LAKSHMI STOTRA KANAKDHARA STOTRA MATA LAKSHMI

Kanakdhara Stotra in Hindi | Lyrics,हिंदी अनुवाद)

STOTRA Dharmik Chalisa & Katha

कनकधारा स्तोत्र एवं यंत्र

आज के युग में हर व्यक्ति अतिशीघ्र समृद्ध बनना चाहता हैं. धन प्राप्ति हेतु विभिन्न उपाय हमारे में शास्त्रों में बताये गए हैं जैसे माता महालक्ष्मी चालीसा एवं कुछ अन्य जैसे -प्रतिष्ठित कनकधारा यंत्र के सामने बैठकर कनकधारा स्तोत्र (Sri Kanakadhara Mahalakshmi ) का पाठ करने से विशेष लाभ प्राप्त होता हैं. इस कनकधारा स्तोत्र आराधना करने से ऋण और दरिद्रता से शीघ्र मुक्ति मिलती हैं।

Kanakdhara Stotra in Sanskrit

अंगहरे पुलकभूषण माश्रयन्ती भृगांगनैव मुकुलाभरणं तमालम।
अंगीकृताखिल विभूतिरपांगलीला मांगल्यदास्तु मम मंगलदेवताया:।।1।।

मुग्ध्या मुहुर्विदधती वदनै मुरारै: प्रेमत्रपाप्रणिहितानि गतागतानि।
माला दृशोर्मधुकर विमहोत्पले या सा मै श्रियं दिशतु सागर सम्भवाया:।।2।।

विश्वामरेन्द्रपदविभ्रमदानदक्षमानन्द हेतु रधिकं मधुविद्विषोपि।
ईषन्निषीदतु मयि क्षणमीक्षणार्द्धमिन्दोवरोदर सहोदरमिन्दिराय:।।3।।

आमीलिताक्षमधिगम्य मुदा मुकुन्दमानन्दकन्दम निमेषमनंगतन्त्रम्।
आकेकर स्थित कनी निकपक्ष्म नेत्रं भूत्यै भवेन्मम भुजंगरायांगनाया:।।4।।

बाह्यन्तरे मधुजित: श्रितकौस्तुभै या हारावलीव हरि‍नीलमयी विभाति।
कामप्रदा भगवतो पि कटाक्षमाला कल्याण भावहतु मे कमलालयाया:।।5।।

कालाम्बुदालिललितोरसि कैटभारेर्धाराधरे स्फुरति या तडिदंगनेव्।
मातु: समस्त जगतां महनीय मूर्तिभद्राणि मे दिशतु भार्गवनन्दनाया:।।6।।

प्राप्तं पदं प्रथमत: किल यत्प्रभावान्मांगल्य भाजि: मधुमायनि मन्मथेन।
मध्यापतेत दिह मन्थर मीक्षणार्द्ध मन्दालसं च मकरालयकन्यकाया:।।7।।

दद्याद दयानुपवनो द्रविणाम्बुधाराम स्मिभकिंचन विहंग शिशौ विषण्ण।
दुष्कर्मधर्ममपनीय चिराय दूरं नारायण प्रणयिनी नयनाम्बुवाह:।।8।।

इष्टा विशिष्टमतयो पि यथा ययार्द्रदृष्टया त्रिविष्टपपदं सुलभं लभंते।
दृष्टि: प्रहूष्टकमलोदर दीप्ति रिष्टां पुष्टि कृषीष्ट मम पुष्कर विष्टराया:।।9।।

गीर्देवतैति गरुड़ध्वज भामिनीति शाकम्भरीति शशिशेखर वल्लभेति।
सृष्टि स्थिति प्रलय केलिषु संस्थितायै तस्यै ‍नमस्त्रि भुवनैक गुरोस्तरूण्यै ।।10।।

श्रुत्यै नमोस्तु शुभकर्मफल प्रसूत्यै रत्यै नमोस्तु रमणीय गुणार्णवायै।
शक्तयै नमोस्तु शतपात्र निकेतानायै पुष्टयै नमोस्तु पुरूषोत्तम वल्लभायै।।11।।

नमोस्तु नालीक निभाननायै नमोस्तु दुग्धौदधि जन्म भूत्यै ।
नमोस्तु सोमामृत सोदरायै नमोस्तु नारायण वल्लभायै।।12।।

सम्पतकराणि सकलेन्द्रिय नन्दानि साम्राज्यदान विभवानि सरोरूहाक्षि।
त्व द्वंदनानि दुरिता हरणाद्यतानि मामेव मातर निशं कलयन्तु नान्यम्।।13।।

