दारिद्रय दहन स्तोत्र | अर्थ | लाभ | PDF | MP3

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STOTRA

दारिद्रय दहन स्तोत्र (Daridra Dahan Stotra)

 क्या है दारिद्रय दहन स्तोत्र

दारिद्रय दहन स्तोत्र भगवान् शंकर को समर्पित स्रोत्र है. इस स्रोत्र के पाठ से भगवान् शंकर भक्तों से खुश होते हैं . भगवान् शंकर अपने भक्तों की गरीबी (दरिद्रता) दूर करने के लिए अपना आशीर्वाद देते हैं .

भगवान् शिव परम दयालु और अपने भक्तों पर कृपा करने में बेहद सरल हैं | यह थोड़ी सी भक्ति करने पर ही प्रसन्न हो जाते हैं और उनकी मनोकामना बहुत जल्दी ही पूरी कर देते हैं. शायद इसलिए इनका नाम भोला भंडारी है.

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दरिद्र दहन स्रोत संस्कृत में (Daridra dahan stotra in Sanskrit)

||दरिद्र दहन स्रोतम ||

विश्वेश्वराय नरकार्णवतारणाय कर्णामृताय

शशिशेखराय धारणाय कर्पूरकांति धवलाय जटाधराय

दारिद्रय दु: दहनाय नम: शिवाय….. ||1||

 

गौरी प्रियाय रजनीश कलाधराय कालान्तकाय

भुजंगाधिप कंकणाय गंगाधराय गजराज विमर्दनाय

दारिद्रय दु: दहनाय नम: शिवाय…..||2||

 

भक्ति प्रियाय भवरोग भयापहाय

उग्राय दुर्गमभवसागर तारणाय

ज्योतिर्मयाय गुणनाम सुनृत्यकाय

दारिद्रय दु: दहनाय नम: शिवाय…..||3||

 

चर्माम्बराय शवभस्म विलेपनाय

भालेक्षणाय मणिकुंडल मण्डिताय

मंजीर पादयुगलाय जटाधराय

दारिद्रय दु: दहनाय नम: शिवाय….||4||

 

पंचाननाय फणिराज विभूषणाय

हेमांशुकाय भुवनत्रय मण्डिताय

अनन्त भूमि वरदाय तमोमयाय

दारिद्रय दु: दहनाय नम: शिवाय….||5||

 

भानुप्रियाय भवसागर तारणाय

कालान्तकाय कमलासन पूजिताय

नेत्रत्रयाय शुभलक्षण लक्षिताय

दारिद्रय दु: दहनाय नम: शिवाय….||6||

 

रामप्रियाय रघुनाथ वर प्रदाय

नागप्रियाय नरकार्णवतारणाय

पुण्येषु पुण्यभरिताय सुरार्चिताय

दारिद्रय दु: दहनाय नम: शिवाय….||7||

 

मुक्तेश्वराय फलदाय गणेश्वराय

गति प्रियाय वृषभेश्वर वाहनाय

मातंग चर्मवसनाय महेश्वराय

दारिद्रय दु: दहनाय नम: शिवाय….||8||

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दारिद्रय दहन स्तोत्र का अर्थ हिंदी में (Daridra Dahan Stotra Meaning in Hindi )

विश्वेश्वराय नरकार्णवतारणाय कर्णामृताय

शशिशेखराय धारणाय कर्पूरकांति धवलाय जटाधराय

दारिद्रय दु: दहनाय नम: शिवाय…||

 

हिंदी अर्थ -संसार के स्वामीरूप विश्वेश्वर, नरकरूपी संसार से मोक्ष प्रदान करने वाले, कानों से सुनने में अमृत के समान , भाल पर चन्द्रमा को अलंकार के रूप में धारण करने वाले, कर्पूर की कान्ति के समान सफ़ेद रंग वाले, जटाधारी और दरिद्रता और दु:खों का नाश करने वाले  भगवान शिव को मेरा नमस्कार है.

गौरी प्रियाय रजनीश कलाधराय कालान्तकाय

भुजंगाधिप कंकणाय गंगाधराय गजराज विमर्दनाय

दारिद्रय दु: दहनाय नम: शिवाय…||

हिंदी अर्थ- गौरी मैया के अत्यन्त प्रिय, रजनीश्वर (चन्द्रमा) की समस्त कला को धारण करने वाले, काल के भी काल (यम) रूप, नागराज को कंकणरूप में धारण करने वाले, मस्तक पर गंगा को धारण करने वाले, गजराज का मर्दन करने वाले और दरिद्रता और  दु:खों का नाश करने वाले भगवान शिव को मेरा नमस्कार है.

भक्ति प्रियाय भवरोग भयापहाय

उग्राय दुर्गमभवसागर तारणाय

ज्योतिर्मयाय गुणनाम सुनृत्यकाय

दारिद्रय दु: दहनाय नम: शिवाय…||

हिंदी अर्थ – भक्तिप्रिय, भव रोग एवं डर का नाश करने वाले , संहार के समय उग्ररूप धारण करने वाले,दुर्गम भवसागर से पार कराने वाले, ज्योति स्वरूप, अपने गुण और नाम के अनुरूप सुन्दर नृत्य करने वाले तथा दरिद्रता और दु:खों का नाश करने वाले भगवान शिव को मेरा नमस्कार है.

