वृद्धि करता है. अष्ट लक्ष्मी स्तोत्रम्. एक ऐसा स्तोत्र हैं जिसे पढ़ने व जिसका अनुष्ठान करने से मां भगवती लक्ष्मी शीघ्र ही प्रसन्न होती हैं सदा धन-धान्य की वृद्धि करती हैं.                              

1.अष्टलक्ष्मी स्तोत्र की विशेषताएं-

Ashta Laxmi Stotra स्त्रोत घर में धन की वृद्धि तथा आपके ऑफिस के कार्य में आ रही बाधा को दूर करने के लिए तथा आपके फैक्ट्री दुकान व्यापार स्वर्ण आदि व्यापार से संबंधित कार्यों के लिए विशेष लाभकारी है.                           

2.अष्ट लक्ष्मी स्त्रोत करने के सुनिश्चित दिन

इस स्तोत्र का अनुष्ठान करने के लिए सर्वार्थ सिद्धि योग व शुक्रवार का दिन हो व दीपावली की रात्रि में , अक्षय तृतीया में षोडशोपचार विधि के साथ पूजन कर इसका पाठ करना चाहिए .                   

3.अष्टलक्ष्मी स्तोत्र की विधि

ब्राह्मणों के द्वारा इसका अनुष्ठान कराना चाहिए साथ ही यदि व्यवस्था हो तो कमल के पुष्पों से भगवती का अर्चन करना चाहिए तथा पाठ होने के पश्चात कमलगट्टे से  दशांश होम करना चाहिए.       

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4.अष्टलक्ष्मी स्तोत्र के पाठ करने के नियम

इस स्तोत्र के पाठ करने के लिए यजमान को रक्त वस्त्र धारण करके तथा स पत्नी सहित संकल्प करें संकल्प जब तक पूर्ण ना हो तब तक फलाहार लेकर तथा ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए नियम से रहना चाहिए.

इसका पाठ करते समय यजमान ब्राह्मण दोनों को ही रक्त आसन पर बैठना चाहिए. क्योंकि हमारे शास्त्रों में कहा गया है शिवम भूत्वा शिवम यजेत्  यदि हमें शिव को मनाना है तो स्वयं से बनना पड़ेगा इसी प्रकार से हम किसी भी अनुष्ठान को करते हैं तो हमें भगवती को मनाना है तो स्वयं भगवती के जैसा रूप धारण करना पड़ेगा तभी देवता प्रसन्न होते हैं तो इसलिए इस अनुष्ठान को करते समय नियमों का विशेष ध्यान रखना चाहिए  और नियम के साथ-साथ अनुष्ठान करने से यथा शीघ्र ही इसका लाभ प्राप्त कर सकेंगे.

यह स्त्रोत धन की वृद्धि में व्यापार लाभ में बहुत ही लाभकारी है आप सभी इस स्त्रोत का पाठ करके इस स्त्रोत का अनुष्ठान करा कर लाभ ले सकेंगे.                              

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ASHTA LAXMI STOTRAM LYRICS

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श्री अष्टलक्ष्मी स्तोत्रम्

आदिलक्ष्मी

सुमनसवन्दित सुन्दरि माधवि, चन्द्र सहोदरि हेममये ।।

मुनिगणमण्डित मोक्षप्रदायिनि, मञ्जुळभाषिणि वेदनुते ।।

पङ्कजवासिनि देवसुपूजित, सद्गुणवर्षिणि शान्तियुते ।।

जयजय हे मधुसूदन कामिनि, आदिलक्ष्मि सदा पालय माम् ।। १ ।।

धान्यलक्ष्मी

अहिकलि कल्मषनाशिनि कामिनि, वैदिकरूपिणि वेदमये ।।

क्षीरसमुद्भव मङ्गलरूपिणि, मन्त्रनिवासिनि मन्त्रनुते ।।

मङ्गलदायिनि अम्बुजवासिनि, देवगणाश्रित पादयुते ।।

जयजय हे मधुसूदन कामिनि, धान्यलक्ष्मि सदा पालय माम् ।। २ ।।

धैर्यलक्ष्मी

जयवरवर्णिनि वैष्णवि भार्गवि, मन्त्रस्वरूपिणि मन्त्रमये ।।

सुरगणपूजित शीघ्रफलप्रद, ज्ञानविकासिनि शास्त्रनुते ।।

भवभयहारिणि पापविमोचनि, साधुजनाश्रित पादयुते ।।

जयजय हे मधुसूदन कामिनि, धैर्यलक्ष्मि सदा पालय माम् ।। ३ ।।

गजलक्ष्मी

जयजय दुर्गतिनाशिनि कामिनि, सर्वफलप्रद शास्त्रमये ।।

रथगज तुरगपदादि समावृत, परिजनमण्डित लोकनुते ।।

हरिहर ब्रह्म सुपूजित सेवित, तापनिवारिणि पादयुते ।।

जयजय हे मधुसूदन कामिनि, गजलक्ष्मि रूपेण पालय माम् ।। ४ ।।

सन्तानलक्ष्मी

अहिखग वाहिनि मोहिनि चक्रिणि, रागविवर्धिनि ज्ञानमये ।।

गुणगणवारिधि लोकहितैषिणि, स्वरसप्त भूषित गाननुते ।।

सकल सुरासुर देवमुनीश्वर, मानववन्दित पादयुते ।।

जयजय हे मधुसूदन कामिनि, सन्तानलक्ष्मि त्वं पालय माम् ।। ५ ।।

विजयलक्ष्मी

जय कमलासनि सद्गतिदायिनि, ज्ञानविकासिनि गानमये ।।

अनुदिनमर्चित कुङ्कुमधूसर-भूषित वासित वाद्यनुते ।।

कनकधरास्तुति वैभव वन्दित, शङ्कर देशिक मान्य पदे ।।

जयजय हे मधुसूदन कामिनि, विजयलक्ष्मि सदा पालय माम् ।। ६ ।।

विद्यालक्ष्मी

प्रणत सुरेश्वरि भारति भार्गवि, शोकविनाशिनि रत्नमये ।।

मणिमयभूषित कर्णविभूषण, शान्तिसमावृत हास्यमुखे ।।

नवनिधिदायिनि कलिमलहारिणि, कामित फलप्रद हस्तयुते ।।

जयजय हे मधुसूदन कामिनि, विद्यालक्ष्मि सदा पालय माम् ।। ७ ।।

धनलक्ष्मी

धिमिधिमि धिंधिमि धिंधिमि धिंधिमि, दुन्दुभि नाद सुपूर्णमये ।।

घुमघुम घुंघुम घुंघुम घुंघुम, शङ्खनिनाद सुवाद्यनुते ।।

वेदपुराणेतिहास सुपूजित, वैदिकमार्ग प्रदर्शयुते ।।

जयजय हे मधुसूदन कामिनि, धनलक्ष्मि रूपेण पालय माम् ।। ८ ।।

आशा करता हूं आप सभी इस स्तोत्र Ashtalakshmi Mantra की जानकारी से  संतुष्ट होंगे और इस स्तोत्र के माध्यम से सभी भगवती की कृपा प्राप्त कर सकेंगे धन-धन में वृद्धि वा सकेंगे.