यत्कटाक्षसमुपासना विधि: सेवकस्य कलार्थ सम्पद:।
संतनोति वचनांगमानसंसत्वां मुरारिहृदयेश्वरीं भजे।।14।।

सरसिजनिलये सरोज हस्ते धवलमांशुकगन्धमाल्यशोभे।
भगवति हरिवल्लभे मनोज्ञे त्रिभुवनभूतिकरि प्रसीद मह्यम्।।15।।

दग्धिस्तिमि: कनकुंभमुखा व सृष्टिस्वर्वाहिनी विमलचारू जल प्लुतांगीम।
प्रातर्नमामि जगतां जननीमशेष लोकाधिनाथ गृहिणी ममृताब्धिपुत्रीम्।।16।।

कमले कमलाक्षवल्लभे त्वं करुणापूरतरां गतैरपाड़ंगै:।
अवलोकय माम किंचनानां प्रथमं पात्रमकृत्रिमं दयाया : ।।17।।

स्तुवन्ति ये स्तुतिभिर भूमिरन्वहं त्रयीमयीं त्रिभुवनमातरं रमाम्।
गुणाधिका गुरुतरभाग्यभागिनो भवन्ति ते बुधभाविताया:।।18।।

।। इति श्री कनकधारा स्तोत्रं सम्पूर्णम् ।।

Click Here to Download Kanakdhara Stotram in Sanskrit PDF

कनकधारा स्तोत्र की रचना किसने की

कनकधारा स्तोत्र की रचना श्रीमद् शंकराचार्य ने की थी. ऐसा माना जाता है कि , कनकधारा स्तोत्र के प्रभाव से श्रीमद् शंकराचार्य जी ने स्वर्ण-मुद्राओं की वर्षा करवाई थी. यह सच भी प्रतीत होता है क्योंकि ३२ वर्ष की आयु में (सन् 788  से सन् 820 तक) ब्रह्मसूत्र और गीता जैसे अनेक उपनिषदों पर वचन लिखना, अनेकों स्तोत्रों की रचना करना, विवेक चूड़ामणि जैसे ग्रन्थ की रचना, कई शक्तिपीठ की स्थापनाकरना , किसी साधारण व्यक्ति का काम नहीं है ये तो कोई विरला पुरुष ही कर सकता है.

WEALTH Kanakdhara Stotra in Hindi | Lyrics,हिंदी अनुवाद)

सौभाग्य प्राप्ति का अद्भुत साधन है कनकधारा स्तोत्र

व्यापार में उन्नति होती हैं, बेरोजगार को रोजगार प्राप्ति होती हैं. (sri kanakadhara mahalakshmi) कनकधारा स्तोत्र कि रचना कुछ इस प्रकार कि हैं, जिसके श्रवण एवं पठन करने से आस-पास के वायुमंडल में विशेष अलौकिक दिव्य उर्जा उत्पन्न होती है. इस पेज में हम kanakadhara stotram lyrics के साथ साथ lakshmi ashtothram, lakshmi stotra , kanakadhara stotram pdf download , कनकधरा स्तोत्र कैसे पढ़े और lakshmi stuti भी प्रस्तुत कर रहे है |

कनकधारा स्तोत्र पाठ कितनी बार करना चाहिए?

आदि शंकराचार्य जी ने कनकधारा स्तोत्र के विषय में कोई ऐसा विशेष उल्लेख नहीं किया है. यदि पूरे दिल से इसका एक बार भी पाठ कर लिया जाये तो वह पर्याप्त माना जाता है. समय और सुविधा हो तो नियत समय, नियत संख्या में अपने सामर्थ्य अनुसार जप-अनुष्ठान भी किया जा सकता है.

INDIAN NOTE CURRENCY MA LAKSHMI RS 2000 NOTE AS HOME

कनकधारा स्तोत्र  कैसे पढ़ें –

कनकधारा स्तोत्र (Kanakadhara Stotram) को पढ़ने का कोई भी विशेष दिन नहीं होता है. आप कनकधारा स्तोत्र को कभी भी पढ़ सकते हैं. हालांकि ऐसा कहा जाता है कि अगर कनकधारा स्तोत्र को रोज पढ़ा जाए तो लाभ अधिक और जल्द मिलता है. इसलिए आप कनकधारा स्तोत्र को रोज पढ़ा करें. कनकधारा स्तोत्र ज्यादा बड़ा स्तोत्र नहीं है और आप इसे 15 मिनट के अंदर ही पढ़ सकते हैं।