चर्माम्बराय शवभस्म विलेपनाय

भालेक्षणाय मणिकुंडल मण्डिताय

मंजीर पादयुगलाय जटाधराय

दारिद्रय दु: दहनाय नम: शिवाय….||

हिंदी अर्थ– शेर की खाल धारण करने वाले, शरीर पर चिताभस्म को लगाने वाले, मस्तक में तीसरा नेत्र धारण करने वाले, मणियों के कुण्डल से सुसज्जित, चरणों में नूपुर धारण करने वाले जटाधारी और दरिद्रता और दु:खों का नाश करने वाले भगवान शिव को मेरा नमस्कार है।

पंचाननाय फणिराज विभूषणाय

हेमांशुकाय भुवनत्रय मण्डिताय

अनन्त भूमि वरदाय तमोमयाय

दारिद्रय दु: दहनाय नम: शिवाय…||

हिंदी अर्थ – पांच मुख वाले, सर्पों के आभूषणों से सुशोभित, सुवर्ण के समान वस्त्र वाले या सुवर्ण के समान किरण वाले, आनन्दभूमि (काशी) को वरदान देने वाले, संसार का संहार के लिए तमोगुणाविष्ट होने वाले व दरिद्रता और दु:खों का नाश करने वाले भगवान शिव को मेरा नमस्कार है।

भानुप्रियाय भवसागर तारणाय

कालान्तकाय कमलासन पूजिताय

नेत्रत्रयाय शुभलक्षण लक्षिताय

दारिद्रय दु: दहनाय नम: शिवाय…||

  हिंदी अर्थ– सूर्य को अनंत प्यारे, संसार का उद्धार करने वाले, काल के लिए भी महाकालरूपी, कमल के आसन (ब्रह्मा) द्वारा पूजित, त्रनेत्र धारी , शुभ गुणों  से युक्त तथा दरिद्रता और दुखों का नाश करने वाले भगवान शिव को मेरा नमस्कार है।

रामप्रियाय रघुनाथ वर प्रदाय

नागप्रियाय नरकार्णवतारणाय

पुण्येषु पुण्यभरिताय सुरार्चिताय

      दारिद्रय दु: दहनाय नम: शिवाय…|| 

हिंदी अर्थ– राम को परम प्रिय एवं रघुनाथजी को वर देने वाले, नागों के अतिप्रिय, संसार रूपी नरक से मुक्ति देने वाले , पुण्यवानों में उत्तम पुण्य वाले, समस्त देवताओं द्वारा पूजित तथा दरिद्रता और दुखों का नाश करने वाले भगवान शिव को मेरा नमस्कार है।

मुक्तेश्वराय फलदाय गणेश्वराय

 गति प्रियाय वृषभेश्वर वाहनाय  

मातंग चर्मवसनाय महेश्वराय

दारिद्रय दु: दहनाय नम: शिवाय…||

हिंदी अर्थ– मुक्तिधारकों  के स्वामीरूप, चारों पुरुषार्थों को फल प्रदान करने वाले, स्तुतिप्रिय नन्दीवाहन, गजचर्म को वस्त्र की तरह धारण करने वाले, महेश्वर तथा दरिद्रता और दु:खों का नाश करने वाले भगवान शिव को मेरा नमस्कार है।।

भगवान् शिव को प्रसन्न करने का मूल मंत्र

दरिद्र हनन को दरिद्र दहन स्रोतम भी कहते हैं. इसे महर्षि वशिष्ठ ने लिखा है . यदि भगवान् शिव का ‘दारिद्रय दहन स्तोत्र’ के साथ रोजाना भगवान् शंकर का अभिषेक किया जाये  तो भगवान् शंकर बहुत जल्द ही मनुष्य को स्थिर लक्ष्मी की प्राप्ति करा देते हैं व् गरीबी से मुक्ति दिलाते हैं . शास्त्रों में कहा गया है कि  दरिद्रता एक अभिशाप है. शास्त्र कहता है-

बभक्षित: किं न करोति पापम्‌।

          क्षीणा: नरा: निष्करूणा भवन्ति।।’

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इसका अर्थ है कि भूखा व्यक्ति कौन-सा पाप नहीं करता. हमारे ग्रंथों और शास्त्रों में ऐसे अनेक मंत्र, अनुष्ठानों एवं स्तोत्र का उल्लेख है जिनसे दरिद्रता से मुक्ति मिलती है. प्रतिदिन भगवान शिव का ‘दारिद्रय दहन स्तोत्र’ के साथ भगवान् शिव का अभिषेक करने से मनुष्य को स्थिर लक्ष्मी की प्राप्ति होती है.

दरिद्र दहन स्रोतम में भगवान् शिव की श्रद्वामयी स्तुति की गयी है. यहाँ पर भगवान् शंकर की उदारता ,सहज भाव, सबके भला करने की इच्छा, भगवान् शिव के विभिन्न रूपों की विभिन्न तरह से स्तुति की है. इसमें भगवान् शिव मंगल कारक, चिन्ताहरण, सब सुखों को देने वाले और गरीबी का हनन और विपत्तियों का नाश करने वाले हैं.

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दरिद्र दहन स्रोत्र के पाठ से लाभ

धन्य धान्य से परिपूर्ण करता है दरिद्र दहन स्रोत्र

दरिद्र दहन स्रोत्र के पाठ करने से मनुष्य को  अनेकों लाभ होते हैं . तो आइये जानते हैं इस स्तोत्र को करने से क्या लाभ होते हैं .

  1. इस स्रोत्र के पाठ से भगवान् शिव प्रसन्न होते हैं .
  2. दरिद्र दहन स्रोत्र के पाठ से गरीबी से मुक्ति मिलती है .
  3. भगवान् शिव दरिद्र दहन पाठ करने वाले को मनोकामना पूर्ति का आशीर्वाद दते हैं .
  4. दरिद्र दहन पाठ से उसके यश में बढ़ोत्तरी होती है .
  5. यह पाठ मनुष्य  को प्रसन्नता देता है.|
  6. इस पाठ को करने से भगवान् शिव मनुष्य की विपत्ति को हर लेते हैं .
  7. दरिद्र दहन पाठ से मनुष्य की चिंताओं का नाश होता है.

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