सच्चे मन से कर सकते हैं माता लक्ष्मी को याद

कनकधारा स्तोत्र को पढ़ने से किसी भी तरह की विधि नहीं जुड़ी हुई है और ना ही इस स्तोत्र को पढ़ने के लिए जाप या माला की जरूरत पड़ती है. आप जब भी कनकधारा स्तोत्र को पढ़ें तो अपने पास एक दीपक और अगरबत्ती जरूर जला लें. वहीं कनकधारा स्तोत्र (Kanakadhara Stotram) को अगर आप किसी दिन नहीं पढ़ पाते हैं तो घबराएं नहीं क्योंकि इस स्तोत्र को हर दिन पढ़ जरूरी नहीं होता है.

यन्त्र होता है लाभकारी

कनकधारा स्तोत्र से जुड़े यंत्र भी दुकानों में बेचे जाते हैं और आप चाहें तो अपने पूजा घर में ये यंत्र लाकर रख सकते हैं. पूजा घर के अलावा आप अपने व्यापार स्थल पर भी कनकधारा स्तोत्र का यंत्र रख सकते हैं. इस यंत्र को रखने से ना केवल आपको धन की प्राप्ति होगी बल्कि जीवन की हर बाधा भी दूर हो जाएगी.

evening worship

कनकधारा यंत्र की पूजा कैसे करें?

kanakdhara yantra hellozindgi

सुबह उठकर स्‍नान इत्यादि से निवृत्त होने के उपरान्त कनकधारा यंत्र की स्‍थापना की तैयारी करें। पूजन स्‍थल पर आसन बिछाएं और बैठ जाएं तथा अपने घर के पूजन स्‍थल में लाल रंग के वस्‍त्र पर ही कनकधारा यंत्र को स्‍थापित करें। इस पर गंगाजल और कच्चा दूध छिड़कें। आप चाहें तो कनकधारा यंत्र को अपनी तिजोरी, अलमारी या दुकान आदि में भी रख सकते हैं। पंचामृत, दूध, दही, शहद, घी और गंगाजल से कनकधारा यंत्र को स्‍नान करवाएं।

कनकधारा यंत्र के क्या लाभ हैं?

  • यदि क़र्ज़ की वजह से आपका जीवन कष्टमय हो रहा है तो आप अभिमंत्रित कनकधारा यंत्र की उपासना से कर्ज से मुक्‍ति पा सकते हैं।
  • संपन्‍नता और समृद्धि पाने की चाहत रखते हैं तो आपकी इस कामना को कनकधारा यंत्र पूर्ण कर सकता है।
  • आर्थिक समस्‍याओं से मुक्‍ति पाने के लिए ये यंत्र बहुत लाभकारी माना जाता है।
  • समाज में मान-सम्‍मान में बढ़ोत्तरी होती है।
  • भौतिक सुखों की प्राप्‍ति के लिए इस यंत्र को पूजा जाता है। कनकधारा यंत्र की पूजा करने से जीवन में सभी प्रकार के भौतिक सुखों की प्राप्‍ति होती है।
  • आपके जीवन की सभी समस्‍याओं को दूर करने में कनकधारा यंत्र सक्षम है । धन की कमी या कार्यों में असफलता मिल रही हो या बार-बार प्रयास करने भी विफल हो रहे हों, इन सभी समस्‍याओं का एकमात्र हल है कनकधारा यंत्र।

कनकधारा स्तोत्र हिंदी में अनुवाद

जिस प्रकार भ्रमरी अर्ध विकसित पुष्पों से अलंकृत तमाल वृक्ष का आश्रय ग्रहण करती है, उसी प्रकार भगवान श्री विष्णु के रोमांच से शोभयमान लक्ष्मी की कटाक्ष लीला श्री अंगों पर अनवरत पड़ती रहती है और जिसमें समस्त ऐश्वर्य-ध-संपत्ति का निवास है। वह समस्त मंगलों की अधिष्ठात्री देवी महालक्ष्मी की कटाक्ष-लीला मेरे लिए मंगलदायिनी हो। ।।1।।

जिस प्रकार भ्रमरी कमलदल पर मंडराती है अर्थात बार-बार आती जाती रहती है उसी प्रकार भगवान मुरारी के मुखकमल की ओर प्रेम सहित जाकर और लज्जा से वापस आकर समुद्र-कन्या लक्ष्मी की मनोहर मुग्ध दृष्टिमाला मुझे अतुल श्री ऐश्वर्य प्रदान करें। ।।2।।

जो समस्त देवों के स्वामी इन्द्रपद के वैभव का विलास अर्थात सुखोपभोग प्रदान करने में समर्थ है तथा मुर नामक दैत्य के शुत्र भगवान श्री हरि को भी अत्यंत आनंद प्रदान करने वाली है एवं नीलकमल जिस लक्ष्मी का सहोदर भ्राता है ऐसी लक्ष्मी के अधखुले नेत्रों की दृष्टि किंचित क्षण के लिए मुझ पर थोड़ी अवश्य पड़े। ।।3।।

जिसकी पुतली एवं भौंहें काम के वशीभूत हो अर्ध विकसित एकटक नयनों को देखने वाले आनंदकंद सच्चिदानंद भगवान मुकुन्द को अपने सन्निकट पाकर किंचित तिरछी हो जाती है। ऐसे शेषशायी भगवान विष्णु की अर्द्धंगिनी श्री लक्ष्मी जी के नेत्र हमें प्रभूत धन-संपत्ति प्रदान करने वाले हों। ।।4।।

जिन भगवान मधुसूदन के कौस्तुभमणि से वशीभूत वक्षस्थल में इन्द्रनीलमय हारावली के समान सुशोभित होती है तथा उन भगवान के भी चित्त मे काम अर्थात स्नेह संचारिणी कमल कुंज निवासिनी लक्ष्मी की कटाक्ष माला मेरा मंगल करे। ।।5।।

जिस प्रकार मेघों की घनघोर घटा में बिजली चमकती है उसी प्रकार कैटभ दैत्य के शत्रु भी विष्णु भगवान के काली मेघपंक्ति के समान मनोहर वक्ष:स्थल पर आप विद्युत के समान देदीप्यमान होती हैं तथा जो समस्त लोकों की माता, भार्गव-पुत्री भगवती श्री लक्ष्मी की पूजनीयामूर्ति मुझे कल्याण प्रदान करे। ।।6।।

समुद्रकन्या लक्ष्मी का वह मंदालस, मंथर, अर्धोंन्मीलित चंचल दृष्टि के प्रभाव से कामदेव ने मंगलमूर्ति भगवान मधुसूदन के हृदय में प्राथमिक (मुख्य) स्थान प्राप्त किया था। वही दृष्टि यहां मेरे ऊपर पड़े। ।।7।।

भगवान नारायण की प्रेमिका लक्ष्मी का नेत्ररूपी मेघ, दाय रूपी अनुकूल वायु से प्रेरित होकर दुष्कर्म रूपी धाम को दीर्घकाल के लिए परे हटाकर विषादग्रस्त मुझ दीन-दुखी सदृश्य जातक पर धनरुपी जलधारा की वर्षा करे। ।।8।।

विलक्षण मतिमान मनुष्य जिनके प्रीतिपात्र होकर उनकी कृपा दृष्टि के प्रभाव से स्वर्ग पद को अनायास ही प्राप्त कर लेते हैं, उन्हीं कमलासना कमला लक्ष्मी की वह विकसित कमल गर्भ के सदृश्य कान्तिमती दृष्टि मुझे मनोSभिलाषित पुष्टि-सन्तत्यादि वृद्धि प्रदान करें। ।।9।।

जो भगवती लक्ष्मी वृष्टि-क्रीड़ा के अवसर पर वाग्देवता अर्थात ब्रह्म शक्ति के स्वरूप में विराजमान होती है और पालन-क्रीड़ा के समय पर भगवान गुरुड़ ध्वज अथवा विष्णु भगवान सुंदरी पत्नी लक्ष्मी (वैष्णवी शक्ति) के स्वरूप में स्थित होती है तथा प्रयल लीला के समय शाकंभरी (भगवती दुर्गा) अथवा भगवान शंकर की प्रिय पत्नी पार्वती (रुद्रशक्ति) के रूप में विद्यमान होती है उन त्रिलोक के एकमात्र गुरु भगवान विष्णु की नित्ययौवन प्रेमिका भगवती लक्ष्मी को मेरा नमस्कार है। ।।10।।

हे लक्ष्मी! शुभकर्म फलदायक! श्रुति स्वरूप में आपको प्रणाम है। रमणीय गुणों के समुद्र स्वरूपा रति के रूपा में स्थित आपको नमस्कार है। शतपत्र कमल-कुंज में निवास करने वाली शक्ति स्वरूपा रमा को नमस्कार है तथा पुरुषोत्तम श्री हरि की अत्यंत प्राणप्रिय पुष्टि-रूपा लक्ष्मी को नमस्कार है। ।।11।।

कमल के समान मुखवाली लक्ष्मी को नमस्कार है। क्षीर समुद्र में उत्पन्न होने वाली रमा को प्रणाम है। चंद्रमा और अमृत की सहोदर बहन को नमस्कार है। भगवान नारायण की प्रेयसी लक्ष्मी को नमस्कार है। ।।12।।

हे कमलाक्षि! आपके चरणों में की हुई स्तुति ऐश्वर्यदायिनी और समस्त इंद्रियों को आनन्दकारिणी है तथा साम्राज्य अर्थात पूर्णाधिकार देने में सर्वथा समर्थ एवं संपूर्ण पापों को नष्ट करने में उद्यत है। माता, मुझे आपके चरण कमलों की वन्दना करने का सदा शुभ अवसर प्राप्त होते रहे। ।।13।।

जिनके कृपा-कटाक्ष (तिरक्षी चितवन) के लिए की गई उपासना (आराधना), सेवक (उपासक) के लिए समस्त मनोरथ और संपत्ति का विस्तार करती है, उस भगवान मुरारी की हृदयेश्वरी लक्ष्मी का मैं मन, वचन और काया से भजन करता हूं। ।।14।।

हे भगवती भगवान हरि को प्रिय पत्नी! आप कमल कुंज में निवास करने वाली हैं, आपके चरण कमलों में नीला कमल शोभायमान है। आप श्वेत वस्त्र तथा गन्ध माला आदि से सुशोभित हैं। आपकी सुंदरता अद्धितीय है। हे त्रिभुवन की वैभव प्रदायिनी! आप मेरे ऊपर प्रसन्न होइए। ।।15।।

दिग्गजों के द्वारा कनक कुंभ (सुवर्ण कलश) के मुख से पतित आकाशगंगा के स्वच्छ, मनोहर जल से जिस (भगवान) के श्री अंग का अभिषेक (स्नान) होता है उस समस्त लोकों के अधीश्वर भगवान विष्णु पत्नी, क्षीर सागर की पुत्री, जगन्माता लक्ष्मी को मैं प्रात:काल नमस्कार करता हूं। ।।16।।

हे कमलनयन भगवान विष्णु प्रिय लक्ष्मी! मैं दीन-हीन मनुष्यों में अग्रमण्य हूं इसलिए आपकी कृपा का स्वभाव सिद्ध पात्र हूं। आप उमड़ती हुई करुणा के बाढ़ की तरल तरंगों के सदृश्य कटाक्षों द्वारा मेरी दिशा में अवलोकन कीजिए। ।।17।।

जो मनुष्य इन स्तोत्रों के द्वारा नित्य प्रति वेदत्रयी स्वरूपा तीनों लोकों की माता भगवती रमा (लक्ष्मी) का स्तोत्र पाठ करते हैं वे भक्तगण इस पृथ्वी पर महागुणी और अत्यंत सौभाग्यशाली होते हैं एवं विद्वद्जन भी उनके मनोगत भाव को समझने के लिए विशेष इच्छुक रहते हैं। ।।18।।

श्रीमान शंकराचार्य विरचित इस सुवर्ण, कनकधारा स्तोत्र का पाठ जो मनुष्य तीनों काल अर्थात प्रात: मध्याह्र एवं सायं में करते हैं वे लोग कुबेर के समान धनी होते हैं।

Click Here to Download Kanakdhara Stotram in Hindi PDF

कुछ और चमत्कारिक स्तोत्र जरूर पढ़ें

CLICK BELOW

  1. Sri Sankat Nashan Ganesh Stotra(Ganesh Stotram Lyrics)
  2. Durga Saptashati Argala Stotram | Benefits | Lyrics- Sanskrit & Hindi
  3. सिद्ध कुंजिका स्तोत्र | मंत्र प्रयोग | रहस्य | लाभ | Lyrics | PDF
  4. Bhaktamar Stotra in Sanskrit With Meaning (Jain Bhaktamar Stotra in Hindi)
  5. MARUTI STOTRA(MARUTI STOTRA LYRICS)
  6. Navgrah Shanti Mantra in Sanskrit
  7. शनि स्तोत्र (Shani Stotra in Sanskrit)
  8. Shiv Mahimna Stotram (शिव महिमा स्त्रोत)
  9. Shiv Panchakshar Stotra(शिव पंचाक्षर स्तोत्र)
  10. Aditya Hridaya Stotra in hindi(आदित्य हृदय स्तोत्र सम्पूर्ण पाठ)

Leave a Reply